‘विद्यावान गुणी अति चातुर,राम काज करिबे को आतुर’,राम नवमी पे प्रकाश हनुमान जी के वक्तृत्व कौशल पर

ध्वनि 2- भाषायें
30-03-2023 10:02 AM
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‘विद्यावान गुणी अति चातुर,राम काज करिबे को आतुर’,राम नवमी पे प्रकाश हनुमान जी के वक्तृत्व कौशल पर

पवनपुत्र हनुमान जी की शक्तिशाली शारीरिक क्षमताओं से तो देश का बच्चा-बच्चा परिचित है। किन्तु क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी की बौद्धिक क्षमता एंव तर्क कौशल के समक्ष वाद-विवाद में, रावण के जैसे अत्यंत कुशल तर्कशास्त्रियों के भी पसीने छूट जाते थे।
हमारे शब्द अती शक्तिशाली उपकरण होते हैं, जिनका उपयोग रचनात्मक रूप से घावों को ठीक करने में भी किया जा सकता है, तथा विनाशकारी रूप से भी किया जा सकता है। ठीक वेसे ही जैसे एक माचिस की तीली किसी घर को रोशन भी कर सकती है, और वही इसे राख में भी बदल सकती है। इसलिए हमें अपने शब्दों का बुद्धिमानी से और दया के साथ उपयोग करना चाहिए।
हमारे बोलने का तरीका हमारे चरित्र को दर्शा सकता है। रामायण महाकाव्य में हनुमान जी के वक्तृत्व कौशल (बोलने की कला) को सटीक और व्याकरणिक रूप से अत्यंत शुद्ध माना जाता है। हनुमान यह भली भांति जानते थे की आमुख व्यक्ति की चिंता और स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए संदेश कैसे दिया जाए। शब्द किसी की जान भी बचा सकते हैं, इसका एक उदाहंरण तब देखा गया जब हनुमान ने माता सीता को अशोक वन में बेहद समझदारी के साथ अपना परिचय दिया और फिर उन्हें समझाया। जब हनुमान अशोक वनम में माता सीता से मिलने के बाद लंका से लौटते हैं, तो वे श्री राम को अपना संदेश 'सीता धृष्ट' (सीता देखी गई) के बजाय 'ध्रुस्ता सीता' (देखी गई सीता) के रूप में देते हैं। यहाँ, हनुमान भी नहीं चाहते कि उनके प्रिय भगवान एक क्षण के लिए भी दुःखी हों क्योंकि राम पहले से ही अपनी पत्नी से अलग होने से पीड़ित थे। यदि हनुमान ने पहले 'सीता' शब्द का उच्चारण किया होता, तो श्री राम को इस बात की चिंता हो जाती कि, सीता को क्या हुआ है?, उन्हें देखा गया है या नहीं और वे जीवित हैं या नहीं। हनुमान ने "देखा" के साथ अपना प्रसंग शुरू किया! यह न केवल सभी प्रत्याशाओं को समाप्त कर देता है बल्कि एक सुखद मनोदशा को भी प्रेरित करता है।
राम के दूत के रूप में जब वह रावण के दरबार में गए तब भी हनुमान ने बुद्धिमानी से वार्तालाप करने का विकल्प चुना। उन्होंने प्रभु श्री राम के पराक्रम को प्रदर्शित करने के लिए उस घटना का वर्णन किया जब श्री राम के एक ही बाण से बलवान बाली को पराजित कर दिया गया था। बोलने की कला एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो किसी के भी जीवन को प्रभावित कर सकती है और बदल सकती है। नारद पुराण में, हनुमान को मुखर संगीत के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है। हनुमान के बारे में एक और आकर्षक पहलू भी है, एक लोकप्रिय किताब, द मंकी ग्रामेरियन (The Monkey Grammarian) में, मैक्सिकन कवि-आलोचक ऑक्टेवियो पाज़ (Octavio Paz) हनुमान को हिंदू पौराणिक कथाओं के नौवें व्याकरणकर्ता मानते हैं। इस पुस्तक में, हनुमान जी, को “अचेतन की गतिविधि के कुल प्रवाह, नियंत्रण या नियमों के परे" के रूप में देखा गया है।
हिंदू देवता हनुमान के महत्व को विभिन्न तरीकों से देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में चार प्रणालियों में से एक, “हनुमान मत” को मुख्य रूप से ध्रुपद शैली में गाया जाता है और गुरुवाणी के गायन में भी इसका उपयोग किया जाता है।
स्वयं भगवान् राम ने भी हनुमान की बात करने की शैली की सराहना करते हुए स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख इस प्रकार किया:

नूनं व्याकरणं कृत्स्नमनेन बहुधा श्रुतम्।
बहुव्याहरतानेन न किञ्चिदपशब्दितम्4.3.29।।
यह अत्यंत महत्वपूर्ण श्लोक है। इसमें प्रभु श्री राम, अपने भ्राता लक्ष्मण से कहते हैं, “मैं पिछले पंद्रह मिनट से हनुमान को बोलते हुए उत्सुकता से देख रहा हूं। मुझे उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले शब्दों में और उनके वाक्यों को बनाने के तरीके में एक भी गलती नहीं मिली। कुछ लोग बीच में एक गलती के साथ चार शब्द लगातार बोलते हैं, जबकि कुछ लोग बीच में दो या तीन गलतियों के साथ दस शब्द बोलते हैं!, लेकिन हनुमान ने भाषण के आखिरी पंद्रह मिनट में जो कुछ भी कहा, मैं उसमें एक भी गलती नहीं पकड़ पाया! उन्होंने अपने शब्दों के चुनाव या वाक्य निर्माण में एक भी गलती नहीं की है। जबकि कुछ लोग चार शब्दों के वाक्य में गलतियां करते हैं।" राम आगे कहते हैं कि “हनुमान को संस्कृत भाषा के व्याकरण, "व्याकरणम", (उपयुक्त संदर्भ के लिए सही शब्दों का उपयोग करने की विशेषज्ञता) ’तर्क शास्त्र", और अत्यधिक विचारोत्तेजक शोध सामग्री, "भीमांसा" की व्याख्या करने की पूरी समझ है। " संस्कृत व्याकरण के सभी नौ अध्यायों में महारत हासिल करने के कारण हनुमान को "नव-व्याकरण पंडित" के रूप में भी जाना जाता है। राम बताते हैं कि हनुमान ने व्याकरण के सभी नौ अध्यायों को सूर्य भगवान, से सिर्फ नौ दिनों में सीखा था, वह भी तब जब वह एक बालक ही थे। अंततः प्रभु श्री राम कहते हैं कि हनुमान के भाषण में बड़ी सटीकता है और सटीक अर्थ बताने के लिए सही शब्दों को रखने में वह एक विशेषज्ञ हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3nAeZFa
https://bit.ly/3U0V4eT
https://bit.ly/3zhjXtq
https://bit.ly/3nun0vA

चित्र संदर्भ
1. हनुमान जी के वनवास दृश्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रभु श्री राम और हनुमान जी को संदर्भित करता एक चित्रण (Look and Learn)
3. ऑक्टेवियो पाज़ और रामायण पढ़ते हनुमान को दर्शाता एक चित्रण (flickr, amazon)
4. रावण के दरबार में हनुमान जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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