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आइए, आज लखनऊ की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को समझते हुए, शहर के महत्वपूर्ण संग्रहालयों पर प्रकाश डालते हैं। संग्रहालय के लिए, अंग्रेज़ी शब्द – “म्यूज़ियम(Museum)”, की उत्पत्ति लैटिन शब्द “म्यूज़ियम” और ग्रीक शब्द “माउसियन(Mouseion)” से हुई है। ये शब्द ‘म्यूज़(Muse)’ को संदर्भित करते है, जो देवी सरस्वती की तरह साहित्य, विज्ञान और कला की देवी हैं।
म्यूज़ियम इस शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर, दरअसल, अलग–अलग मान्यताएं व स्त्रोत हैं। लैटिन(Latin) शब्द म्यूज़ियम का अर्थ – “पुस्तकालय” है। जबकि, ग्रीक (Greek) शब्द माउसियन का अर्थ – “अध्ययन का स्थान, पुस्तकालय या संग्रहालय अथवा कला या कविता का विद्यालय,” है। ‘माउसियन’ शब्द का अर्थ, “म्यूज़ का मंदिर” है। प्राचीन ग्रीक धर्म और पौराणिक कथाओं में, म्यूज़ को कविता, गीतों और मिथकों में सन्निहित ज्ञान का स्रोत माना जाता था, जो प्राचीन यूनानी संस्कृति में सदियों से मौखिक रूप से संबंधित थे। हालांकि, आधुनिक आलंकारिक उपयोग में, म्यूज़ वह व्यक्ति है, जो किसी की कलात्मक प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
एक तरफ, अंग्रेजी (English) संस्थानों के संदर्भ में, म्यूज़ियम शब्द का सबसे पहला उपयोग, ‘विद्वानों के अध्ययन के लिए पुस्तकालय’ के रूप में था। जबकि, “कला, साहित्य, या विज्ञान से संबंधित वस्तुओं के भंडार और प्रदर्शन स्थान को समर्पित इमारत” के तौर पर संग्रहालय की भावना, 1680 के दशक से प्रचलित है।
संग्रहालय न केवल ऐतिहासिक साक्ष्यों को संरक्षित करके उनकी व्याख्या करते हैं, बल्कि, शैक्षिक और सांस्कृतिक भूमिका भी निभाते हैं। 1863 में स्थापित, लखनऊ राज्य संग्रहालय में, प्राकृतिक इतिहास से लेकर पाषाण युग की कलाकृतियों के साथ-साथ, जैन कला, भारतीय मूर्तिकला और मिस्र की कलाकृतियों जैसे विशेष संग्रह वाली विविध गैलरीयां हैं। दूसरी ओर, रेजीडेंसी (Residency) परिसर में स्थित 1857 का स्मारक संग्रहालय, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक ज्वलंत चित्रण प्रस्तुत करता है।
संग्रहालय, मानव जाति और पर्यावरण के प्राथमिक वास्तविक साक्ष्यों को संरक्षित और व्याख्या करने के लिए समर्पित संस्थान होते हैं। इन प्राथमिक साक्ष्यों को संरक्षित करने में, संग्रहालय पुस्तकालय से स्पष्ट रूप से भिन्न होते है, क्योंकि संग्रहालय में रखी गई वस्तुएं मुख्य रूप से अद्वितीय होती हैं और अध्ययन और अनुसंधान के लिए आधार बनती हैं। वे वस्तुएं दर्शकों के साथ संवाद भी करती हैं, जो अन्य मीडिया के माध्यम से संभव नहीं है।
संग्रहालयों की स्थापना विभिन्न उद्देश्यों के लिए की जाती है।
इनमें मनोरंजन सुविधा; विद्वानों के स्थानों या शैक्षिक संसाधनों की सेवा करना; जीवन की गुणवत्ता में योगदान हेतू; पर्यटन को बढ़ावा देना; नागरिकों के गौरव या राष्ट्रवादी प्रयास को बढ़ावा देना और स्पष्ट रूप से वैचारिक अवधारणाओं को प्रसारित करना आदि शामिल हैं। इतने विविध उद्देश्यों को देखते हुए, संग्रहालय अपने रूप, सामग्री और यहां तक कि कार्य में भी उल्लेखनीय विविधता प्रकट करते हैं। इतनी विविधता के बावजूद, हालांकि, वे एक सामान्य लक्ष्य से बंधे हैं। यह लक्ष्य, समाज की सांस्कृतिक चेतना के कुछ भौतिक पहलू का संरक्षण और व्याख्या करना है।
