चार्ल्स बार्लेट के ‘जौनपुर’ नामक चित्र को देखकर आप जान सकते हैं ‘आधुनिक कला’ का महत्त्व

द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
29-11-2023 09:46 AM
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चार्ल्स बार्लेट के ‘जौनपुर’ नामक चित्र को देखकर आप जान सकते हैं ‘आधुनिक कला’ का महत्त्व

“आधुनिक कला” क्या है? दरअसल, इस अवधारणा ने हमारे देश भारत में,औपनिवेशिक शासन के दौरान,एक अलग मोड़ ले लिया था। आधुनिक कला की धारणा का, आधुनिकतावाद(Modernism) से गहरा संबंध है।दूसरी ओर, एक ब्रिटिश वुडकटप्रिंट (Woodcut print)कलाकार ने आधुनिक कला आंदोलन के बीच, वर्ष 1916 में हमारे शहर जौनपुर की एक अनूठी पेंटिंग बनाई थी। आइए लेख पढ़कर,यह जानकारी प्राप्त करते हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि, आधुनिक कला से तात्पर्य, वर्तमान दशक में बनाई गई नई कला से है। हालांकि, आधुनिक कला काल को परिभाषित करने वाली कोई समय सीमा नहीं है, परंतु, मोटे तौर पर,इसमें 1860 से 1970 के दशकों की अवधि के दौरान निर्मित कलात्मक कार्य शामिल हैं। साथ ही, यह उस युग के दौरान उत्पादित कला शैलियों और दर्शन को दर्शाता है।आम तौर पर यह शब्द, उसकला से भी जुड़ा है,जिसमेंनई परंपराओं के साथ प्रयोग की भावना से, अतीत की कला परंपराओं को विस्थापित कर दिया जाता है। आधुनिक कलाकारों ने प्रयुक्त सामग्री की प्रकृति एवं कला के कार्यों के बारे में देखने के नए तरीकों तथा विचारों के साथ प्रयोग किया है। किसी कथा से हटकर अमूर्तता की ओर रुझान, जो पारंपरिक कलाओं की विशेषता थी, अधिकांश आधुनिक कला की विशेषता है। जबकि, हाल के कलात्मक उत्पादन को अक्सर ही, समकालीन कला या उत्तर आधुनिक कला कहा जाता है।
आधुनिक कला की शुरुआत विंसेंट वान गॉग(Vincent van Gogh), पॉलसेज़ेन(Paul Cézanne), पॉलगाउगिन(Paul Gauguin), जॉर्जेससेरात(Georges Seurat), क्लाउडमोनेट(Claude Monet) और हेनरीडीटूलूज़-लॉट्रेक(Henri de Toulouse-Lautrec) जैसे युरोपाइ चित्रकारों की विरासत से होती है। इन सभी कलाकारों ने ऐसी उत्कृष्ट कृतियां बनाईं, जिन्होंने शेष आधुनिक कला काल को प्रभावित किया। दूसरी ओर, 20वीं सदी की पश्चिमी चित्रकला की शुरुआत में, टूलूज़-लॉट्रेक(Toulouse-Lautrec), गाउगिन(Gauguin) और 19वीं सदी के उत्तरार्ध के अन्य नवप्रवर्तकों से प्रभावित होकर, पाब्लोपिकासो(Pablo Picasso) ने सेज़ेन के विचार के आधार पर, अपनी पहली क्यूबिस्टपेंटिंग(Cubist painting)बनाई, जो कि, नाटकीय रूप से एक नई और क्रांतिकारी चित्रकारी थी। विश्लेषणात्मक क्यूबिज़्म(Analytic cubism) को पिकासो और जॉर्जेसब्रैक(Georges Braque) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था। विश्लेषणात्मक क्यूबिज्म के बाद, हालांकि, सिंथेटिकक्यूबिज्म(Synthetic cubism) की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
