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वर्तमान समय में, ‘कम लागत वाले आवास’ एक नवीन संकल्पना है, जो कुशल बजट या व्यय तथा नव तकनीकों के अनुप्रयोग पर केंद्रित है। यह बेहतर कौशल और प्रौद्योगिकी के साथ स्थानीय रूप से उपलब्ध निर्माण सामग्री के उपयोग के माध्यम से, निर्माण की लागत को कम करने में मदद करती है। यह संकल्पना अब एक नए युग की शुरुआत कर रही है।
ऐसे परिदृश्य में, इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि, कम लागत वाले आवास विकल्प, निम्न गुणवत्ता वाली सस्ती निर्माण सामग्री का उपयोग करके बनाए गए घरों का पर्याय नहीं हैं। जब ऐसे घरों के डिजाइन (Design) और निर्माण की बात आती है, तो कम लागत वाली इमारतों की भी नींव, संरचना और मजबूती किसी भी अन्य इमारत के समान ही होती है।
भारत जैसे विकासशील देशों में, केवल 20% आबादी के पास ही उच्च आय है, जिसका अर्थ है कि, केवल यही आबादी नियमित आवास इकाइयों का खर्च उठा सकती हैं। आर्थिक विकास की राह पर चल रहे देशों में, आज भी सबसे कम आय वर्ग के लोग, आम तौर पर आवास बाजार में प्रवेश करने में असमर्थ हैं।
बढ़ती जनसंख्या की आवासीय मांग तथा गरीबी रेखा से नीचे आने वाले निवासियों के लिए, कम आय वाले पैमाने पर आवास उपलब्ध कराना आदि समस्याओं में, हमें ऐसे समाधान की आवश्यकता है, जिसे शीघ्रता से लागू किया जा सकता है। साथ ही, भविष्य में यह सुनिश्चित करना हमारे राष्ट्र का लक्ष्य है कि, प्रत्येक व्यक्ति के पास एक घर हो, जिसमें वह परिवार का पालन-पोषण कर सके। इस आवश्यकता को भी पूरा करने के लिए, हमें निस्संदेह ही कुछ तत्काल योजनाओं की आवश्यकता है। और यह तकनीक ऐसे मामले में उपयुक्त साबित हो सकती है।
बेहतर और नवीन तकनीकों के माध्यम से, यह पाया गया है कि, लागत प्रभावी एवं वैकल्पिक निर्माण प्रौद्योगिकियां आवश्यक निर्माण सामग्री की मात्रा को कम कर सकती हैं। ये प्रौद्योगिकियां बेहतर आवास पद्धतियां प्रदान करने और पर्यावरण की रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
आवास एक सामाजिक कल्याण का मापक है और इस प्रकार यह आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। किसी भी राष्ट्र की स्थिरता, इसके ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की इच्छाओं को अच्छी तरह से पूरा करने में ही निहित है। और हमारे देश भारत में ही लगभग 2.7 करोड़ आवास इकाइयों की कमी हैं। देश में आर्थिक रूप से गरीब तथा मध्यम वर्ग आबादी के बड़े हिस्से को आवास की आवश्यकता है।
‘कम लागत वाले आवास’ उन लोगों के लिए बेहतर आवास हैं, जिन्हें एक मान्यता प्राप्त आवास सामर्थ्य सूचकांक (Housing Affordability Index) के आधार पर, सरकार द्वारा वर्गीकृत औसत घरेलू आय या उससे कम आय वाले लोगों के लिए सुलभ माना जाता है।
स्थानीय संसाधनों का उपयोग निर्माण सामग्री के परिवहन व्यय को कम करता है, जिसका निर्माण संसाधनों की लागत का लंबी दूरी के लिए अनुपात काफ़ी अधिक है। इसलिए, यह तकनीक स्थानीय जलवायु के लिए भी आदर्श है। अतः इन फायदों को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान में कम लागत वाले आवास के लिए उपलब्ध विभिन्न सामग्री और तकनीकों पर अध्ययन चल रहा है। इसके साथ ही, अध्ययन का उद्देश्य भारत के चिन्हित स्थानों में इसे लागू करने के लिए एक रणनीति के विकास से भी संबंधित है।
आइए, अब कुछ तरीकों के बारे में जानते हैं, जिन्हें अपनाकर निर्माण लागत में कटौती करके भी सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
1.भार वहन करने वाली संरचनाओं या ढांचे का चयन: जब हम निर्माण योजनाएं बनाते हैं, तो हमें मुख्य रूप से उस संरचना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसका हम उपयोग करने जा रहे हैं। तो ऐसी संरचनाओं में भार वहन करने की क्षमता होनी चाहिए।
