समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 17- May-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2170 | 490 | 2660 |
बैसाखी का त्यौहार भारत के उत्तरी भागों विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है, जिसे सिक्ख नव वर्ष की शुरुआत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। बैसाखी का त्यौहार हर साल हिंदू कैलेंडर के वैशाख महीने के पहले दिन मनाया जाता है जो ज्यादातर 13 या 14 अप्रैल को होता है। यह त्यौहार दुनिया भर के सिक्खों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन, पंजाब के कई हिस्सों में, लोग "अवत पौनी" नामक एक अनुष्ठान के लिए इकट्ठा होते हैं, जहाँ किसान ढोल की ताल पर फसल काटते हैं और मधुर गीत गाते हैं। यह अच्छी फसल के मौसम के लिए अपने भगवान को धन्यवाद देने का एक तरीका है। इस पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग विभिन्न प्रकार के आयोजन करते हैं, जिनमें जुलूस निकालना, पारंपरिक नृत्य और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं।
बैसाखी की एक अन्य विशेषता यह है कि इस दिन विशेष प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। लोग विभिन्न प्रकार के पारंपरिक पंजाबी व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जिनमें मुख्य रूप से छोले भटूरे, मक्के की रोटी के साथ सरसों का साग और लस्सी आदि शामिल हैं। खीर, मीठे चावल आदि जैसी विभिन्न प्रकार की मिठाईयां भी बैसाखी के दिन परोसे जाने वाले लोकप्रिय व्यंजन हैं। घरों में पारंपरिक पंजाबी व्यंजन तो बनते ही हैं साथ ही इनके अलावा इस दिन लंगर या सामुदायिक रसोई का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें किसी भी व्यक्ति के धर्म, आर्थिक या सामाजिक स्थिति आदि को न देखते हुए सभी को एक समान रूप से भोजन परोसा जाता है। लंगर जैसे आयोजनों का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच समानता और एकजुटता के भाव को बढ़ावा देना है। तो आइए आज बैसाखी के शुभ मौके पर जानते हैं, कि इस दिन कौन-कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं तथा इस दिन बनने वाले व्यंजन क्यों विशेष होते हैं?
बैसाखी वो समय है जब सर्दियों के दौरान बोई गई फसलें पक कर तैयार हो जाती हैं तथा नए मौसम में दूसरी फसलों को बोया जाता है। जैसा कि हमने बताया इस दिन कृषक समुदाय के लोग अच्छी फसल के लिए भगवान को शुक्रिया अदा करते हैं और मधुर लोक गीत गाते हुए फसल काटते हैं। सिख धर्म में बैसाखी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि 1699 में बैसाखी के दिन ही सिक्खों के श्रद्धेय दसवें गुरु ‘गुरु गोबिंद सिंह’ जी ने आनंदपुर साहिब जी के केसगढ़ में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इस दिन पूरे भारत में लोग त्यौहार को मनाने के रूप में पीले या केसरिया रंग के कपड़े पहनते हैं। इस दिन पीले रंग का महत्व इस बात से भी जाना जा सकता है कि लोग न केवल पहनावे में पीले रंग का उपयोग करते हैं बल्कि भोजन के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में भी पीले या केसरिया रंग का उपयोग किया जाता है। विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बैसाखी उत्सव का एक बड़ा हिस्सा हैं। घर पर तरह-तरह के मीठे और नमकीन व्यंजन तैयार किए जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच उनका आदान-प्रदान किया जाता है। लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन और उपहार एक दूसरे के साथ साझा करते हैं। आइए जानते हैं कि बैसाखी के दिन कौन-कौन से स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं-
मीठे चावल-
बैसाखी के दिन मीठे चावल बनाने का अपना एक विशेष महत्व है, इन्हें केसरी चावल या पीले चावल भी कहा जाता है। बसंत पंचमी और बैसाखी के दौरान सिक्ख परिवारों में इस व्यंजन को विशेष तौर पर बनाया जाता है। इस व्यंजन को बनाने के लिए चावल को सुगंधित मसालों जैसे इलायची, दालचीनी, लौंग और बहुत सारे सूखे मेवों के साथ चीनी की चाशनी में पकाया जाता है। एक अच्छा स्वाद, महक और केसरिया या पीला रंग देने के लिए इसमें अंत में केसर डाला जाता है ।
