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बाघ तो वैसे भारत में कई स्थानों पर पाए जाते हैं पर सफ़ेद बाघ पूरे विश्व में मात्र भारत में पाया गया था। समस्त सफ़ेद बाघ बंगाल बाघ के ही नस्ल के हैं मात्र ये जीन्स में बदलाव के कारण सफ़ेद हो जाते हैं। भारत में सर्वप्रथम सफ़ेद बाघ 1556-1605 के दौरान प्रकाश में आया था। सफ़ेद बाघों के इतिहास में सर्वप्रथम सन 1915 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह द्वारा सफ़ेद बाघ पकड़ा गया था जो की करीब 2 वर्ष का था। वह महाराज के महल पर अगले 5 वर्षों तक रहा फिर उसे मार दिया गया और उसमे फूस भर कर किंग जॉर्ज पंचम को भेट स्वरुप भेज दिया गया।
मई 1951 को महाराजा मार्तंड सिंह द्वारा रीवा के जंगलों से ही एक अन्य बाघ का बच्चा देखा गया जो की अपने 4 भाइयों बहनों में अकेला सफ़ेद बाघ था। मार्तंड सिंह को यह बाघ का बच्चा पकड़ने के लिए उसके माँ व उसके 2 अन्य बच्चों को मारना पड़ा था। अन्तोगत्वा यह बाघ का बच्चा पकड़ा गया और उसे महाराजा के 150 कमरों के आलीशान महल में रखा गया था। मात्र 3 दिन के भीतर ही यह बच्चा भागने में सफल रहा और उसे पकड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी पर पुनः उसे पकड़ लिया गया। फिर आजीवन वह बाघ एक कमरें में रखा गया यह बाघ आगे चलकर मोहन नाम से जाना गया। मोहन को कई बाघिनों जैसे बेगम, राधा आदि के साथ रखा गया जिससे कई सफ़ेद बच्चे हुए।
वर्तमान काल में भारत व कई अन्य देश में पाए जाने वाले सफ़ेद बाघ मोहन बाघ की ही संताने हैं। मोहन बाघ की मृत्यु 19 साल 7 महीने की अवस्था में हो गयी थी। मोहन के अलावा जंगली बाघ में एकमात्र बाघ सन 1958 में बिहार में देखा गया था जिसे वहीँ पर मार दिया गया था। अब जंगलों से सफ़ेद बाघ पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं। लखनऊ चिड़ियाघर में भी पाए जाने वाले सभी सफ़ेद बाघ मोहन की ही संतानों की ही संताने हैं। वर्तमान काल में लखनऊ चिड़ियाघर सफ़ेद बाघों के लिए जन्नत बना हुआ है यहाँ का सफ़ेद बाघ आर्यन और बाघिन सोना यहाँ के बाघों की जनसँख्या में वृद्धि कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के रीवा में अब एक सफ़ेद बाघों की सफारी का भी प्रबंध किया जा रहा है जैसा की ज्ञात हो सभी सफ़ेद बाघों की नस्ल को आगे बढाने का कार्य यही से शुरू हुआ था।
1.द टाइगर्स इन इंडिया: अ नेचुरल हिस्ट्री, जे. सी. डेनिअल
2.http://www.lairweb.org.nz/tiger/rewa2.html
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