उत्तर प्रदेश में “तेंदू” की उपलब्धता से, जौनपुर में भी “बीड़ी उद्योग” संभव!

पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें
31-08-2023 11:04 AM
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उत्तर प्रदेश में “तेंदू” की उपलब्धता से, जौनपुर में भी “बीड़ी उद्योग” संभव!

भारत में रहते हुए “बीड़ी” से भला कौन परिचित नहीं होगा। “बीड़ी, एक पतली सिगरेट की तरह है, जो तम्बाकू से भरी होती है। इसे तेंदू या पिलियोस्टिग्मा रेसमोसम (Piliostigma Racemosum) के पत्ते से बनाया जाता है। साथ कि इसको एक बारीक धागे से बांधा जाता है।” बीड़ी शब्द मारवाड़ी भाषा से निकला है, यह शब्द बीड़ा यानी सुपारी, जड़ी-बूटियों और मसालों के पत्तों से लिपटे मिश्रण का संदर्भित करता है। 17वीं सदी के अंत में भारत में तंबाकू की खेती शुरू होने के बाद बीड़ियों का निर्माण शुरू हुआ। शुरुआती श्रमिकों ने बड़ी मात्रा में तम्बाकू लिया, और उसे पत्तों में लपेटकर बीड़ी बनाना शुरू कर दिया। 1930 के दशक में भारत में बीड़ी उद्योग तेजी से उभरा। ऐसा संभवतः तंबाकू की खेती के विस्तार और भारतीय उत्पादों के लिए गांधी जी के समर्थन के कारण हुआ होगा। इस दौरान शिक्षित भारतीयों ने सिगरेट के बजाय बीड़ी को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी, उनकी इस पहल का मुस्लिम नेताओं ने भी देशी उत्पाद के रूप में समर्थन किया। 20वीं सदी के मध्य तक कई नए “बीड़ी ब्रांड” (Brand) और कारखाने उभरे। हालांकि, सरकारी विनियमों के कारण 1940-60 के दशक में फक्ट्रियों में बीड़ी उत्पादन में गिरावट देखी गई। इस दौरान बीड़ी की रोलिंग (Rolling Bidi) आधारित काम महिला श्रमिकों को स्थानांतरित कर दिया गया। जबकि, पुरुषों ने इसके उत्पादन से जुड़े अन्य पहलुओं पर ध्यान दिया। हालांकि, सिगरेट और बीड़ी दोनों ही हानिकारक हैं। लेकिन, सिगरेट की तुलना में कम लागत के कारण बीड़ी का धूम्रपान करना निम्न सामाजिक स्थिति से जुड़ गया है। 2010-2011 में सभी विनिर्माण इकाइयों में से बीड़ी निर्माण इकाइयों का प्रतिशत 12.79% था। हालांकि, बीड़ी विनिर्माण ने कुल विनिर्माण क्षेत्र के आर्थिक मूल्य में केवल 0.65% का योगदान दिया, जो कि 2004-2005 में 48.2 बिलियन रुपये (1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था। कुल विनिर्माण रोजगार में बीड़ी उद्योग की हिस्सेदारी लगभग 7.04% है। 2000-2001 में, लगभग 3.56 मिलियन श्रमिक बीड़ी निर्माण में कार्यरत थे, जो 2010-2011 में घटकर 3.32 मिलियन हो गए। बीड़ी उद्योग अनेकों श्रमिकों को रोजगार देता है, जिनमें सीधे तौर पर काम पर रखे गए ठेकेदारों के माध्यम से काम पर रखे गए प्रबंधकीय कर्मचारी भी शामिल हैं। 2000-2001 में बीड़ी उद्योग के अपंजीकृत क्षेत्र में कुल 3.1 मिलियन, 2005-2006 में 4.1 मिलियन फिर 2010-2011 के बीच 2.9 मिलियन लोगों को रोज़गार मिल रहा था। बीड़ी उद्योग में अपंजीकृत क्षेत्र सबसे अधिक (लगभग 90%) लोगों को रोजगार देता है। 2000-2001 से 2010-2011 के बीच पंजीकृत बीड़ी निर्माण में श्रमिकों की संख्या काफी घट गई। इसके अलावा प्रत्यक्ष रोजगार में भी गिरावट आई। हालांकि, इन अध्ययन वर्षों में महिला श्रमिकों की संख्या पुरुष श्रमिकों से अधिक थी। आज भारत में बीड़ी उत्पादन एक सदियों पुराना उद्योग बन गया है। यह एक अधिक मेहनत वाला काम है और बहुत व्यवस्थित नहीं है। इस उद्योग में श्रमिकों के तीन मुख्य समूह शामिल हैं:
1. आदिवासी श्रमिक जो जंगलों से तेंदू या केंदु के पत्ते इकट्ठा करते हैं।
2. तम्बाकू उगाने वाले किसान।
3. घर-आधारित श्रमिक (Home-Based Workers), इनमे से ज्यादातर महिलाएं हैं, जो बीड़ी बनाती हैं।
बीड़ी विभिन्न भारतीय राज्यों में घरों में बनाई जाती है। कई छोटे पैमाने के ठेकेदार देश के प्रमुख बीड़ी निर्माताओं के लिए भी काम करते हैं। आज भारत में लगभग 4.5 से 8 मिलियन बीड़ी श्रमिक हो सकते हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं।
