हिंदुस्तान यूनिलीवर की भारत के घर-घर में पहुंचने की कहानी

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
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हिंदुस्तान यूनिलीवर की भारत के घर-घर में पहुंचने की कहानी

भारत में आज, शायद ही कोई ऐसा घर या परिवार होगा, जिस घर में हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) का कोई एक उत्पादन मौजूद न हो! इस कंपनी ने बड़ी ही बुद्धिमानी के साथ भारत में लगभग हर वर्ग के लिए कोई न कोई उत्पाद बना दिया। सुबह उठने के बाद पीने के लिए चाय पत्ती से लेकर शाम को बच्चों को सुलाने के लिए डायपर (Diaper) तक इस कंपनी की मौजूदगी भारत के घर-घर में दिखाई देती है। लेकिन हिंदुस्तान यूनिलीवर के भारत के कोने-कोने तक पहुंचने का सफर इतना भी आसान नहीं रहा है। 1888 में लीवर ब्रदर्स (Lever Brothers), नामक एक ब्रिटिश निर्माण कंपनी (British Manufacturing Company), ने सनलाइट साबुन (Sunlight Soap Bar) के साथ पहली बार भारत में ब्रांडेड उपभोक्ता वस्तुओं (Branded Consumer Goods) की शुरुआत की। सनलाइट भारत का सबसे पुराना डिटर्जेंट ब्रांड (Detergent Brand) माना जाता है। लीवर ब्रदर्स कंपनी की शुरुआत, विलियम (William) और जेम्स लीवर (James Lever.) नाम के दो भाइयों ने सन 1885 में की थी। दोनों भाई साबुन बनाने में रुचि रखते थे और उन्हें विलियम वॉटसन (William Watson) नामक एक रसायनज्ञ के साथ मिलकर पशु वसा के बजाय वनस्पति तेलों का उपयोग करके, साबुन बनाने की एक नई तरकीब का ईजाद कर दिया था।
सनलाइट उनके द्वारा बनाया गया पहला साबुन था, और इसके झाग तथा त्वचा को नरम रखने के गुड़ों के कारण यह साबुन खूब पसंद किया गया। इसके बाद दोनों भाइयों का कारोबार तेजी से बढ़ा और देखते ही देखते लीवर ब्रदर्स एक बड़ी स्थापित कंपनी बन गई। लीवर ब्रदर्स ने अपने कर्मचारियों का भी विशेष ध्यान रखा था। सनलाइट साबुन तेजी से लोकप्रिय हो गया, और लीवर की अनूठी पैकेजिंग (Packaging) तथा शुद्धता की गारंटी (Guarantee) ने इसकी लोकप्रियता को कई गुना बड़ा दिया। आज, सनलाइट, यूनिलीवर के सर्वाधिक बिकने वाले उत्पादों में से एक बन गया है और इसे दुनिया भर के उपभोक्ताओं द्वारा खरीदा और उपयोग किया जाता है। भारत, इंडोनेशिया (Indonesia), दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम (Vietnam) और थाईलैंड (Thailand) , जैसे सबसे बड़े बाजारों में इसकी बिक्री में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि सनलाइट को केवल एक सफाई उत्पाद से कहीं अधिक माना जाता है। अपने शुरुआती दिनों से ही इस कंपनी ने महिलाओं के अधिकारों और महिला उद्यमिता का भरपूर समर्थन किया। यूनिलीवर 100% पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक (Recycled Plastic) की बोतलों के उपयोग और उपभोक्ताओं को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को चुनने के लिए प्रेरित भी कर रही है।
