बकमिन्स्टर फुलर: 20वीं सदी के सबसे अनोखे आविष्कारक और दूरदर्शी

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25-07-2023 09:39 AM
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 बकमिन्स्टर फुलर: 20वीं सदी के सबसे अनोखे आविष्कारक और दूरदर्शी

यदि आपके द्वारा दी जा रही कोई सेवा अथवा कोई आविष्कार आम लोगों के जीवन को आसान तथा रोमांचक बना रहा है, अथवा उनके समय और पैसे की बचत कर रहा है, तो आपको या आपके बिज़नेस (Business) को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। दुनिया के महानतम आविष्कारकों और श्रेष्ठतम कला डिज़ाइनरों (Designers) में से एक बकमिन्स्टर फुलर (Buckminster Fuller) की अपार सफलता और लोकप्रियता को इस सिद्धांत का जीता-जागता उदाहरण माना जाता है। भारत में भी उनके कुछ बेहद शानदार कामों को सराहा जाता है।
आर. बकमिन्स्टर फुलर 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध, लेखक, दार्शनिक, आविष्कारक और दूरदर्शी व्यक्तियों में से एक माने जाते थे। उनका जन्म 12 जुलाई, 1895 को मिल्टन मैसाचुसेट्स (Milton, Massachusetts) में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन इस दुनिया को सभी के लिए बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर दिया। फुलर एक व्यावहारिक दार्शनिक की तरह थे, क्योंकि उन्होंने अपने विचारों को आविष्कारों में बदल दिया, जिन्हें वे "कलाकृतियां" कहते थे। फुलर के व्यक्तित्व को जो चीज़ अनोखा बनाती थी, वह यह थी कि उन्होंने केवल एक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित नहीं किया। बल्कि, इसके बजाय, उन्होंने आवास, परिवहन, शिक्षा, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे, कई क्षेत्रों में समस्या समाधानकर्ता के रूप में काम किया। उन्होंने हमारे ग्रह को "स्पेसशिप अर्थ (Spaceship Earth) " की संज्ञा प्रदान की। वह गरीबी और पारिस्थितिक विनाश जैसे वैश्विक मुद्दों को भी सुलझाना चाहते थे। उनका मानना था कि हम गरीबी और भूख जैसी वैश्विक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि वर्ष 2000 तक गरीबी पर विजय पा ली जायेगी और उनकी यह भविष्यवाणी कुछ हद तक सच भी हुई। फुलर भी नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable energy) के शुरुआती समर्थक थे, उन्होंने दिखाया कि हम हानिकारक जीवाश्म ईंधन या परमाणु ऊर्जा का उपयोग किए बिना भी सभी के लिए पर्याप्त ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। फुलर ने अपने पूरे जीवन में आविष्कारों के कुल 28 पेटेंट (Patent) हासिल किए, 28 किताबें लिखी और 47 मानद उपाधियां भी प्राप्त कीं। उनके पास "विश्व संसाधनों, मानव रुझानों और आवश्यकताओं की सूची ("Inventory Of World Resources, Human Trends And Needs")" नामक एक विशेष स्थान था, जहां उन्होंने दुनिया भर में अपने शोध से जानकारी एकत्र की। 1930 के दशक में, उन्होंने इस डेटा (Data) का उपयोग हमारे भविष्य के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और सटीक भविष्यवाणियां करने के लिए किया था। उनके कार्यों ने (Tom Peters), जॉन नेस्बिट(John Naisbitt) और एल्विन टॉफलर (Alvin Toffler) जैसे कई आधुनिक विचारकों को भी प्रभावित किया। फुलर ने "डायमैक्सियन™ मैप" (Dymaxion™ Map")भी विकसित किया, जो एक अनूठा मानचित्र था, जो दुनिया के संसाधनों और जनसंख्या को सटीक रूप से दिखा सकता था। फुलर के विचारों का समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। उन्होंने "सिनर्जी" (Synergy) शब्द और इंटरैक्टिव सिस्टम(Interactive Systems) में इस शब्द के महत्व के बारे में भी बताया। फुलर भले ही कॉलेज (College) नहीं गए, लेकिन अपने काम के लिए उन्हें कई मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) और पुरस्कार प्रदान किए गए। उनके विचार विश्व स्तर पर फैले और उनका प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर देखा जा सकता है।
