आखिर भारत ने क्‍यों किए परमाणु परीक्षण? व जानें पोखरण की दिलचस्प कहानी

हथियार व खिलौने
19-03-2024 09:50 AM
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आखिर भारत ने क्‍यों किए परमाणु परीक्षण? व जानें पोखरण की दिलचस्प कहानी

हम जानते हैं कि परमाणु हथियार इस दुनिया में मानव अस्तित्‍व के लिए हानिकारक हो सकते हैं। शुरुआत में इसे युद्धों को रोकने के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में यह शक्ति प्रदर्शन का हिस्‍सा बन गया। इसमें भारत भी पीछे नहीं रहा, हमारे देश में कुछ परमाणु हथियारों का परीक्षण किया गया। तो आइए आज समझते हैं कि भारत दुनिया में परमाणु शक्ति कैसे बना? इसके पीछे की कहानी क्या है? भारत के पहले दो ऑपरेशन क्या थे जिनके नाम स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha) और ऑपरेशन शक्ति थे और क्या वे सफल रहे? इसके साथ ही आइए यह भी जानें कि परमाणु परीक्षण पोखरण में ही क्यों किया गया? ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा, जिसे पोखरण-I के नाम से भी जाना जाता है, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यह देश के पहले सफल परमाणु हथियार परीक्षण का प्रतीक है। 18 मई, 1974 को राजस्थान के पोखरण में भारतीय सेना के परीक्षण रेंज में आयोजित इस ऑपरेशन ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में उभारा। इस ऐतिहासिक घटना का भारत की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसने वैश्विक परमाणु राजनीति की गतिशीलता को नया आकार दिया।
1962 के भारत-चीन युद्ध और सीमा क्षेत्र में चल रही सुरक्षा चिंताओं के बाद, भारत ने 1960 के दशक के अंत में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया। इसका प्राथमिक उद्देश्य संभावित विरोधियों के खिलाफ निवारक क्षमता स्थापित करना और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करना था। परमाणु हथियारों के विकास को एक विकल्‍प के रूप में देखा गया। परीक्षण में लगभग 8 किलोटन की अनुमानित उपज वाला एक लघु परमाणु विस्फोट किया गया। विस्फोट से एक बड़ा झटका लगा, जिससे एक गहरा गड्ढा और मशरूम की आकृति के समान बादल बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने संयुक्त राज्य अमेरिका (United States America ), सोवियत संघ (Soviet Union) अब रूस (Russia), यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom), फ्रांस (France) और चीन (China) के बाद भारत को परमाणु शक्ति बनने वाला दुनिया का छठा देश बना दिया। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा ने भारत को एक विश्वसनीय परमाणु निवारक प्रदान किया, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई। इस परीक्षण ने देश को जटिल वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग चुनौतियों में महारत हासिल करायी, जिसके बाद तकनीकी रूप से एक उन्नत देश के रूप में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी।
इस परीक्षण का वैश्विक राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इस पर विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गईं, जिससे परमाणु अप्रसार और हथियार नियंत्रण पर बहस शुरू हो गई। इस परीक्षण ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में सुर्खियों में ला दिया, जिसने दक्षिण एशिया और उससे आगे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गतिशीलता को प्रभावित किया।
इस परीक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिली-जुली प्रतिक्रिया आईं। जहां कुछ देशों ने परमाणु परीक्षण पर वास्तविक वैश्विक रोक को तोड़ने के लिए भारत की आलोचना की, वहीं अन्य ने भारत के अपने बचाव के अधिकार को स्वीकार किया और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए शांतिपूर्ण बातचीत की वकालत की। भारत ने दूसरा परमाणु परीक्षण क्यों किया- पहला परीक्षण आयोजित होने के चौबीस साल बाद, भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा परमाणु ऊर्जा आयोग ने 11 मई, 1998 को पांच और परमाणु परीक्षण किए। मार्च 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में लौटे और उनके आने के बाद तुरंत ही दोबारा परमाणु परीक्षण को मंजूरी दे दी गयी। 1998 के चुनाव घोषणापत्र में एक बार फिर स्पष्ट रूप से भारत में मिसाइल कार्यक्रम में तेजी लाने के अलावा "परमाणु हथियार शामिल करने" का आह्वान किया गया था। पोखरण परमाणु परीक्षण को भारत को 200 किलोटन तक की पैदावार के साथ विखंडन और थर्मोन्यूक्लियर (thermonuclear) बम बनाने की क्षमता देने के लिए डिज़ाइन किया गया था। भारत ने चीन की परमाणु क्षमता और चीन की सहायता से परमाणु हथियार प्राप्त करने के पाकिस्तान के तत्काल प्रयासों के जवाब में परमाणु परीक्षण करने का विकल्प चुना।
व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) पर भारत की स्थिति भी सैद्धांतिक है। भारत ने कहा है कि वह अपने मौजूदा भेदभावपूर्ण रूप में सीटीबीटी पर न तो हस्ताक्षर करेगा और न ही उसकी पुष्टि करेगा। दूसरी ओर, भारत ने अतिरिक्त परमाणु परीक्षणों पर अपनी स्वैच्छिक और एकतरफा प्रतिबंध को बनाए रखने का वादा किया है। पोखरण में ही क्यों किया गया परमाणु परीक्षण- रेतीले तूफ़ान अमेरिकी जासूसी उपग्रहों को स्पष्ट दृश्य देखने में बाधा डालते हैं। साथ ही, दिन के समय तापमान 50 डिग्री से अधिक बढ़ने के कारण इन्फ्रारेड सेंसर ऐसी गतिविधि नहीं पकड़ पाते हैं। परीक्षण की गोपनीयता बनाए रखने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया।।। परीक्षण करने के बाद सरकार ने घोषणा की कि उसका इरादा परमाणु हथियार बनाने का नहीं है बल्कि वह सिर्फ भारत को परमाणु तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है।

संदर्भ :
https://shorturl.at/awBEW
https://shorturl.at/HLV79
https://t.ly/VFXcn

चित्र संदर्भ
1. एक परमाणु विस्फोट को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस शक्ति I का परीक्षण पोखरण-II के दौरान किया गया! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. परमाणु विस्फोट के ग्राउंड जीरो पर मौजूद इंदिरा गाँधी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. एक परमाणु विस्फोट के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. बमबारी अभ्यास के दौरान एक ए-4 स्काईवॉक विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)

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