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आज, इस प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के युग में, यदि आप कोई सुंदर दृश्य अथवा कोई चित्र या मूर्ति देखते है तो उसे आधुनिक प्रिंटर आदि की सहायता से तुरंत कागज अथवा कपड़े पर मुद्रित कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रंगीन मुद्रण की शुरुआत कब और कैसे हुई और यह आज के परिष्कृत रूप तक कैसे पहुंचा। तो आइए आज के इस लेख के माध्यम से हम रंगीन मुद्रण के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं।
प्रागैतिहासिक काल में यूरोप की गुफा चित्रों से लेकर प्राचीन ग्रीस में चर्मपत्र पर लिखने तक, लेखन और चित्रण के माध्यम से कल्पना को साकार रूप प्रदान करने की मुद्रण प्रक्रिया 3000 ईसा पूर्व से भी पहले शुरू हो गई थी। जहाँ तक आधुनिक रंगीन मुद्रण का प्रश्न है, सफलतापूर्वक यह कार्य पहली बार लगभग 40 वर्ष पहले किया गया था। प्रिंटर प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण, रंगीन मुद्रण अब पहले से कहीं अधिक परिष्कृत हो गया है।
16वीं शताब्दी में वियोज्य प्रकार की प्रेस के आविष्कार के साथ रंगीन मुद्रण का विकास हुआ। रंग मुद्रण के इतिहास के कुछ मुख्य बिंदु निम्न प्रकार हैं:
➲ वियोज्य प्रकार की प्रेस का आविष्कार जोहान्स गुटेनबर्ग (Johannes Gutenberg) ने 1550 में किया था।
➲ औद्योगिक क्रांति के साथ मुद्रण प्रेस के यंत्रीकृत और शिला मुद्रण lithography की शुरूआत से मुद्रण प्रक्रिया तीव्र गति से आगे बढ़ी, जिससे छवियों को मुद्रित करना बहुत आसान हो गया।
➲ 19वीं सदी में फोटोग्राफी और प्रकाशयांत्रिक मुद्रण प्लेटों में प्रगति से आधुनिक मुद्रण को एक नई दिशा मिली।
➲ रंगीन मॉनिटर के विकास के साथ 1976 में मित्सुशिता कॉर्पोरेशन (Mitsushita Corporation) द्वारा रंगीन मुद्रण विकसित किया गया।
➲ प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ 1910 में पहली दो और तीन-रंग मुद्रण प्रक्रिया विकसित की गई, वर्तमान आधुनिक मुद्रण में चार-रंग प्रक्रिया (CMYK) का उपयोग किया जा रहा है।
➲ 1958 में पहली वाणिज्यिक फोटोप्रतिलिपि मशीन का विकास और 1969 में दुनिया के पहले लेजर प्रिंटर का विकास होने से 20वीं सदी के ➲उपभोक्ताओं के सामने उपयुक्त प्रिंटर चुनने के लिए भरपूर विकल्प मौजूद हो गए।
➲ 1980 के दशक तक इंकजेट (inkjet), लेजर (laser) और डॉट मैट्रिक्स (dot matrix) सहित विभिन्न प्रकार के प्रिंटरों का विकास हो चुका था।
➲ 1980 के दशक के अंत तक, रंगीन प्रिंटर भी आसानी से बाजार में उपलब्ध थे।
पूर्वी एशिया (Asia) और यूरोप (Europe) दोनों में कागज पर छपाई से पहले वस्त्रों पर विभिन्न रंगों के साथ लकड़ी के ठप्पे से मुद्रण किया जाता था। विश्व का सबसे पहला रंगीन मुद्रण 2-रंगीय बौद्ध सूत्र कुंडलित लेख के रूप में चीन में किया गया जो 1346 ईसवी का है। यूरोप और पूर्वी एशिया दोनों में छवियों के लिए कागज पर मुद्रण करने का कार्य सबसे पहले हाथों से किया जाता था। चीन में वुडकट (Woodcut) जो एक मुद्रण तकनीक है जिसमें एक लकड़ी के गुटके की सतह पर छवि बनाई जाती है, की शुरुआत 13वीं शताब्दी में मानी जाती है, जबकि यूरोप में इसकी शुरुआत 15 वीं शताब्दी में हुई।
19वीं शताब्दी में 1875 तक आधिकारिक ब्रिटिश आयुध के तत्व सर्वेक्षण मानचित्रों को इसी तकनीक का उपयोग करके रंगा गया।
16वीं, 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान, यूरोपीय मुद्रण उद्योग तेजी से विकसित हुआ। इस दौरान मुद्रण उद्योग में नई-नई प्रौद्योगिकियाँ और उत्पाद सामने आए। 17वीं शताब्दी में, आइजैक न्यूटन Isaac Newton ने खोज की कि सभी रंग तीन प्राथमिक रंगों - हरा, लाल और नीला - के संयोजन से बनते हैं। 1710 में, जर्मन चित्रकार और मूर्तिकार जैकब क्रिस्टोफ़ ले ब्लॉन (Jacob Christoph Le Blon), ने न्यूटन के विचार से प्रेरित होकर, रंगों की परतों को अध्यारोपित करके रंगीन मुद्रण छवियां बनाकर इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाले वह पहले व्यक्ति बन गए। यह तकनीक प्रसिद्ध चार-रंग प्रणाली (CMYK) के रूप में विकसित हुई, जो आज भी उपयोग में है, जिसमें रंग बनाने के लिए मैजेंटा, सियान, पीले और काले रंग का उपयोग किया जाता है। फिर, 1790 में, एलोइस सेनेफेल्डर (Alois Senefelder) ने लिथोग्राफी (lithography) की मुद्रण तकनीक का आविष्कार किया जिसके द्वारा अंततः तेल और पानी के रासायनिक गुणों का उपयोग करके पहली सपाट सतह वाली मुद्रण प्रेस बनाने के लिए गुटेनबर्ग प्रेस (Gutenberg press) को एक नई दिशा दी।