आधुनिक कला की उत्पत्ति लगभग 1863 में हुई। इस क्षेत्र के कई कलाकार, पारंपरिक कला पद्धतियों से तंग आ चुके थे।अतः इन कलाकारों ने जो रचनाएं बनाईं, वे कला उद्योग के मानदंडों के विरुद्ध थीं। इन कलाकारों को “आधुनिक” कहा गया, हालांकि बाद में वे खुद को ‘प्रभाववादी’ कहने लगे। लेकीन, परिवर्तनकारी 19वीं शताब्दी के दौरान, आधुनिक कला ने एक बड़ा रूप ले लिया। तब औद्योगिक क्रांति चल रही थी, जो तेजी से बदलावों का एक दौरथा।नवप्रवर्तन और परिवर्तन के इस दौर ने, नए और ताज़ा विचारों का मार्ग प्रशस्त किया, जिनमें से एक ‘आधुनिक कला आंदोलन’ है। इस समय में, कलाकार आधुनिक घटनाओं पर प्रतिक्रिया देना चाहते थे और दुनिया को उसी रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे जैसा, उन्होंने इसे देखा था। अतः आधुनिक कला प्रयोग करने और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति खोजने के बारे में थी। फोटोग्राफी(Photography) की लोकप्रियता और पहुंच में वृद्धि भी ,एक प्रमुख प्रभावशाली कारक थी, जिसने आधुनिक कला के भीतर नए प्रतिमान लाए। इन वर्षों में, तकनीकी प्रगति, विश्व युद्ध और महामंदी जैसी घटनाओं से प्रभावित होकर, आधुनिक कला का परिदृश्य लगातार बदलता गया। आधुनिक कलाकारों ने अपनी कला में, नई सामग्री या संगीत का उपयोग करना शुरू कर दिया था। साथ ही, आधुनिक कला कई नई तकनीकें लेकर आई, जो कला उद्योग ने पहले कभी नहीं देखी थी।
जबकि, 1960 के दशक के अंत में आधुनिक कला धीरे-धीरे कम होती गई। जैसे-जैसे आधुनिक कला की लोकप्रियता कम होने लगी, एक नया आंदोलन सामने आने लगा। अर्थात, समकालीन कला(Contemporary art) ने जल्द ही, नई तकनीकों और दृष्टिकोणों के साथ अपना स्थान बना लिया। जबकि, आधुनिक कला व्यक्ति-निष्ठ केंद्रित है, समकालीन कला संस्कृति, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं पर केंद्रित है। समकालीन कला का तात्पर्य, 21वीं सदी या वर्तमान समय में बनाई गई कला से है। समाज पर अपना ध्यान केंद्रित करने के कारण, समकालीन कला उन मुद्दों को प्रतिबिंबित करती है जो हमारी दुनिया का निर्माण करते हैं। एक तरफ़, हमारे देश भारत मेंआधुनिक कला आंदोलन, 1900 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ। भारतीय आधुनिकतावाद की यात्रा की शुरुआत, उन कलाकारों से हुई, जो विशिष्ट रूप से ‘भारतीयकला’ बनाना चाहते थे। स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित होकर, रवींद्रनाथ टैगोर और नंदलाल बोस जैसे कलाकारों ने राजा रवि वर्मा की कलाकृतियों में देखी गई प्रकृतिवाद की पश्चिमी अवधारणा को खारिज कर दिया। इसके बजाय, वे भारतीय पौराणिक कथाओं और धर्म से प्रेरणा लेते रहे।
उन्होंने, भारतीय लघु चित्रों के सिद्धांतों, मंदिरों और अजंताभित्तिचित्रों की भित्तिचित्र शैलियों के अनुसार चित्रकारी की। इस शैली के प्रस्तावक, प्रसिद्ध बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट(Bengal School of Art) का हिस्सा थे। जामिनीरॉय की सरल भारतीय लोक कला और अमृता शेरगिल के निर्भीकपोस्ट-इंप्रेशनिस्टिक(Post-Impressionistic) शैलीवाले कैनवस(Canvas) भारतीय आधुनिक कला के महत्वपूर्ण रूप हैं।
