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क्या आप जानते हैं कि जिस प्रकार एक ही जानवर या पक्षी की कई उप-प्रजातियां होती हैं, ठीक उसी प्रकार प्रारंभिक मनुष्यों की भी कई प्रजातियां या उप-प्रजातियां हुआ करती थीं। इंसानों की ये सभी प्रजातियां एक ही समय में सह-अस्तित्व में थी। लेकिन गुजरते समय के साथ, आधुनिक इंसानों यानी होमो सेपियन्स (Homo Sapiens) को छोड़कर, अन्य सभी इंसानी प्रजातियां, जीवन की इस दौड़ से बाहर हो गई। हालांकि, हाल ही में शोधकर्ताओं ने इनसे जुड़े कई चौकाने वाले खुलासे किये हैं?
साल 1829 में, वैज्ञानिकों को बेल्जियम (Belgium) में कुछ प्राचीन जीवाश्म मिले, जिन्हें देखकर वे चकित रह गये। दरसल ये जीवाश्म निॲन्डरथॉल (Neanderthal) नामक एक अलग मानव प्रजाति के अस्तित्व का प्रमाण दे रहे थे। होमो सेपियन्स के अलावा मनुष्य अन्य प्रजातियों से भी विकसित हुआ है, इस खोज ने वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद की ।
तब से, वैज्ञानिकों ने ऐसे कई जीवाश्म खोजे हैं, जो मानव विकास के प्रमाण प्रदान करते हैं। हाल के वर्षों में, पेलियोजेनेटिक्स (Paleogenetics) नामक एक नए क्षेत्र ने मानव विकास के अध्ययन में क्रांति ला दी है। आज वैज्ञानिक प्राचीन हड्डियों से डीएनए (DNA) प्राप्त कर, उसका विश्लेषण करने में सक्षम हो गये हैं, जिससे हमें अपने पूर्वजों से जुड़ी और भी अधिक जानकारी हासिल हो रही है। प्राचीन डीएनए का अध्ययन करके, वैज्ञानिक निॲन्डरथॉल के साथ-साथ अन्य विलुप्त प्रजातियों के मनुष्यों के शारीरिक लक्षणों का पता लगाने में भी सक्षम हुए हैं। साथ ही वैज्ञानिकों को विभिन्न मानव प्रजातियों, जैसे निॲन्डरथॉल, डेनिसोवन (Denisovan) और आधुनिक मनुष्यों के बीच परस्पर संबंध के प्रमाण भी मिले हैं।
इन डीएनए अध्ययनों से यह भी पता चला है कि हमारे अपने डीएनए में, अज्ञात प्राचीन प्रजातियों की अनुवांशिक छाप (Genetic Imprint) होती है। हमें इन प्रजातियों से इंटरब्रीडिंग (Interbreeding) के माध्यम से यह डीएनए विरासत में मिला है।
2005 में नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी (National Geographic Society) द्वारा शुरू की गई जेनोग्राफिक (Genographic) परियोजना के अंतर्गत, आज की आबादी के जीनोम (genome) के साथ प्राचीन मानव प्रवासन की जांच की गई। इस अध्ययन ने यूरोपीय या एशियाई मूल के आधुनिक मनुष्यों में डेनिसोवन के साथ निॲन्डरथॉल के संकरण को निर्धारित किया। इस प्रकार, अब हम जानते हैं कि डेनिसोवन जीनोम का 17% डीएनए निॲन्डरथॉल से आता है।
वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया है, कि होमो सेपियन्स के साथ-साथ कई अन्य मानव प्रजातियां एक ही समय में, एक साथ इस पृथ्वी पर निवास करती थीं। अफ्रीका (Africa) में, जो होमो सेपियन्स का उत्पत्ति स्थल माना जाता है, बड़े दिमाग वाले होमो हीडलबर्गेंसिस (Homo Heidelbergensis) और छोटे दिमाग वाले होमो नैलेडी (Homo Naledi) भी मौजूद थे। एशिया (Asia) में, होमो इरेक्टस (Homo Erectus), गूढ़ डेनिसोवन (Enigmatic Denisovan), और बाद में, होमो फ्लोरेसिएंसिस (Homo Floresiensis) का साम्राज्य हुआ करता था तथा यूरोप (Europe) और पश्चिमी एशिया में निॲन्डरथॉल हावी थे। लेकिन लगभग 40,000 साल पहले कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद, केवल होमो सेपियन्स अर्थात आधुनिक इंसान धरती पर दो पैरों पर चलने वाले द्विपाद प्राइमेट्स (Bipedal Primates) के विविध परिवार के एकमात्र जीवित सदस्य रह गए। अब प्रश्न उठता है कि आख़िर में होमो सेपियन्स ही क्यों बचे?
पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि मनुष्यों की उत्पत्ति अपेक्षाकृत बहुत बाद में अफ्रीका में हुई थी, जो बाद में दुनिया भर में फैल गए। इस सिद्धांत ने सुझाव दिया कि मनुष्य अन्य प्रजातियों के साथ परस्पर प्रजनन नहीं करते हैं। लेकिन हाल ही में प्राप्त हुए जीवाश्म, डीएनए विश्लेषण और पुरातात्विक निष्कर्षों से प्राप्त साक्ष्य इस प्रकार के पुराने सिद्धांतों को चुनौती दे रहे हैं। अब ऐसा प्रतीत होता है कि मनुष्यों की उत्पत्ति हमारी सोच से बहुत पहले ही हो गई थी। इसके अलावा, अन्य मानव प्रजातियों के साथ हमारे पूर्वजों का परस्पर प्रजनन भी हुआ था, जिसने आधुनिक मानव के जीवित रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मल्टी-रिजिनल इवोल्यूशन मॉडल (Multiregional Evolution Model) यह कहता है कि महाद्वीपीय आबादी के बीच निरंतर जीन प्रवाह के साथ बहुक्षेत्रीय विकास हुआ। आनुवांशिक अध्ययनों से पता चला है कि मनुष्यों ने निॲन्डरथॉल और अन्य पुरातन मनुष्यों के साथ भी अंतःसंबंध बनाए थे। क्या आप जानते हैं कि आधुनिक मनुष्यों में 1% से 4% जीन निॲन्डरथॉलके हैं। मोरक्को (Morocco) में जेबेल इरहूद साइट (Jebel Irhoud Site) से भी शोधकर्ताओं को महत्वपूर्ण जीवाश्म साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जो मानव उत्पत्ति के समय को 100,000 से भी अधिक वर्ष पीछे धकेल रहे हैं। लगभग 50,000 साल पहले, मनुष्यों ने संज्ञानात्मक क्षमता, सामाजिक जटिलता और प्रजनन सफलता के संबंध में अन्य प्रजातियों को पीछे छोड़ दिया।
एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ निॲन्डरथॉल जीन आधुनिक मनुष्यों में प्रतिरक्षा प्रणाली जैसे कुछ लक्षणों को भी प्रभावित करते हैं। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायो बैंक (UK Biobank) से एक बड़े डेटासेट (Dataset) का उपयोग किया, जिसमें लगभग 300,000 गैर-अफ्रीकी व्यक्तियों की अनुवांशिक जानकारी शामिल है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने निएंडरथल से विरासत में मिले 4,000 से अधिक आनुवंशिक अंतरों की पहचान की, जो चयापचय और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे 47 विशिष्ट लक्षणों को प्रभावित करते हैं। यह अध्ययन मानव विकास का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है, और प्राचीन और आधुनिक मनुष्यों के बीच परस्पर प्रजनन के परिणामों का अध्ययन करने वाले विकासवादी जीवविज्ञानियों के लिए नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/fmuS7
https://shorturl.at/dhG03
https://shorturl.at/finuW
चित्र संदर्भ
1. निॲन्डरथॉल को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. निॲन्डरथॉल के कंकाल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. होमो हीडलबर्गेंसिस - फोरेंसिक चेहरे के पुनर्निर्माण को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. हीडलबर्गेंसिस के संभवित निवास स्थलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. आधुनिक मनुष्य और निॲन्डरथॉल की खोपड़ी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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