2.आवास निर्माण के लिए नींव: आम तौर पर, किसी इमारत की गहराई या नींव, मिट्टी में 3 से 4 फीट गहरी होती है। लेकिन, वैकल्पिक रूप से हम इसे ‘सामान्य’ मिट्टी में 2 फीट गहराई तक भी बना सकते हैं। जिससे कुल लागत में बड़ी मात्रा में बचत होती है।
3.खोखले कंक्रीट ब्लॉक (Concrete blocks): की भार वहन करने वाली दीवारें
भार वहन करने वाली दीवारों के लिए खोखले कंक्रीट ब्लॉक के उपयोग के कई फायदे हैं, अतः हम इनका उपयोग आवास निर्माण में कर सकते हैं।
4.छत के लिए फिलर स्लैब (Filler Slab): यह सामान्य प्रबलित कंक्रीट (Reinforced Concrete) के स्लैब होते हैं, जिनमें कंक्रीट को ईंट, टाइल्स (Tiles), सेलुलर ब्लॉक (Cellular blocks) इत्यादि जैसी भराव सामग्री से भर दिया जाता है।
हमारे देश में कम लागत वाले घर बनाने के कई प्रयास किए गए हैं। उनमें से सबसे नवीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी– Indian Institute of Technology), मद्रास के छात्रों द्वारा बनाई गई, ‘ग्लास फाइबर रीइन्फोर्स्ड जिप्सम’ (Glass Fibre Reinforced Gypsum) पट्टिका या पैनल (Panel) का उपयोग करके कम लागत वाले, पर्यावरण-अनुकूल घर बनाने की विधि है। उन्होंने सफलतापूर्वक, एक आवास इकाई का निर्माण किया है, जिसका निर्माण, अपशिष्ट जिप्सम से बने पूर्वनिर्मित (Prefabricated) पट्टिकाओं का उपयोग करके, केवल एक महीने के भीतर ही किया गया था।
फिर इन्हीं संरचनाओं का उपयोग करके दीवारें, सीढ़ियां और छत बनाई जाती है। छत की दो पैनलों के बीच के खोखले अंतर को कंक्रीट मिश्रण का उपयोग करके भरा जाता है और उन्हें मजबूत भी किया जाता है। साथ ही, इमारत के लिए भूकंप और तूफान जैसे भार का सामना करने के लिए विशेष संरचनात्मक डिजाइन तैयार किया जाता है। परियोजना के तहत, आईआईटी-मद्रास परिसर के अंदर 500 वर्ग फुट में बनाएं गए कम लागत वाले घर की लागत लगभग 5,75,000 रुपये मात्र है। और अब तो, भारतीय भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद ने भी इस डिजाइन को मंजूरी भी दे दी है।
इन पैनलों का निर्माण कोच्चि में फैक्ट आरसीएफ बिल्डिंग प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCF Building Products Limited) में किया जा रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया (Australia) के रैपिडवॉल बिल्डिंग सिस्टम्स (Rapidwall Building Systems) के सहयोग से फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड (FACT) और मुंबई में स्थित राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (Rashtriya Chemicals and Fertilizers) के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
निकट भविष्य में, ऐसी आवास तकनीकों एवं सामग्री का उपयोग किसी भी उच्च-प्रदर्शन वाली इमारत का एक अनिवार्य घटक होंगी, जो न केवल उचित मूल्य की हों, बल्कि सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन, पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार और टिकाऊ भी हों।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2f38szwa
https://tinyurl.com/bdew9vv2
https://tinyurl.com/4fjwnkfe
https://tinyurl.com/jmhbatbc
चित्र संदर्भ
1. अपशिष्ट जिप्सम से बने पूर्वनिर्मित पट्टिकाओं से बन रहे घर को दर्शाता चित्रण (
NGO Field Stories)
2. एक कम लगत वाले घर को दर्शाता चित्रण (Flickr)
3. अपने घर में टीवी देखते एक भारतीय जोड़े को दर्शाता चित्रण (pexels)
4. एक गली में बने घर को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. प्रबलित कंक्रीट की छत को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
6. अपशिष्ट जिप्सम से बने पूर्वनिर्मित (Prefabricated) पट्टिकाओं से निर्मित घर को दर्शाता चित्रण (Flickr)
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