क्यों मंगल पर बस्तियां बसाने वाला इंसान, पृथ्वी के भूकंपों का पूर्वनुमान भी नहीं लगा पा रहा है?

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
16-02-2023 10:29 AM
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क्यों मंगल पर बस्तियां बसाने वाला इंसान, पृथ्वी के भूकंपों का पूर्वनुमान भी नहीं लगा पा रहा है?

मनुष्य आज, मंगल और चाँद पर तो पहुंच गया है, लेकिन धरती की समस्याएं नहीं सुलझा पाया है! हाल ही में सीरिया (Syria) और तुर्की (Turkey) में आए भूकंप के बाद मची तबाही ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कोई ऐसा तरीका या तकनीक नहीं थी, जिसकी मदद से इस भूकंप का पूर्वानुमान लगाकर लगभग 25,000 से अधिक मासूम लोगों की जान बचाई जा सकती थी?
भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से होता है। यह कंपन पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों (Tectonic Plates) के हिलने या पृथ्वी के भीतर संग्रहीत ऊर्जा के बाहर निकलने के कारण होता है। माना जाता है कि प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों की संख्या नौ हैं। इन्हीं प्लेटों के आपस में घर्षण से ऐसा भूकंप आता है, जिसकी भविष्यवाणी करना आज भी असंभव माना जाता है।
एक प्रभावी भूकंप की भविष्यवाणी में चार घटक (भूकंप की संभावित तिथि, समय, स्थान और परिमाण) शामिल होते हैं। कोई भी संकेत इन चार कारकों में कैसे परिवर्तित हो सकता है, इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों को पहले से घटित भूकंपों के प्रतिरूपों (Pattern) का अध्ययन करना होगा ।भूकंप के अनुमानित समय का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अतीत के भूकंपों के आधार पर कई प्राकृतिक कारकों को जोड़ने का प्रयास किया गया है। इन कारकों में स्थानीय जल स्रोतों में रेडॉन (Radon) की मात्रा में वृद्धि, भूजल के बढ़ते स्तर, विद्युत चुम्बकीय गतिविधि में परिवर्तन और यहां तक ​​कि जानवरों का अजीब व्यवहार भी शामिल है। हालाँकि, भले ही वैज्ञानिक, प्रकृति और भूकंपों के बीच संबंध खोज रहे हैं, लेकिन इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि यह घटनाएँ हमेशा आपस में जुड़ी हों। कभी-कभी भूकंप इन घटनाओ के घटने के बाद भी नहीं आता, और कभी-कभी भूकंप इनमें से किसी भी पूर्ववर्ती घटना के बिना ही आ जाता हैं।
भूकंप पृथ्वी की सतह से कई मील नीचे उत्पन्न होते हैं, इसलिए हम सतह पर उनका आसानी से पता नहीं लगा सकते हैं। साथ ही भूकंप की भविष्यवाणी में एक और कठिनाई यह भी है कि छोटे और बड़े भूकंपों की तीव्रता और अवधि अलग-अलग होने के बावजूद, शुरुआत में ही यह पता नहीं लगाया जा सकता कि क्या यह भूकंप छोटा है, अथवा यह बड़ी तबाही मचाएगा?
भूकंप की भविष्यवाणी भूकंप विज्ञान (Seismology) के तहत की जाती है, जिसका उद्देश्य भविष्य के भूकंपों के समय, स्थान और परिमाण को निर्धारित करना है। 1970 के दशक में शुरुआती आशावाद के बावजूद अब तक भूकंप की भविष्यवाणी के लिए एक व्यावहारिक तरीका नहीं मिल पाया है। बड़े भूकंपों की सफल भविष्यवाणियां कभी भी नहीं की जा सकी हैं। भूकंप के संभावित पूर्वानुमानों की व्यापक खोज के बावजूद, किसी तरीके को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि पर्याप्त संसाधनों के साथ भूकंप की भविष्यवाणी संभव हो सकती है, जबकि अधिकांश लोग निराशावादी हैं, और मानते हैं कि भूकंप की भविष्यवाणी स्वाभाविक रूप से असंभव है। भूकंप की भविष्यवाणी अभी भी एक विकासशील विज्ञान है, जिसमें भौतिक सिद्धांतों के आधार पर पहले कोई भी सफल भविष्यवाणी नहीं की गई है। हालांकि, भूकंप से पहले जानवरों का व्यवहार कई वर्षों से रुचि का विषय रहा है। माना जाता है कि कुछ जानवर चुंबकत्वग्राही (Magnetoreceptive) हो सकते हैं, और भूकंप से पहले ही पृथ्वी की सतह पर पहुंचने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों का पता लगाने में सक्षम होते हैं, जिससे उनका व्यवहार अजीब हो जाता है। किंतु इस बात के भी पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि जानवर वास्तव में भूकंप की अग्रिम चेतावनी दे सकते हैं।
