लखनऊ की शान, हुसैनाबाद क्लॉक टावर पर सुसज्जित घड़ियों का रोमांचक सफर

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
31-07-2024 09:33 AM
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लखनऊ की शान, हुसैनाबाद क्लॉक  टावर पर सुसज्जित घड़ियों का  रोमांचक सफर
हमारे शहर लखनऊ के ऐतिहासिक हुसैनाबाद क्लॉक  टावर (Clock Tower) को वास्तुशिल्प का चमत्कार माना जाता है। इस भव्य संरचना को 1881 में नवाब नासिर-उद-दीन हैदर द्वारा सर जॉर्ज कूपर बार्ट (Sir George Cooper Bart) के आगमन की याद में बनवाया गया था, जो संयुक्त प्रांत आगरा और अवध के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor) थे। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि घड़ियाँ, जिन्हें टाइमपीस (Timepieces) के रूप में भी जाना जाता है, मानवता के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घड़ी(Clock) और कलाई  घड़ी  (Wristwatch) के बीच क्या अंतर होता है? आज, हम घड़ियों के ऐतिहासिक सफर को नापते हुए इनके बीच के अंतर् को भी समझेंगे। 
चलिए सबसे पहले घड़ियों की ऐतिहासिक यात्रा पर चलते हैं।
प्राचीन सभ्यताएँ और उनकी शुरुआती घड़ियाँ: सूर्यघड़ी (Sundial), सबसे शुरुआती समय मापने वाले उपकरणों में से एक थी। प्राचीन मिस्र के लोग 3,500 ईसा पूर्व में सूर्य की छाया को मापने के लिए ओबिलिस्क (Obelisk) का उपयोग करते थे। उन्होंने जल घड़ियाँ (Water Clocks) भी विकसित कीं, जिनका उपयोग बाद में बेबीलोन, प्राचीन ग्रीस,  फ़ारस, मेसोपोटामिया, भारत और प्राचीन चीन में किया गया।
यांत्रिक घड़ी का उदय: पहली पूरी तरह से यांत्रिक घड़ियाँ 14वीं शताब्दी के मध्ययुगीन यूरोप में ईसाई भिक्षुओं (Christian Monks) द्वारा बनाई गई थीं। इन शुरुआती घड़ियों में स्ट्राइकिंग  मैकेनिज़्म (Striking Mechanism) को संचालित करने के लिए पुली और वज़न की एक जटिल प्रणाली का उपयोग किया जाता था। इन्हें मठों, चर्चों और टाउन हॉल में स्थापित किया जाता था, जिससे समय की निगरानी एक सार्वजनिक गतिविधि बन गई।
समय-निर्धारण में पुनर्जागरण क्रांति: पुनर्जागरण काल (Renaissance Era) ​​में घड़ी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय उछाल देखा गया। 15वीं शताब्दी में स्प्रिंग  मैकेनिज़्म (Spring Mechanism) के आविष्कार के बाद छोटी और अधिक पोर्टेबल घड़ियों (Portable Watches) का विकास संभव हो गया। इसके बाद दीवार घड़ियों (Wall Clocks), टेबलटॉप घड़ियों (Tabletop Clocks) और मेंटल घड़ियों (Mantel Clocks) की शुरुआत के साथ ही यूरोप में घरेलू घड़ियाँ विलासिता, स्थिति और धन का प्रतीक बन गईं।
पेंडुलम घड़ी का आविष्कार: 17वीं शताब्दी में पेंडुलम घड़ी (Pendulum Clock) एक और अभूतपूर्व नवाचार साबित हुई। गैलीलियो (Galileo) के काम से प्रेरित होकर, डच वैज्ञानिक क्रिस्टियान ह्यूजेंस (Christiaan Huygens) ने पेंडुलम की लंबाई को समय से जोड़ने वाला गणितीय सूत्र निर्धारित किया और 1657 में पहली पेंडुलम घड़ी का आविष्कार किया, जिससे समय-निर्धारण की सटीकता में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ।
पॉकेट वॉच का आगमन: 1675 में, ह्यूजेंस (Huygens) और अंग्रेजी वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने  स्पाइरल बैलेंस स्प्रिंग (Spiral Balance Spring) या हेयरस्प्रिंग (Hairspring) का आविष्कार किया। इस क्रान्तिकारी विकास ने सटीक पॉकेट घड़ियों (Pocket Watches) के निर्माण को संभव बना दिया। प्रसिद्ध  अंग्रेज़ी घड़ी निर्माता थॉमस टॉम्पियन (Thomas Tompion) पॉकेट घड़ियों में इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग करने वाले पहले लोगों में से थे।
