समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 15- Dec-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2187 | 166 | 2353 |
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय संस्कृति को हमारे पौराणिक ग्रंथों और पौराणिक किवदंतियों ने तराशा है। आज एक ओर जहां पूरी दुनियां में लोग अपनी खुद की पहचान को लेकर भी असमंजस में है, तो वहीं भारत में अभी भी संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी पारित हो रहे हैं। धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से हमें सीधे-सीधे उपदेश देने के बजाय किवदंतियों के माध्यम से हमारे व्यवहार को दिशा प्रदान करने की कोशिश की गई है। उदाहरण के तौर पर आपको कहीं भी यह सीधे तौर पर लिखा हुआ नहीं मिलेगा कि “भाई-बहन के एक दूसरे के प्रति क्या कर्तव्य होते हैं।” इसके बजाय आपको हिंदुओं के इतिहास में कई ऐसे पौराणिक चरित्र मिलेंगे जिन्होंने अपने व्यवहार के माध्यम से इस पवित्र बंधन की अहमियत और कर्तव्यों से हमें परिचित करवाया है।
"भाई" शब्द संस्कृत के शब्द "ब्रहत" से लिया गया है, जिसका अर्थ "(वह जो परिवार वंश को आगे बढ़ाता है) होता है।" हिंदू पौराणिक कथाओं में, पुत्रों को पारंपरिक रूप से अत्यधिक महत्व दिया गया है, क्योंकि उन्हें परिवार के नाम और परंपराओं का वाहक माना जाता है। हालांकि, पुत्रों पर यह पितृसत्तात्मक जोर हिंदू संस्कृति में भाई-बहन के बंधन के महत्व को कम नहीं करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में भाई-बहनों के बीच का रिश्ता एक विशेष स्थान रखता है। ये किवदंतियां प्रेम, प्रतिद्वंद्विता, बलिदान और कुछ अंतिम नियति की कहानियों से भरी पड़ी हैं।
चलिए अब हिन्दू पौराणिक कथाओं में भाई बहन के जोड़ों पर भी एक नजर डालते हैं।
1. मां पार्वती और भगवान विष्णु: संरक्षक देवता माने जाने वाले भगवान विष्णु और सद्भाव की देवी मां पार्वती, भाई-बहन का पवित्र बंधन साझा करते हैं। माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान् विष्णु की कलाई पर एक पवित्र राखी बांधी थी और इस प्रकार वे आध्यात्मिक भाई-बहन बन गए।
2. श्री कृष्ण और द्रौपदी: मान्यता है कि रक्षाबंधन के त्यौहार की उत्पत्ति, भगवान कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी एक किवदंती से ही हुई है। एक बार पतंग से खेलते समय या संभवतः सुदर्शन को नियंत्रित करते समय गलती से भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी। द्रौपदी ने उनकी घायल उंगली देखकर खून रोकने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। यहाँ पर श्री कृष्ण उसकी दयालुता से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने हमेशा उसकी रक्षा करने का वादा किया। महाभारत में चीरहरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा करके यह वादा निभाया भी।
3. शुभ-लाभ और माँ संतोषी: हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान गणेश के “शुभ और लाभ” नामक दो बेटे भी हैं। एक दिन, शुभ और लाभ अपने पिता को अपनी बहन से राखी बंधवाते हुए देखते हैं। यह देखकर शुभ और लाभ भी अपने पिता से एक बहन की अपेक्षा करते हैं, जो उन्हें राखी बांध सके। उनकी इच्छा के जवाब में, भगवान गणेश ने पवित्र ज्वालाओं से देवी संतोषी का निर्माण किया। संतोषी, संतुष्टि और खुशी की देवी मानी जाती हैं। वह शुभ और लाभ की प्रिय बहन बन गई।
4. सुभद्रा और श्री कृष्ण: वासुदेव और रोहिणी देवी की पुत्री सुभद्रा भगवान कृष्ण की सौतेली बहन मानी जाती हैं। माना जाता है कि श्री कृष्ण ने ही अर्जुन और सुभद्रा के विवाह में मदद की थी।
5. यमराज और यमी या यमुना: वैदिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, यमी और मृत्यु के देवता यमराज, जुड़वाँ भाई बहन थे। माना जाता है कि राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत खुद यमी ने ही की थी।
6.रावण और शूर्पणखा: रावण का चरित्र भले ही दोषपूर्ण था किंतु भाई-बहन के बंधन और प्यार के संदर्भ में इनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है। रावण ने शूर्पणखा के प्रति भाईचारे का प्रेम और वफादारी का सराहनीय भाव दिखाया। यह भी माना जाता है कि रावण ने लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा का नाक काटे जाने का बदला लेने के लिए ही माता सीता का अपहरण किया था।
7.कुंती और वासुदेव: एक ही पिता, राजा शूरसेन से पैदा होने के बावजूद, कुंती और श्री कृष्ण के पिता वासुदेव के मार्ग, जीवन के आरंभ में ही अलग-अलग हो गए। कुंती को निःसंतान राजा कुंतीभोज ने गोद ले लिया था, जबकि वासुदेव अपने पिता के दरबार में ही रहे।