इस संबंध में अधिकांश वैज्ञानिक अवलोकन जापान (Japan), इटली (Italy) और न्यूजीलैंड (New Zealand) में आए भूकंपों से आए हैं।
1970 के दशक में ‘ विरलन -प्रसार परिकल्पना’ (Thinning-Propagation Hypothesis) को भूकंप की भविष्यवाणी का संभावित भौतिक आधार माना जाता था। यह परिकल्पना प्रयोगशाला प्रयोगों पर आधारित थी जिसमें दिखाया गया था कि भूकंप से ठीक पहले अत्यधिक तनाव वाली चट्टान में परिवर्तन का अनुभव किया गया, जिससे भूकंपीय वेग, विद्युत प्रतिरोधकता और स्थलाकृति में परिवर्तन हुआ। हालाँकि, बाद के अध्ययनों में यह परिकल्पना कई कारणों से विफल रही । ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन’ (University College London) में पृथ्वी विज्ञान विभाग (Earth Sciences Department) में कंप्यूटरीकृत भूकंप विज्ञान(Computational Seismology) के एक अध्येता स्टीफन हिक्स (Stephen Hicks) के अनुसार, एक बड़े भूकंप की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। ‘यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे’ (United States Geological Survey (USGS) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि “न तो हमनें और न ही किसी अन्य वैज्ञानिक ने कभी भी एक बड़े भूकंप की भविष्यवाणी की है। हम नहीं जानते कि यह कैसे आता है और भविष्य में भी जान पाने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।” यूएसजीएस का मानना है कि भूकंप की भविष्यवाणी में तारीख, समय, स्थान और परिमाण शामिल होते हैं और यह स्पष्ट है कि ऐसी भविष्यवाणियां नहीं की जा सकतीं।
किंतु एक प्रश्न यह भी है कि क्या 1975 में हाइचेंग, चीन (Haicheng, China) में भूकंप की भविष्यवाणी की गई थी?
1975 में हाइचेंग, चीन में आया भूकंप उन दुर्लभ उदाहरणों में से एक था, जहां जनता को पर्याप्त निश्चितता के साथ भूकंप की चेतावनी जारी की गई थी। दरअसल, इस दौरान चीनी भूकंप विज्ञानियों ने 4 फरवरी, 1975 के दिन 7.5-तीव्रता वाले भूकंप की भविष्यवाणी की थी, जो पूर्ववर्ती दिनों में पूर्वाभासों के क्रम पर आधारित थी। नतीजतन, बड़ी आबादी को सफलतापूर्वक बचाया गया था। हालांकि हाइचेंग में लगभग 90% इमारतें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गईं। आधिकारिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि केवल 2,041 लोग मारे गए थे और 27,538 लोग घायल हुए थे। चीनी भूकम्प विज्ञानियों द्वारा की गई भूकंप की भविष्यवाणी भी, पूर्ववर्ती दिनों में पूर्वाभासों के अनुक्रम पर आधारित थी। हालांकि, यूएसजीएस ने कहा कि भविष्यवाणी करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पूर्व भूकंपीय गतिविधियां बड़े भूकंप के बाद दोबारा नहीं होती हैं। यूएसजीएस के अनुसार चीन में इसके बाद आए बड़े भूकंप की कोई भी चेतावनी नहीं दी गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

संदर्भ
https://bit.ly/3lpK5hU
https://bit.ly/3E14aSh
https://bit.ly/40QVdon

चित्र संदर्भ
1. भूकंप के बाद राहत कार्यों में लगे बचाव कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. अगस्त और अक्टूबर 2016 और जनवरी 2017 के मध्य इटली के भूकंपों की तीव्रता और आफ्टरशॉक्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपतटीय जापान परिमाण 6.8 भूकंप (सुबह 10-27 बजे, 1 मई 2021) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 1900 से 2017 तक भूकंप (M6.0+) को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
5. भूकंप के बाद की स्थिति को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)

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