जापान में 'हाना मत्सुरी' और 'कनबुत्सु' उत्सव: बुद्ध के जन्मोत्सव का अद्वितीय संगम

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
23-05-2024 09:33 AM
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जापान में 'हाना मत्सुरी' और 'कनबुत्सु' उत्सव: बुद्ध के जन्मोत्सव का अद्वितीय संगम

बौद्ध धर्म विश्व के सबसे महान एवं प्रमुख धर्मों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति 2,500 वर्ष पहले छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में हुई थी। भारत से बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ चीन (China), कोरिया (Korea) और जापान (Japan) से होते हुए पूरे मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) में फैल गईं। आज पूरे विश्व में बौद्ध धर्मावलम्बी हैं। बौद्ध धर्म के संस्थापक 'शाक्यमुनि' (जिन्हें "सिद्धार्थ गौतम" के नाम से भी जाना जाता है) का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में हुआ था। एशिया में बौद्ध धर्म के समस्त अनुयायियों और विशेष रूप से जापान में शाक्यमुनि के जन्मदिन के अवसर पर प्रति वर्ष 'हाना मत्सुरी' (Hana Matsuri) नामक एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हाना मत्सुरी समारोह का वास्तविक नाम कनबुत्सु (Kanbutsue) है। बुद्ध शाक्यमुनि के जन्मदिन का उत्सव परंपरागत रूप से चंद्र कैलेंडर के चौथे महीने के 8वें दिन मनाया जाता है, लेकिन विभिन्न बौद्ध राष्ट्रों में आमतौर पर यह उत्सव अप्रैल के अंत से जून की शुरुआत तक अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। हालांकि जापान में, ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाने के बाद मीजी युग (Meiji Era (1868 - 1912) के दौरान इस उत्सव को मनाने के लिए 8 अप्रैल की तारीख निश्चित कर दी गई थी। और तब से जापान में यह उत्सव 8 अप्रैल को मनाया जाता है, जब ‘सकुरा’ मौसम अपने चरम पर होता है। जापान में ‘सकुरा’ शब्द का उपयोग चेरी (Cherry) के पेड़ों और उनके फूलों के लिए किया जाता है। वसंत ऋतु में उनके खिलने का जश्न द्वीपसमूह में चारों ओर मनाया जाता है। और यही कारण है कि ‘कानबुत्सु’ को ‘हाना मत्सुरी’, या ‘फूलों के त्यौहार’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन, देश भर में लोग बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान करने के लिए अपने स्थानीय बौद्ध मंदिरों में जाते हैं। इस दिन मंदिर के मुख्य हॉल के सामने 'हाना-मिडो' (Hana-Mido) नामक एक छोटा सा देवगृह स्थापित किया जाता है जिसका अर्थ 'फूलों से बना मंडप' होता है। हाना-मिडो में एक बड़े उथले कटोरे में भगवन शाक्यमुनि की शिशु रूप में एक मूर्ति रखी जाती है जो आकाश और पृथ्वी की ओर इशारा करती है, और इसे फूलों से ढक दिया जाता है। यह मूर्ति शाक्यमुनि का जन्म के समय के रूप का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे ‘तंजो बुत्सु जो’(Tanjo Butsu Zo) कहते हैं। इस कटोरे में ‘अमा-चा’ (Ama-cha) नामक एक तरल भरा होता है, जिसे उपासक करछुल से मूर्ति के सिर पर डालते हैं।
किंवदंतियों के अनुसार, यह क्रिया शाक्यमुनि के जन्म के बाद के पहले स्नान को पुन: प्रस्तुत करती है। माना जाता है कि अपने जन्म के तुरंत बाद, बुद्ध ने सात कदम आगे बढ़ाए और अपने हाथों से आकाश और पृथ्वी की ओर इशारा किया, और मान्यता है की उन्होंने कहा, "मैं ब्रह्मांड में अकेला हूं।" उस समय नौ महान ड्रैगन राजाओं या 9-सिर वाले ड्रैगन कुजुर्यू (Kuzuryu) द्वारा शुद्ध जल से उनका अभिषेक किया गया। 'अमा-चा' विशिष्ट हाइड्रेंजिया (hydrangea) प्रजाति की पत्तियों से बना एक अर्क है, जिसका स्वाद तीखा मीठा होता है। मूर्ति को 'अमा-चा' से स्नान करने के बाद, उपासक इसे प्रसाद रूप में ग्रहण भी कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ‘अमा-चा’ में कीटनाशक और एंटी-एलर्जी गुण होते हैं। धारणा है कि शाक्यमुनि का जन्म फूलों के एक खेत में हुआ था, इसलिए उनका सम्मान करने के लिए एवं लुंबिनी के जंगलों और बगीचों को दर्शाने के लिए, हाना मत्सुरी के दौरान, मंदिरों के भीतर फूलों का संचय किया जाता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि उनके