देश की स्वतंत्रता के बाद, कई भारतीय कलाकारों ने जीवन के तुच्छ पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके अपनी पेंटिंग को सरल बनाने और अपनी कल्पना में अराजनीतिक होने का विकल्प चुना। 1947 में एस.एच. रजा, एम.एफ. हुसैन और एफ.एन. सूजा जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा स्थापित,प्रोग्रेसिवआर्टिस्टग्रुप(Progressive Artists Group) आधुनिक भारतीय कला में, सबसे प्रभावशाली आंदोलनों में से एक था। इन्होंने, बंगाल स्कूल की पुनरुत्थानवादी कला को ख़ारिज करते हुए, यूरोपीय स्कूलों के अवंत-गार्डे(Avant-Garde movement) रूपों को अपनाया, और अपनी कला में पेरिस(Paris) के अमूर्त अभिव्यक्तिवाद को शामिल किया। बढ़ती अमूर्तता के साथ, भारतीय कलाकारों ने वैश्विक आधुनिकतावादी कला शैलियों के साथ, प्रयोग करना शुरू कर दिया। 1950 के दशक में, के. जी.सुब्रमण्यन, जैसे बड़ौदा स्कूल ऑफ आर्ट(Baroda school of Art) के कलाकारों ने ऐसी कला बनाई, जिसमें भारतीय लोक कला को शहरी रुझानों और लोकप्रिय संस्कृति पर आधारित व्याख्याओं के साथ जोड़ा गया। हालांकि, बाद में जगदीश स्वामीनाथन जैसे कलाकारों ने,आयातित कलात्मक शैलियों को अस्वीकार कर दिया, और भारतीय जनजातीय और लोक कला के लिए जगह बनाने की मांग करते हुए, अपनी भारतीय जड़ों की ओर वापस चले गए।
इस प्रकार, भारतीय आधुनिक कला का विकास हमेशा विभिन्न शैलियों के माध्यम से व्याख्या की गई इसकी जातीय और स्थानीय जड़ों के बारे में था। साथ ही, चार्ल्स बार्लेट(Charles Bartlett) और योशिदाहिरोशी(Yoshida Hiroshi) दो ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने भारत की विभिन्न धरोहरों को सहेज कर वन कॉमनवुडकटउकियो-ए-शिन-हैंगा(One Common Woodcut Ukiyo-e Shin-hanga) शैली की कई चित्रकलाएं बनाई।चार्ल्स ने भारत, श्रीलंका(Srilanka), इंडोनेशिया(Indonesia), चीनऔर जापानकी यात्रा की थी, तथा उन्होंने वहां के सामान्य जीवन पर आधारित चित्रों का निर्माण किया। ‘जौनपुर’, कलाकार चार्ल्स बार्लेट द्वारा बनाई गई, एक कलाकृति है, जो एक अंग्रेजी चित्रकार और प्रिंटमेकर(Print maker) थे। यह चित्र नीचे प्रस्तुत किया गया है। बार्लेट ने यहां पर कई स्केचबुक(Sketchbook) पूर्ण किए, जो हमारे देश के विभिन्न स्थानों पर आधारित थे।इसमें,मदुरै, पांडिचेरी, बनारस, इलाहाबाद, जौनपुर, आगरा, श्रीनगर, पेशावर, अमृतसर, उदयपुर आदि शहर शामिल थे। बार्लेट नेदो बार आगरा का दौरा किया,जिसमे उन्होंने ताजमहल के कई चित्र बनाए। भारत से जापान पहुंचने के बाद वेटोक्यो(Tokyo) में वातानाबेशोजाबुरो(Watanabe Shōzaburō) से मिले, जो की हैंग प्रिंट व्यवसाय के मालिक थे। उन्होंने वहीं पर भारत से संबंधित चित्रों को प्रकाशित करवाया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdzftf25
https://tinyurl.com/6mkcp9zj
https://tinyurl.com/25hmy7zt
https://tinyurl.com/yv8k2fce
https://tinyurl.com/25ekuhr6

चित्र संदर्भ

1. चार्ल्स बार्लेट और उनके द्वारा निर्मित जौनपुर की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. आधुनिक कला पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. जौनपुर किले की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
4. जौनपुर शहर की एक अन्य पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
5. किरण वारिकिल्ला तेलंगाना के एक भारतीय समकालीन कलाकार को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
6. योशिदा और बार्लेट को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
7. ‘जौनपुर’, कलाकार चार्ल्स बार्लेट द्वारा बनाई गई, एक कलाकृति है, को दर्शाता एक चित्रण (prarang)

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