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जैसे कि हम जानते ही हैं, जलेबी एक मीठा व्यंजन है। यह दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और मॉरीशस(Mauritius) में काफ़ी लोकप्रिय है। यह व्यंजन जिलापी, ज़ेलेपी, जिलेबी, जिलिपि, ज़ुल्बिया, जेरी, मुशाबक, ज़्लाबिया, ज़ेंगौला या ज़लाबिया आदि कई नामों से भी प्रख्यात हैं। दक्षिण एशिया में हमारी पसंदीदा जलेबी, मैदा, या आटे के घोल को गोलाकार में तलकर बनाई जाती है। बाद में इसे चीनी की चाशनी में भिगोया जाता है। जलेबी को दही या रबड़ी(विशेषतः उत्तर भारत में) के साथ अथवा केवड़ा जैसे अन्य वैकल्पिक ज़ायके के साथ खाया जाता है। कुछ पश्चिम एशियाई व्यंजनों में, जलेबी बनाते समय, खमीर के आटे को तला जाता है और फिर शहद अथवा गुलाब जल की चाशनी में भिगोया जाता है।
एक जैन लेखक जिनासुर द्वारा लगभग 1450 ईसा पूर्व में लिखी गई एक रचना में एक शानदार भोजन के संदर्भ में जलेबी का उल्लेख किया गया है। गुण्यगुणबोधिनी, जो कि 1600 ईसा पूर्व से पहले रचित एक संस्कृत किताब है, में भी एक पकवान की सामग्री और विधि को सूचीबद्ध किया गया है; जो आधुनिक समय में जलेबी तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाली पाकविधि के समान हैं। एक भारतीय राजदूत नगमामलिक के अनुसार, जलेबी की उत्पत्ति तुर्की(Turkey) में हुई होगी और फिर भारत में प्रसिद्ध होने से पहले, इसने ट्यूनीशिया(Tunisia) में नाम दर्ज कर दिया होगा। कुछ अन्य विशेषज्ञों का दावा है कि, इसे अब्बासिद ख़लीफ़ा हारूनअल-रशीद एवं अब्दुर्रहमानइब्नू नफ़ा ज़िरियाब के शासनकाल के दौरान किसी संगीतकार द्वारा बनाया गया था, जो लंबे समय के लिए ट्यूनीशिया में रहे थे।
जबकि, हमारे देश भारत में माना जाता है कि, खोया या मावा से बनी जलेबी का आविष्कार 1889 में जबलपुर में हरप्रसाद बड़कुल ने किया था।
परंतु, स्वादिष्ट जलेबी के विश्व के विभिन्न हिस्सों एवं सदियों में भी पदचिन्ह रहे है। आइए जानते हैं। ज़लाबिया एक पकौड़ा या डोनट(Doughnut) होता है जो अरब क्षेत्र, पश्चिम एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कई व्यंजनों में पाया जाता है। यह अरब क्षेत्र में काफ़ी प्रसिद्ध है।यह अरबी भाषा का ही एक शब्द है। ज़लाबिया को गेहूं के आटे के अर्ध–पतले घोल से बनाया जाता है, जिसे गर्म तेल में डालकर अच्छी तरह से तला जाता है। हमें इस व्यंजन का सबसे पहली ज्ञात पाकविधि, 10वीं शताब्दी में प्रकाशित अरबी पाककला की एक किताब में मिलती है।तब इसे मूल रूप से, नारियल के एक शैल के माध्यम से घोल डालकर बनाया जाता था।
दूसरी ओर, पकौड़ा भारतीय उपमहाद्वीप अर्थात भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल एवं बांग्लादेश जैसे देशों में बहुत आम है। हालांकि, मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ़्रीकी क्षेत्रों में इसे विभिन्न तरीके से बनाया जाता है। इन देशों में भी, वे तेल में तली हुई टिक्की के समान होते हैं।
ज़लाबिया इस व्यंजन–शब्द का उपयोग मिज़राही यहूदियों द्वारा भी किया जाता हैं। वे इसका उपयोग अच्छी तरह से तले हुए, खमीर के आटे के लिए करते है, जिसके ऊपर अक्सर शहद या सिरप(Syrup) डाला जाता है। इस व्यंजन को लाडिनो(Ladino)अर्थात स्पेनिश(Spanish)भाषा में बर्मुएलोस(Burmuelos) के नाम से जाना जाता है।
