क्या है बॉहॉस, कैसे इसने वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में क्रांति ला दी?

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क्या है बॉहॉस, कैसे इसने वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में क्रांति ला दी?

हमारे मोबाइल फोन से लेकर हमारे घर में किताबों की अल्मारी तक, और हमारे स्थानीय कार्यालय पार्क (business parks / business center buildings) की ग्लास बॉक्स वास्तुकला (glass box architecture), अर्थात अधिकतर ऑफिस बिल्डिंग में बहुतयात में कांच का उपयोग, इन सभी की वास्तुकला में एक वस्तु समान है- वो है एक शताब्दी पुरानी बॉहॉस (Bauhaus) डिज़ाइन विचारधारा। इस विचारधारा की उत्पत्ति जर्मनी में हुई थी । बॉहॉस एक कला विद्यालय है जिसने आधुनिक युग में वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, तो आइए आज बॉहॉस के बारे में विस्तार से जानते हैं। साथ ही इसके उद्देश्य और प्रमुख तत्वों के विषय में भी जानते हैं। बॉहॉस (Bauhaus) 1919 से 1933 तक जर्मनी (Germany) में डिजाइन, वास्तुकला और अनुप्रयुक्त कला का एक विद्यालय है, जो 1925 तक वाइमर (Weimar) में, 1932 तक डेसौ (Dessau) में और अंत में कुछ समय के लिए बर्लिन (Berlin) में स्थित था। बॉहॉस की स्थापना वास्तुकार वाल्टर ग्रोपियस (Walter Gropius) द्वारा दो विद्यालयों, ‘वाइमर एकेडमी ऑफ आर्ट्स' (Weimar Academy of Arts) और ‘वाइमर स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स' (Weimar School of Arts and Crafts) को मिलाकर की गई थी। उन्होंने इसे ‘बॉहॉस’ अर्थात "निर्माण का घर" (house of building) नाम दिया। यह नाम जर्मन भाषा के शब्द ‘हौसबाउ’ (Hausbau), जिसका अर्थ 'एक घर का निर्माण' है, को उल्टा करके प्राप्त किया गया था। इस विद्यालय में विभिन्न शिल्पों की शिक्षा दी जाती थी। बॉहॉस में छात्रों को विशेषज्ञ शिल्प कौशल में कलात्मक और तकनीकी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से प्रशिक्षित किया जाता था। इस प्रकार इस विद्यालय में कला और तकनीकी क्षेत्र के बीच की गहरी खाई को पाटने की कोशिश की गई। बॉहॉस ने व्यक्तिगत रूप से निष्पादित विलासिता वस्तुओं पर कला और शिल्प के जोर को खारिज किया । और डिजाइन प्रयासों के बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए मशीन उत्पादन पर ज़ोर दिया। बॉहॉस की कार्यशालाओं में भर्ती होने के लिए, छात्रों को पहले जोहान्स इटेन (Johannes Itten), जोसेफ अल्बर्स (Josef Albers) और लास्ज़लो मोहोली-नागी (László Moholy-Nagy) द्वारा पढ़ाए जाने वाले छह महीने के प्रारंभिक पाठ्यक्रम को पूरा करना होता था। कार्यशालाओं में बढ़ईगीरी, धातु एवं मिट्टी के बर्तन, कांच चित्रकला, दीवार चित्रकला, बुनाई, ग्राफिक्स, मुद्रण और रंगशिल्प की शिक्षा दी जाती थी। बॉहॉस के संकाय में 20वीं सदी के कई उत्कृष्ट कलाकार जैसे पॉल क्ली (Paul Klee) (कांच चित्रकला), वासिली कैंडिंस्की (Wassily Kandinsky) (दीवार चित्रकला), लियोनेल फीनिंगर (Lyonel Feininger) (ग्राफिक कला), ऑस्कर श्लेमर (Oskar Schlemmer) (रंगशिल्प और मूर्तिकला), मार्सेल ब्रेउर (Marcel Breuer) (अंतरंग) , हर्बर्ट बेयर (Herbert Bayer) (मुद्रण और विज्ञापन), गेरहार्ड मार्क्स (Gerhard Marcks) (मिट्टी के बर्तन), और जॉर्ज मुचे (Georg Muche) (बुनाई) शिक्षकों के रूप में शामिल थे।
आइए अब बॉहॉस के दर्शन और डिजाइन सिद्धांत के विषय में जानते हैं:
1. कार्यक्षमता: बॉहॉस आंदोलन का मुख्य आदर्श वाक्य है "रूप कार्य का अनुसरण करना ।" इसका अर्थ है सभी तत्वों पर समान ध्यान केंद्रित करते हुए आधुनिक और परिष्कृत डिजाइन तैयार करना। बॉहॉस कलाकारों ने अपनी डिजाइनों में बनावटी सजावटी तत्वों के उपयोग को बंद करके वस्तुओं को प्रकृति से जोड़ने की कोशिश की। दूसरे शब्दों में, बॉहॉस एक सरल, दिखावट से दूर दर्शन है जो सौंदर्यशास्त्र के लिए कार्यक्षमता को प्राथमिकता देता है।
2. अतिसूक्ष्मवाद: "कम भी बहुत है" यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। क्या आप जानते हैं कि यह एक प्रभावशाली वास्तुकार और बॉहॉस स्कूल के अंतिम निदेशक मिज़ वैन डेर रोहे (Mies van der Rohe) के शब्द हैं। अधिकांश बॉहॉस डिज़ाइनों की एक प्रमुख विशेषता सादगी थी। बॉहॉस कलाकारों का उद्देश्य अपनी डिजाइनों को इतना सरल बनाना था जिससे, उन्हें आसानी से समझा जा सके। इसीलिए डिजाइनों में सादगी के साथ सुंदरता उत्पन्न करने के लिए सफेद स्थानों, और प्राथमिक रंगों का उपयोग किया गया था।
