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हमारे लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध रही है, और यह कई उल्लेखनीय महिलाओं का घर रहा है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उदाहरण के तौर पर बेगम हज़रत महल, 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक प्रमुख नेता थीं। इसके अलावा प्रसिद्ध उर्दू लेखिका और समाज सुधारक, बेगम जान भी हमारे लखनऊ से ही थीं, जिन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा की वकालत की। साथ ही साथ, प्रसिद्ध शिक्षाविद् और कार्यकर्ता डॉ. रुखसाना खान तथा सबके दिलों में राज करने वाली लोकप्रिय अभिनेत्री 'सायरा बानो' का जन्म भी हमारे लखनऊ में ही हुआ था। लेकिन आज हम लखनऊ से हज़ारों किलोमीटर दूर मुंबई की एक ऐसी क्रांतिकारी नारी के बारे में जानेंगे जिन्होंने भूमि के साथ-साथ समुद्र को भी फ़तेह कर लिया था।
सुमति मोरारजी, को 'भारतीय नौवहन की जननी (Mother of Indian Shipping)' के रूप में भी जाना जाता है। वे महात्मा गांधी की करीबी मित्र मानी जाती थीं। समुद्री उद्योग में उन्होंने कई ऊंचाइयों को छुआ था। अपने जीवनकाल में उन्होंने 43 जहाज़ों और 6,000 से अधिक कर्मचारियों के बेड़े का प्रबंधन किया था। इस तरह उन्होंने भारत के नौवहन क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया था। आज के इस लेख में, हम सुमति मोरारजी की उल्लेखनीय उपलब्धियों के बारे में जानेंगे, जिसमें उनके द्वारा सिंधिया स्टीम नैविगेशन कंपनी (Scindia Steam Navigation Company) का किया गया नेतृत्व भी शामिल है। साथ हम उनके व्यापक सामाजिक कार्यों और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा करेंगे।
सुमति मोरारजी के बचपन का नाम जमुना था और उनका जन्म 13 मार्च, 1909 को मथुरादास गोकुलदास और उनकी पत्नी प्रेमाबाई के घर में हुआ था। उनके पिता बॉम्बे (अब मुंबई) में एक समृद्ध व्यापारी परिवार का हिस्सा थे। वह एक ऐसे समाज में पली-बढ़ी, जहाँ लड़कियों पर बहुत प्रतिबंध लगे हुए थे, इसलिए उनका बचपन कड़ी निगरानियों के बीच बीता था। मात्र तेरह वर्ष की आयु में, उनकी शादी शांति कुमार मोरारजी से हुई, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत के एक प्रमुख उद्योगपति नरोत्तम मोरारजी के इकलौते पुत्र थे। उनका ससुराल पक्ष, खुली विचारधारा रखता था। सुमति मोरारजी के द्वारा "भारतीय नौवहन की माँ" की उपाधि अर्जित करने का किस्सा बेहद दिलचस्प है।
मात्र 20 वर्ष की छोटी उम्र में, सुमति जी को सिंधिया स्टीम नैविगेशन कंपनी की प्रबंध एजेंसी में नियुक्त किया गया। वे 1923 में, फर्म में उस समय शामिल हुईं, जब शिपिंग उद्यम अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में था। मोरारजी, भारत और यूरोप के बीच माल परिवहन के लिए कुछ जहाज़ों का संचालन कर रहे थे। अगले कई दशकों में, सुमति जी ने कंपनी के बेड़े को 43 बड़े जहाज़ों तक विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, उन्होंने जहाज़ मालिकों के एक अग्रणी संगठन, भारतीय राष्ट्रीय जहाज़ मालिक संघ (INSA) का नेतृत्व करने वाली दुनिया की पहली महिला के रूप में इतिहास रच दिया। 1919 में नरोत्तम मोरारजी द्वारा स्थापित यह शिपिंग व्यवसाय भारत और यूरोप के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाली पहली बड़े पैमाने की भारतीय स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनी बन गई। 1980 के दशक में जब कंपनी ने अपना बेड़ा बेचा और परिचालन बंद किया, तब तक इसने अपनी सेवाओं का विस्तार करके यूएसए, यूके, सिंगापुर, पूर्वी अफ़्रीका , ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और फ़ारस की खाड़ी के मार्गों को शामिल कर लिया था।
1946 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सिंधिया स्टीम नैविगेशन की साझेदारी से ठीक पहले, सुमति मोरारजी ने कंपनी का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया, जिसमें छह हज़ार से ज़्यादा कर्मचारी थे। सुमति जी ने 69 वर्षों तक प्रभावशाली तरीके से सिंधिया स्टीम नेविगेशन (SSN) का प्रबंधन किया, जो उनके ससुर नरोत्तम मोरारजी द्वारा सह-स्थापित एक कंपनी थी। उनके नेतृत्व में, SSN ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की। 1970 में, उन्हें लंदन में विश्व शिपिंग फ़ेडरेशन (World Shipping Federation) का उपाध्यक्ष चुना गया और अगले वर्ष, भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करके उनके योगदान का सम्मान किया।
