समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 24- Aug-2023 31st | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
3425 | 583 | 4008 |
क्या आपने हाल ही में प्रमोचित किए गए चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के बारे में पढ़ते या सुनते हुए, ‘पेलोड’ (Payload) शब्द के बारे में सुना है? दरअसल, किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए उपग्रह (Satellite) पर ले जाए जाने वाले वैज्ञानिक या तकनीकी उपकरण को पेलोड कहा जाता है। पेलोड अपने उद्देश्य, आकार, संरचना, क्षमताओं आदि में भिन्न–भिन्न होते हैं। सरल अर्थ में, पेलोड वह वस्तु या इकाई होती है, जिसे किसी विमान या प्रक्षेपण वाहन (Launch vehicle) द्वारा ले जाया जाता है।
कभी-कभी पेलोड का तात्पर्य किसी विमान या प्रक्षेपण वाहन की वहन क्षमता से भी होता है; जिसे आमतौर पर वजन के संदर्भ में मापा जाता है। उड़ान या विशिष्ट मिशन (Mission) की प्रकृति के आधार पर, एक वाहन के पेलोड में विशेष कार्गो (Cargo), यात्री, उड़ान हेतु चालक दल, युद्ध सामग्री, वैज्ञानिक उपकरण अथवा कुछ अन्य उपकरण शामिल हो सकते हैं। जब हवाई जहाज पर कभी–कभी वैकल्पिक रूप से अतिरिक्त ईंधन ले जाया जाता है, तो उसे भी पेलोड का हिस्सा माना जाता है।
एक रॉकेट (Rocket) में पेलोड एक उपग्रह, अंतरिक्ष अनुसंधान यान (Space Probe) अथवा मनुष्यों, जानवरों या विशेष सामान को ले जाने वाला अंतरिक्ष यान हो सकता है। किसी बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic missile) में पेलोड एक या अधिक हथियार तथा संबंधित प्रणालियां हो सकती हैं।
हमारे देश में, ‘अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र’ (Space Applications Centre (SAC) संचार और नेविगेशन (Navigation) उपग्रहों के लिए पेलोड के डिजाइन (Design) और विकास का अग्रणी केंद्र है। भारत के पहले प्रायोगिक संचार उपग्रह ‘ऐप्पल’ (APPLE) की डिज़ाइन, निर्मिति और योग्यता इसी केंद्र में जांची गई थी। ‘एरियन’ (Arian) की पहली प्रायोगिक उड़ान के दौरान इसका प्रमोचन (Launch) किया गया था। तब से इस केंद्र ने संचार पेलोड के डिजाइन और विकास में काफ़ी क्षमता विकसित की है।
अपनी स्थापना के तुरंत बाद ही, अनुप्रयोग केंद्र द्वारा भास्कर-1 (Bhaskara-1) और भास्कर-2 (Bhaskara-2) के लिए भी पेलोड का विकास करना शुरू कर दिया गया था। भास्कर–1 एक छोटा उपग्रह था, जिसका वजन लगभग 450 किलोग्राम था। इसने लाल (Red) और निकट अवरक्त वर्णक्रमीय क्षेत्रों (Near Infrared spectral regions) में काम करने वाले दो टीवी कैमरों (TV cameras) के साथ उड़ान भरी थी।
दूसरी ओर, ‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम’ (Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) पर सैटेलाइट नेविगेशन पेलोड तैनात हैं। आईआरएनएसएस जिईओ (GEO) और जीएसओ (Geosynchronous Orbit (GSO) अंतरिक्ष यान के संयोजन का उपयोग करके, क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली की स्थापना की परिकल्पना करता है। इस प्रणाली से हमारे देश भारत और इसके चारों ओर लगभग 1,500 किलोमीटर तक फैले क्षेत्र में, 20 मीटर से बेहतर स्थिति सटीकता प्रदान करने की उम्मीद की जा सकती है।
आइए अब चंद्रयान मिशन पर प्रमोचित पेलोड के बारे में जानते हैं-
• चंद्रयान-1
– भारत में निर्मित वैज्ञानिक पेलोड
1. भूभाग मानचित्रण कैमरा (Terrain Mapping Camera (TMC)
2. हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजर (Hyper Spectral Imager (HSI)
3. लूनर लेजर रेंजिंग उपकरण (Lunar Laser Ranging Instrument (LLRI)
4. उच्च ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (High Energy X – ray Spectrometer (HEX)
5. मून इंपैक्ट प्रोब (Moon Impact Probe (MIP)
– विदेशों में निर्मित वैज्ञानिक पेलोड
1. चंद्रयान-I एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Chandrayaan-I X-ray Spectrometer (CIXS)
2. नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (Near Infrared Spectrometer (SIR-2)
3. सब केवी एटम रिफ्लेक्टिंग एनालाइज़र (Sub keV Atom Reflecting Analyzer (SARA)
4. मिनी सिंथेटिक एपर्चर रडार (Miniature Synthetic Aperature Radar (Mini SAR)
5. मून मिनरलॉजी मैपर (Moon Mineralogy Mapper (M-3)
