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आज 21वीं सदी में हर किसी की जेब में एक कैमरा है। आप जब चाहे तब, अपने मनपसंदीदा दृश्य तथा व्यक्ति को अपनी यादों के साथ-साथ अपने फ़ोन की गैलरी (Gallery) में भी संरक्षित कर सकते हैं। कैमरे की उत्पत्ति 1600 के दशक में हुई थी, और तब से लेकर आज तक इसने विकास के कई चरण देखे हैं। आज हम इन्हीं चरणों को परत दर परत समझने का प्रयास करेंगे। साथ ही आज आप लखनऊ शहर में फिल्माए गए सबसे पहले चलचित्र यानी विडियो (Video) को भी देखने वाले हैं।
चलिए कैमरों के विकास के चरणों को क्रमानुसार समझने का प्रयास करते हैं:
कैमरा ऑब्स्क्योरा (Camera Obscura): कैमरा ऑब्स्क्योरा सभी आधुनिक कैमरों के दादा जी की तरह है। इसका नाम लैटिन शब्द से लिए गया है, जिसका अर्थ "अंधेरा कमरा (Dark Room)" होता है। यह एक छोटे से छेद या लेंस के माध्यम से एक छवि प्रक्षेपित करके काम करता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसके बारे में हम लगभग 400 ईसा पूर्व से जानते हैं। इस अवधारणा से प्रेरित होकर कैमरे का पहला पोर्टेबल संस्करण (Portable Version) 1550 के आसपास बनाया गया था। इब्न अल-हेथम (Ibn Al-Haytham) ने लगभग 900 से 1000 ईस्वी में पहला पिनहोल कैमरा बॉक्स (Pinhole Camera Box) बनाया था।
1500 के दशक के दौरान, कलाकारों ने ड्राइंग (Drawing) के लिए कैमरा ऑब्स्क्योरा (Camera Obscura) का उपयोग किया। लियोनार्डो दा विंची और रेने डेसकार्टेस (Leonardo Da Vinci And René Descartes) जैसे विचारकों ने भी इसकी प्रकाशिकी (Optics) का अध्ययन किया था। यहीं से "फ़ोटोग्राफ़ी" (Photography) शब्द की उत्पत्ति हुई, जिसका अर्थ "प्रकाश के साथ चित्र बनाना (Painting With Light)" होता है। 1685 में जोहान ज़हान (Johann Zahn) ने फोटोग्राफी के लिए पहला पोर्टेबल कैमरा बनाया। लेकिन पिनहोल कैमरे का उपयोग करके, पहली स्थायी तस्वीर खींचने में 100 से अधिक वर्षों का समय लग गया।
1826 में, जोसेफ नाइसफोर निपस (Joseph Nicephore Niepce) ने लकड़ी के बक्से वाले कैमरे का उपयोग करके एक स्थायी छवि खींची। बाद में हेनरी फॉक्स टैलबोट (Henry Fox Talbot) ने प्रकाशिकी और रसायन विज्ञान का उपयोग करके छवियों को कागज पर प्रिंट करना शुरू कर दिया। कैमरा ऑब्स्क्योरा में प्रकाश और पिन पॉइंट लेंस (Pinpoint Lens) के उपयोग ने बाद की तकनीकों को प्रभावित किया।
डगुएरियोटाइप कैमरा (Daguerreotype Camera): 1800 के दशक की शुरुआत होने तक भी, फोटोग्राफी अपनी प्रारंभिक अवस्था में ही थी। लेकिन 1839 में लुई डागुएरे (Louis Daguerre) द्वारा डागुएरियोटाइप(Daguerreotype) नामक धातु प्लेट प्रक्रिया (Metal Plate Process) के आविष्कार के साथ फोटोग्राफी और अधिक विकसित हो गई। इसमें एक विशेष कोटिंग वाली तांबे की प्लेट लगाईं गई थी, जिसमें छवि को विकसित करने के लिए आयोडीन और गर्म पारे (Iodine And Hot Mercury) की आवश्यकता होती थी। यह विधि गेम-चेंजर (Game-Changer) साबित हुई, क्योंकि यह पिछली तकनीकों की तुलना में अधिक कुशल थी। हालाँकि 1839 में अल्फोंस गिरौक्स (Alphonse Giroux) के कैमरे को इसकी व्यावहारिकता के कारण, सही मायनों में पहला फोटोग्राफिक कैमरा (Photographic Camera) माना जाता हैं। गिरौक्स का कैमरे, (जिसकी कीमत आज की मुद्रा में लगभग $7,000 है।), का एक्सपोज़र समय (Exposure Time) 5 से 30 मिनट तक का था।