गुड़वाली खीर-
बैसाखी के त्यौहार पर बनने वाला एक अन्य मीठा व्यंजन गुड़वाली खीर है। केसरिया पीले रंग की महक वाली खीर भारत भर में सबसे प्रसिद्ध मिठाई है। यह एक ऐसी मिठाई है जिसके बिना कोई भी त्यौहार अधूरा सा लगता है। हालांकि आमतौर पर सभी त्यौहारों पर जो खीर बनाई जाती है, उसमें मिठास के लिए चीनी का प्रयोग किया जाता है। किंतु बैसाखी पर बनने वाली खीर में चीनी की जगह गुड़ का उपयोग किया जाता है। दूध, गुड़, चावल और बहुत सारे सूखे मेवों के साथ इसे तैयार किया जाता है।
पंजाबी कढ़ी-
पंजाबी कढ़ी, बैसाखी के दौरान बनने वाला एक अन्य पारंपरिक एवं अत्यधिक स्वादिष्ट व्यंजन है। कढ़ी बनाने के लिए दही का उपयोग करके स्वादिष्ट ग्रेवी बनाई जाती है, तथा बेसन में मेथी और प्याज को ढेर सारे मसालों के साथ मिलाकर उसके पकौड़े बनाए जाते हैं, जिन्हें कढ़ी में डुबाया जाता है। कढ़ी को प्रायः उबले हुए चावलों या रोटियों के साथ परोसा जाता है।
लस्सी-
बैसाखी के दिन की एक अन्य विशेषता है, लस्सी। पंजाबी भोजन की थाली ठंडी-ठंडी लस्सी के लंबे गिलास के बिना अधूरी मानी जाती है। लस्सी पंजाबी भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे मूल रूप से दही और चीनी से बनाया जाता है। वर्तमान समय में लस्सी के साथ कई प्रयोग किए जाते हैं जिससे यह विभिन्न स्वादों के साथ मिलती है, जिनमें केवड़ा लस्सी, मैंगो (Mango) या आम से बनी लस्सी, रोज़ या गुलाब लस्सी, अनानास लस्सी और कई अन्य प्रकार की लस्सियां शामिल हैं।
दूधा बर्फी-
बैसाखी के मौके का एक अन्य व्यंजन है, दूधा बर्फी। इसे दूध, घी, चीनी और सूखे मेवों आदि के साथ बनाया जाता है।
कड़ा प्रसाद-
बैसाखी के दिन कड़ा प्रसाद या आटे का हलवा भी बनाया जाता है, जिसे आसानी से उपलब्ध घरेलू सामग्री द्वारा बनाया जा सकता है। इस व्यंजन को प्रसाद के रूप में गुरुद्वारों में वितरित किया जाता है। इसे बनाने के लिए सामान्य तौर पर गेहूं के आटे, घी, चीनी या गुड़ और पानी जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
छोले भटूरे-
बैसाखी के त्यौहार पर बनने वाला एक अन्य विशेष व्यंजन छोले-भटूरे हैं। स्वादिष्ट छोले भटूरे और बैसाखी एक दूसरे के पूरक हैं। उबले हुए छोलों को प्याज़ और टमाटर की ग्रेवी में मसालों के साथ पकाया जाता है और इन्हें मैदे से बने भटूरों के साथ परोसा जाता है। खट्टा आम का अचार, चटनी और सलाद इस व्यंजन के स्वाद को दोगुना कर देते हैं ।
फिरनी-
बैसाखी के दौरान बनने वाले व्यंजनों में मौसम का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। उदाहरण के लिए इस पर्व पर बनाई जाने वाली केसर फिरनी गर्मी के मौसम में शरीर को शीतलता प्रदान करती है।
इन व्यंजनों के अलावा राजमा चावल, लच्छा रबड़ी, सोया चाप और लच्छा पराठा आदि बैसाखी के दिन बनने वाले कुछ अन्य प्रमुख व्यंजन है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3zTNDx0
https://bit.ly/402AsEk
https://bit.ly/3mqkWV8
https://bit.ly/41hfSSp
https://bit.ly/3KVmDUc
https://bit.ly/3MCTL4i
चित्र संदर्भ
1. बैसाखी भोज को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. लंगर आयोजन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. केसरी चावल को दर्शाता एक चित्रण (YouTube)
4. गुड़वाली खीर को संदर्भित करता एक चित्रण (YouTube)
5. पंजाबी कढ़ी को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
6.लस्सी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. दूधा बर्फी को दर्शाता चित्रण (YouTube)
8. कड़ा प्रसाद को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. छोले भटूरे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10.फिरनी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.