3. नवप्रवर्तन: बॉहॉस एक ऐसा आंदोलन था जिसमें कलाकारों ने डिजाइन तैयार करने के नए तरीकों के विकास की ओर रुख किया। बॉहॉस कलाकारों का लक्ष्य नए दृष्टिकोण और विचार के वैकल्पिक तरीके खोजना था। बॉहॉस कलाकारों का मानना ​​था कि सृजन के लिए विचारों का ज़ोर इस बात पर होना चाहिए कि हम दुनिया को कैसे देखते और समझते हैं।
4. कलाकार और कारीगर एकीकरण: बॉहॉस की स्थापना के पीछे ग्रोपियस का उद्देश्य शिल्पकारों और कलाकारों के बीच की दूरी को दूर करना था। उनका इरादा सभी रचनात्मक रूपों को एक ही छत के नीचे लाकर "शिल्पकारों का एक संघ" स्थापित करना था। इसलिए बॉहॉस विद्यालय में मुद्रण, कपड़ा, बुनाई, धातु और कैबिनेट निर्माण शिल्प और ललित कलाओं के साथ-साथ सिद्धांत को समान महत्व दिया गया।
बॉहॉस डिज़ाइन के प्रमुख तत्व-
1. प्रायोगिक अभिविन्यास.: बॉहॉस कलाकारों ने रचनात्मकता और कलात्मक अन्वेषण के साथ अभिविन्यास के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित किया। उन्होंने अपनी डिजाइनों में वस्तुओं को पारंपरिक स्थानों से उठाकर वैकल्पिक स्थानों पर रखा तथा कोणों और सफेद पृष्ठभूमि के साथ प्रयोग किया। नई अभिविन्यास पद्धति ने भविष्य के लिए ग्राफिक डिजाइन की राह प्रशस्त की।
2. ज्यामितीय आकृतियाँ।: बॉहॉस डिजाइनों में कुछ अतिरिक्त विवरणों के साथ सुव्यवस्थित ज्यामितीय डिजाइनों का विस्तृत उपयोग किया गया। सजावट के रूप में, इसमें कभी-कभी अमूर्त रूपों और आकृतियों को ही शामिल किया गया। चूँकि बॉहॉस आंदोलन प्रौद्योगिकी और स्वचालन पर आधारित एक आंदोलन था अतः बॉहॉस डिजाइनों में ज्यामितीय आकृतियाँ उस समय की तकनीकी सोच का दृश्य रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं।
3. प्राथमिक रंग योजनाएं.: बॉहॉस डिजाइनों में, जो अतिसूक्ष्मवाद और सादगी पर जोर देती हैं, अक्सर सफेद, भूरा और मटमैला जैसे मूल रंगों के साथ-साथ लाल, पीले और नीले जैसे प्राथमिक रंगों का बहुलता से उपयोग किया गया। इन डिजाइनों में विभिन्न रंगों का तुलनात्मक रूप से उपयोग किया गया, जिससे यह सौंदर्य के साथ साथ सादगी भी उत्पन्न करते हैं।
4. तकनीक पर जोर.: जैसा कि बॉहॉस आंदोलन पूरी तरह से कला और तकनीक के संयोजन पर आधारित था, अतः इसके कलाकारों ने अपनी डिजाइनों को लगातार विकसित करने के लिए नए उपकरणों, तरीकों और दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित किया। इन कलाकारों ने अपनी कलाकृतियों में कांच, कंक्रीट, लकड़ी और स्टील सहित समकालीन तथा औद्योगिक सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग किया और अपने कार्यों के बड़े स्तर पर उत्पादन को प्रोत्साहित किया। 1919 में एक कला विद्यालय के रूप में स्थापित, बॉहॉस ने वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में क्रांति ला दी। आज सौ साल बाद भी इसका "कम अधिक है" दर्शन, कलात्मक तत्व और तकनीकी सोच अपार्टमेंट इमारतों से लेकर स्मार्टफोन तक प्रत्येक वस्तु में देखे जा सकते हैं। अंत में यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगी कि बॉहॉस आंदोलन ने आधुनिक ग्राफिक डिज़ाइन को प्रभावित किया है। भले ही बॉहॉस स्कूल केवल 14 वर्षों तक अस्तित्व में रहा, लेकिन इसका दुनिया भर के रचनाकारों पर गहरा प्रभाव पड़ा। बॉहॉस दर्शन के शाश्वत सिद्धांत अभी भी कायम हैं, जो ग्राफिक डिजाइनरों को सामग्रियों और रूपों के साथ प्रयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं।

संदर्भ
https://rb.gy/4a3hsj
https://rb.gy/tgcq7y
https://rb.gy/tjsr73
https://rb.gy/cekzux

चित्र संदर्भ
1. बॉहॉस कला चित्र और बॉहॉस इमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. वाइमर में बॉहॉस-विश्वविद्यालय की मुख्य इमारत को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. बॉहॉस विश्वविद्यालय वाइमर के मुख्य भवन के प्रवेश कक्ष को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. एक उत्कृष्ट बॉहॉस चित्रकला को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. रुसी चित्रकार वासिली कैंडिंस्की (Wassily Kandinsky) द्वारा स्टेडेलिज्क संग्रहालय में प्रदर्शित "बॉहॉस" प्रदर्शनी को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)

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