समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 06- Nov-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1757 | 348 | 2105 |
हमारे देश भारत में प्रागैतिहासिक काल से ही लोग ताबीज़ पहनते आ रहे हैं। इसका सबसे पहला साक्ष्य वेदों में मिलता है, जिसमें अक्सर “मणि” नामक ताबीज़ के उपयोग का उल्लेख मिलता है। हालांकि, बाद में, ताबीज़ को “कवच” भी कहा जाने लगा था। ताबीज़ ऊर्जा से परिपूर्ण आभूषणों के रूप में कार्य करते हैं, जिनके प्रभाव से इसको पहनने वाले व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट और खतरे दूर हो जाते हैं, और इस तरह इसे पहनने वाले व्यक्ति के रक्षक के रूप में इन्हें मान्यता प्राप्त है। हालांकि, आज ताबीज़ से जुड़े अंधविश्वास और मान्यताएं ज्यादातर ग्रामीण भारत में हीं प्रचलित हैं।
भारत में ताबीजों की एक विस्तृत विविधता देखी जा सकती है। पूर्वी भारत में, आज भी, व्यावहारिक रूप से सभी शारीरिक आभूषण सुरक्षात्मक उद्देश्य से पहने जाते हैं और वास्तव में, उन्हें ताबीज़ का एक रूप माना जाता है। इन्हें शरीर पर पहना जाता है, ताकि बुरी आत्माओं को शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सके। बुतपरस्त समुदाय के लोग, सभी प्रकार की बुराइयों को दूर रखने के लिए बड़े पैमाने पर पेंडेंट (Pendant) और कड़े के रूप में ताबीज़ पहनते हैं। दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु के लोग मानते हैं कि सोने के ताबीज़, विशेष रूप से पेंडेंट, उनकी सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान हैं। इन तबीजों को पहनने से उनको सौभाग्य प्राप्त होता है। जबकि भारत के उत्तरी हिस्से में, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में यह एक आम धारणा है कि ताबीज़ के माध्यम से तीन लोकों अर्थात अधोलोक, पृथ्वी लोक तथा ईश्वर को एक साथ जोड़ा जा सकता है।
भारत में प्राचीन काल से ही ताबीजों को शक्ति का स्रोत माना जाता रहा है। ताबीजों को बुरी आत्माओं और विचारों के खिलाफ सहायता करने के लिए एक उपकरण के रूप में पहना जाता था। प्राचीन समय में, यह माना जाता था कि समाज और व्यक्तियों के भीतर सभी समस्याओं के लिए बुरी ताकतें जिम्मेदार होती हैं। इसके विपरीत, यह भी माना जाता था कि, अच्छा भाग्य अच्छी आत्माओं द्वारा लाया जाता है, जो हमें अनुकूल दृष्टि से देखती हैं। अतः लोगों ने ताबीज़ जैसे उपकरणों का उपयोग करके, इन ताकतों का दोहन करने और उन्हें दूर करने का प्रयास करना शुरू कर दिया। माना जाता है कि, ताबीज़ का बाहरी भाग सूर्य और पृथ्वी की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
ताबीजों को शरीर के किसी भी हिस्से पर पहना जा सकता है, हालाँकि इन्हें आमतौर पर उस हिस्से के करीब रखा जाता है जिसे संरक्षित करना होता है, विशेष रूप से शरीर के छिद्रों के पास, ताकि बुरी आत्माओं को शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सके। अपनी पूर्व शक्ति को संरक्षित करने के लिए, इन्हें कपड़ों, टोपी या पगड़ी के भीतर भी छिपाया जा सकता है।
ताबीजों का चलन राजस्थान, गुजरात, उत्तरी भारत और महाराष्ट्र में आम है। जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों जैसे जन्म, नामकरण या विवाह पर ताबीजों को विशेष रूप से बनवा कर पहना जाता है। ताबीजों को पहनने से पहले किसी पुजारी या ओझा की मदद से आयोजित समारोह में इनको पवित्र करके सिद्धि कराई जाती है। इनको पवित्र करवा लेने के बाद, ताबीज़ का शरीर के साथ संपर्क स्थापित किया जाता है।
अपेक्षित परिणामों के आधार पर, ताबीज़ विभिन्न प्रकार के होते हैं-
रोगनिरोधी सुरक्षा के साथ ताबीज़: ये ताबीज़ भविष्य में होने वाली बीमारियों या दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पहने जाते हैं या फिर इसे पहनने वाले व्यक्ति को जिन बीमारियों एवं घटनाओं से विशेष रूप से डर लगता है, उनसे भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए पहने जाते हैं।