6. रेडिएशन डोज मॉनिटर (Radiation Dose Monitor (RADOM)
• चंद्रयान-2
चेस–2 (Chace-2)
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर (Orbiter) पर, चंद्रास् वायुमंडलीय संरचना एक्सप्लोरर-2 (CHACE-2– CHandra’s Atmospheric Composition Explorer-2) प्रयोग का उद्देश्य 1-300 एएमयू (AMU) द्रव्यमान सीमा में चांद के न्यूट्रल एक्सोस्फीयर (Neutral exosphere) की संरचना का अध्ययन करना था। इस पेलोड के अवलोकन चांद के बाह्यमंडल या एक्सोस्फीयर की स्थानिक और लौकिक विविधताओं को संबोधित करेंगे और इसमें जल वाष्प के साथ-साथ कुछ प्रजातियों के अस्तित्व भी जांच करेंगे।
रंभा-डीएफआरएस (RAMBHA-DFRS)-
रंभा-डीएफआरएस (The Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive Atmosphere and Ionosphere – Dual Frequency Radio Experiment (RAMBHA-DFRS) प्रयोग चंद्रयान-II पर चांद के आयनमंडल में इलेक्ट्रॉन (Electron) घनत्व के अस्थायी विकास का अध्ययन करने हेतु रेडियो ऑकल्टेशन मोड (Radio Occultation mode) में ऑर्बिटर और पृथ्वी के बीच संचार चैनल (Channel) का उपयोग करता है।
• चंद्रयान-3 (CHANDRAYAAN-3)-
चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग (landing) और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करता है। चंद्रयान-3 में लैंडर (Lander) और रोवर (Rover) की व्यवस्था शामिल है। और लैंडर एवं रोवर दोनों पर विभिन्न पेलोड है। प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion module) के द्वारा लैंडर और रोवर को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाया जा सकता है। प्रोपल्शन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए ‘रहने योग्य ग्रह पृथ्वी पेलोड का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री’ (Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth (SHAPE) मौजूद है।
लैंडर पेलोड (Lander Payload)-
तापीय वाहकता और तापमान को मापने के लिए, चंद्र की सतह थर्मोफिजिकल प्रयोग (ChaSTE–Chandra’s Surface Thermophysical Experiment) पेलोड इसमें शामिल है। लैंडिंग स्थल (Landing site) के आस-पास भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (Instrument for Lunar Seismic Activity (ILSA) भी इसमें शामिल है। प्लाज्मा (Plasma) घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लैंगमुइर अनुसंधान यान (Langmuir Probe (LP) भी चंद्रयान 3 में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, नासा के एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (Laser Retroreflector Array) को चंद्र के लेजर रेंजिंग (Lunar laser ranging) अध्ययन के लिए चंद्रयान 3 में समायोजित किया गया है।
रोवर पेलोड (Rover Payload)-
लैंडिंग स्थल के आसपास मौलिक संरचना का अध्ययन करने हेतु, अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-ray Spectrometer (APXS) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) पेलोड रोवर में शामिल किए गए हैं।
जबकि, चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (Lander Module (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module (PM) और एक रोवर शामिल है। इसका उद्देश्य, अंतर ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित और प्रदर्शित करना है।
अतः यह सर्वज्ञात है कि चंद्रयान 3 जैसे अंतरिक्ष मिशनों को विभिन्न पेलोड (Payload) ही खास एवं कार्य सक्षम बनाते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/38c24z45
https://tinyurl.com/bdczbxrk
https://tinyurl.com/mre7ry8s
चित्र संदर्भ
1. इसरो की पेलोड प्रणाली को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. जीसैट-6ए के साथ पेलोड फेयरिंग को एकीकृत किया जा रहा है, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय वाहक रॉकेटों की तुलना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पीएसएलवी सी11 चंद्रयान-1 ले जा रहा है, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. चंद्रयान-2 को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रयान-3 के एनीमेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. लैंडर पेलोड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. रोवर पेलोड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.