शिवाजी महाराज ने बनवाया था सिंधुदुर्ग किला, जो अब है भारत का सबसे बेहतरीन समुद्री किला

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
19-02-2024 10:27 AM
Post Viewership from Post Date to 21- Mar-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2195 228 2423
शिवाजी महाराज ने बनवाया था सिंधुदुर्ग किला, जो अब है भारत का सबसे बेहतरीन समुद्री किला

क्या आप हमारे देश के एक ऐसे वीर राजा को जानते हैं, जो मजबूत किलों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध थे। जिन्होंने एक विभाजित भूमि पर धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध राज्य की स्थापना की थी। एक और संकेत लिजिए, उनकी शक्तिशाली नौसेना ने विदेशी प्रभुत्व को चुनौती देते हुए, अपनी समुद्री सीमाएं सुरक्षित की थी। दरअसल, वह राजा कोई और नहीं बल्कि हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज है । जिनका हर साल 19 फरवरी यानी आज जन्मदिन होता है, इस अवसर पर आज ‘शिवाजी महाराज जयंती’ मनाई जाती है। छत्रपति शिवाजी को महाराष्ट्र राज्य का सबसे महान योद्धा माना जाता है। लेकिन सिर्फ़ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि, शिवाजी संपूर्ण भारतवर्ष में पूजनीय है। इस महान योद्धा ने अपने समय में कई किले बनवाए, जिनका इतिहास अपने आप में बेहद खास है। इसमें से एक किला – सिंधुदुर्ग है, जिसका निर्माण स्वयं शिवाजी महाराज ने करवाया था। तो आइए, आज शिवाजी महाराज जयंती पर जानते हैं, इस ऐतिहासिक सिंधुदुर्ग किले के बारे में, जो भारत के सबसे बेहतरीन समुद्री किलों में से एक है। हम सभी को हमारे जीवन में किसी न किसी चीज से लगाव होता है, फिर चाहे वह फिल्में, खेल, कविता या ऐसी ही कोई चीज हो सकती है। लेकिन महान शिवाजी को जो सबसे प्रिय थे, वह किले थे। वह किलों के प्रति अपने शौक के लिए जाने जाते थे, और उनकी मृत्यु के समय उनके पास लगभग 370 किले थे। छत्रपति शिवाजी द्वारा निर्मित कई किलों में से एक– महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग किला, सुंदरता और प्राचीनता का मिश्रण है। सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में सिंधुदुर्ग जिले के मालवन शहर के तट पर स्थित है, जो मुंबई से 450 किलोमीटर दक्षिण में है। यह किला मालवन के तट से दूर एक चट्टानी द्वीप पर स्थित है, जहां मुख्य भूमि से नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस जिले का नाम सिंधुदुर्ग के किले के नाम पर रखा गया है, जिसका अर्थ– ‘समुद्र में किला’ होता है। वैसे तो, सिंधुदुर्ग जिले में कुल 37 किले हैं।
इस प्रकार, इस जिले में महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा किले हैं। साथ ही, यहां सभी प्रकार के किले पाए जाते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं–
1.जलदुर्ग (समुद्री किला),
2.भुइकोट (जमीनी किला) और
3.गिरि (पहाड़ी की चोटी पर स्थित किला)
असीम अरब सागर से घिरे एक छोटे से टापू पर स्थित सिंधुदुर्ग किला, युद्धों, लड़ाइयों की तैयारी करने और मराठा लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए, मुख्य मुख्यालय था। शिवाजी महाराज के आदेश पर निर्मित इस किले को पुर्तगाल के लगभग 100 वास्तुकारों और 3000 मजदूरों ने पूरा किया था। कहा जाता है कि, इस किले का निर्माण, मराठा शासन के तहत निर्मित कई किलों के मुख्य वास्तुकार, श्री. हिरोजी इंदुलकर ने किया था। सिंधुदुर्ग किले का निर्माण वर्ष 1664 में शुरू हुआ था, और इसे पूरा होने में लगभग तीन साल लगे थे। यह किला 48 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी मजबूत दीवारें 12 फीट मोटी और 29 फीट ऊंची हैं, जो 2 मील तक फैली हुई हैं। किले की ढलाई में लोहे के 4000 से अधिक ढेरों का उपयोग किया गया था, और नींव के पत्थरों को सीसे से मजबूती से बिछाया गया था।
सिंधुदुर्ग किले की एक उल्लेखनीय विशेषता इसका प्रवेश द्वार है। दरअसल, इसके प्रवेश द्वार को बाहर से पहचानना मुश्किल है। यह दरवाजा 2 बुर्जों के बीच में बना है, और इसका रास्ता इतना संकरा है कि, एक समय में केवल 4-5 लोग ही इसमें प्रवेश कर सकते हैं। अर्थात, हमले की स्थिति में, जब तक विपक्षी सेना रास्ते से प्रवेश कर पाती, तब तक किले के शीर्ष पर मौजूद मराठा सैनिक उन्हें वहीं मार गिरा देते थे। रक्षा रणनीतिकार और दूरदर्शी शिवाजी महाराज ने, उस समय नौसेना बल के महत्व को समझा था, अतः उन्होंने 1657-59 के आसपास मराठा नौसेना का निर्माण शुरू किया। सिद्धियों के शासन के अधीन आने वाले, मुरुड जंजीरा किले को जीतने के कई असफल प्रयासों के बाद, महाराज ने, मराठा नौसेना के मुख्यालय के रूप में एक नया किला बनाने के बारे में सोचा था। तब, पुर्तगालियों के अलावा, अरब सागर किसी भी प्रभावशाली प्रभाव में नहीं था। उस समय, महाराज ने ‘कुर्ते द्वीप’ नामक एक द्वीप की पहचान की, क्योंकि, यह एक मजबूत नौसैनिक किले के निर्माण के लिए एक आदर्श आधार था। 16वीं शताब्दी में भारत के पश्चिमी तट पर पुर्तगाली शक्ति का आगमन और उत्थान हुआ, सिंधुदुर्ग इस शक्ति के प्रभाव से कोई अपवाद नहीं था। वर्ष 1675 में शिवाजी के उदय के साथ, सुल्तान ने इस जिले पर पकड़ खो दी और यह मराठों के हाथों में आ गया। मराठा वर्ष 1817 तक इस जिले में बने रहे। हालांकि, बाद में जब अंग्रेजों और पेशवाओं के बीच संघर्ष समाप्त हो गया, तो सिंधुदुर्ग के साथ ही, पूरे कोंकण क्षेत्र से अंग्रेजों को हस्तांतरित कर दिया गया।

संदर्भ
http://tinyurl.com/vftvujpe
http://tinyurl.com/56uv8emy
http://tinyurl.com/u8vffn9t

चित्र संदर्भ
1. छत्रपति शिवाजी महाराज और सिंधुदुर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. छत्रपति शिवाजी महाराज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. आसमान से सिंधुदुर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सिंधुदुर्ग की दीवारों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. समुद्र से सिंधुदुर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. सिंधुदुर्ग के दरवाज़े को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. अपने योद्धाओं में उत्साह भरते शिवाजी महाराज को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.