जौनपुर के किसान भाईयों के लिए प्रभावशाली ड्रिप सिंचाई को अपनाने की खुली राह!

भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)
19-08-2023 09:47 AM
Post Viewership from Post Date to 19- Sep-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1732 629 2361
जौनपुर के किसान भाईयों के लिए प्रभावशाली ड्रिप सिंचाई को अपनाने की खुली राह!

आपने अक्सर सुना होगा कि “बूँद-बूँद से सागर भर जाता है।”, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पानी की यही छोटी-छोटी बूंदे एक भारतीय किसान के मुनाफे को दिन-दोगुना रात चौगुना कर सकती हैं। दरसल कृषि मंत्रालय द्वारा 13 राज्यों में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि पौंधे को बूँद-बूँद कर सींचने वाली तकनीक यानी ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) का उपयोग करने पर फसल की पैदावार 42-53% तक बढ़ सकती हैं, इसके अलावा भी ड्रिप सिंचाई के ढेरों अन्य फायदे भी होते हैं, जिनके बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे। भारत में कृषि कार्यों के लिए भूमिगत जल का बहुत अधिक उपयोग होता है, और इससे एक बड़ी समस्या खड़ी हो रही है। किसान जमीन में से जरूरत से ज्यादा पानी निकाल रहे हैं, और निकाले गए पूरे पानी का सही से इस्तेमाल नहीं हो रहा है, जिस कारण देश में भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। वास्तव में किसानों द्वारा पानी का उपयोग करने या खेतों को सींचने का तरीका व्यवस्थित और उचित नहीं है। आमतौर पर किसान अपने खेतों में पानी डालने के लिए बड़े-बड़े पाइपों और पंपों का उपयोग करते हैं, लेकिन इसमें से बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है और पौधों को भी कोई विशेष लाभ नहीं होता। इस वजह से, हम “समान मात्रा में भोजन/फसल उगाने के लिए अन्य देशों की तुलना में अधिक पानी का उपयोग कर रहे हैं।” इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए, विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि किसानों को अपनी फसलों को सींचने के लिए सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) जैसा बेहद प्रभावी तरीका इस्तेमाल करना चाहिए। ड्रिप सिंचाई भी इसी प्रणाली के अंतर्गत आती है। ड्रिप सिंचाई, या ट्रिकल सिंचाई (Trickle Irrigation) फसलों या पौधों को पानी देने की एक ऐसी विधि है जिसमें पानी और पोषक तत्वों को बहुत कम मात्रा में (2-20 लीटर प्रति घंटे) पतले प्लास्टिक पाइपों के माध्यम से पौधों की जड़ों में मिट्टी पर धीरे-धीरे टपकाया जाता है। इस प्रणाली के माध्यम से हर जगह पानी और पोषक तत्वों को फ़ैलाने के बजाय, सही समय पर, और उचित मात्रा में, सीधे पौधे की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली में प्रयुक्त होने वाले मुख्य संसाधन निम्नवत दिए गए हैं:
1. पंप स्टेशन (Pump Station): यह पंप स्रोत से पानी लेता है, और उसे पाइपों के माध्यम से बहने के लिए सही दबाव देता है।
2. बाई-पास असेंबली (By-Pass Assembly): यह सिस्टम पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करती है।
3.नियंत्रण वाल्व (Control Valve): यह पानी के बहाव को प्रबंधित करता है और पूरे सिस्टम में दबाव को नियंत्रित करता है।
4. फ़िल्टरेशन सिस्टम (Filtration System): यह सिस्टम पानी को साफ़ करता है। इसमें स्क्रीन फिल्टर और ग्रेडेड रेत फिल्टर (Screen Filter And Graded Sand Filter) जैसे विभिन्न प्रकार के फिल्टर लगे होते हैं, जो पानी से छोटे कणों को हटाते हैं।