एक जियोडेसिक (Geodesic) गुंबद उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से मानी जाती है, जिसे पूरी दुनिया में 300,000 से अधिक बार बनाया गया है। यह एक मजबूत और लागत प्रभावी संरचना मानी जाती है। इन गुंबदों का उपयोग दुनिया भर में सैन्य आश्रयों और प्रमुख प्रदर्शनियों सहित विभिन्न स्थानों में किया जाता है। बकमिन्स्टर फुलर, महात्मा गांधी की बहुत प्रशंसा करते थे और उन्होंने 1958 में पहली बार भारत का दौरा भी किया, जिसमें उन्होंने नई दिल्ली में तीन व्याख्यान दिए। इन व्याख्यानों के दौरान, उनकी भेंट इंदिरा गांधी जी से भी हुई, जो उनके द्वारा दिखाए गए मॉडल (Model) के बारे में जानने के लिए उत्सुक थीं।
इंदिरा गांधी, फुलर के विचारों और दूरदर्शिता से बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने उन्हें उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने के लिए आमंत्रित किया। नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों ने फुलर के विचारों की खूब सराहना की। पुपुल जयकर द्वारा लिखित श्रीमती गांधी की जीवनी में, यह उल्लेख किया गया है कि, फुलर एक दूरदर्शी और रहस्यवादी थे। दोनों नेताओं ने उनके जियोडेसिक गुंबद के आविष्कार और पृथ्वी पर संसाधनों का बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करने के विचार की खूब तारीफ की। भारत यात्रा के दौरान, फुलर ने बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज (Bengal Engineering College), जिसे अब भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, शिवपुर, पश्चिम बंगाल के रूप में जाना जाता है, के परिसर में एक जियोडेसिक संरचना के निर्माण में भी मदद की। बकमिन्स्टर फुलर के काम से प्रेरित होकर, गिरा साराभाई और गौतम साराभाई ने अहमदाबाद, गुजरात में भी केलिको डोम (Calico Dome),केलिको-शॉप डोम (Calico-Shop Dome) नामक एक इमारत बनाई। यह एक गुंबद के आकार की संरचना थी, जिसका उपयोग केलिको मिल्स (Calico Mills) के लिए एक शोरूम (Showroom) और दुकान के रूप में किया गया था। इसे 1963 में खोला गया था। यह इमारत अहमदाबाद में पहले फैशन शो (Fashion Show) की मेजबानी के लिए प्रसिद्ध हो गई। प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री परवीन बाबी ने भी वहां शो में भाग लिया। अफसोस की बात है कि 1990 के दशक में केलिको मिल्स बंद हो गई और गुंबद जर्जर हो गया। 2001 में, एक भूकंप के कारण गुंबद का एक हिस्सा ढह गया, और भारी बारिश ने भी इसकी भूमिगत संरचना को भारी नुकसान पहुंचाया। आखिरकार, पूरा गुंबद ढह गया। हालांकि, कुछ सालों के बाद 2013 में फिर से गुंबद का जीर्णोद्धार शुरू हुआ। लेकिन, अगस्त 2019 तक भी इसकी पुनर्स्थापना प्रक्रिया पूरी न हो सकी।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2p8r93ee
https://tinyurl.com/2c9ftd9e
https://tinyurl.com/2vbnwwfk
https://tinyurl.com/4v4bhdar
https://tinyurl.com/52vev8bx
https://tinyurl.com/45e964p4
https://tinyurl.com/nr72xbxw

चित्र संदर्भ
1. बकमिन्स्टर फुलर और उनकी रचना टेरे डेस होम्स को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. अपने गुंबददार शहर डिज़ाइन के साथ आर. बकमिन्स्टर फ़ुलर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. फुलर ने "डायमैक्सियन™ मैप" (Dymaxion™ Map")भी विकसित किया, जो एक अनूठा मानचित्र था, जो दुनिया के संसाधनों और जनसंख्या को सटीक रूप से दिखा सकता था। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. जियोडेसिक गुंबद को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. जियोडेसिक गुंबद की जटिल डिज़ाइन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. केलिको डोम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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