सूफी संतों की रचनाओं ने किया होली के आनंद को दुगुना, सुने दिलों को जोड़ने वाले गीत

ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि
24-03-2024 12:28 PM
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होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे, सद्भावना और एकता का भी पर्व है। यह लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें प्यार के रंग में सराबोर कर देता है। इसलिए ही तो किसी ने होली के संदर्भ में लिखा कि मिटा दें दिलों पे जो स्याही गई है, तेरी होली मैं मनाऊं, मेरी ईद तू मना ले!”इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सूफी विद्वानों और संतों ने धर्म की सीमा से परे होली मनाने की बात कही है। आख़िरकार यह प्यार ही है जो अंततः हम सभी को जोड़े रखता है, है ना? तो आइए आज होली के मौके पर सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया, अमीर खुसरो, बहादुर शाह जफर और नजीर अकबराबादी की रचनाओं के जरिए होली के उल्लास का आनंद लें और हमारी मिश्रित सांस्कृतिक विविधता के रंग को महसूस करें।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/yz8mwhdv

https://tinyurl.com/5ytf3y94

https://tinyurl.com/nhkdk9a7

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