समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 11- Mar-2024 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2041 | 251 | 2292 |
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (The Indian Council of Medical Research (ICMR) के सहयोगी केंद्रों और केंद्रीय समन्वय इकाइयों द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसिक मंदता के कारणों और पैटर्न को निर्धारित करने के लिए एक अध्ययन किया गया। इसमें बैंगलोर, मुंबई, दिल्ली और लखनऊ में मानसिक मंदता (Mental Retardation (MR)) से पीड़ित क़रीब 1314 बच्चों पर यह अध्ययन किया गया था। अध्ययन में कुल रोगियों में से, 42.3 प्रतिशत रोगियों में कम, 25.3 प्रतिशत में मध्यम, 19.2 प्रतिशत में गंभीर और 13.1 प्रतिशत में अति गंभीर स्तर की मानसिक विकलांगता पाई गई, जिसका कारण 23.7 प्रतिशत में गुणसूत्री विसंगतियाँ (Chromosomal anomalies), 5.0 प्रतिशत में चयापचय संबंधी दोष और 11.6 प्रतिशत रोगियों में एक पहचान योग्य आनुवंशिक सिंड्रोम (genetic syndrome) पाया गया। जबकि शेष 59.7 प्रतिशत रोगियों में, किसी ज्ञात आनुवंशिक कारण की पहचान नहीं की जा सकी। हालाँकि, इनमें से 66.5 प्रतिशत रोगियों के संबंध में निम्नलिखित में से एक या अधिक स्थितियाँ मौजूद थीं:
(i) तंत्रिका संबंधी कमी के साथ या उसके बिना जन्मजात विकृति,
(ii) परिवार में रक्तसंबंध या सजातीयता का इतिहास,
(iii) पारिवारिक मानसिक मंदता का इतिहास
(iv) सकारात्मक स्क्रीनिंग परीक्षण लेकिन जिसमें चयापचय दोष की पुष्टि नहीं हुई। (जिससे मानसिक मंदता के अतिरिक्त अज्ञात आनुवंशिक कारण का संकेत मिलता है।),
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कुल जनसंख्या में मानसिक मंदता की व्यापकता दर 1-3% तक है। यह आंकड़ा भारत जैसे विकासशील देश के लिए अर्थव्यवस्था के संदर्भ में समस्या की भयावहता को दर्शाता है। परिवार में किसी भी एक बच्चे में मानसिक मंदता की स्थिति होने पर पूरे परिवार, विशेषकर माता पिता पर मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक दबाव पड़ता है, साथ ही परिवार के सामने इलाज के खर्च के कारण वित्तीय संकट भी उत्पन्न हो जाता है। मानसिक मंदता की स्थिति से जूझ रहे बच्चों की माताएं विशेष रूप से परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में मनोवैज्ञानिक रूप से अधिक प्रभावित होती हैं।
क्योंकि भारतीय समाज में बच्चों की देखभाल करने की मुख्य रूप से जिम्मेदारी माताओं की ही होती है। मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की देखभाल करने वाली माताओं का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य बच्चे के समग्र विकास को निर्धारित करने में सहायक होता है। विभिन्न देशों के अध्ययनों से पता चलता है कि मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की माताओं में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक रुग्णताएं पनपने लगती हैं।
मानसिक मंदता एक ऐसी स्थिति है जिसमें संज्ञानात्मक क्षमता औसत स्तर से काफी नीचे होती है। और साथ ही दो या अधिक अनुकूली कौशल क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सीमाएं होती हैं। इस स्थिति से पीड़ित बच्चों में अपने चारों ओर के वातावरण एवं पर्यावरण के अनुकूल होने की क्षमता बेहद कम या न के बराबर होती है। मानसिक मंदता को 70 -- 75 से कम बुद्धि लब्धि (Intelligence Quotient (IQ) अंक के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस स्थिति की शुरुआत बच्चे की विकासात्मक अवधि के दौरान अर्थात गर्भधारण से 18 वर्ष की आयु तक होती है। 'रोग नियंत्रण केंद्र’ (Centre for Disease Control and Prevention) के अनुसार, मानसिक मंदता 18 वर्ष की आयु से पहले बचपन या किशोरावस्था में शुरू होती है। यह स्थिति पूरी उम्र बनी रहती है। मानसिक मंदता के पांच स्तर होते हैं: हल्की या बॉर्डरलाइन स्थिति, कम, मध्यम, गंभीर और अति गंभीर स्थिति। इन श्रेणियों का निर्धारण संज्ञानात्मक क्षमता के आयु मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है।
मानसिक मंदता के लक्षण जन्म के समय या बाद में बचपन में प्रकट हो सकते हैं। कम स्तर की मानसिक विकलांगता के कुछ मामलों में बीमारी का निदान बच्चे के विद्यालय में प्रवेश से पहले नहीं हो पाता है। इन बच्चों को आमतौर पर सामाजिक, संचार और कार्यात्मक शैक्षणिक कौशल में कठिनाइयाँ होती हैं। जो बच्चे मस्तिष्क संबंधी विकार या एन्सेफलाइटिस (encephalitis) या मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसी बीमारियों से पीड़ित होते हैं, उनमें अचानक संज्ञानात्मक हानि और अनुकूली कठिनाइयों के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