गिरौक्स डगुएरियोटाइप कैमरा (Giroux Daguerreotype Camera) आम जनता के लिए बनाया गया पहला कैमरा था। इसमें दर्पण नहीं था, लेकिन छवि को फोकस में सुधार के लिए इसमें एक ग्लास स्क्रीन (Glass Screen) लगाईं गई थी। तस्वीर लेने के लिए, फोटोग्राफर को लेपित तांबे की प्लेट (coated copper plate)को कई मिनट या आधे घंटे तक प्रकाश में रखना पड़ता था।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, लेंस डिज़ाइन (Lens Design) और रासायनिक प्रक्रियाओं में सुधार की बदौलत फोटो लेने के लिए आवश्यक समय को घटाकर केवल कुछ सेकंड तक ही सीमित कर दिया गया। 1839 में अलेक्जेंडर वोल्कोट (Alexander Wolcott) के अवतल दर्पण(concave mirror) वाले एक कैमरे ने एक्सपोज़र समय को लगभग 5 मिनट तक कम कर दिया। इस युगमे आधुनिक फोटोग्राफी के लिए एक आधार तैयार किया गया तथा नए रसायनों, लेंस प्रकारों और तकनीकों को पेश किया, जिससे मोशन मूवी कैमरे (Motion Movie Cameras) और रोल फिल्म कैमरे (Roll Film Cameras) का निर्माण हुआ जो कई एक्सपोज़र ले सकते थे।
द कोडक कैमरा (The Kodak Camera): 1888 में, जॉर्ज ईस्टमैन (George Eastman) ने रोचेस्टर, (Rochester) न्यूयॉर्क में, द कोडक कैमरा की शुरुआत के साथ फोटोग्राफी की दुनिया में धूम मचा दी। यह कैमरा इसलिए ख़ास था क्योंकि इसमें फिल्म के एक रोल का उपयोग किया गया था, जो वास्तव में पहले के किसी भी कैमरे की तुलना में बहुत तेज़ी के साथ तस्वीरें खींच सकता था। तस्वीरें खींचने के बाद, फिल्म को विकास के लिए ईस्टमैन की कंपनी को वापस भेज दिया जाता था।
देखते ही देखते कोडक कैमरा हिट हो गया, और ईस्टमैन की कंपनी, अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। इस लोकप्रियता के बाद कंपनी को नए-नए तथा और अच्छे कैमरे लाने का मौका मिला। कंपनी के सबसे प्रसिद्ध कैमरों में से एक कैमरा कोडक ब्राउनी (Kodak Brownie) था, जिसे 1900 में लाया गया। हालांकि यह सस्ता था, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत थी कि आम परिवार भी अब शादियों और पार्टियों जैसे महत्वपूर्ण क्षणों की तस्वीरें ले सकते थे।
इस दौरान कैमरों में कई अच्छे सुधार हुए, जिस कारण कैमरों को और भी बेहतर बनाने में मदद मिली। उदाहरण के लिए, कैमरे अब फिल्म के एक ही रोल पर कई तस्वीरें ले सकते थे, उन्हें ले जाना आसान था, और तस्वीरें लेने की पूरी प्रक्रिया भी सभी के लिए बहुत सरल बना दी गई थी। इन परिवर्तनों ने आज हमारे पास मौजूद अद्भुत कैमरों के लिए मंच तैयार करने में मदद की।
35 मिमी चौड़ी फिल्म (35mm Wide Film): 1934 में, कोडक ने 135 फिल्म नामक क्रन्तिकारी 35 मिमी चौड़ी फिल्म पेश की। यह फिल्म सार्वभौमिक थी, यानी इसे किसी भी ब्रांड के कैमरे में इस्तेमाल किया जा सकता था। अब फ़ोटोग्राफ़रों को केवल फ़िल्म को लोड करना था और उसे बंद करना पड़ता था, और बाकी काम कैमरा खुद ब खुद संभाल लेता था, जिसमें फ़िल्म ख़त्म होने पर ओवरएक्सपोज़र (Overexposure) को कम करना भी शामिल था।