चिकित्सीय सुरक्षा के साथ ताबीज़: माना जाता है कि ताबीज़ मौजूदा बीमारी को भी ठीक कर सकते हैं। गर्भवती महिलाएं और बच्चे विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं और रोगों को दूर करने एवं गर्भपात से बचने के लिए ताबीज़ पहने जाते हैं।
धार्मिक ताबीज़: ये ताबीज़ किसी देवता को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पहने जाते हैं।
सद्भाव, व्यवस्था और खुशी प्राप्त करने के लिए ताबीज़: जीवन में खुशी, मर्दानगी, व्यवस्था, भूमि, घर, मवेशी या गहने जैसी भौतिक संपत्ति की रक्षा के लिए भी कुछ ताबीज़ पहने जाते हैं।
अलग-अलग उद्देश्यों के साथ-साथ तबीजों का आकार भी अलग-अलग होता है जो अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसके अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं।
वर्गाकार या आयताकार ताबीज़: घर और खेत का प्रतीक है,
नुकीला पंचकोण ताबीज़: एक मंदिर का प्रतीक है,
गोल ताबीज़: इसका अर्थ एक मंडल है, जिसमें बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं कर सकती हैं,
उल्टी अंडाकार आकृति का ताबीज़: योनि अर्थात महिला जनन अंग का प्रतीक है,
तीर के आकार का ताबीज़: अदृश्य शत्रुओं से रक्षा के लिए।
बाघ के पंजे या नाखून का ताबीज़: माना जाता है कि, इस ताबीज़ में, बाघ की ताकत आकृति के माध्यम से स्थानांतरित हो जाती है।
इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के ताबीजों में हिंदू देवी देवताओं की छवि भी परिलक्षित होती है। ताबीज़ पर दर्शाए गए किसी देवता या छवि के अनुसार, कोई भी ताबीज़ व्यक्तिगत जरूरतों, परिवार और समूह या क्षेत्र पर निर्भर करता है। अक्सर पारिवारिक देवता या पूर्वजों से विरासत में मिले देवता को ताबीज़ पर बनाने हेतु चुना जाता है। या फिर,कोई व्यक्ति ऐसे देवता को चुन सकता है, जिनमें उसकी विशेष आस्था हो। जब भारत में हिंदू धर्म का उदय हुआ, तो कई देवताओं को ताबीज़ शक्तियों में बदल दिया गया। जिस देवता की कृपा की आवश्यकता होती थी, उनके चित्र या अमूर्त का अनुकरण धातुओं में किया जाता है।
जबकि, यदि कुछ ताबीज़ विशिष्ट सामग्रियों से बने होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार के विशिष्ट सामग्रियों से बने ताबीजों में पहले से ही शक्ति होती है और उन्हें सक्रिय करने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस प्रकार के ताबीजों में शक्ति और सुरक्षा के एक प्रतीक के रूप में, हमारे देश में प्राचीन काल से ही बाघ के नाखूनों का उपयोग किया जा रहा है। इस व्याघ्र हार की तकनीक कुंदन आभूषण की है। उन्नीसवीं सदी में चमकीले रंग के रत्न और बाघ के पंजों के नाखूनों से बने ताबीज़ भारतीय आभूषणों, विशेष रूप से हार के पेंडेंट के रूप में शोभा बढ़ाते थे ।
इस प्रकार के तबीजों को पहने हुए आप कई जानी-मानी हस्तियों को भी देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, सरोजिनी नायडू की कई तस्वीरों में, एक ही प्रकार का पेंडेंट देखा जा सकता है। जो बाघ के नाखूनों से बना एक ताबीज़ है, जो एक लंबी एवं पतली सोने की चेन से लटका हुआ है। सरोजिनी नायडू उस समय महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रही थीं, जब नारीवाद एक शब्द के रूप में भी, अस्तित्व में नहीं था। ऐसे परिदृश्य में, इस ताबीज़ का अर्थ हो सकता है कि, मानो वह निडर तथा शक्तिशाली हैं। और दुनिया को संकेत दे रही हैं कि वह एक नम्र महिला नहीं हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/up82eh3m
https://tinyurl.com/j6n8v3u3
https://tinyurl.com/3dr8uwhc
https://tinyurl.com/58x4bn66
https://tinyurl.com/mtpyztu4
चित्र संदर्भ
1. गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु के चित्र वाले ताबीज को दर्शाता एक चित्रण (
PICRYL)
2. एक हार में पिरोये गए विभिन्न ताबीजों को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
3. तावीज बेचती महिला को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
4. मोती के तावीजों को दर्शाता एक चित्रण (
Look and Learn)
5. सरोजिनी नायडू को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.