समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
कहा जाता है कि एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है। लेकिन तस्वीरों को खीचें जाने का समय, और इसके पीछे का तकनीक, इन्हें और भी अधिक कीमती बना देता है। उदाहरण के तौर पर, जॉन एडवर्ड साचे (John Edward Saché), जिनको भारत के शुरुआती फोटोग्राफरों (Photographers) में से एक माना जाता है, के द्वारा खींची गई भारतीय स्मारकों की कई तस्वीरें महत्वपूर्ण शुरुआती फोटोग्राफिक रिकॉर्ड (Photographic Record) मानी जाती हैं। उनकी तस्वीरों का कालखंड ही इन्हे अद्वितीय और बेहद खास बना देता है। आइए, आज हम उनके जीवन से जुड़ी और उनके द्वारा ली गई दुर्लभ छवियों का अवलोकन करें ।
जॉन एडवर्ड साचे, भारत में 19वीं सदी के प्रमुख यूरोपीय फोटोग्राफरों (European Photographers) में से एक माने जाते हैं। साचे का जन्म 1824 में प्रशिया (Prussia) में हुआ था। उन्होंने अपना करियर सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) से शुरू किया था, जहां फिलाडेल्फिया (Philadelphia) में उन्होंने 'साचे एंड वॉकर (Sache & Walker)' नाम से एक फोटोग्राफी स्टूडियो (Photographic Studio) की शुरुआत की थी। 1864 में वह भारत आए और उन्होंने कलकत्ता (जिसे उस समय फोटोग्राफरों के लिए एक आदर्श जगह माना जाता था!) में डब्ल्यू.एफ. वेस्टफील्ड (W.F. Westfield) के साथ साझेदारी में एक स्टूडियो की स्थापना की। जॉन एडवर्ड साचे, बेहद शानदार तस्वीरें लेते थे, जिस कारण उन्हें अपने फोटोग्राफिक व्यापार में अपार सफलता मिली थी।
1869 में उन्होंने बॉम्बे (मुंबई) में काम किया, और फिर 1870 तक एक अन्य प्रसिद्द फोटोग्राफर, कॉलिन मरे (Colin Murray) के साथ काम किया। लेकिन शीघ्र ही वे दोनों अगले साल ही अलग हो गए, जिसके बाद साचे ने लखनऊ, नैनीताल, मेरठ और मसूरी में अपना खुद का फोटोग्राफिक स्टूडियो शुरू किया। जहां वह गर्मियों में अपना समय पहाड़ियों में बिताते थे, वहीं उनकी सर्दियाँ मैदानों में स्थिति स्टूडियो में बीतती थीं।
जॉन एडवर्ड साचे की अधिकांश तस्वीरें एलब्यूमेन पेपर (Albumen Paper) पर संपर्क-मुद्रित (Contact-Printed) हैं। उन्नीसवीं सदी में एलब्यूमेन प्रिंट बेहद लोकप्रिय और सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली फोटोग्राफिक प्रिंटिंग सामग्री (Photographic Printing Materials) हुआ करती थी। यह 1800 के दशक में चित्रों को छापने का एक बहुत लोकप्रिय तरीका था। इसमें अंडे की सफेदी और नमक के साथ कागज का लेप शामिल था, और फिर इसे एक नेगेटिव प्रिंट (Negative Photographic Print) के तहत प्रकाश में लाना पड़ता था।
लगभग 1855 से 1890 तक एलब्यूमेन प्रिंट का फोटोग्राफिक अभ्यास, फोटोग्राफी की दुनिया में हावी रहा, और 1920 के दशक तक विभिन्न रूपों में उपयोग में रहा।
जॉन एडवर्ड साचे ने लगभग बीस वर्षों तक एक ऐसे उत्पादक व्यवसाय का प्रबंधन किया, जिसने उन्हें अपने युग के प्रमुख फोटोग्राफरों की श्रेणी में शुमार कर दिया। अपने जीवनकाल में उन्होंने बड़े पैमाने पर उत्तरी भारत की यात्रा की, प्रमुख स्थलों और कस्बों कोअपने कैमरे पर उतारा , और छवियों का एक पूरा संग्रह तैयार किया। 1880 के दशक की शुरुआत में साचे, भारत से चले गए ।
साचे को उनके सुरम्य चित्रों के लिए जाना जाता है। साचे ने प्रसिद्ध अंग्रेजी फोटोग्राफर सैमुअल बॉर्न (Samuel Bourne) के कदमों का अनुसरण किया, जिन्होंने परिदृश्य और स्थापत्य विचारों की रचना के लिए एक प्रतिमान स्थापित किया था। इन दोनों की फोटोग्राफी में इतनी समानता है कि कई बार साचे द्वारा खींची गई तस्वीरों को अक्सर बॉर्न की मान लिया जाता है।
साचे का फोटोग्राफी व्यवसाय, फोटोग्राफिक प्रिंट की मांग में वृद्धि के साथ खूब फला-फूला, और उन्होंने नवाबी वास्तुकला, स्मारकों और संघर्ष से प्रभावित स्थलों जैसे विषयों की फोटोग्राफी करने के लिए सावधानीपूर्वक स्थानों का चयन किया। साचे के सफल व्यवसाय ने उन्हें हिमालय के अभियानों पर भी जाने की अनुमति दी, जहां उन्होंने ग्लेशियरों (Glaciers) और आसपास के दृश्यों का नाटकीय अध्ययन किया, और उन्हें अपने कमरे में कैद किया। 12 वर्षों में उन्होंने विकासशील भारत की 2,000 से अधिक छवियों को अपने संग्रह में जोड़ लिया था।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.