19वीं शताब्दी में रंगीन मुद्रण करने के लिए विभिन्न विधियों का इस्तेमाल किया गया। आइए अब, 19वीं शताब्दी के मुद्रण उद्योग में क्रांति लाने वाले तीन व्यक्तियों पर एक नजर डालते हैं:
1. जैकब क्रिस्टोफ़ लेब्लोन (Jacob Christoph LeBlon) ने तीन रंग के मुद्रण का आविष्कार किया। यह एक ऐसी मुद्रण प्रक्रिया है जिसमे 3 प्राथमिक रंगों का उपयोग किया जाता है। हालांकि लेब्लॉन द्वारा कभी-कभी मुद्रण की गुणवत्ता में सुधार के लिए मिश्रण में काले रंग का उपयोग भी किया गया।
2. जॉर्ज बैक्सटर (George Baxter) ने 1835 में एक रंगीन मुद्रण विधि का आविष्कार किया जिसमें इंटैग्लियो लाइन प्लेट (intaglio line plate) या शिलामुद्रण (lithograph) का उपयोग किया गया था। इसमें काले या गहरे रंग में मुद्रित, छवि को 20 अलग-अलग रंगों के साथ (लकड़ी के ब्लॉक से) पुनः मुद्रित किया जाता था।
3. एडवर्ड इवांस (Edward Evans) ने मुद्रण के लिए लकड़ी के गुटकों से 11 अलग अलग रंगों का उपयोग करके बच्चों की पुस्तक चित्रण में विशेषज्ञता हासिल की।
1837 में, फ्रांसीसी प्रिंटर गोडेफ्रॉय एंगेलमैन (Godefroy Engelmann) ने कई रंगों के साथलिथोग्राफी में प्रयोग करना शुरू किया और क्रोमोलिथोग्राफी (Chromolithography) की प्रक्रिया का आविष्कार किया। उन्होंने मूल कलाकृतियों के रंगों का अध्ययन करके उन्हें प्रिंट प्लेटों की एक श्रृंखला में अलग करने के लिए एक प्रिंटर का उपयोग किया। इन पैनलों को व्यक्तिगत रूप से कागज के एक टुकड़े पर लगाया गया था। 19वीं शताब्दी के अंत तक, क्रोमोलिथोग्राफी (Chromolithography) रंगीन मुद्रण का सबसे प्रमुख रूप बन गया था। यांत्रिक रंग पृथक्करण के आविष्कार के साथ, प्रिंटरों द्वारा रंग बनाने के लिए केवल तीन आवश्यक रंगों का उपयोग किया जाने लगा। इसी बीच एक फ्रांसीसी अभियंता लुई जेरोम पेरोट (Louis Jerome Perot) द्वारा कपड़े पर रंगों के मुद्रण के लिए एक मशीन ‘पेरोटिन; (Perrotine) का आविष्कार किया गया, जिसने वैश्विक कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी। धीरे धीरे मुद्रण न केवल कागज और कपड़े पर बल्कि कांच, चमड़ा, चीनी, मिट्टी की वस्तुएं, धातु, प्लास्टिक, लकड़ी और सभी प्रकार की वस्तुओं पर भी किया जाने लगा।
1893 में, चित्रकार विलियम कर्ट्ज़ (William Kurtz) ने पहली रंग-पृथक्करण (color distinction) तकनीक का पेटेंट कराया जिसमे रंगों की एक श्रृंखला को बनाने के लिए तीन अलग अलग प्लेटों- सियान, मैजेंटा और पीले - रंग के संयोजन का उपयोग किया जाता था। इसके बाद 1906 में ‘ईगल प्रिंटिंग इंक कंपनी’ (Eagle Printing Ink Company) ने CMYK – सियान (Cyan), मैजेंटा (Magenta), पीला (Yellow) और की (Key) अर्थात काला - रंग सेट के आधार पर चार-रंग वाली गीली स्याही से मुद्रण प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद रोटरी प्रेस की शुरुआत के साथ कागजों की एक विस्तृत श्रृंखला पर उच्च गति से मुद्रण की शुरुआत हो गई। 1980 के दशक के बाद से इंकजेट, लेज़र और डिजिटल प्रिंटरों के आगमन से मुद्रण कार्य अब बच्चों का खेल हो गया है।
संदर्भ
https://rb.gy/m2xib7
https://rb.gy/1nfcpl
https://rb.gy/ueaa9e
https://rb.gy/6e34pz
चित्र संदर्भ
1. सबसे शुरुआती गुफा चित्र का उदाहरण, तथा भारत में अजंता गुफा 1 में बोधिसत्व पद्मपाणि का 5वी सदी का गुफा चित्र, और 17वी सदी के डच चित्रकार वमीअर की प्रसिद्ध ऑइल पेंटिंग "द मिल्कमेड' को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. इंडोनेशिया के कालीमंतन में लुबांग जेरिजी सालेह, गुफा में सबसे पुराने ज्ञात आलंकारिक चित्रों में से एक है, जिसमें एक बैल का 40,000 साल पुराना चित्रण भी है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गुटेनबर्ग के मुद्रण के आविष्कार को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
4. मुद्रण प्रक्रिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जैकब क्रिस्टोफ़ लेब्लोन को संदर्भित करता एक चित्रण (Store norske leksikon)
6. क्रोमोलिथोग्राफी से निर्मित चित्र को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7.‘ पेरोटिन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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