कंपनी के द्वारा 1930 में लॉन्च किए गए लेईका वन (Leica One) ने फोटोग्राफरों को लेंस बदलने की अनुमति दी। बाद के मॉडलों में आधुनिक दृश्यदर्शी (Modern Viewfinders), एक रेंज फाइंडर (Range Finder) और सुपर-फास्ट शटर (Super-Fast Shutter) गति जैसी खूबियाँ जोड़ी गई।
1950 के दशक में फुजीफिल्म (Fujifilm's) के ट्विन-लेंस रिफ्लेक्स कैमरों (Twin-Lens Reflex Cameras) और निकॉन (Nikon's) के सिंगल-लेंस रिफ्लेक्स कैमरों (Single-Lens Reflex Cameras) के साथ इस क्षेत्र में बड़े बदलाव देखे गए। 1961 में थॉमस सटन (Thomas Sutton) ने पहली रंगीन तस्वीर ली।
इन पोर्टेबल और उपयोगकर्ता-अनुकूल कैमरों (Portable And User-Friendly Cameras) ने फोटोजर्नलिज्म (Photojournalism) को फलने-फूलने का अवसर दिया, जिससे 1936 में लाइफ पत्रिका (Life Magazine) का निर्माण हुआ, जिसमें भारी मात्रा में तस्वीरें छपीं और एक मानक स्थापित किया गया जो लगभग 80 वर्षों तक चला।
पोलेरॉइड कैमरा (Polaroid Camera): फोटोग्राफी के शुरुआती दिनों से लेकर, अब तक की यात्रा में, जहां एक तस्वीर लेने में 30 मिनट तक का समय लग जाता था, वहीँ तत्काल कैमरों के निर्माण के साथ इस क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव देखा गया। 1948 में, एडविन लैंड (Edwin Land) ने पहले पोलेरॉइड कैमरे का आविष्कार करके और पोलेरॉइड कॉर्पोरेशन (Polaroid Corporation) की स्थापना करके दुनिया को तत्काल फोटोग्राफी (Instant Photography) से परिचित कराया।
पोलेरॉइड कैमरों ने सिल्वर हैलाइड इमल्शन (negative and positive film) के माध्यम से नकारात्मक और सकारात्मक फिल्म (Silver Halide Emulsion) सिल्वर हैलाइड इमल्शन को मिलाकर प्रक्रिया को सरल बना दिया। अब उपयोगकर्ता को केवल एक तस्वीर खींचनी पड़ती और तस्वीर तुरंत हाथ में आ जाती थी।
बाद के मॉडलों में यह प्रक्रिया और भी अधिक सुव्यवस्थित हो गई।
अपने विशिष्ट सफेद फ्रेम के साथ, 1970 से 1990 के दशक तक ये कैमरे, कई लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए। पोलेरॉइड ने 2021 में जारी अपने सबसे हालिया इंस्टेंट कैमरा मॉडल के साथ इस विरासत को जारी रखा है।
डिजिटल कैमरा: डिजिटल कैमरों की यात्रा 1969 में सीसीडी सेंसर (CCD Sensor) के आविष्कार के साथ शुरू हुई। 1975 तक, कोडक के स्टीवन सैसन (Kodak's Steven Sasson) ने पहला डिजिटल कैमरा प्रोटोटाइप (Digital Camera Prototype) बनाया था। हालांकि इसका रिज़ॉल्यूशन (Resolution) बहुत कम और एक्सपोज़र समय बहुत अधिक था।
1990 में तेजी से आगे बढ़ते हुए, लॉजिटेक (Logitech ) ने डायकैम मॉडल 1 (DiaCam Model 1) जारी किया, जो उपभोक्ताओं के लिए पेश किया गया पहला डिजिटल कैमरा था। यह तस्वीरों को संपादन के लिए कंप्यूटर स्थानांतरित करने की अनुमति देता था। 1990 के दशक में फोटो संपादन सॉफ्टवेयर (Photo Editing Software) का भी आगमन हुआ, जिससे लोगों को अपने कंप्यूटर पर छवियों को बेहतर बनाने में मदद मिली। डिजिटल कैमरा उद्योग पर निकॉन और कैनन जैसी जापानी कंपनियों का राज चलने लगा। इसी बीच डीएसएलआर (Dslrs ) भी पेश किया गया, जो कि अपनी उच्च गुणवत्ता वाली छवियों और बहुमुखी प्रतिभा के कारण आज भी लोकप्रिय है।
