भारत में एआर (AR) और वीआर (VR) बाजार की संभावनाएं तथा इसका भविष्य

संचार एवं संचार यन्त्र
24-06-2023 10:23 AM
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भारत में एआर (AR) और वीआर (VR) बाजार की संभावनाएं तथा इसका भविष्य

आज, उन्नत तकनीक दुनिया भर में काफ़ी प्राधान्य प्राप्त कर रही है। इस प्रवृत्ति के साथ तालमेल रखने हेतु, भारतीय कंपनियां भी अपनी क्षमता और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence (AI), बिग डेटा (Big Data), ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality (AR) और वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality (VR) जैसी उन्नत तकनीकों को अपना रही हैं। एआर तकनीक प्राकृतिक दुनिया के विषय में हमारे दृष्टिकोण पर एक छवि को अधिरोपित करती है और इसे ध्वनि और स्पर्श के माध्यम से बढ़ाती है। जबकि, वीआर तकनीक पूरी तरह से एक कंप्यूटर जनित डिजिटल 3डी (3D) वातावरण होता है। इन दोनों तकनीकों से दृष्टि उपकरणों (Visualisation) के द्वारा जटिल चीज़ों को सरल बनाया जाता है। एआर का अनुभव पाने के लिए एक स्मार्ट डिवाइस (Smart device) और कैमरे (Camera) की आवश्यकता होती है। जबकि, वीआर का अनुभव उचित वीआर हेडसेट (VR headset) के माध्यम से किया जाता है। बाजार अनुसंधान और विश्लेषण सेवाओं की संयुक्त प्रदाता कंपनी ‘स्टेटिस्टा’ (Statista) के अनुसार, 2021 में एआर/वीआर का वैश्विक बाजार मूल्य 28 बिलियन डॉलर (28 Billion Dollar) था। साथ ही कंपनी ने यह भी अनुमान लगाया है कि 2028 तक इसका वैश्विक बाजार मूल्य 250 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत में, एआर/वीआर का उपयोग 2017 में 0.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 75% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर पर बढ़कर 2020 में 1.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। कुछ अनुसंधान और बाजारों के अनुसार, भारत में एआर/वीआर का कुल बाजार मूल्य 2027 तक 38.29% के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ 14.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। एआर/वीआर तकनीक का खुदरा बाजार, शिक्षा, गेमिंग (Gaming) और स्वास्थ्य सेवा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग और इंटरनेट द्वारा संचालित व्यापक संयोजकता तथा इसके उपकरणों की कम लागत के कारण एआर/वीआर हेडसेट का उपयोग बढ़ गया है। वित्त वर्ष 2020 तक भारत के एआर/वीआर खंड में हार्डवेयर (Hardware) खंड की 71% हिस्सेदारी थी; जबकि, उद्यम खंड का एआर/वीआर बाजार में 72% हिस्सा था। इस तकनीक की मोटर वाहन, तेल और गैस, संचालन सेवा तथा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में भी पहुंच है। शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रौद्योगिकी को अपनाने से सीखने की प्रक्रिया को संवादात्मक बनाने में मदद मिलती है और छात्रों को दृश्य प्रस्तुतियों के माध्यम से अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलती है। भारत में, बायजूस (Byju’s) एआर सेवाओं की पेशकश करने वाले एडटेक स्टार्टअप्स (Edtech startups) में से एक है। इस वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में एआर बाजार मूल्य 5.3 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। मिंत्रा (Myntra), आईकीआ (IKEA) और लेंसकार्ट (Lenskart) जैसे खुदरा विक्रेता भी एआर सेवाएं प्रदान करते हैं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, एआर संचालित डायग्नोस्टिक्स (Diagnostics) कोविड वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं, और जटिल शल्य-चिकित्सोपयोगी प्रक्रियाओं के दौरान सहायता प्रदान करते हैं। 2020 में भारत में एआर/वीआर बाजार के माध्यम से 12 बिलियन डॉलर का राजस्व उत्पन्न हुआ था, जिसके 2024 में बढ़कर 72.8 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। वर्तमान में, इस राजस्व में 80% योगदान गेमिंग उद्योग का है। पिछले कुछ वर्षों से, हमारे देश में एआर/वीआर खंड पर ध्यान केंद्रित करके लगभग 260 स्टार्टअप काम कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और वोक्सवैगन (Volkswagen) ने माइक्रोसॉफ्ट के होलोलेंस 2 (HoloLens 2) का उपयोग करके, एआर को कारों में पेश करने हेतु एक साझेदारी की है। माय वैल्यू विजन. कॉम (MyValueVision.com) एआई और एआर/वीआर पर आधारित 100 फ्रेंचाइजी स्टोर (Franchise stores) खोलने की योजना बना रहा है। एआर कंपनी क्रिकी (Krikey) ने रिलायंस जियो (Reliance Jio) के साथ मिलकर भारत में नया एआर गेम ‘यात्रा’ (Yatra) लॉन्च किया है। एक गेमिंग स्टार्टअप ‘बालाआत्रल सॉल्यूशंस’ (BalaAatral Solutions) को, दो रक्षा स्टार्टअप चुनौतियों पर काम करने हेतु देश के रक्षा मंत्रालय से 3 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है। साथ ही, अप्रैल 2022 में, भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने नई दिल्ली में प्रधान मंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया था। टैगबिन (Tagbin) नामक एक स्टार्टअप ने अन्य भागीदारों के