समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
मानव के बसाव व विकास के साथ जनपद, महाजनपदों आदि का विकास हुआ इसी प्रकार से पूरा प्राचीन भारत 16 महाजनपदों में विभाजित था। वैदिक ग्रंथो के अनुसार आर्य जनजातियाँ जन के रूप में जानी जाती थी जोकि तत्कालीन समय में समाज की सबसे बड़ी इकाई थी। जनपद शब्दावाली जन और पद दो शब्दों से बना था जिनमे जन का अर्थ लोक या कर्ता और पद का अर्थ पैर होता था। तत्कालीन समय में प्रारम्भिक तौर पर जनपद एक ऐसा बृहद स्थान था जहाँ जनपद के पुरुष व्यापारी,कारीगर और कलाकार आदि एकत्रित होते थे जोकि गावों और बस्तियों से घिरा हुआ था. बाद में यही जनपद वैदिक कल में एक बृहद गणराज्य या राज्य के रूप में परिवर्तित हो गए। जनपद के शासक को जनपदिन कहा जाता था। प्राचीन भारतीय ग्रन्थ जैसे अष्टाध्यायी, रामायण, महाभारत और अन्य बहुत से पुराण प्राचीन कल में अनेक गणराज्यो के बारे में उल्लेख करते है। भारतीय उपमहाद्वीप स्पष्ट सीमाओं के साथ कई जनपदो में विभाजित किया गया था। वैदिक ग्रन्थ आंध्र, पुलिंद, सबरस और पुन्दरस के अलावा 9 जनपदों का उल्लेख करते है, हालाँकि छठी शतब्दी ईसा पूर्व पाणिनी ने 22 विभिन्न जनपदों का उल्लेख किया हैं , जिनमे से मगध,अवंती ,कोशल और वत्स जनपद अत्यंत महत्वपूर्ण थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में छठी शताब्दी पूर्व के बाद लोहे के व्यापक इस्तेमाल ने वृहद् तौर पर क्षेत्रीय राज्यों के उद्भव की परिस्थितियों को जन्म दिया। इस विकास के साथ ही ये जनपद अत्यधिक शक्तिशाली होते गए।छठी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच जैन और बौद्ध ग्रंथो में 16 महाजनपदो का उल्लेख मिलता है जिनका वर्णन निम्नवत है। 1–सभी महाजनपदो में अंग प्रथम महाजनपद था। इसकी अवस्थिति गंगा के मैदान के आस-पास थी। अथर्ववेद में अंग महाजनपद के कई नामो का उल्लेख मिलता है। अंग महाजनपद वर्तमान बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिलो को सम्मिलित करता थाI इसकी राजधानी चंपा थी। 2- मगध एक शक्तिशाली राज्य था। बिम्बिसार और अजातशत्रु इसके महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राजा थे। यह वर्तमान बिहार के पटना, गया, और शाहाबाद जिलो के कुछ भागो को सम्मिलित किये हुए था। इसकी प्रारम्भिक राजधानी राजगृह थी जोकि बाद में पाटलिपुत्र हो गयी। 3–वज्जियंस या विरिजिस आठ कुलो का संघ था जिनमे वज्जि सबसे मह्त्वपूर्ण थे। वज्जि बुद्ध काल में प्रसिद्ध नृत्यांगना आम्रपाली के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण महाजनपद था।यह बिहार में उत्तरी गंगा के किनारे बसा हुआ थाI इसकी राजधानी वैशाली थी। 4- मल्लो का उल्लेख बौद्ध एवं जैन ग्रंथो में मिलता है। इसका उल्लेख नौ गणराज्यो के अंतर्गत किया गया थाI पूर्वी उत्तर प्रदेश के वर्तमान देवरिया, बस्ती ,गोरखपुर, और सिद्धार्थनगर जिले इसकी सीमा में आते थे। इसकी दो राजधानियां, प्रथम कुशीनगर और दूसरी पावा थी। 