नदियाँ और घाट लखनऊ की संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहे हैं

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
30-03-2024 09:18 AM
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नदियाँ और घाट लखनऊ की संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहे हैं

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले हमारे शहर लखनऊ की उत्पत्ति की कहानी प्राचीन महाकाव्य रामायण से जुड़ी हुई है। लखनऊ वासियों के लिए लखनऊ शहर केवल कई लोगों और कुछ इमारतों से मिलकर बना मात्र एक शहर नहीं है। वास्तव में लखनऊ एक भावना है, जिसके साथ यहाँ के लोग सदियों से जुड़े रहे हैं। उदाहरण के तौर पर शहर के बीचों-बींच से होकर बहने वाली गोमती नदी यहाँ के निवासियों के विचारों को भी पोषित कर रही है। नदी के किनारों पर मौजूद कई घाट (नदी की ओर नीचे जाने वाली सीढ़ियाँ।) एक शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण करते हैं। इन्हीं घाटों में से एक कुड़िया घाट भी है, जिसके बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे।
गोमती नदी गंगा नदी की एक सहायक नदी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गोमती नदी को ऋषि वशिष्ठ की पुत्री माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी (कुछ हिंदू कैलेंडर महीनों का 11वां दिन) के दिन गोमती में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। भागवत पुराण, में गोमती नदी को भारत की पांच पवित्र नदियों में से एक माना गया है। इस नदी में दुर्लभ गोमती चक्र भी पाया जाता है। गोमती एक छोटी सी धारा के रूप में शुरू होती है और अपने शुरुआती बिंदु से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर “गैहाई (Gaihaaee)" नामक एक अन्य नदी से मिलती है। आगे का सफ़र तय करते हुए यह नदी सुखेता, चोहा, आंध्र चोहा, कथिना और सरायन जैसी कई अन्य सहायक नदियों में मिलती है। जौनपुर के निकट "सई नदी" भी गोमती में ही मिलती है। मार्कण्डेय महादेव नामक एक मंदिर में गोमती नदी की भेंट गंगा नदी से होती है।
लगभग 190 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद, गोमती नदी हमारे लखनऊ पहुँचती है। लखनऊ शहर में यह लगभग 30 किलोमीटर तक बहती है, और शहर वसियों की ज़रूरतों के लिए पानी प्रदान करती है। दुर्भाग्यवश, इस कृपा के बदले में लखनऊ में ही लगभग 25 शहरी नालों से अनुपचारित सीवेज, गोमती में प्रवाहित कर दिया जाता है। लखनऊ और इसके आसपास के शहरों में गोमती नदी को कई वर्षों से बड़े तनाव का सामना करना पड़ा है।
नदी से जुड़े तीन मुख्य मुद्दे हैं:
1. तटबंध: 1970 के दशक में एक बड़ी बाढ़ के बाद लखनऊ की आबादी की सुरक्षा के लिए नदी के किनारे ऊंचे तटबंधों का निर्माण किया गया था। दुर्भाग्य से, इन तटबंधों ने गोमती के प्राकृतिक बाढ़ क्षेत्र को बदल दिया।
2. प्रदूषण: गोमती नदी औद्योगिक कचरे, चीनी कारखानों के अपशिष्ट, आवासीय अपशिष्ट जल और सीवेज के कारण प्रदूषित हो रही है।
3. रिवरफ्रंट डेवलपमेंट (Riverfront Development): 2012 में, नवनिर्वाचित सरकार और लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट के समान रिवरफ्रंट के निर्माण की आधारशिला रखी। हालाँकि, एक व्यवहार्यता अध्ययन में गोमती की चौड़ाई को 250 मीटर से कम करने की चेतावनी दी गई थी। दुर्भाग्य से, रिवरफ्रंट विकास परियोजना ने नदी की पारिस्थितिकी और प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
लखनऊ के अलावा, गोला गोकरन नाथ, मिश्रिख, नीमसार, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर केराकत, जौनपुर और जफराबाद जैसे कई अन्य शहर भी गोमती नदी के जलग्रहण बेसिन में ही स्थित हैं।
गोमती नदी के शांत किनारे पर, आपको लखनऊ के कई प्रसिद्ध घाट मिलेंगे। ये घाट विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं, जिनमें दाह संस्कार स्थल से लेकर फिल्म की शूटिंग के लिए सुरम्य पृष्ठभूमि प्रदान करना भी शामिल है। गोमती नदी के तट पर स्थित कुड़िया घाट ने हमारे शहर के इतिहास में अहम भूमिका निभाई है। इस घाट का नाम प्राचीन काल में यहां अपना आश्रम स्थापित करने वाले ऋषि कौंडिल्य (Kaundilya) के नाम पर रखा गया। 1990 में इस शांत घाट का खूबसूरती से पुनर्निर्माण किया गया था। यहाँ पर आपको 1889 में निर्मित एक पुराना शिव मंदिर भी दिखाई देगा। कुड़िया घाट स्थानीय लोगों और यात्रियों दोनों को आकर्षित करता है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लाखों श्रद्धालु गोमती नदी में पवित्र स्नान करते हैं। नदी के किनारे के शांतिपूर्ण माहौल और कुड़िया घाट के आकर्षक दृश्यों के कारण इस स्थान को लखनऊ में एक प्रमुख दर्शनीय स्थल माना जाता है। पर्यटक यहां उचित दर पर नौकायन का आनंद भी ले सकते हैं।