8. देवकी और कंस: भगवान श्री कृष्ण की माँ देवकी, अद्वितीय दयालुता और करुणा की मूर्ती थीं, जो उनके भाई, मथुरा के अत्याचारी राजा कंस के बिल्कुल विपरीत थीं। प्रारंभ में कंस अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह करता था और उनके पति वासुदेव का भी बहुत सम्मान करता था। हालाँकि, देवकी के पुत्र से अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी सुनने के बाद कंस ने अपनी मृत्यु के भय से, भविष्यवाणी को सच होने से रोकने के लिए अपनी बहन और बहनोई को कैद कर लिया।
9. कर्णावती और राजा हुमायूँ: क्या आप जानते हैं कि अलग-अलग धर्मों के बावजूद भी चित्तौड़ की रानी कर्णावती और राजा हुमायूं के बीच भाई-बहन जैसा गहरा रिश्ता था। जब गुजरात के सुल्तान बहादुर-शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया, तो रानी कर्णावती ने हुमायूं से मदद मांगी। हुमायूँ तुरंत अपनी बहन की रक्षा के लिए निकल पड़े थे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब तक वह पहुंचे, रानी कर्णावती ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर (अनुष्ठानिक आत्मदाह) कर लिया था।
10. कृपा और कृपी: कृपा, जिन्हें कृपाचार्य के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत के एक प्रसिद्ध योद्धा थे। कृपा की जुड़वां बहन कृपी ने पांडवों और कौरवों दोनों के श्रद्धेय शिक्षक द्रोण से विवाह किया था।
हिन्दू देवताओं की भांति यूनानी देवी-देवता भी किसी न किसी तरह से आपस में संबंधित हैं। निक्स और एरेबस (Nix and Erebus) पहले यूनानी भाई-बहन थे और उनके एक साथ बच्चे भी थे। इस प्रकार ग्रीक पौराणिक कथाओं में, हर कोई बड़े ही असमंजस के साथ संबंधित है।
हिंदू पौराणिक कथाएँ असाधारण भाई-बहन के बंधन की कहानियों से समृद्ध हैं, जो भाइयों और बहनों के बीच मौजूद गहरे प्रेम, वफादारी और बलिदान को दर्शाती हैं। चलिए इनमें से कुछ कहानियों पर एक नजर डालते हैं।
राम और लक्ष्मण: राम और लक्ष्मण के बीच का रिश्ता, भाई-बहनों या भाइयों के बीच अटूट प्रेम और समर्थन का प्रमाण माना जाता है। एक राज्य पर शासन करने के लिए नियत होने के बावजूद भी लक्षमण ने अपने भाई के साथ वनवास में जाने का फैसला किया, राजसी विलासिता को त्याग दिया और तपस्या का जीवन अपनाया।
राम और भरत: राम का अपने भाई भरत के साथ रिश्ता भी लक्ष्मण के बराबर ही गहरा था। राम के वनवास की जानकारी मिलने पर, भरत अपराध बोध से अभिभूत हो गए और उन्होंने राजगद्दी संभालने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उन्होंने सिंहासन पर राम की पादुकाएं रखकर अयोध्या पर शासन किया, जो उनकी अटूट निष्ठा और सम्मान का प्रतीक थीं।
कृष्ण और बलराम: श्री कृष्ण और बलराम ने जीवन भर साथ रहकर एक अटूट बंधन साझा किया। कृष्ण के वृंदावन और मथुरा से चले जाने के बावजूद उन्होंने अपने भाई बलराम का साथ कभी नहीं छोड़ा। यहां तक कि जब बलराम के दुर्योधन से विवाह के वादे के बावजूद, श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा के साथ भागने की अनुमति दी, तो बलराम ने बिना किसी विरोध के निर्णय स्वीकार कर लिया।
पांच पांडव: पांडु के पांच पुत्रों, पांडवों ने भाई-बहन के रिश्ते का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी एक ही पत्नी थी, द्रौपदी, फिर भी उनका रिश्ता सौहार्दपूर्ण और कलह से मुक्त रहा, जो आपसी सम्मान और समझ की शक्ति को उजागर करता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/226nnt9p
https://tinyurl.com/24c5hx6c
https://tinyurl.com/mruxkvte
https://tinyurl.com/mn9caras
https://tinyurl.com/44ud53va
चित्र संदर्भ
1. श्री कृष्ण और द्रौपदी को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL, StockVault)
2. भगवान शिव के कुटुंब को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
3. शिव और पार्वती (मीनाक्षी) के विवाह की अध्यक्षता विष्णु कर रहे हैं! इस दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. चीर हरण के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
5. कृष्ण की सौतेली बहन सुभद्रा को अर्जुन और कृष्ण के साथ द्वारका से दूर जाते हुए दर्शाता एक चित्रण (picryl)
6. रावण और शूर्पणखा को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
7. वनवास के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
8. कृष्ण और बलराम को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
9. पांडवों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.