साथ, एआर/वीआर जैसी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर 300 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर इस संग्रहालय का डिजिटलीकरण (Digitisation) किया है। हाल ही में, जानी मानी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी ‘ऐप्पल’ (Apple) ने भी ‘विज़न प्रो’ (Vision Pro) नामक अब तक के सबसे महंगे एक एआर हेडसेट का अनावरण किया है। इस हैडसेट की कीमत $3,499 से शुरू होगी, जोकि इस क्षेत्र में वर्चस्व रखने वाले मेटा (Meta) के सबसे महंगे उपकरणों से भी तीन गुना अधिक है। इस उपकरण में आर1 (R1) नामक एक नई चिप (Chip) का उपयोग किया गया है; जो पलक झपकते ही बहुत ही कम समय में ही अपने सेंसर (Sensor) से जानकारी संसाधित करेगा। विजन प्रो के साथ उपयोगकर्ता अपनी आंखों के द्वारा ही, चश्मे के अंदर ही जानकारी का चयन करने में सक्षम होंगे। इस डिवाइस में एक बाहरी डिस्प्ले (Display) भी है, जिससे बाहरी दुनिया के लोगों को उपयोगकर्ता की आंखें दिखेंगी। जब उपयोगकर्ता एआर के जरिए आभासी दुनिया का अनुभव करेंगे, तो बाहरी स्क्रीन काली हो जाएगी। ऐप्पल ने यह भी दिखाया कि कैसे इस हेडसेट को एक ट्रैकपैड (Trackpad) और कीबोर्ड (Keyboard) के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके द्वारा वीडियो (Vedio) और चित्रों को कैप्चर (Capture) करने के लिए त्रि-आयामी कैमरा (three-dimensional camera) और माइक्रोफ़ोन सिस्टम (microphone system) का भी उपयोग किया जा सकता है यह हेडसेट वर्ष 2024 की शुरुआत में अमेरिका में उपलब्ध होगा और 2024 के अंत तक अन्य देशों में भी उपलब्ध होगा। हालांकि जहां एक तरफ वीआर/एआर का बाजार फल फूल रहा है, वहीं दूसरी तरफ, वीआर/एआर बाजार में कुछ कंपनियों द्वारा असफल प्रयास भी हुए है। आइए उन पर एक नजर डालते हैं- • गूगल ग्लास (Google Glass) शुरुआत में जब यह पहली बार बाजार में आया, तो इसे एक साई-फाई हॉलीवुड फिल्म (Sci-fi Hollywood movie) से कम्प्यूटरीकृत, हेड-माउंटेड ऑप्टिकल डिस्प्ले (Headed-mounted optical display) के साथ चश्मे की एक जोड़ी के रूप में देखा गया था, जो दुनिया को उत्साहित करने के लिए पर्याप्त था। लेकिन यह ग्लास आगे चलकर गूगल की सबसे बड़ी असफलता बन गया। 2014 में आम जनता भी इसे खरीदने लगी। हालांकि कई पुनरावृत्तियों और सुधारों के बाद भी, गूगल ग्लास कभी भी एक भरोसेमंद उत्पाद नहीं बन सका। वास्तव में, ग्लास का कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं था। • होलोलेंस (HoloLens) होलोलेंस के आविष्कारक और प्रमुख डेवलपर (Developer) एलेक्स किपमैन (Alex Kipman) ने इसे मिक्सड रियलिटी (Mixed Reality) नामक एक नई तकनीक पर आधारित पूरी तरह से बिना तार वाला पहला होलोग्राफिक कंप्यूटर (Holographic computer) बताया था। यह उपकरण एक दृष्टि उपकरण की तरह लग रहा था। यह डिवाइस उस अनुभव से हमें अवगत कराने में बहुत दूर था, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने मंच पर प्रदर्शित किया था। साथ ही, इसकी ज्यादा कीमत ने भी इसे उपभोक्ता उत्पाद के रूप में तैयार होने से रोक दिया। • मैजिकलीप (MagicLeap) एक समय पर, मैजिकलीप एक अति-प्रचारित, अति-वित्तपोषित स्टार्टअप था, जो संवर्धित वास्तविकता की अवधारणा पर आगे बढ़ना चाहता था, एक ऐसी तकनीक जो वास्तविक दुनिया के शीर्ष पर डिजिटल दुनिया को कवर करती है। किंतु धीरे-धीरे इसकी गुणवत्ता की कमी के कारण यह भी ज्यादा समय तक बाजार में नहीं टिक सका। लीप1 एक ऐसा हेडसेट था; जो न केवल किसी के चेहरे पर अजीब दिखता था, बल्कि इसका कोई उचित उद्देश्य भी नहीं था। आज विनिर्माण, शिक्षा तकनीक, स्वास्थ्य सेवा और खुदरा क्षेत्र में एआर/वीआर की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और जल्द ही यात्रा और पर्यटन, आतिथ्य और मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में भी इसका विस्तार हो सकता है। भविष्य में, एआर/वीआर और एआर-संचालित स्वचालित कारों के साथ एआई जैसी प्रौद्योगिकियों के एकीकरण की भी संभावना है। 5जी (5G) तकनीक अपनाने से मोबाइल नेटवर्क मजबूत होने और डेटा स्पीड (Data speed) में बढ़ोतरी होने के कारण भी एआर/वीआर के उपयोग में वृध्दि होगी। मोबाइल उपकरणों के अलावा वेब ब्राउज़र (Web browsers) के माध्यम से भी एआर तक हमारी पहुँच एक वास्तविकता हो सकती है।

संदर्भ
https://rb.gy/blyid
https://rb.gy/w4cgu
https://rb.gy/5svfh

चित्र संदर्भ
1. वीआर (VR) ग्लास पहनी महिला को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
2. ऑगमेंटेड रियलिटी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. वीआर गेमिंग को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. हेडसेट कंप्यूटर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. विज़न प्रो को दर्शाता चित्रण (Trusted Reviews)
6. गूगल ग्लास को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. होलोलेंस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. मैजिकलीप को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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