ज़लाबिया की सबसे पहले ज्ञात पाकविधि अरबी पाककला की इब्नसय्यरअल-वराक द्वारा लिखित किताब ‘किताब अल-तबिख ’में ढूंढी जा सकती है।13वीं सदी में मुहम्मद बिन हसनअल-बगदादी द्वारा लिखित पाककला की एक किताब में भी इसी तरह के व्यंजन का उल्लेख है। पकौड़े की यह शैली, हमारे भारत देश में प्रसिद्ध जलेबी के समान है।साथ ही, यह16वीं शताब्दी में जर्मनी(Germany) में बनाई गई, स्ट्रोबेन(Strauben)नामक व्यंजन की भी एक पाकविधि है।
आमतौर पर, ज़लाबिया मुसलमानों द्वारा रमज़ान के महीने के दौरान, भारत में हिंदूओं द्वारा दिवाली समारोह के दौरान तथा भारतीय ईसाई समुदाय द्वारा ईस्टर(Easter) एवं क्रिसमस के अवसर पर तथा सेफ़र्डिक यहूदियों(Sephardic Jews) द्वारा हनुक्का(Hanukkah)के अवसर पर खाया जाता है।
इसके साथ ही, इमरती भारत की एक अन्य मिठाई है।इसे उड़द के आटे के मिश्रण को एक गोलाकार फूल के आकार में अच्छे से तला जाता है, और फिर चीनी की चाशनी में भिगोकर बनाया जाता है। इमरती भी अमित्ति, अमृति, इमरती, ओम्रित्ती, जहांगीर और जहांगीरी/जांगीरी आदि नामों से प्रसिद्ध हैं। कई लोग इसे जलेबी का ही एक स्वरूप समझते हैं, जबकि इस व्यंजन को जलेबी के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। जलेबी, इमरती की तुलना में पतली और मीठी होती है। भारत में, इमरती काफी लोकप्रिय है। और एक बात तो आपको अलग से बतानी नहीं पड़ेगी, कि हमारा जौनपुर अपनी इमरती के लिए देश भर में मशहूर है।जबकि, इस मिठाई की उत्पत्ति फतेहपुर सीकरी में एक मुगल रसोई में हुई थी।
क्या आप इमरती के उत्पत्ति की कहानी जानते हैं? आइए पढ़ते हैं।शहजादा सलीम उर्फ जहांगीर को मिठाइयों का बहुत शौक था। अतः मुगल रसोइये अपने राजकुमार को खुश करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एक बार सलीम ने साधारण मिठाइयों के अलावा कुछ नवीन मिठाई खाने की मांग की थी।तब रसोइये दुविधा में थे कि, राजकुमार को कौन सी मिठाई पसंद आएगी।
अंततः एक रसोइये को ईरान(Iran) में ज़ुल्बिया नाम से प्रसिद्ध, इमरती जैसी मिठाई याद आ गई। तब, रसोइये ने ज़ुल्बिया की पाकविधि को एक नया मोड़ दिया और इसके मिश्रण में भारतीय उड़द दाल डाली। इस प्रकार मुगल रसोई से प्रसिद्ध इमरती या जहांगीरी की उत्पत्ति हुई।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mae7em8
https://tinyurl.com/2y44mdfu
https://tinyurl.com/vhk5wy86
https://tinyurl.com/4mpvct3h
https://tinyurl.com/3xpjjhw2
https://tinyurl.com/mr2eu5fc
चित्र संदर्भ
1. स्वादिष्ट जलेबी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. गर्म तेल में बन रही जलेबी को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
3. डोनट को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
4. एक दुकान में बिक रही जलेबी को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
5. ज़लाबिया के निर्माण को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
6. इमरती के ढेर को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
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