जौनपुर में जलवायु-स्मार्ट गांव बनने से यहां के किसान भी हो जाएंगे स्मार्ट!

भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)
30-06-2023 09:37 AM
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जौनपुर में जलवायु-स्मार्ट गांव बनने से यहां के किसान भी हो जाएंगे स्मार्ट!

आपने स्मार्ट सिटी (Smart City) शब्द तो सुना ही होगा! लेकिन अब धीरे-धीरे, ‘स्मार्ट विलेज’ (Smart Village) अर्थात “आधुनिक गांव” शब्द भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। दरअसल, 2011 में अफ्रीका से शुरू हुई ‘अंतरराष्ट्रीय ग्राम उत्थान’ (International Village Upliftment) नामक एक परियोजना के दायरे में अब उत्तर प्रदेश के 39 जिले भी आ गए हैं। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि इन चुनिंदा जिलों में से, एक जिला हमारा जौनपुर भी है। चलिए जानते हैं कि इस परियोजना के सफल हो जाने पर आपको जौनपुर में क्या-क्या बदलाव दिख सकते हैं?
उत्तर प्रदेश के 39 चयनित गांवों (जिनमें से जौनपुर भी एक है) के किसानों को जल्द ही समय पर मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी व्यक्तिगत रूप से उनके मोबाइल पर मिलने लगेगी, जिससे उन्हें अपनी फसलों को भारी बारिश और ओलावृष्टि जैसी विषम स्थिति से बचाने में मदद मिलेगी। अफ्रीका से शुरू हुई ‘अंतरराष्ट्रीय ग्राम उत्थान’ नामक एक परियोजना के तहत देश के विभिन्न गांवों को ‘जलवायु-स्मार्ट गांवों’ (Climate-Smart Village (CSV) में परिवर्तित किया जा रहा है। इन गांवों की स्थापना का प्रमुख लक्ष्य छोटे किसानों को स्थिर खाद्य आपूर्ति और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए अपनी कृषि पद्धतियों को अनुकूलित करने में मदद करना है। इसके साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse Gas Emissions) को कम करना और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना भी इन गावों की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य है। जलवायु-स्मार्ट विलेज या संक्षेप में सीएसवी (CSV) योजना जलवायु परिवर्तन, कृषि और खाद्य सुरक्षा (Climate Change, Agriculture And Food Security (CCAFS) पर अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर सलाहकार समूह (Consultative Group on International Agricultural Research (CGIAR) के अनुसंधान कार्यक्रम के रूप में शुरू की गई एक परियोजना है। यह परियोजना 2011 में पश्चिम अफ्रीका (West Africa), पूर्वी अफ्रीका (East Africa) और दक्षिण एशिया (South Asia) में 15 गावों के साथ शुरू हुई और तब से इसका विस्तार लैटिन अमेरिका (Latin America) और दक्षिण पूर्व एशिया में किया जा चुका है।
इस परियोजना के लिए गांवों का चयन स्थानीय समुदायों के साथ-साथ मौजूदा संबंधों और जलवायु परिवर्तन के प्रति उनकी संवेदनशीलता के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक सीएसवी में एक संचालन समूह होता है जिसमें गांव से संबंधित समुदाय के प्रतिनिधि और शोधकर्ता शामिल होते हैं। वे सभी एक साथ मिलकर, अपने विशिष्ट गांव के लिए उपयुक्त जलवायु-स्मार्ट विकल्पों की पहचान करते हैं। इन विकल्पों में जलवायु-स्मार्ट प्रौद्योगिकियों (Climate-Smart Technologies) को अपनाना, जलवायु सूचना सेवाओं तक पहुंच, स्थानीय अनुकूलन योजनाओं का विकास और समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप सहायक संस्थानों और नीतियों की स्थापना आदि करना शामिल हो सकता है। सीएसवी के भीतर निर्णय लेने की प्रक्रिया सहभागी और समावेशी होती है, अर्थात इसके तहत महिलाओं और कमजोर समूहों को आगे करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इन समुदायों का समर्थन करने के लिए स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups, SHG) बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, केन्या (Kenya) में, जलवायु-स्मार्ट गांवों में 1,100 से अधिक परिवार स्वयं सहायता समूहों में शामिल हो गए हैं, जिनमें अधिकांश सक्रिय सदस्य महिलाएं हैं।