आधुनिक युग में घड़ियाँ: 19वीं सदी के अंत में कलाई घड़ी (Wristwatch) की शुरुआत हुई, जिसकी शुरुआत सिर्फ़ महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कंगन के रूप में हुई। वहीं पुरुष अभी भी पॉकेट घड़ियों का ही इस्तेमाल करते रहे। 1950 के दशक में इलेक्ट्रिक घड़ियों (Electric Clocks) का आविष्कार हुआ, उसके तुरंत बाद क्वार्ट्ज़ घड़ी का आविष्कार हुआ और आज, घड़ियाँ और अन्य व्यक्तिगत समय-निर्धारण उपकरण हर घर में दिखाई देते हैं।
घड़ियाँ विभिन्न आकारों और प्रकार में आती हैं। घड़ियों के दो सबसे प्रचलित प्रकार, रिस्ट वॉच और क्लॉक होती हैं। "रिस्ट वॉच" (Wristwatch), एक छोटी घड़ी को संदर्भित करती है, जो चमड़े या प्लास्टिक के एक स्ट्रैप या बैंड (Strap or Band) से जुड़ी होती है, जिससे इसे दिन भर आराम से कलाई पर पहना जा सकता है। एक अन्य प्रकार की छोटी घड़ी, "पॉकेट वॉच" (Pocket Watch) है, जो एक पतली चेन (Thin Chain) से जुड़ी होती है और इसे आप अपनी जेब में रख सकते हैं, और झटपट निकालकर समय देख सकते हैं। वॉच का आविष्कार 15वीं शताब्दी में यूरोप में पीटर हेनलेन द्वारा किया गया था। यह एक पोर्टेबल घड़ी होती  थी । "वॉच" (Watch) शब्द पुरानी अंग्रेज़ी के "वोसे" (Woese) से आया है, जिसका अर्थ "चौकीदार" होता है, या संभवतः 17वीं शताब्दी में नाविकों से आया है जो जहाज़ पर ड्यूटी शिफ्ट के समय को मापने के लिए इनका इस्तेमाल करते थे। वॉच को जेब में भी रखा जा सकता है या चेन से जोड़ा जा सकता है। कुछ घड़ियों को तैराकी, स्कूबा डाइविंग और अन्य जल खेलों जैसी गतिविधियों के लिए जलरोधी बनाया जाता है। इन दोनों छोटी घड़ियों का प्रयोग निजी तौर पर समय देखने के लिये किया जाता है। 
दूसरी ओर क्लॉक (Clock) एक बड़े आकार की घड़ी को संदर्भित करता है, जिसे मेज़ पर रखा जा सकता है (Table Clock) या दीवार पर टांगा जा सकता है (Wall Clock) जिससे आपके घर के सभी लोग समय देख सकते हैं। क्लॉक शब्द लैटिन के "क्लोका" (Cloca) से आया है, जिसका अर्थ "घंटी" होता है। मानवता के सबसे पुराने आविष्कारों में से एक, क्लॉक का विकास अवधि की गणना के लिए किया गया था। क्लॉक का आविष्कार क्रिस्टियान ह्यूजेंस ने 13वीं शताब्दी में हेग (Hague) में किया था। समय के साथ क्लॉक सूर्यघड़ी, पानी की घड़ियों और यांत्रिक घड़ियों से विकसित होकर आज हम जो विभिन्न आकार और आकृतियाँ देखते हैं, उनमें बदल गई हैं।
इससे भी बड़ी घड़ी कई शहरों के चौक के बीचो बीच, समय दिखाने के लिए, क्लॉक टावर या घंटाघर (Clock Tower) के रूप में वर्षों से शहरों की शोभा बढ़ा रही है, बल्कि उन शहरों की पहचान बन गई हैं। हर घंटे इन घड़ियों से बजती मधुर गूँज या घंटी हमें और हमारे शहरवासियों को समय की अहमियत की याद दिलाती है और सामूहिक रूप से अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिये प्रेरित करती है। कई बड़ी घड़ियाँ प्रमुख कार्यालयों या इमारतों के प्रवेश द्वार की दीवारों पर भी लगी होती हैं और उस इमारत की पहचान बन जाती हैं, जैसा कि हमारे लखनऊ के ऐतिहासिक हुसैनाबाद क्लॉक  टावर के संदर्भ में है।
लंदन शहर की वर्शिपफुल कंपनी ऑफ़ क्लॉकमेकर्स (Worshipful Company of Clockmakers) के पास दुनिया का सबसे पुराना वॉच और क्लॉक संग्रह है जो सिर्फ़ टाइमकीपर्स को समर्पित है। इस संग्रह को हाल ही में लंदन के ईस्ट एंड में गिल्डहॉल लाइब्रेरी (Guildhall Library) में क्लॉकमेकर्स म्यूज़ियम (Clockmakers Museum) में पूरी तरह से फिर से प्रदर्शित किया गया है, जहाँ इसे 1976 से रखा गया है।