5- काशी वाराणसी वर्तमान बनारस क्षेत्र के आस पास अवस्थित था, जोकि उत्तरी एवं दक्षिणी दिशाओ की तरफ से वरुणा और असी नदियों से घिरी हुई थी। इसकी राजधानी वाराणसी थी। बुद्ध के पहले काशी 16 महाजनपदो में एक शक्तिशाली राज्य था। अलबरूनी और मत्स्य पुराण इसका उल्लेख करते हैं । जौनपुर जिला भी इसी महाजनपद के क्षेत्र में आता था। 6- कोशल मगध के उत्तरी-पश्चिमी भाग में बसा हुआ था। इसकी राजधानी श्रावस्ती थी। वर्तमान पूर्वी उत्तर प्रदेश के फ़ैजाबाद, गोंडा, बहराइच जिले इसकी सीमा के अंतर्गत आते थे। 7- चेदियो की राजधानी शुक्तिमती थी। वर्तमान बुंदेलखंड क्षेत्र इसके अंतर्गत आता था। चेदि में शिशुपाल का शासन था। 8-महाजनपदो की सूची में वत्स आर्थिक, वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु था।वर्तमान इलाहाबाद,मिर्जापुर जिले इसकी सीमा के अंतर्गत शामिल थे। इसकी राजधानी कौशाम्भी थी। 9- कुरु महाजनपद पुरू-भरत परिवार से सम्बंधित था। ये वे लोग थे जिनका उद्भव कुरुक्षेत्र (वर्तमान हरियाणा और दिल्ली) में हुआ था। इनकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली ) थी। ऐसा विश्वास किया जाता है की छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आस-पास वे सरकार के गणतान्त्रिक स्वरूप में परिवर्तित हो गए। 10- वर्तमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर यमुना नदी के पूर्वी भाग और कोशल जनपद तक का इलाका पंचालो के अंतर्गत आता था। पांचाल दो भागो उत्तरी पांचाल और दक्षिणी पांचाल में विभाजित किया गया था। इनकी राजधानी क्रमशः अहिक्षत्र और काम्पिल्य (वर्तमान रोहिलखंड ) थी। 11– शूरसेन धर्म परिवर्तन के सन्दर्भ में प्रमुख प्रत्यक्षदर्शी महाजनपद थाI शूरशेनो की राजधानी मथुरा (वर्तमान वृजमंडल ) थी।शुरू में यहाँ पर भगवान कृष्ण की पूजा होती थी लेकिन बाद में बुद्ध की पूजा होने लगी। 12-यह कुरू महाजनपद के दक्षिण और यमुना नदी के पश्चिम में अवस्थित था।वर्तमान राजस्थान का अलवर,भरतपुर और जयपुर का क्षेत्र इसके अंतर्गत आता था।पालि ग्रंथो के अनुसार मत्स्यो का सम्बन्ध शुरसेनो के साथ था। इसकी राजधानी विराटनगर (वर्तमान जयपुर) थी। 13- अवन्ती पश्चिमी भारत(वर्तमान मालवा) में स्थित था। इसकी राजधानी उज्जैनी और महिष्मती थी।इस राज्य ने काफी वृहद् स्तर पर बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया था। 14- यह दक्षिणी भारत में नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित था। इसकी राजधानी पोतन थी। 15-गंधार का उल्लेख अथर्ववेद में किया गया था। यह राज्य युद्ध कला में प्रशिक्षित राज्य था। इस राज्य के अंतर्गत पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी अफगानिस्तान के भाग शामिल थे। इसकी राजधानी तक्षशिला (वर्तमान रावलपिंडी) थी। 16-कम्बोज हिन्दुकुश वर्तमान पाकिस्तान का हजारा जिला पर्वतमाला के आस-पास बसा हुआ था। इसका उल्लेख महान ग्रन्थ महाभारत में मिलता है। 1- ए हिस्ट्री ऑफ एन्सियन्ट एण्ड अर्ली मेडिवल इंडियाः फ्रॉम स्टोन एज टू 12थ सेन्चुरी सी.ई., उपेन्दर सिंह
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.