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, जैसे-जैसे देश का व्यापार परिदृश्य विकसित हुआ, वैसे-वैसे निर्यात और आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए जहाज़ आवश्यक हो गए। सुमति जी की विशेषज्ञता और अनुभव भारत के व्यापार संबंधों और परिवहन क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक रहे थे। उन्होंने सरकारी नीतियों और भारतीय शिपिंग उद्योग के बीच संबंधों पर चर्चा करते हुए कई निबंध और लेख भी लिखे। सुमति मोरारजी ने जहाज़ मालिकों के संगठन - इंडियन नेशनल स्टीमशिप ओनर्स एसोसिएशन (Indian National Steamship Owners Association), जिसका बाद में नाम बदलकर इंडियन नेशनल शिप ऑनर्स एसोसिएशन कर दिया गया, का नेतृत्व करने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रचा। 1970 में, उन्हें लंदन में प्रतिष्ठित वर्ल्ड शिपिंग फेडरेशन (World Shipping Federation) का उपाध्यक्ष चुना गया।
1987 में, सरकार को दिए जाने वाले लगभग 1.4 बिलियन रुपये के ऋण को चुकाने में विफल रहने के बाद, सिंधिया स्टीम नैविगेशन कंपनी को शिपिंग क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Shipping Credit and Investment Corporation of India) द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था। अगले 11 वर्षों में, इस सरकारी एजेंसी ने कंपनी के स्वामित्व वाले सभी 23 जहाज़ बेच दिए, जिन्हें सुमति मोरारजी प्यार से अपनी "बेटियाँ" कहती थीं।
अपनी पेशेवर उपलब्धियों के अलावा, सुमति मोरारजी विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थीं। उन्होंने विभाजन के दौरान, पाकिस्तान से पलायन करने वाले सिंधियों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुमति मोरारजी और उनके पति शांति कुमार मोरारजी, दोनों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सुमति जी, महात्मा गांधी की करीबी मित्र थीं, और उनसे नियमित रूप से पत्र-व्यवहार भी किया करती थीं। 1942 और 1946 के बीच, उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्देश्य से विभिन्न भूमिगत आंदोलनों में गांधी जी का सक्रिय रूप से समर्थन किया।
अपने जहाज़ी बेड़े के ज़रिए, सुमति जी ने विभाजन के उथल-पुथल भरे दौर में सिंधियों को पाकिस्तान से सुरक्षित रूप से भारत में बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुमति धार्मिक रूप से भी बहुत अधिक सक्रीय महिला थीं। वे श्रीनाथ जी (Shrinathji) की समर्पित अनुयायी थीं और नियमित रूप से तुलसी की पूजा करती थीं। 1965 में, उन्होंने इस्कॉन (ISKCON) के भावी संस्थापक स्वामी प्रभुपाद के लिए अपने जहाज़, जलदत्त पर न्यूयॉर्क की यात्रा के लिए टिकट की व्यवस्था की।
सुमति जी ने, मुंबई के जुहू में विद्या केंद्र स्कूल की भी स्थापना की, जिससे सामुदायिक शिक्षा में बड़ा योगदान मिला। उनकी उत्कृष्ट सेवा के सम्मान में, उन्हें 1971 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 27 जून, 1998 को 89 वर्ष की आयु में सुमति मोरारजी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। लेकिन "भारतीय नौवहन की जननी" के रूप में उनकी विरासत आज भी कायम है, जो शिपिंग उद्योग और समाज दोनों पर उनके गहन प्रभाव को दर्शाती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/26jn8jts
https://tinyurl.com/269kqk4f
https://tinyurl.com/2cwdgou5
https://tinyurl.com/28kkvmdz
चित्र संदर्भ
1. सुमति मोरारजी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कॉर्नरब्रुक बंदरगाह पर, बर्फ में फंसे, सिंधिया शिपिंग कंपनी के एम.वी.जाला तापी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. सुमति मोरारजी के श्यामश्वेत चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ब्रिटिश राज के दौरान, एक बंदरगाह पर जहाज़ों के समूह को को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाज़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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