सनलाइट के माध्यम से विलियम लीवर दुनियाभर में स्वच्छता की क्रांति लाना चाहते थे। 1895 में, लीवर ब्रदर्स ने संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) के बाजार में कदम रखा और न्यूयॉर्क (New York) शहर में एक छोटा कार्यालय खोला। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स (Cambridge, Massachusetts) में एक साबुन कंपनी खरीदी और वहां साबुन बनाना शुरू किया। थोड़े ही समय में लीवर ब्रदर्स अमेरिका के सबसे बड़े साबुन निर्माताओं में से एक बन गए। 1929 में, लीवर ब्रदर्स का मार्गरीन यूनी (Margarine Uni) नामक एक अन्य कंपनी के साथ विलय हो गया और उन्होंने मिलकर यूनिलीवर नामक एक नई कंपनी बनाई। कुछ ही समय में यूनिलीवर एक बहुत बड़ी कंपनी बन गई और यहां लाखों लोगों को रोजगार मिलने लगा। 1895 से ही, कंपनी के अधिग्रहित लाइफबॉय साबुन (Lifebuoy Soap), पीयर्स (Pears), लक्स (Lux) और विम (Vim) जैसे अन्य प्रसिद्ध ब्रांड, भारतीय बाजार में भी दिखाई देने लगे। इसके बाद 1918 में वनस्पति और 1937 में डालडा (Dalda) भी भारतीय बाजारों में लॉन्च (Launch) कर दिया गया। साल 1931 में यूनिलीवर कंपनी ने भारत में अपनी पहली शाखा शुरू की, जिसे हिंदुस्तान वनस्पति मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (Hindustan Vanaspati Manufacturing Company) नाम दिया गया।
सन 1956 में हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) का गठन किया गया, जिसके साथ ही यह भारतीय जनता को शेयर सर्टिफिकेट (Share Certificate) की पेशकश करने वाली पहली विदेशी कंपनी बन गई। 1900 में ब्रुक बॉन्ड कंपनी (Brooke Bond) भारत में आई और उसने रेड लेबल (Red Label) चाय पेश की। 1947 में पोंड्स कंपनी (Ponds) का भी आगमन यहां पर हो चुका था। बाद में यूनिलीवर द्वारा इन कंपनियों के अधिग्रहण के बाद, ये सभी उत्पाद भी यूनिलीवर में शामिल हो गए। 2007 में कंपनी ने अपना नाम बदलकर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) कर लिया। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए एचयूएल (HUL) ने अच्छी प्रतिक्रिया दी और कई स्मार्ट व्यावसायिक (Smart Business) निर्णय लिए। 1991 में, सरकारी प्रतिबंधों के हटने के बाद कंपनी ने नए-नए उत्पादों और अवसरों की खोज की। इसके बाद उन्होंने अन्य कंपनियों के साथ गठजोड़ और विलय भी किया। आज यह कंपनी लगभग 130 से अधिक वर्षों से भारत में अपने उत्पाद बेच रही है! 1993 में उनका टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (Tata Oil Mills Company) और 1996 में लैक्मे लिमिटेड (Lakmé Limited) के साथ विलय हो गया। इसके बाद एचयूएल ने नेपाल की सीमाओं तक विस्तार किया और वहां एक बड़ा कारखाना बनाया।
1990 के दशक में, कंपनी ने खाद्य और पेय उद्योग में भी महत्वपूर्ण विलय किए। एचयूएल ने प्रोजेक्ट शक्ति, हिंदुस्तान यूनिलीवर नेटवर्क (Hindustan Unilever Network) और प्योरिट वाटर प्यूरीफायर (Pureit Water Purifier) जैसी कई अन्य सेवाएं भी शुरू कीं। कंपनी ने 2016 में मुंबई में एक सामुदायिक केंद्र और 2017 में असम में एक नई निर्माण सुविधा खोली। 2022 आते-आते कंपनी का कारोबार 50,000 करोड़ रुपयों को पार कर गया।

संदर्भ

https://shorturl.at/dGJ56
https://shorturl.at/hzMOQ
https://shorturl.at/ixT07
https://shorturl.at/aghiX

चित्र संदर्भ

1. विम बार के शुरुआती प्रचार और विलियम लीवर को दर्शाता चित्रण (Store norske leksikon)
2. सनलाइट साबुन के शुरुआती विज्ञापन को दर्शाता चित्रण (Public Domain Pictures)
3. सनलाइट साबुन के रचनात्मक विज्ञापन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. लाइफबॉय साबुन के रचनात्मक विज्ञापन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के कार्यालय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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