समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 29- Dec-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2972 | 226 | 3198 |
आज की तारीख में पूरी दुनिया में भारतीय चिकित्सकों की बहुत अधिक मांग है। लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब पूरे भारत में एक भी महिला ऐसी नहीं थी जिसे “चिकित्सक” की उपाधि प्राप्त हो। लेकिन “आनंदीबाई गोपालराव जोशी” ने बड़ी ही बहादुरी से इस परंपरा को तोड़कर पहली महिला भारतीय चिकित्सक होने का गौरव प्राप्त किया।
आनंदीबाई के बचपन का नाम “यमुना” था। उनका जन्म 31 मार्च 1865 के दिन पुणे शहर में, एक समृद्ध किंतु रुढ़िवादी मराठी चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उस समय प्रचलित रुढ़िवादी प्रथाओं और अपनी माँ के दबाव में मात्र नौ वर्ष की आयु वाली यमुना की शादी, उनसे लगभग बीस वर्ष वरिष्ठ विधुर गोपालराव जोशी से करा दी गई थी। शादी के बाद, यमुना के पति ने उनका नाम बदलकर 'आनंदी' रख दिया। गोपालराव जोशी एक डाक क्लर्क (Postal clerk) के रूप में काम करते थे। हालांकि वह एक प्रगतिशील विचारों वाले व्यक्ति थे, और वह उस रुढ़िवादी दौर में भी महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करते थे।
आनंदीबाई ने केवल 14 साल की उम्र में अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। लेकिन अल्पविकास और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण, पैदा होने के मात्र दस दिन बाद ही उनके बच्चे की मृत्यु हो गई। इस घटना ने आनंदीबाई को झकझोर कर रख दिया। यह घटना आनंदी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और इसी ने उन्हें एक चिकित्सक बनने के लिए प्रेरित भी किया। महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करने वाले उनके पति गोपाल राव ने, आनंदीबाई का दाखिला एक मिशनरी स्कूल (Missionary School) में कराने की कोशिश की! हालांकि इसमें वह नाकामयाब साबित हुए। जिसके बाद वे दोनों कलकत्ता चले गए, जहाँ आनंदीबाई ने संस्कृत और अंग्रेजी बोलना सीखा।
1800 के दशक में, पतियों द्वारा अपनी पत्नियों की शिक्षा पर ध्यान देना बहुत असामान्य घटना थी। लेकिन उस समय भी गोपालराव, आनंदीबाई की शिक्षा के प्रति बहुत गंभीर थे, और चाहते थे कि वह चिकित्सा सीखें और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनायें। उनकी गंभीरता का अंदाजा आप इस घटना से लगा सकते हैं:- एक दिन, गोपालराव ने आनंदीबाई को पढ़ाई करने के बजाय रसोई में खाना बनाते देख लिया। वह इस बात से आनंदीबाई पर क्रोधित हो गए। इस घटना के बाद आनंदीबाई ने भी अपनी शिक्षा को बहुत ही गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। उनकी चिकित्सा के क्षेत्र में रूचि बहुत अधिक बढ़ गई।
वर्ष 1880 में, गोपालराव ने एक प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी रॉयल वाइल्डर (Royal Wilder) को एक पत्र लिखा और अपनी पत्नी की चिकित्सा में रुचि को उनके साथ साझा किया। इस पत्र को न्यू जर्सी (New Jersey) के निवासी थियोडिसिया कारपेंटर (Theodicia Carpenter) ने पत्र पढ़ा और वह आनंदी की चिकित्सा में रुचि से बहुत अधिक प्रभावित हुए। उन्होंने वाइल्डर को पत्र लिखते हुए, आनंदी के लिए समर्थन की पेशकश की।
इसके बाद चिकित्सा की पढ़ाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका जाने से पहले, आनंदी गोपाल जोशी ने एक सार्वजनिक सभा को इस शब्दों के साथ संबोधित किया:
“मैं खुद को एक महिला डॉक्टर के रूप में नियुक्त करती हूं: आनंदीबाई जोशी”
