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आज का दिन पूरी दुनिया के कला प्रेमियों को समर्पित है, और इस दिन को "विश्व कला दिवस (World Art Day)" के रूप में मनाया जाता है। कला दिवस दुनिया भर के छात्रों को, कला के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है। हालांकि जिस प्रकार प्रत्येक पर्व और उत्सव की उत्पत्ति से एक किवदंती या किसी व्यक्ति की जीवनी जुड़ी हुई होती है, उसी प्रकार "विश्व कला दिवस" के रूप में आज के ही दिन को क्यों चुना गया, इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है।
वास्तव में कला का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिसमें वास्तुकला, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला, नृत्य, साहित्य और सिनेमा जैसे कला के विभिन्न रूप शामिल हैं। कई लोगों के लिए कला वास्तव में अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम साबित होती है। सच्ची कला का सार ही, भावनाओं की अभिव्यक्ति में निहित है। कोई भी कलाकृति दुनिया के प्रति, कलाकार के दृष्टिकोण और उसके प्रति उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया को दर्शाती है। कला हमारे बीच समानताओं और भिन्नताओं की भी अभिव्यक्ति करती है।
सभी लोग किसी भी कला की व्याख्या अपने निजी जीवन के अनुभवों के आधार पर अलग-अलग करते हैं। विश्व कला दिवस लोगों को अपने आस-पास की सुंदरता की सराहना करने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन लोगों को बिना किसी डर के अपनी भावनाओं को पूरी तरह व्यक्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। विश्व कला दिवस का मुख्य उद्देश्य कला के सतत विकास को बढ़ावा देना है।
15 अप्रैल के दिन को विश्व कला दिवस मनाने की घोषणा इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ आर्ट (International Association of Art) I.A.A.) द्वारा की गई थी। इस परंपरा की शुरुआत 2012 में की गई। 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि आज के ही दिन प्रसिद्ध कलाकार "लियोनार्डो दा विंची (leonardo da vinci)" का जन्मदिन भी मनाया जाता है। लियोनार्डो दा विंची को सहिष्णुता, वैश्विक शांति, बोलने की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक माना जाता है।
उद्घाटन दिवस के दिन विश्व कला दिवस को I.A.A की सभी राष्ट्रीय समितियों का समर्थन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए, दुनिया भर से 150 कलाकारों ने भाग लिया था। साथ ही उद्घाटन दिवस पर कला सम्मेलनों, और आउटडोर कला प्रदर्शनियों (outdoor art exhibitions) का भी आयोजन किया गया था, जिसमें पेंटिंग, प्रिंट, मूर्तियां और चलचित्रों सहित कला के विभिन्न रूपों का प्रदर्शन किया गया था।
विश्व कला दिवस के छोटे से इतिहास का संक्षेप में विवरण निम्नवत दिया गया है:
- 1948: आई.ए.ए. का जन्म: 1948 में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ आर्ट (I.A.A.) की स्थापना बेरूत में की गई थी।
- 1954: I.A.A की स्वतंत्रता: 1954 में आई.ए.ए. स्वतंत्र रूप से यूनेस्को (UNESCO ) का भागीदार बन गया।
- 2012: विश्व कला दिवस की शुरुआत: 2012 में पहला विश्व कला दिवस 15 अप्रैल को ग्वादलजारा (Guadalajara ) में मनाया गया।
- 2013: दक्षिण अफ्रीका में विश्व कला दिवस समारोह: 2013 में दक्षिण अफ्रीका में एमबोम्बेला नगरपालिका कला संग्रहालय (Mbombela Municipal Museum of Art) विश्व कला दिवस के जश्न में शामिल हुआ।
जब किसी व्यक्ति को सर्व सहमति के साथ एक पूरा दिन ही समर्पित कर दिया है, तो वह व्यक्ति वाकई में महान होता है और उसके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिल सकता है। लियोनार्डो दा विंची कला जगत के एक ऐसे रचनाकार हैं, जिनकी कलाकृतियों से लेकर उनके जीवन तक, हर चीज से हम जीवन के गहरे सबक ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर लियोनार्डो को विज्ञान और अन्वेषण के प्रति अपने जुनून को कला के साथ मिलाने की उनकी अद्वितीय क्षमता के लिए जाना जाता है।
शवों के विच्छेदन पर आधारित उनके शारीरिक रेखाचित्र, उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से एक माने जाते हैं। उनकी तीव्र बुद्धि ने उन्हें ऐसी खोजें करने में भी सक्षम बना दिया, जिनके बारे में दुनियां को पूरी एक सदी के बाद पता चला। उनके द्वारा की गई ऐसी ही एक खोज मानव हृदय के माध्यम से रक्त का प्रवाह को दर्शाता चित्र भी है, जिसका रेखाचित्र उन्होंने वैज्ञानिक खोज से भी बहुत पहले बना दिया था। उनके कलात्मक कौशल की बदौलत ही मानव शरीर के चित्रण की शुरुआत हुई, जिसे आज भी अपनी सटीकता और सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
हालाँकि, उनकी उपलब्धियाँ बहुत लंबे समय तक उनकी नोटबुक में ही छिपी रहीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लियोनार्डो ने कभी अपना काम प्रकाशित नहीं किया था। यहां पर उनके जीवन से एक बड़ा सबक यह सीखा जा सकता है कि "जरूरी नहीं कि अंतर्दृष्टि और उत्पादकता साथ-साथ चलें।"
आज लियोनार्डो दा विंची को समर्पित विश्व कला दिवस के मौके पर हम भी आपके लिए 1859 में प्रसिद्ध अंग्रेजी कलाकार, थॉमस जोन्स बार्कर (Thomas Jones Barker ) द्वारा बनाई गई कलाकृति 'द रिलीफ ऑफ लखनऊ (The Relief of Lucknow)' नामक एक शानदार पेंटिंग लेकर आये हैं, जो 1857 में भारत में तैनात एक स्वीडिश सैन्य कलाकार द्वारा बनाए गए रेखाचित्रों पर आधारित है। इस कलाकृति में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि उस समय हमारे लखनऊ के हालात कैसे थे, जब ब्रिटिश सेना का विरोध करने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने शहर की घेराबंदी कर दी थी। यह प्रिंट हमारे लखनऊ संग्रहालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां इस ऐतिहासिक घटना से संबंधित कई अन्य मनोरम कलाकृतियाँ भी प्रदर्शित हैं।
दिलचस्प बात यह है कि कई चित्रकार मानते हैं कि पश्चिमी कलाकार अक्सर पूर्वी संस्कृतियों को आदिम और पश्चिमी सभ्यता की आवश्यकता के अनुरूप चित्रित करते हैं। ऐसा संभवतः अपने साम्राज्य का विस्तार करने और अपना प्रभुत्व जताने और प्रदर्शित करने के लिए किया जाता था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yeyt99v6
https://tinyurl.com/22x7wv76
https://tinyurl.com/29f33ms2
चित्र संदर्भ
1. बच्चों की चित्रकारी और लियोनार्डो दा विंची को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr, wikimedia)
2. विभिन्न प्रकार की कलाओं से निर्मित चेहरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लियोनार्डो दा विंची को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लियोनार्डो दा विंची की मोनालिसा नामक चित्रकला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. लियोनार्डो दा विंची द्वारा निर्मित ह्रदय के रेखाचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. द रिलीफ ऑफ लखनऊ को संदर्भित करता एक चित्रण (bodminkeep)
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