16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, कुछ विदेशी प्रशिक्षित घड़ी निर्माता लंदन में काम करते थे, जो ब्लैकस्मिथ या ड्रेपर्स (Blacksmiths or Drapers) कंपनी जैसे व्यापार संघों में शामिल हो गए, क्योंकि तब तक कोई क्लॉकमेकर्स कंपनी अस्तित्व में नहीं थी। 17वीं शताब्दी की पहली तिमाही में, घड़ी व्यापार  मज़बूत हुआ और नए  अंग्रेज़ी घड़ी निर्माता और सहायक कर्मचारी उभरे। 
इस दौरान दो मुख्य समूह उभरे: 
1. घड़ीसाज़ (Clockmakers), जो स्प्रिंग से चलने वाली टेबल घड़ियाँ भी बनाते थे। 
2. लालटेन घड़ीसाज़ (Watchmakers), जो वज़न से चलने वाली दीवार घड़ियाँ बनाते थे, जिन्हें "लालटेन घड़ियाँ" कहा जाता था।
जैसे-जैसे घड़ियों और लालटेन घड़ियों की माँग बढ़ती गई, वैसे-वैसे लंदन में ज़्यादा विदेशी और बाहरी घड़ीसाज़ आने लगे, जिससे स्थापित निर्माताओं को ख़तरा पैदा होने लगा। इसके बाद अपनी आजीविका की रक्षा के लिए, प्रशिक्षण, उत्पादन और गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापार संघ के रूप में क्लॉकमेकर्स कंपनी (Clockmakers Company) की स्थापना की गई। 1631 में, किंग चार्ल्स I (King Charles I) ने संघ को एक शाही चार्टर (Royal Charter) प्रदान किया। कंपनी ने अपने सदस्यों को बाहरी प्रतिस्पर्धा से बचाया, लेकिन बदले में, सदस्यों को ग्राहक व्यवहार, साथी निर्माताओं और प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत और उनके काम के मानकों पर सख्त नियमों का पालन करना पड़ा। 1660 में राजशाही की बहाली और क्रॉमवेलियन युग (Cromwellian Era) के अंत के बाद  अंग्रेज़ी घड़ी निर्माण का स्वर्ण युग शुरू हुआ। पेंडुलम (Pendulum) को शामिल करने वाली घड़ियों के नए रूप विकसित किए गए, और  वज़न से चलने वाली घरेलू घड़ी, टेबल या ब्रैकेट घड़ी (Bracket Clock) और लॉन्गकेस घड़ी (Longcase Clock) लोकप्रिय हो गई। राजा चार्ल्स द्वितीय और उनके दरबार ने अपने नए महलों और सम्पदाओं के लिए नवीनतम शैली की घड़ियों का आदेश दिया, जिससे घड़ी निर्माण व्यापार के विकास को बढ़ावा मिला। हालांकि, 1665 में प्लेग और 1666 में लंदन की भीषण आग ने घड़ी निर्माताओं को बड़े झटके दिए। कई कार्यशालाएँ नष्ट हो गईं, और शहर का पुनर्निर्माण करना पड़ा, जिसके लिए उपलब्ध कारीगरों की संख्या बढ़ाने के लिए गिल्ड प्रतिबंधों को ढीला करना आवश्यक था। इन चुनौतियों के बावजूद, घड़ी निर्माण व्यापार फिर से उभर आया और आज भी फल फूल रहा है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/2y5wt9f9
https://tinyurl.com/2dmkc4uv
https://tinyurl.com/24j8dhng

चित्र संदर्भ
1. हुसैनाबाद क्लॉक टावर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. सूर्यघड़ी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. पोर्टेबल घड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (StockVault)
4. पेंडुलम घड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
5. पॉकेट घड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
6. कलाई घडी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. क्लॉक को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
8. हुसैनाबाद क्लॉक टावर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. घड़ीसाज़ को दर्शाता चित्रण (Needpix)
10. ब्रैकेट घड़ी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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