5. उर्वरक टैंक: ये टैंक पौधों को पानी देते समय धीरे-धीरे पानी में एक विशिष्ट मात्रा में उर्वरक मिलाते हैं। यह ड्रिप सिंचाई का एक बड़ा लाभ है।
6. दबाव नापने का यंत्र: यह पानी के दबाव को मापता है।
7.मेन/सब-मेन (Main/Sub-Main): ये बड़े पाइप होते हैं, जो नियंत्रण क्षेत्र से खेतों तक पानी ले जाते हैं।
8. स्पायरल्स (Spirals): ये छोटे-छोटे पाइप होते हैं जो पानी को पौधों के करीब लाते हैं।
10.माइक्रो ट्यूब (Micro Tube): ये छोटी सी ट्यूब विशिष्ट पौधों तक पानी पहुंचाने में मदद करती हैं।
इस प्रणाली के अंतर्गत खेत में छोटे-छोटे पाइपों में छोटे-छोटे छेद कर दिए जाते हैं, जिन्हें "ड्रिपर्स (Drippers)" कहा जाता है। ये ड्रिपर्स पानी और पोषक तत्वों की बूंदें जड़ों के ठीक पास में छोड़ते हैं, जहां पौधों को उनकी सबसे अधिक ज़रूरत होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पूरे खेत के हर पौधे को सही मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिलता रहे। चूंकि इस शानदार तकनीक से किसानों के पैसे, पानी और समय तीनों की बचत होती है, इसलिए किसानों को ये प्रणाली बेहद पसंद आती है।
इसके अलावा किसान ड्रिप सिंचाई को पसंद करते हैं क्योंकि:
- इससे उन्हें कम मेहनत में अधिक पैसा कमाने में मदद मिलती है।
- इस प्रकार बेहतर और लगातार फसल प्राप्त होती रहती है।
- इससे पानी की काफी बचत होती है और बर्बादी भी नहीं होती है।
- यह तरकीब सभी प्रकार की भूमि और मिट्टी पर अच्छा काम करती है।
- इसमें ऊर्जा और उर्वरक का भी कम उपयोग होता है।
- यह मौसम पर बहुत अधिक निर्भर नहीं करती है, इसलिए यह अधिक विश्वसनीय है।
पौधों को भी ड्रिप सिंचाई पसंद है क्योंकि:
- उन्हें जरूरत पड़ने पर पानी और पोषक तत्व मिलते रहते हैं।
- यह उन्हें मजबूत और स्वस्थ रहने में मदद करती है।
- मिट्टी ज्यादा गीली नहीं होती, जिससे वे अच्छी तरह सांस ले सकते हैं।
ड्रिप सिंचाई सभी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- भविष्य में, जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ती जाएगी, हमारे पास भोजन उगाने के लिए ज़मीन कम होती जाएगी ।
- पानी दुर्लभ हो जाएगा, इसलिए हमें इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता है।
- ड्रिप सिंचाई से किसानों को कम जमीन और कम पानी में अधिक भोजन उगाने में मदद मिल सकती है।
-यह प्रणाली जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के बुरे प्रभावों को भी कम कर सकती है।
-यह प्रणाली सभी जरूरी फसलों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए उपयुक्त फसलों की सूची निम्नवत दी गई है: 1970-71 में देश में केवल 1.6 मिलियन पंप थे, लेकिन 2018-19 में, ये संख्या बढ़कर 20 मिलियन से अधिक हो गई। इसकी वजह से न केवल खेती में इस्तेमाल होने वाली बिजली की मात्रा 48 गुना बढ़ गई है, साथ ही भूजल में भी भारी गिरावट देखी गई है। महाराष्ट्र के उदाहरण से ये पता चला है कि गन्ने के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग करने से बहुत अधिक बिजली बचाई जा सकती है।
हालांकि इतने लाभों के बावजूद भारत में किसानों के बीच ड्रिप सिंचाई का उपयोग अभी भी सीमित ही है। जिसके प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:
1. जागरूकता की कमी:
कई किसान ड्रिप सिंचाई के लाभों के बारे में शिक्षित नहीं हैं। हालांकि सरकार ने कई अभियानों और मीडिया के माध्यम से इस बात को फैलाने की कोशिश जरूर की, लेकिन यह सभी तक नहीं पहुंच पाई।