मानसिक मंदता कई पर्यावरणीय, आनुवांशिक या अन्य कारणों से हो सकती है। हालांकि प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के इतने विकास के बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगभग 30 से 50 प्रतिशत मामलों में, गहन नैदानिक मूल्यांकन के बाद भी मूल कारणों की पहचान नहीं हो पाती है। इसका प्रमुख कारण, मस्तिष्क की जन्मजात विकृति अथवा गर्भावस्ता में प्रसव पूर्व या प्रसवोत्तर विकास की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान मस्तिष्क का क्षतिग्रस्त होना है।
जन्मजात संक्रमण जैसे साइटोमेगालोवायरस (cytomegalovirus), टोक्सोप्लाज़मोसिज़ (toxoplasmosis), हर्पीस (herpes), सिफलिस (syphilis), रूबेला (rubella) और मानव प्रतिरक्षा न्यूनता वायरस तथा गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में लंबे समय तक मातृ बुखार, आक्षेपरोधी या अल्कोहल का सेवन करना आदि, शिशु में मानसिक मंदता के अहम कारण होते हैं। समय से पूर्व जन्म या बेहद कम वजन वाले शिशुओं में भी मानसिक मंदता की स्थिति हो सकती है। चयापचय संबंधी विकार (Metabolic disorders) तथा अनेक एकल-जीन विकार भी मानसिक मंदता के कारण होते हैं। जीन विकार की स्थिति में एक्स सिंड्रोम (X syndrome), न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस (Neurofibromatosis), ट्यूबरस स्केलेरोसिस (tuberous sclerosis), नूनन सिंड्रोम (Noonan's syndrome) और कॉर्नेलिया डी लैंग सिंड्रोम (Cornelia de Lange's syndrome) जैसे विकार शामिल होते हैं। मानसिक मंदता वाले लगभग एक चौथाई व्यक्तियों में ज्ञात गुणसूत्र असामान्यता (chromosome abnormality) भी पाई जाती है।
2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में शहरी-ग्रामीण काउंटी वर्गीकरण द्वारा विकलांगता प्रकार की व्यापकता के सर्वेक्षण के अनुसार, बड़े महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांग वयस्कों की संख्या काफी अधिक पाई गई। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले दिव्यांग वयस्कों की तुलना में, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सामाजिक बाधाओं का सामना भी करना पड़ता है, जैसे, निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति, परिवहन समस्याएं, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और व्यावसायिक पुनर्वास सेवाओं तक सीमित पहुंच, अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने के लिए सुलभ समुदाय, जीवन की गुणवत्ता, और सामुदायिक भागीदारी आदि। 'अमेरिका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' (America Centre for Disease Control and Prevention’s (CDC’s) ) के सर्वेक्षण के अनुसार, युवा वयस्कों (18-44 वर्ष) में, श्रवण, दृष्टि, अनुभूति, गतिशीलता जैसी अन्य विकलांगताओं की तुलना में, संज्ञानात्मक विकलांगता (10.6%) सबसे अधिक पाई जाती है जिसमें बौद्धिक विकलांगता, आत्मकेंद्रित, मानसिक और संज्ञानात्मक-सापेक्ष रोग शामिल होते हैं।
बचपन में सीखने में कमी एवं भाषा संचार की हानि के कारण मानसिक मंदता से पीड़ित व्यक्तियों में संज्ञानात्मक हानि की पूर्ति करने के लिए बड़ी मात्रा में भाषा संपर्क एवं सामाजिक उत्तेजना की आवश्यकता होती है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों के विकास के लिए पूर्ण समर्थित एवं संसाधन युक्त वातावरण की आवश्यकता होती है। इस प्रकार मानसिक मंदता को समावेशी और सुलभ बनाने से संभावित रूप से पीड़ित व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार किया जा सकता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/cewNW
https://shorturl.at/rxCE5
https://shorturl.at/aqDZ0
https://shorturl.at/bdpuK
https://shorturl.at/iBENS
चित्र संदर्भ
1. मानसिक मंदता से पीड़ित एक बच्ची को उसकी माँ के साथ संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. आनुवंशिक सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. भूटान में गंभीर रूप से विकलांग लड़की को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मानसिक मंदता से पीड़ित एक बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. दिव्यांग बच्चों की रैली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.