मोबाइल कैमरा (Mobile Camera): मोबाइल कैमरा, आज सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला कैमरा बन गया है। इस कैमरे की शुरुआत 1999 में क्योसेरा Vp-210 (Kyocera Vp-210 ) के साथ हुई। इसमें तुरंत फोटो देखने के लिए 2 इंच की स्क्रीन भी थी। हालाँकि, एप्पल (Apple) के स्मार्टफोन के आगमन के बाद सेल फोन कैमरों की लोकप्रियता ने आसमान छू लिया। इन फ़ोनों ने पुराने CCD सेंसरों को आधुनिक CMOS चिप्स से बदल दिया, जिससे फ़ोटो साझा करना और भी आसान हो गया।
आज के स्मार्टफोन कई लेंस, वीडियो क्षमताओं और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींच सकते हैं । फिर भी, डिजिटल कैमरे अभी भी अपनी लोकप्रियता बरकरार रखे हुए हैं।
आने वाले समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), स्वचालित संपादन (Automatic Editing) और चेहरे की पहचान जैसी सुविधाओं के साथ कैमरे और भी स्मार्ट हो जाएंगे।
ऊपर दिए गए चलचित्र में आप देख सकते हैं कि 1930 के दशक के हमारा लखनऊ शहर कैसा दिखाई देता था। मूक फिल्मों के स्वर्णिम युग के दौरान, एक अमेरिकी युगल, मिस्टर और मिसेज टोमो (Couple, Mr. And Mrs. Tomo), लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों को देखने तथा समझने के लिए एक यात्रा पर निकले। उन्होंने इन पलों को न सिर्फ दिल में संजोया बल्कि अपने कैमरे में कैद भी किया। 1930 में उनके द्वारा बनाया गया वीडियो, अतीत की एक अनूठी झलक पेश करता है, जिसमें उस युग के यातायात, लोगों और फैशन को दिखाया गया है। यह एक बहुमूल्य विडियो है, जो दर्शकों को लगभग एक सदी पहले की तरह लखनऊ वापस ले जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4bcuebcr
https://tinyurl.com/3r9ekfyp
https://tinyurl.com/2j96e7yk
https://tinyurl.com/2vcbwwp2
चित्र संदर्भ
1. कैमरा ऑब्स्क्योरा और लखनऊ की पुरानी तस्वीर को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, Look and Learn)
2. कैमरा ऑब्स्क्योरा को संदर्भित करता एक चित्रण (Look and Learn)
3. कैमरा ऑब्स्क्योरा के डिब्बे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. डगुएरियोटाइप कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. गिरौक्स डगुएरियोटाइप कैमरा आम जनता के लिए बनाया गया पहला कैमरा था। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. कोडक कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
7. क्लासिक कैमरा कोडक मॉडल 2 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. 35 मिमी चौड़ी फिल्म को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
9. ट्विन-लेंस रिफ्लेक्स कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)
10. पोलेरॉइड कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
11. डिजिटल कैमरे की कला को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
12. मोबाइल कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
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