सार्वजनिक हॉल को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत में महिला डॉक्टरों की कमी पर भी अपना असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने चिकित्सीय आपातकाल की स्थिति में दाई की भूमिका को अपर्याप्त माना और महिलाओं को पढ़ाने वाले प्रशिक्षकों के विचारों को रूढ़िवादी कहा। सार्वजनिक सभा में उन्होंने भारत में महिला डॉक्टरों की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि हिंदू महिलाएं अन्य हिंदू महिलाओं के लिए बेहतर डॉक्टर हो सकती हैं।
हालांकि जिस दौरान आनंदी को चिकित्सा की पढ़ाई के लिए अमेरिका रवाना होना था, उसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। वह थकान और कमजोरी जैसे लक्षणों से पीड़ित नजर आ रही थीं। हालाँकि, उनके पति ने उनसे आग्रह किया कि वे अमेरिका जाकर भारत की अन्य सभी महिलाओं के लिए एक उदाहरण स्थापित करें। इस दौरान उन्हें हिंदू समाज से भी कड़ी निंदा का सामना करना पड़ा। लेकिन सभी अटकलों को पार करते हुए 17 साल की उम्र में आनंदी ने पेंसिल्वेनिया (Pennsylvania) के महिला मेडिकल कॉलेज (Women's Medical College) में दाखिला ले लिया। 19 साल की उम्र में आनंदी ने चिकित्सा में अपना दो साल का कोर्स पूरा कर लिया था। साल 1886 में उन्होंने एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (Doctor Of Medicine) के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली थी।
अपनी थीसिस (विषय-विशेष पर लिखा गया शोध-प्रबंध) में, उन्होंने अमेरिकी पाठ्यपुस्तकों के साथ-साथ आयुर्वेदिक ग्रंथों की जानकारी को भी शामिल किया। उनके स्नातक होने पर, स्वयं महारानी विक्टोरिया (Queen Victoria) ने भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें एक संदेश भेजा। हालांकि दुर्भाग्य से अपने करियर की शुरुआत होने से पहले ही 26 फरवरी 1887 के दिन पुणे में मात्र 21 साल की उम्र में तपेदिक से आनंदीबाई की मृत्यु हो गई। इतने रुढ़िवादी समाज में इतनी मुश्किलों का सामना करते हुए और इतनी कम उम्र में आनंदीबाई के द्वारा हासिल किया गया मुकाम, आज भी न केवल भारतीय बल्कि पूरी दुनियां की महिलाओं को प्रेरित कर रहा है।
उनके जीवन से प्रेरित होकर अमेरिकी नारीवादी लेखिका कैरोलिन वेल्स हीली डैल (Caroline Wells Healey Dell) ने वर्ष 1888 में आनंदी की जीवनी लिखी थी। दूरदर्शन में भी उनके जीवन पर आधारित "आनंदी गोपाल" नामक एक टेलीविजन श्रृंखला प्रसारित हुई। इस श्रंखला का निर्देशन कमलाकर सारंग ने किया था। लखनऊ में इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (Institute For Research And Documentation In Social Sciences) नामक एक गैर-सरकारी संगठन, भारत में चिकित्सा विज्ञान में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए मेडिसिन के लिए आनंदीबाई जोशी पुरस्कार भी देता है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने महिला स्वास्थ्य पर काम करने वाली युवा महिलाओं के लिए उनके नाम पर एक अध्येतावृत्ति भी स्थापित की है। यहां तक की शुक्र ग्रह पर एक गड्ढे का भी नाम उनके नाम पर रखा गया है!
संदर्भ
https://tinyurl.com/3jttsab8
https://tinyurl.com/f8skfcye
https://tinyurl.com/3bc9d9rn
https://tinyurl.com/ynxwu33a
चित्र संदर्भ
1. आनंदीबाई जोशी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. आनंदी गोपाल जोशी की पूर्ण तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. आनंदीबाई जोशी, केई ओकामी ( Kei Okami) और साबत इस्लामबूली (Sabat Islambooly) पश्चिमी चिकित्सा में डिग्री प्राप्त करने वाली अपने-अपने देशों की पहली महिलाओं में से थीं। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आनंदीबाई की एक और पुरानी तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. दूरदर्शन पर आनंदीबाई के धारावाहिक को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.