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एक कहावत अक्सर सुनने में आती है, कि “गाजर-मूली की तरह काट दिए जाओगे”। लेकिन अगर मूली 6 फीट लंबी हो, तो उसे काटना तो दूर, उठाना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा। हमारे जौनपुर की नेवार मूली, जो लगभग 6 फीट लंबी होती है, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा अजूबा है जो वाकई देखने लायक है। कभी-कभी इस मूली की लंबाई इतनी अधिक होती है कि मूली के सामने आदमी भी छोटे दिखते हैं। तो आइए, आज जौनपुर की नेवार मूली के बारे में जानकारी प्राप्त करें तथा जानें कि आखिर यह मूली इतना बड़ा आकार कैसे प्राप्त कर लेती है।
गोमती नदी से सटे कुछ इलाकों की भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां एक विशेष नेवार प्रजाति की मूली उगाई जाती है। यहां उगाई जाने वाली यह 2.5 इंच मोटी नेवार मूली सिर्फ लंबाई-चौड़ाई के लिए ही नहीं, बल्कि अपने विशेष स्वाद के लिए भी प्रसिद्ध है। बाजार में मिलने वाली सामान्य मूली की तुलना में इस मूली में काफी मिठास होती है। ऐसा माना जाता है कि इस मूली की लंबाई और मिठास के पीछे गोमती नदी से सटे इन गांवों की मिट्टी का भी कमाल है। यहां के किसान अक्सर मूली के बीज बोने से पहले तम्बाकू की फसल पैदा करते हैं, जिसका असर मूली पर भी दिखता है। हमारे जौनपुर में उगने वाली इस मूली का वजन 5 से 15 किलोग्राम तक हो सकता है। इसी स्थान पर मूली की एक अन्य जाति, पूसा चेतकी, (Pusa Chetki) भी उगाई जाती है, हालांकि इस किस्म की लंबाई, मोटाई और वजन नेवार मूली से कम है।
एक अध्ययन में यह पाया गया है कि सिंचित पानी, मिट्टी और सूक्ष्मजीवों की आबादी के भौतिक-रासायनिक गुणों के कारण इन दोनों प्रकार की मूली की लंबाई, मोटाई और वजन में काफी अंतर है। इस अध्ययन के लिए दो स्थानों का, मंडी नसीब खान और सिद्दीकीपुर, का चयन किया गया था; इस अध्ययन में पाया गया कि मंडी नसीब खान की भूमि में नेवार मूली के बेहतर विकास के लिए अधिक उपयुक्त गुण और वातावरण मौजूद थे, जिसके कारण यहां उगने वाली नेवार मूली सबसे अधिक लंबी और मोटी होती है ।
लेकिन शायद अब आने वाले कुछ वर्षों में आपको जौनपुर की नेवार मूली देखने को न मिले। जलवायु परिवर्तन और शहर के बढ़ते प्रदूषण का असर इस मूली के उत्पादन पर देखने को मिल रहा है। पहले जहां मूली 15 से 17 किलो तक के वजन की मिल जाती थी, वहीं अब इस मूली का वजन गिरकर 5 से 7 किलो हो गया है। मूली की लंबाई भी पिछले कुछ समय से काफी कम हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस मिट्टी पर मूली उगाई जाती थी, अब वहां लोगों ने मकान बना लिए हैं, जिस वजह से मूली की पैदावार भी बहुत कम हो गई है।
जौनपुर की नेवार मूली की तरह ही कुछ अन्य फल और सब्जियां भी हैं, जो अपने आकार और वजन के कारण रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के राज्य फ्लोरिडा (Florida) में उगाए जाने वाले205 पाउंड (Pound) के तरबूज और 45 पाउंड के स्पेगेटी स्क्वॉश (Spaghetti squash)। लेकिन ये फल और सब्जियां अपने आप ही इतना बड़ा आकार या वजन धारण नहीं करते हैं। इसके लिए इन्हें उगाने वाले लोगों को ज्ञान और योजना दोनों की आवश्यकता होती है। ऐसे फल और सब्जियों को उगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक उचित बीजों का चयन करना है। बीजों की कुछ किस्मों को विशेष रूप से अतिरिक्त बड़े फल और सब्जियों का उत्पादन करने के लिए पैदा किया जाता है। इसके अलावा अधिकतम विकास सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर अच्छे उर्वरक उपलब्ध करवाना, मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच और सुधार के लिए प्रयास करना, ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करना, आदि भी शामिल है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली की मदद से पानी सीधे जड़ प्रणाली तक पहुंचता है और इसके कारण पानी उन जगहों पर एकत्रित नहीं होता है, जहां इसकी जरूरत नहीं है। इस प्रकार एक मनचाही फसल के लिए पानी की उचित मात्रा, मिट्टी के प्रकार और उपयुक्त उर्वरक की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए पत्तेदार सब्जियों को अधिक नाइट्रोजन (Nitrogen) की आवश्यकता होती है, लेकिन कद्दू जैसी फसल के लिए अधिक पोटेशियम (Potassium) और फास्फोरस (Phosphorus) की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि बड़े फलों और सब्जियों में वह स्वाद नहीं होता है, जो कि पारंपरिक आकार वाले फलों और सब्जियों में होता है। बड़े फल और सब्जियां उगाने के लिए काफी धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3qdKWoo
https://bit.ly/3WC2pmD
https://bit.ly/3qfrGqh
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर की नेवार मूली को पकड़े लड़की को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. हाथ में जौनपुर की नेवार मूली को पकड़े लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. खेत में उगी हुई मूली को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. ड्रिप सिंचाई प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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