जलीय पारिस्थितिक तंत्र का सुरक्षा कवच है, भारतीय फ्लैपशेल कछुआ

नदियाँ
24-05-2023 09:30 AM
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जलीय पारिस्थितिक तंत्र का सुरक्षा कवच है, भारतीय फ्लैपशेल कछुआ

नदियाँ हमारे विश्व की जीवनदायिनी हैं। दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्रों को पानी की आपूर्ति प्रदान करने के साथ-साथ ये विभिन्न जीवों की एक महत्वपूर्ण आबादी को भी आवास प्रदान करती हैं। इसी आबादी में से एक प्रजाति भारतीय फ्लैपशेल कछुए (Indian Flapshell Turtles) की भी है, जो कि मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, तथा उत्तर प्रदेश में भी पाई जाती है। हालांकि अत्यधिक तस्करी के कारण फ्लैपशेल कछुए सहित कछुओं की अन्य प्रजाति संकट का सामना कर रही है। 2018 में प्रकृति संरक्षण के लिए कार्यगत अंतर्राष्ट्रीय संघ ने संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट के लिए मूल्यांकन किए गए भारतीय फ्लैपशेल कछुओं को "असुरक्षित" के रूप में सूचीबद्ध किया। पुलिस के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में उनके मांस के लिए उनकी तस्करी की जाती है। ऐसा मानना है कि फ्लैपशेल कछुओं के मांस के सेवन से यौन शक्ति बढ़ती है। कुछ समय पूर्व, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के कोसमा मुसलमीन गांव के लोगों को सरसों के खेत में 10 बोरियां मिलीं। जब उन्होंने बोरियों को खोलकर देखा तो वे आश्चर्य चकित रह गए, क्यों कि प्रत्येक बोरी में जीवित कछुए थे। इस प्रकार गांव के लोगों ने शीघ्र ही कार्रवाई की और राज्य के वन विभाग और स्थानीय पुलिस को सूचित किया। वन अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कुल 298 भारतीय फ्लैपशेल कछुए और भारतीय सॉफ्टशेल कछुए (Soft shell turtles) बरामद किए। उन्हें चिकित्सा अवलोकन के लिए आगरा में वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS) सुविधा में ले जाया गया। एनजीओ की पशु चिकित्सा टीम द्वारा जांच करने के बाद इन्हें स्वस्थ घोषित किया गया; भगवान की कृपा से इन्हें अब तक कोइ हानी नहीं पहुंचाई गई थीं। बाद में उन्हें वन अधिकारियों की मौजूदगी में सुर सरोवर पक्षी अभयारण्य, आगरा में छोड़ दिया गया। वन्यजीव (संरक्षण अधिनियम) 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध, भारतीय फ्लैपशेल कछुए और भारतीय सॉफ्टशेल कछुए की सुरक्षा का स्तर, भारत में बाघ की सुरक्षा स्तर के समान है। अवैध शिकार या इन कछुओं पर अतिक्रमण कर उनका अवैध व्यापार एक अपराध है। विभिन्न अंधविश्वासी मिथकों और मान्यताओं के कारण कछुओं का अवैध रूप से शिकार और व्यापार किया जाता है। जबकि दुनिया के कुछ हिस्सों में उनके मांस को स्वादिष्ट माना जाता है, तो वहीं अनेकों स्थानों पर यह धारणा है कि उनके खोल में औषधीय और उपचार गुण होते हैं। मीठे पानी के कछुए नदी प्रणालियों के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। साइंटिफिक रिपोर्ट्स (Scientific Reports) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मछली के शवों को खाकर कछुए, मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। ऑस्ट्रेलिया (Australia) में किए गए एक अनुसंधान के निष्कर्षों के अनुसार कछुए नदी प्रणालियों में पानी की गुणवत्ता को विनियमित करने में एक अप्राप्य भूमिका निभाते हैं। मनुष्य मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र को खराब करके मछली की मृत आबादी की आवृत्ति बढ़ा रहे हैं। चूंकि अवैध व्यापार के कारण मीठे पानी के कछुए जो कि मृत मछलियों या अन्य मृत जीवों का अपघटन करते हैं, विश्व स्तर पर तेजी से घट रहे हैं, इसलिए पानी की गुणवत्ता से सम्बंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं जो पारिस्थितिक तंत्र और मनुष्यों दोनों को प्रभावित करती है। एक शोध में यह पाया गया कि मीठे पानी के कछुए मृत मछलियों और अन्य मृत जीवों के विघटन की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता नियंत्रित हो जाती है। पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय (Western Sydney University) के डॉ.रिकी-जॉन स्पेंसर (Dr. Ricky-John Spencer) के नेतृत्व में एक टीम ने कृत्रिम आर्द्रभूमि में प्रयोग किए (Experiments), जिन्हें ऐसे टैंकों में बनाया गया था, जिनमें मृत मछलियां भी थी। विशेषज्ञों ने एमिड्यूरा मैक्वेरी (Emyduramacquarii) प्रजाति के चार नर कछुओं को कृत्रिम आर्द्रभूमि में पेश किया। मृत शवों को प्रत्येक टैंक में तब तक छोड़ दिया गया था जब तक कि उन्हें कछुओं द्वारा पूरी तरह से खा नहीं लिया गया। मछली अमोनिया (Ammonia) और नाइट्रेट (Nitrates) की सांद्रता बढ़ाकर पानी की गुणवत्ता को कम करती है, साथ ही फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton) और सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) के विकास को बढ़ाती हैं, जिससे पानी में घुलित ऑक्सीजन की सांद्रता कम हो जाती है। इस प्रकार एक विशाल जैव विविधता को भारी नुकसान होता है। भारतीय फ्लैपशेल कछुआ भी जहां विभिन्न शिकार प्रजातियों के संतुलन को बनाए रखने में काफी प्रभावी है, वहीं यह जलीय तंत्र में मृत आबादी के अपघटन में भी सहायक है। तालाब के कीचड़ भरे किनारों में यह आधा दबा रहता है,जिससे कोई भी शिकारी इसकी पहचान करने में आसानी से धोखा खा जाता है। वयस्क फ्लैपशेल कछुए पानी के किनारे और उसके पास पाए जाने वाले मृत जानवरों को खाकर जलीय तंत्र की सफाई करते हैं। हालांकि कुछ मिथकों की वजह से इनकी आबादी को संकट का सामना करना पड़ रहा है।

संदर्भ:
https://bit.ly/45n2KgQ
https://bit.ly/3MOx8t7
https://bit.ly/3MuSN8i

चित्र संदर्भ
1. हाथ में भारतीय फ्लैपशेल कछुए को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. भारतीय फ्लैपशेल कछुए के सिर और सामने के पैरों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पीले धब्बों वाले भारतीय फ्लैपशेल कछुए को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. हाथ में छोटे से भारतीय फ्लैपशेल कछुए को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. धूप सेकते भारतीय फ्लैपशेल कछुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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