हमारे शहर लखनऊ के संग्रहालय का भी ऐसा ही महत्व है। ‘राज्य संग्रहालय, लखनऊ’ हमारे शहर के चिड़ियाघर परिसर के भीतर स्थित है। इस संग्रहालय को 1863 में स्थापित किया गया था। संग्रहालय में कलाकृतियों के साथ कई गैलरीयां हैं, जिनमें, प्राकृतिक इतिहास की वस्तुओं से लेकर पाषाण युग की वस्तुएं शामिल हैं। साथ ही, इनमें जैन कला, भारतीय मूर्तिकला, पुरातत्व वस्तुएं, नवाब कला और सिक्का, मिस्र की कला, धातु कला, प्राकृतिक इतिहास और बुद्ध संस्कृति आदि गैलरीयां भी शामिल हैं। यह संग्रहालय स्कूली बच्चों और कॉलेज (College) के छात्रों के लिए, कई कार्यक्रम आयोजित करता है और फिल्में भी प्रदर्शित करता है।
दूसरी ओर,‘1857 मेमोरियल संग्रहालय, रेजीडेंसी’ अपनी कुछ गैलरी के माध्यम से, रेजीडेंसी परिसर पर, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव को प्रदर्शित करता है। रेजीडेंसी परिसर का निर्माण 1774 में, नवाब शुजा-उद-दौला और अंग्रेजों के बीच हस्ताक्षरित संधि के अनुसार अवध में तैनात ब्रिटिश निवासियों के लिए किया गया था। जब नवाब आसफ-उद-दौला के शासनकाल में अवध की राजधानी फैजाबाद से लखनऊ स्थानांतरित हुई, तब, लखनऊ रेजीडेंसी का निर्माण 1800 में, नवाब सआदत अली खान द्वारा पूरा किया गया।
1857 में लखनऊ की घेराबंदी के दौरान, भारी गोलाबारी के कारण रेजीडेंसी की इमारतों को भारी संरचनात्मक क्षति हुई थी। संग्रहालय की इमारत 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की गवाही के रूप में खड़ी है, जिसके, अग्रभाग और आंतरिक संरचना पर भारी गोलाबारी का प्रभाव स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है।
साथ ही, दिलकुशा कोठी, रूमी गेट और हुसैनाबाद के बड़ा इमामबाड़ा का हवाई दृश्य प्रदर्शित करने के लिए, तीन ट्रांसलाइट(Translites) हैं। यहां वाजिद अली शाह, बेगम हजरत महल और रानी लक्ष्मी बाई समेत अन्य लोगों की पेंटिंग भी प्रदर्शित हैं। जबकि, ब्रिटिश गैलरी में अवध के मुख्य कमिश्नर – सर हेनरी लॉरेंस(Sir Henry Lawrence) और कर्नल पामर की बेटी मिस सुज़ाना पामर की मूर्तियां लगी हैं।
एक अन्य गैलरी में, तोप के गोले, संगीत वाद्ययंत्र, लखनऊ में 1857 के विद्रोह की एक पेंटिंग, रेजीडेंसी पर हमले का एक दृश्य, आलमबाग और सिकंदरबाग में हुए युद्ध के दृश्य, तलवारें, ढाल, बंदूकें और राइफलें आदि प्रदर्शित है। यह संग्रहालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रबंधन के तहत, सांस्कृतिक सैर और संग्रहालय पर्यटन का आयोजन करता है। साथ ही, रेजीडेंसी और इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता पर 15 मिनट का एक वृत्तचित्र भी बनाया गया है। यह स्कूली बच्चों के लिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसी राष्ट्रीय छुट्टियों पर भी कार्यक्रम आयोजित करता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/y2x578vp
https://tinyurl.com/3napawnf
https://tinyurl.com/bbejccfs
https://tinyurl.com/3ndnnytt
https://tinyurl.com/msvfuveh
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ राज्य संग्रहालय को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. भीतर से एक संग्रहालय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. संग्रहालय में "सैलून शैली" में व्यवस्थित पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हुसैनाबाद क्लॉक टॉवर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. स्टेट म्यूजियम में बुद्ध गैलरी को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. 1857 स्मारक संग्रहालय, लखनऊ को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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