2. गलतफहमियां: कुछ किसान ये सोचते हैं कि ड्रिप सिंचाई महंगी होती है, मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाती है, या टिकाऊ नहीं है। इस तरह की ग़लतफ़हमियाँ इस कारगर प्रणाली को अपनाने में बाधा बन जाती हैं।
3. लागत संबंधी चिंताएँ: जबकि ड्रिप सिंचाई शुरू में महंगी हो सकती है, किंतु लंबे समय में एक स्मार्ट निवेश साबित होती है। शुरुआती लागत और भविष्य में होने वाले लाभ से आशंकित किसान इसे अपनाने में झिझक रहे हैं।
4. सीमित पहुंच: नजदीकी आपूर्तिकर्ताओं की कमी के कारण इच्छुक किसानों के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्राप्त करना कठिन हो गया। इस पहुंच संबंधी समस्या ने भी इस विधि के सीमित उपयोग में योगदान दिया। लेकिन अच्छी खबर ये है कि अपनी बढती प्रभावशीलता के कारण, भारतीय सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली बाजार, आने वाले समय में बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। कुछ रिपोर्टें और विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि भारतीय सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का बाजार 2023 के 573.92 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2028 तक 971.46 मिलियन डॉलर हो जाएगा। भारतीय जन अपनी आजीविका के लिए खेती पर बहुत अधिक निर्भर है, और चूंकि देश में फसलों के लिए पर्याप्त बारिश नहीं होती है, इसलिए सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करने से हमें काफी मदद मिल सकती है। राजस्थान जैसे राज्यों के लिए तो यह तकनीक वाकई कारगर मानी जाती है, क्योंकि वहां पानी ज्यादा नहीं है। भारतीय किसान पानी बचाने और अधिक फसल प्राप्त करने के लिए बढ़ चढ़कर इस प्रकार की सिंचाई का उपयोग कर रहे हैं। सूक्ष्म सिंचाई के तहत, ड्रिप सिंचाई तरीके का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, क्योंकि सरकार इसके लिए अतिरिक्त सहायता भी प्रदान करती है। इस बाज़ार में जैन इरिगेशन और नेटाफिम (Jain Irrigation And Netafim) कुछ शीर्ष कंपनियाँ नए और अच्छे उत्पाद बना रही हैं। 2019-20 में, लगभग 1.1 मिलियन किसानों ने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler Irrigation) (स्प्रिंकलर सिंचाई, पाइप, पंप और घूमने वाले नोजल (Nozzles) की एक प्रणाली का उपयोग करके फसलों या वनस्पतियों पर कृत्रिम रूप से पानी वितरित करने की एक विधि है, जिसके तहत प्राकृतिक वर्षा की नकल करते हुए नियंत्रित तरीके से पानी का छिड़काव किया जाता है।) का उपयोग किया। ऐसे में सरकार की मदद और बड़ी कंपनियों के नए उपायों से बाजार और भी बेहतर होता जा रहा है। शोध और आंकड़े बताते हैं कि भारतीय सूक्ष्म सिंचाई के बाजार में महाराष्ट्र सबसे आगे है। महाराष्ट्र सरकार अगले पांच वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई के लिए और भी अधिक धनराशि निवेश करना चाहती है। यहाँ के किसान पानी की अधिक आवश्यकता वाले गन्ने और केले के अलावा अन्य फसलों के लिए भी सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करना चाहते हैं। महाराष्ट्र में सूक्ष्म सिंचाई की योजना की लागत 653.33 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार इसमें से 400 करोड़ रुपये देती है, जबकि राज्य 253.33 करोड़ रुपये का निवेश करता है। 