गर्भाधान के समय उनकी मां ने अपने सपने में एक सफेद हाथी देखा था, और इसी कारण से कनबुत्सु के अवसर पर सफेद हाथी की प्रतिमा को भी अक्सर मंदिरों में दर्शाया जाता है। वैसे तो पूरे जापान में 8 अप्रैल को यह उत्सव मनाया जाता है लेकिन ‘असाकुसा’ (Asakusa) में ‘सेंसोजी’ (Sensoji) मंदिर में इस उत्सव के दौरान विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो वास्तव में दर्शनीय हैं। इस दिन, मंदिर की वेदी को फूलों से सजाया जाता है, और सफेद हाथी के साथ एक रथ की यात्रा भी निकाली जाती है। इसके अलावा ‘त्सुकिजी होंगान जी’ (Tsukiji Hongan ji) मंदिर भी एक अन्य स्थान है जहां इस उत्सव की एक अनोखी छटा देखने को मिलती है।
जापान में बौद्ध धर्म की पहली बार स्थापना 6ठी शताब्दी के दौरान की गई थी। जापान में बौद्ध धर्म के अधिकांश अनुयायी बौद्ध धर्म के नए विद्यालयों से संबंधित हैं, जिनकी स्थापना 1185-1333 के बीच कामाकुरा काल (Kamakura period) में हुई थी। जापान में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा संप्रदाय 'शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म' (Pure Land Buddhism) है, जिसके अनुयायियों की संख्या 22 मिलियन है। ‘शुद्ध भूमि’ बौद्ध धर्म की एक व्यापक शाखा है, जो शुद्ध भूमि में, जिसे आम तौर पर बुद्ध का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, पुनर्जन्म प्राप्त करने पर केंद्रित है। यह पूर्वी एशिया में बौद्ध धर्म की सबसे व्यापक रूप से प्रचलित परंपराओं में से एक है। इसके बाद दूसरे स्थान पर ‘निचिरेन बौद्ध धर्म’ (Nichiren Buddhism) का स्थान आता है, जिसके अनुयायियों की संख्या 10 मिलियन है।
निचिरेन बौद्ध धर्म, जिसे ‘होक्केशु’ (Hokkeshū) के नाम से भी जाना जाता है, 13वीं शताब्दी के जापानी बौद्ध पुजारी निचिरेन की शिक्षाओं पर आधारित महायान बौद्ध धर्म की एक शाखा है। इसके बाद जापान में 5.4 मिलियन विश्वासियों के साथ ‘शिंगोन बौद्ध धर्म’ (Shingon Buddhism) का स्थान आता है और फिर 5.3 मिलियन अनुयायियों के साथ ‘ज़ेन बौद्ध धर्म’ (Zen Buddhism) आता है। जापान में ‘शिंगोन’, बौद्ध धर्म के प्रमुख संप्रदायों में से एक है और पूर्वी एशियाई बौद्ध धर्म में कुछ जीवित वज्रयान वंशों में से एक है। इसे कभी-कभी जापानी गूढ़ बौद्ध धर्म भी कहा जाता है। जबकि जापानी ज़ेन धर्म, ज़ेन बौद्ध धर्म के जापानी रूप को संदर्भित करता है। यह मूल रूप से बौद्ध धर्म का चीनी महायान संप्रदाय है जो ध्यान, जागरूकता और समभाव के ध्यान प्रशिक्षण पर दृढ़ता से जोर देता है। 2.8 मिलियन विश्वासियों के साथ ‘तेंदई बौद्ध धर्म’ (Tendai Buddhism) का स्थान पांचवा है। तेंदई, जिसे 'तेंडाई लोटस संप्रदाय’ के नाम से भी जाना जाता है, एक महायान बौद्ध परंपरा है जो महत्वपूर्ण गूढ़ तत्वों पर ज़ोर देती है। इसे आधिकारिक तौर पर 806 में जापान में स्थापित किया गया था। अंत में 710-794 के बीच ‘नारा काल’ (Nara period) के दौरान स्थापित छह पुराने संप्रदायों के अनुयायियों की संख्या केवल लगभग 700,000 है। नारा बौद्ध धर्म के छह संप्रदाय, जिन्हें ‘रोकुशु’ के नाम से भी जाना जाता है, 6वीं सदी के अंत और 7वीं सदी की शुरुआत में कोरिया और चीन से जापान आए थे। इन सभी विद्यालयों पर नारा की नवगठित जापानी सरकार का नियंत्रण था। ये विद्यालय पहले से मौजूद मुख्य भूमि एशियाई बौद्ध विचारों की नकल करने और उनका विस्तार करने के लिए स्थापित किए गए थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2p8mayfz
https://tinyurl.com/bdde2rev
https://tinyurl.com/46wv763k

चित्र संदर्भ
1. हाना मत्सुरी के जन्मदिन के उत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. गौतम बुद्ध की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हाना मत्सुरी के जलभिषेक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हाना मत्सुरी के जन्मदिन के उत्सव पर बच्चों की परेड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. हाना मत्सुरी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. निचिरेन बौद्ध को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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