घाट से, आप पास के पुराने लोहे के पुल की एक झलक भी देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इस घाट के आसपास क्लॉक टॉवर (Clock Tower), रूमी दरवाजा और इमामबाड़ा जैसे सदियों पुराने स्मारक भी हैं, जिनकी वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता हैं। लखनऊवासियों के लिए, यह स्थान शाम बिताने, शांत वातावरण का आनंद लेने और आरामदायक नाव की सवारी का अवसर लेने के लिए एक पसंदीदा जगह बन जाता है।
लखनऊ के कुछ प्रसिद्ध घाटों की सूची संक्षेप में निम्नवत दी गई है: देवराहा घाट: लखनऊ के देवराहा घाट को कार्तिक पूर्णिमा जैसे विशेष धार्मिक अवसर पर पवित्र डुबकी लगाने के लिए सर्वोत्तम घाटों में से एक माना जाता है। इस घाट की स्थापना देवराहा नामक एक संत द्वारा की गई थी, और उन्ही के नाम पर इस घाट का नाम भी देवराहा घाट पड़ गया। करौंदा घाट: देवराहा घाट के बगल में ही करौंदा घाट भी स्थित है, जो विशेषतौर पर शनि देवता और झूलेलाल (भगवान वरुण के अवतार) के मंदिरों लिए प्रसिद्ध है। लखनऊ में सिंधी समुदाय के लोग चेट्टी चंद और संत झूलेला की जयंती का जश्न इसी घाट पर मनाते हैं। पंचवटी घाट: जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, पंचवटी घाट का नाम रामायण के समय के पंचवटी से प्रेरित है। पंचवटी में माता सीता वनवास के दौरान प्रभु श्री राम और लक्ष्मण के साथ रहती थीं। मूल पंचवटी की भांति ही इस घाट के आसपास भी बहुत सारी वनस्पति और हरियाली देखने को मिल जाती है।
शुक्ल घाट: यह घाट लखनऊ में पतंग पार्क (Kite Park) पास स्थित है। इस स्थान पर माँ सरस्वती को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर भी है। इस स्थान पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन डुबकी लगाने के लिए भारी भीड़ जमा हो जाती है। इस अवसर पर कई बार यहां भंडारा भी आयोजित किया जाता है। लल्लू मल घाट: लल्लू मल घाट गोमती नदी पर डालीगंज पुल के बगल में स्थित है। इसका इतिहास लगभग सौ साल पुराना माना जाता है। यहां पर भी कार्तिक पूर्णिमा, छठ पूजा, पितृ पक्ष और अमावस्या के दिन भारी भीड़ उमड़ती है। पिपरा घाट: पिपरा घाट को लखनऊ शहर के सबसे पुराने श्मशान घाटों में से एक माना जाता है, जिसका नवनिर्माण साल 1960 में किया गया। इस घाट को बैकुंठ धाम या भैंसा कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
विसर्जन घाट: विसर्जन घाट, लखनऊ विश्वविद्यालय के निकट में स्थित है। कुछ समय पहले तक इस घाट का उपयोग मुख्य रूप से देवी दुर्गा और गणेश की मूर्तियों के विसर्जन के लिए किया जाता था। लेकिन आज यहां पर मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी गई है। हालांकि छठ पूजा, मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा या गंगा स्नान जैसे धार्मिक अवसरों पर आपको यहां भारी भीड़ देखने को मिल जाएगी। गुलाल घाट: गुलाल घाट को मुक्तिधाम के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर हिंदू भगवान महाकाल, भगवान शिव और भगवान भैरों के मंदिर हैं।
काला कोठी घाट: काला कोठी घाट, कुड़िया घाट के पास स्थित है और यह घाट मुख्यतः यहाँ के शनि मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां पर भगवान हनुमान, देवी काली और भगवान काल कुटेश्वर महादेव को समर्पित मंदिर भी हैं।
चाट मेला घाट: चाट मेला घाट लखनऊ में प्रसिद्ध लक्ष्मण मेला मैदान का एक हिस्सा है, और यहां पर जहां छठ के दौरान दो दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/8rt5nznx
https://tinyurl.com/3myjfycz
https://tinyurl.com/yd9jsmdd
https://tinyurl.com/s623hwc7

चित्र संदर्भ

1. लखनऊ के कुडिया घाट को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. लखनऊ शहर के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. गोमती नदी को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
4. रिवरफ्रंट को दर्शाता एक चित्रण (mintageworld)
5. कुडिया घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. ब्रह्मर्षि श्री देवरहा घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
7. करौंदा घाट में शनी देव के मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
8. पंचवटी घाट में हनुमान जी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
9. लल्लू मल घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
10. पिपरा घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
12. गुलाल घाट को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)

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