जाड़ों में कोहरा, गेहूं की फसल के लिए है अनुकूल, साथ ही जल की समस्या को भी कर सकता है हल

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जाड़ों में कोहरा, गेहूं की फसल के लिए है अनुकूल, साथ ही जल की समस्या को भी कर सकता है हल

साल के आखिरी और नए साल के पहले महीने में जब सर्दी अपने चरम पर होती है तब उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में कोहरे की घनी चादर छा जाती है। न्यूनतम औसत तापमान 6-9 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। वहीं कोहरे के कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में दृश्यता घटकर 200 मीटर तक रह जाती है। कुछ हिस्सों में तो इतना घना कोहरा छा जाता है कि दृश्यता 50 मीटर से भी कम हो जाती है।
कोहरे के कारण स्थानीय निवासियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। कोहरे से परिवहन सेवाएं तो प्रभावित होती ही हैं, जिसके कारण कई बार हवाई उड़ानें और ट्रेनें रद्द हो जाती हैं या उनमें देरी हो जाती है, साथ ही यह कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। चलिए जानते हैं कोहरे का कृषि पे प्रभाव एवं महतव। लंबे समय तक घना कोहरा बने रहने पर पौधों तक पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा कम हो जाती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया और समग्र पौधों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कोहरे के कारण सूर्य के प्रकाश की अनुपलब्धता के कारण फसलों के लिए ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है जिससे उनमें बीमारियां एवं कीट लग जाते हैं।
लंबे समय तक कोहरा छाए रहने से सब्जियों और फलों की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कोहरे से प्रभावित सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में रबी फसलों, मुख्य रूप से गेहूं के पौधे की पत्तियां, विशेष रूप से पत्तियों की युक्तियां पीली पड़ जाती हैं। हालांकि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक अस्थायी प्रभाव होता है और धूप का मौसम फिर से शुरू होने पर पौधे ठीक हो जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के मौसम के दौरान तापमान में अचानक गिरावट और घने कोहरे की शुरुआत गेहूं की फसल के लिए अनुकूल होती है, क्योंकि गेहूं आमतौर पर ठंडे वातावरण में पनपता है और कोहरा इसके विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। कुल मिलाकर, ठंड का मौसम गेहूं के लिए फायदेमंद माना जाता है क्योंकि यह बेहतर तलशाखन (प्रति पौधे अंकुरों की संख्या) में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार जितनी अधिक ठंड एवं कोहरा होता है, गेहूं उतना ही अधिक भरा हुआ उगता है। गेहूं, जो सर्दियों की प्राथमिक फसल है, पारंपरिक रूप से अक्टूबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत के बीच बोया जाता है।
लेकिन इसकी बुआई से पहले मिट्टी से पिछली फसल के अवशेष हटाने के लिए किसानों द्वारा अक्सर उन्हें, विशेष तौर पर पंजाब और हरियाणा में, जला दिया जाता है, जिससे वातावरण में घने कोहरे के साथ काली धुंध छा जाती है। इससे वायु की गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। वैज्ञानिकों द्वारा एक नए अध्ययन में पाया गया है कि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने का प्रभाव केवल उसी क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह मध्य और दक्षिणी राज्यों - महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और यहां तक ​​कि ओडिशा के कुछ हिस्सों तक फैल सकता है। जहाँ धूल से भरे जलवाष्प सरद मौसम में कोहरे के कारण अपने स्रोत क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं, वहीं फसलों के अवशेष जलाने से उत्पन्न ब्लैक कार्बन उत्तर-पश्चिमी हवा की दिशा के अनुरूप दक्षिणी क्षेत्रों तक फैल जाता है।
क्या आप जानते हैं कि जिस कोहरे की वजह से इतनी परेशानियां होती हैं, उस कोहरे का सदुपयोग भी किया जा सकता है। कोहरे से एक विशेष तकनीक के माध्यम से जल संचयन किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग उन क्षेत्रों में किया जा सकता है जहाँ पानी के अन्य पारंपरिक स्रोत, जैसे कि सतही जल, कुएं या वर्षा स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप उपलब्ध नहीं होते हैं।
यह तकनीक बेहद सरल होने के साथ साथ लागत प्रभावी भी है। इसके द्वारा संचित किया गया पानी अच्छी गुणवत्ता वाला होता है जिसे कई वर्षों तक संचय करके रखा जा सकता है। कोहरा संग्राहक (Fog Collector) एक प्रकार का चौकोर ढांचा होता है जिसे ऊर्ध्वाधर समतल में एक जाल का उपयोग करके बनाया जाता है। जैसे ही कोहरा जाल से होकर गुजरता है, कोहरे की छोटी-छोटी बूंदें जाल पर जमा हो जाती हैं। ये बूंदें जाल के तारों के सहारे नीचे की ओर एक नलिका (cannula) में गिरती हैं जहाँ से ये भंडारण टंकी में एकत्र हो जाती हैं। बड़े संग्राहक आमतौर पर 12 मीटर लंबे और 6 मीटर ऊंचे होते हैं। संग्राहक के ऊपरी 4 मीटर हिस्से पर जाल रहता है। एक संग्राहक से प्रतिदिन 150 से 750 लीटर तक जल का संग्रह किया जा सकता है। हालांकि इस संयंत्र को लगाते समय मौसम संबंधी परिस्थितियों एवं भौगोलिक स्थितियों पर विचार किया जाना जरूरी होता है ।

संदर्भ
https://shorturl.at/tAEO8
https://shorturl.at/wAV37
https://shorturl.at/emBEZ
https://shorturl.at/gmoVY
https://rb.gy/gb632q

चित्र संदर्भ
1. गेहूं के खेत में एक महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. खेत में लगे घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. ग्रामीण सड़क में लगे घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जंगल में लगे घने कोहरे को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. कोहरा संग्राहक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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