2021 में, महाराष्ट्र में लगभग 12.9 हजार हेक्टेयर भूमि में सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग किया गया, जिसमें 6.1 हजार हेक्टेयर में ड्रिप प्रणाली का उपयोग किया गया और 6.8 हजार हेक्टेयर में स्प्रिंकलर का उपयोग किया गया। स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई विधियां 40% कम पानी का उपयोग करती हैं, और ड्रिप सिस्टम पारंपरिक सिंचाई की तुलना में लगभग 40-60% कम पानी का उपयोग करते हैं। इससे फसल उत्पादन में भी 40-50% की वृद्धि होती है। सूक्ष्म सिंचाई से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि यह खरपतवार की वृद्धि और मिट्टी के कटाव जैसी अन्य समस्याओं के प्रति भी प्रभावशाली होती है। साथ ही, यह पानी पंप करने के लिए शारीरिक श्रम और बिजली की आवश्यकता को भी कम करती है। इन सभी लाभों को ध्यान में रखते हुए सरकार भी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा दे रही है।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत, हमारे जौनपुर के किसानों को भी सरकार द्वारा कृषि, औद्यानिक व गन्ना फसलों की सिंचाई के लिए ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर पर अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को 90 फीसद व अन्य किसानों को 80 फीसद अनुदान की व्यवस्था की गई है। पोर्टेबल स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए क्रमशः 75 व 65 फीसद सहायता अनुमन्य है। इस अनुदान का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी के पास खतौनी, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति होनी आवश्यक है। अनुदान का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी पासपोर्ट साइज फोटो (Passport Size Photo) के साथ किसी भी जनसेवा केंद्र पर जाकर उद्यान विभाग की बेवसाइट (Dbtdatahorticulture.Gov.In) पर पंजीकरण करा सकते हैं। जैसा कि हमने अभी पढ़ा कि नजदीकी आपूर्तिकर्ताओं की कमी के कारण इच्छुक किसानों के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्राप्त करना कठिन हो जाता है, लेकिन आपकी सुविधा के लिए-
जौनपुर में शीर्ष ड्रिप सिंचाई प्रणाली डीलरों की सूची निम्नवत दी गई है:
अग्रवाल ट्यूबवेल कंपनी, मलदहिया रोड वाराणसी

#+91 9453048801 / 9793105580
सुनील एग्रो एंड इरीगेशन सिस्टम, आजमगढ़ सिधारी
# 09115597175


संदर्भ
https://tinyurl.com/yut4udus
https://tinyurl.com/24s3vd8e
https://tinyurl.com/2de479vk
https://tinyurl.com/f498ta2n
https://tinyurl.com/2x4tnub4
https://tinyurl.com/yn4ufu4y
https://tinyurl.com/2r2ru5sh
https://tinyurl.com/3ru5jhk9
https://tinyurl.com/2p8dps4h

चित्र संदर्भ
1. ड्रिप सिंचाई प्रणाली की जाँच करते एक किसान को दर्शाता चित्रण (Flickr)
2. चेरी टमाटरों के ठीक बगल में दबी हुई ड्रिप लाइन को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. ड्रिप सिंचाई के दौरान बढ़ते पोंधों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. सिंचाई ड्रिपर, को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. बटन ड्रिपर को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. गोभी के खेत में ड्रिप लाइन को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. ड्रिप सिंचाई प्रणाली की जाँच को दर्शाता चित्रण (hippopx)
8. स्प्रिंकलर सिंचाई को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
9. खेत में ड्रिप सिंचाई पाइप लगाने में मदद करती महिला को दर्शाता चित्रण (Flickr)
10. ड्रिप सिंचाई के लिए पंप सेट करते किसान को दर्शाता चित्रण (Flickr)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.