हालांकि, इस असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश श्रमिकों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, किंतु श्रमिकों की इस स्थिति में सुधार के कई प्रयास भी किये गये हैं। बीड़ी और सिगार श्रमिकों की भलाई के लिए रोजगार की शर्तें (Conditions Of Employment Act) अधिनियम और बीड़ी श्रमिक कल्याण निधि अधिनियम (Beedi Workers Welfare Fund Act) जैसे कानून बनाए गए हैं। ये कानून इन श्रमिकों के लिए बेहतर सेवा एवं शर्तें सुनिश्चित करते हैं, और श्रमिकों तथा उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और बीमा सहित कल्याणकारी योजनाएं भी प्रदान करते हैं। हालांकि, बीड़ी श्रमिक कल्याण निधि जैसे कानूनों का लाभ उठाने के लिए पहले घर-आधारित बीड़ी श्रमिकों (Home-Based Beedi Workers) की पहचान करना जरूरी है। इसके अलावा पिछड़ी जातियों के ज्यादातर गरीब, अशिक्षित श्रमिकों के बीच भी बीड़ी अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। आप स्वयं या आपके कोई जानने वाले बीड़ी का धूम्रपान करते हों, तो आप यह भली भांति जानते होंगे कि इसकी लत छोड़ना कितना मुश्किल होता है और यही लत इसे एक लाभदायक व्यवसाय बना देती है।
इसलिए, अगर आप भी बीड़ी निर्माण क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं, तो इस उद्यम को शुरू करने के लिए एक सरलीकृत मार्गदर्शिका निम्नवत दी गई दी गई है।
1. कच्चा माल इकट्ठा करें: बीड़ी बनाने के लिए आपको तेंदू के पत्ते और तम्बाकू की आवश्यकता होगी। ये दोनों ही कच्चे माल, भारतीय राज्यों में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। तेंदू के पत्ते दक्षिण-पूर्व और उत्तर भारत (विशेषकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और हमारे उत्तर प्रदेश) में पाए जाते हैं।
2. जगह ढूंढें: इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए किसी भी भारी मशीनरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए, 300-400 वर्ग फुट की जगह भी आपके लिए पर्याप्त हो सकती है। यहां पर कच्चे माल या तैयार माल के भंडारण और मजदूरों के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
3.लाइसेंस (License) प्राप्त करें: यह एक तम्बाकू से जुड़ा उद्योग है। इसलिए, लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको थोड़ी बहुत मेहनत तो जरूर करनी पड़ेगी। इसके लिए सबसे पहले अपने व्यवसाय को पंजीकृत करें, अपना जीएसटी (Gst) तथा पैन कार्ड (Pan Card) तैयार करें, और एक व्यवसायिक बैंक में खाता खोलें। साथ ही इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए दुकान और प्रतिष्ठान पंजीकरण जैसे राज्य-वार लाइसेंस होना भी आवश्यक है।
4. अपने ब्रांड को नाम दें: अपने बीड़ी ब्रांड के लिए एक नाम चुने और उसका ट्रेडमार्क पंजीकरण जरूर कराएं।
5. कच्चा माल और उपकरण खरीदें: अब आप तेंदू के पत्ते, तंबाकू और लपेटने के लिए धागा खरीदना शुरू करें। इन्हें बंडल और पैक करने के लिए बीड़ी पैकेजिंग मशीन (Beedi Packaging Machine) का उपयोग कर सकते हैं।
6. मजदूरों को दिहाड़ी पर बुलाएं: शुरुआत में 5-6 मजदूरों (विशेषकर ग्रामीण महिलाओं) को दिहाड़ी पर काम पर रख सकते हैं। इससे आपके बिजनेस और उन्हें, दोनों को फायदा होगा।
7.बीड़ी बनाना और बेचना: बीड़ी बनाने की प्रक्रिया काफी सीधी है। सबसे पहले आप स्थानीय किसानों से तेंदू पत्ते और तंबाकू जैसी आवश्यक सामग्री प्राप्त करें। बीड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला धागा आस-पास के बाजारों में आसानी से मिल जाता है। इसके बाद आप तेंदू के पत्तों को इस तरह से काटें, जिससे बीड़ी बनाना आसान हो जाए। जब पत्तियां थोड़ी सूख जाएं तो आप उनके बीच तंबाकू लपेटकर बीड़ी का आकार दे दें। इसके बाद आप बीड़ियों को ढेर बना लें और उनके बंडल तैयार कर लें। बीड़ी पैकिंग के लिए खासतौर पर डिज़ाइन की गई मशीन का उपयोग करके इन बंडलों को आपके ब्रांड नाम (Brand Name) के साथ कागज में लपेटा जाता है। इस प्रकार आपकी बीड़ी बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि, इसके बाद भी आपको बीड़ी बनाने का व्यवसाय बहुत अधिक रास नहीं आ रहा है तो, आप हमारी इस पोस्ट में हमारे जौनपुर में सफल हो सकने वाले कुछ अन्य व्यवसायों पर एक नजर डाल सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mr3dmwnk
https://tinyurl.com/duu52x6v
https://tinyurl.com/29rt4ah5
https://tinyurl.com/bdh7x3fp

चित्र संदर्भ

1. तेंदू के पत्ते सुखाते श्रमिकों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. बीड़ी श्रमिको की कलाकृतियों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. बीड़ी बनाती महिला को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. बीड़ी के पैकेट को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. तेंदू के पत्ते को दर्शाता चित्रण (PictureThis)
6. बीड़ी निर्माण में लगी महिलाओं को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)

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