सीएसवी में अन्य गतिविधियां प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर केंद्रित हैं। उदाहरण के तौर पर, बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में अतिरिक्त पानी को शीघ्रता से निकालने के लिए नई जल निकासी तकनीकों को नियोजित किया जाता है, जबकि सूखे क्षेत्रों में, जल संसाधनों के संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जाता है। साथ ही इन गावों में मृदा कार्बन प्रबंधन को बढ़ाने, उर्वरक अनुप्रयोग को अनुकूलित करने और ऊर्जा-कुशल मशीनरी को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं। सीएसवी के तहत खेती को अधिक जलवायु-स्मार्ट बनाने के लिए विभिन्न तरीकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता हैं। उदाहरण के तौर पर, हरियाणा में किसान लेजर-भूमि समतलन (Laser-Land Leveling) और चावल को वैकल्पिक रूप से गीला करने और सुखाने जैसी प्रथाओं का उपयोग कर रहे हैं। इन प्रथाओं ने किसानों की पानी बचाने, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने और अधिक पैसा कमाने में काफी मदद की है। साथ ही किसानों को अपने मोबाइल फोन पर विशेषज्ञों और अन्य किसानों से सलाह भी मिलती है, जिससे उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है। हरियाणा में जलवायु-स्मार्ट गांव परियोजना की सफलता ने सरकार को राज्य में 500 और जलवायु-स्मार्ट गांव बनाने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू करने के लिए भी प्रेरित किया है। हरियाणा में कृषि विभाग इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेगा और जलवायु-स्मार्ट गांव का समर्थन करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में निवेश करेगा। जलवायु-स्मार्ट गांव भारत के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं, और पांच अन्य राज्यों में भी भूमि के बड़े क्षेत्र को कवर करने वाली इसी तरह की परियोजनाओं के प्रस्ताव दिए गए हैं। ये राज्य जलवायु परिवर्तन के उच्च जोखिम से घिरे हैं। नीचे जलवायु-स्मार्ट गांव से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
१. सीएसवी जलवायु-स्मार्ट कृषि को व्यवहार में लाने का एक शानदार तरीका है।
२. हरियाणा में चावल और गेहूं उगाने के लिए 500 नए सीएसवी बनाए जाएंगे।
३. इस पहल के तहत मौसम पूर्वानुमान के अलावा किसानों को कम पानी में उगने वाली फसलों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
४. किसानों को ऐसी फसलें उगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीली हों। जलवायु-स्मार्ट गांव, जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भागीदारी निभाएंगे। इन गांवों की विशेषताओं में कार्बन उत्सर्जन को कम करना, पानी का संरक्षण करना, ग्रामीण स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करना और बेहतर पैदावार के लिए फसल की किस्मों को बदलना आदि शामिल है। यह पहल गांवों में ऊर्जा संरक्षण और सौर ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा देगी। परियोजना में शामिल गांवों में सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जाएगी। उत्पादित बिजली की मात्रा गांव द्वारा खपत की गई कुल बिजली से काट ली जाएगी, और शेष बिजली का बिल ही ग्रामीणों को दिया जाएगा। यह पहल ‘वसुधा फाउंडेशन और गोरखपुरपर्यावरण कार्य समूह’ (Vasudha Foundation And Gorakhpur Environmental Action Group) के साथ साझेदारी में की जा रही है।
जलवायु-स्मार्ट गांव न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगे, बल्कि कार्बन निम्नीकरण में भी योगदान देंगे। किसानों को अपनी भूमि का एक-तिहाई हिस्सा आय-सृजन करने वाले वृक्षारोपण के लिए समर्पित करने या अपने खेतों की सीमाओं पर पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। परियोजना के लिए चयनित जिलों में हमारे जौनपुर के साथ-साथ, बदायूं, मुरादाबाद, शाहजहाँपुर, मथुरा, अलीगढ़, आगरा सहित राज्य के कई अन्य जिले भी शामिल हैं। प्रत्येक जिले में कार्बन उत्सर्जन के उच्च स्तर के आधार पर एक गाँव का चयन किया गया, और जलवायु परिवर्तन पहल के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक आकलन भी किया गया। इस पहल के लिए, 10 गांवों के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ करार भी किया जा चुका है, जहां काम शुरू हो चुका है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4ks5p5ss
https://tinyurl.com/2a4dactm
https://tinyurl.com/yeyrau32

चित्र संदर्भ

1. भारतीय ग्रामीणों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. कंबोडिया में क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज के शुभारंभ को दर्शाता चित्रण (eoimages)
3. ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. एक खेत में लगे सौर ऊर्जा पैनलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. एक भारतीय गांव की साँझ को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)

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