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एक अध्ययन के अनुसार, जहरीले सांपों के काटने से पूरी दुनिया में कुल जितनी मौतें होती हैं, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत मौते अकेले भारत में होती हैं। भारत में हर साल सर्पदंश से लगभग 46,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं।
सरीसृपों द्वारा काटे गए पीड़ितों में से केवल 30 प्रतिशत ही चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के लिए अस्पतालों में जा पाते हैं। सर्पदंश की घटनाओं का आंकलन करने के लिए किये गए, एक अध्ययन के अनुसार, सर्पदंश पर अस्पतालों द्वारा प्रदान किये गए आंकड़ों को कम करके बताया जाता है। हाल ही के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में सांप के जहर पर शोध की भी बड़ी कमी है।
भारत महापंजीयक (Registrar General of India (RGI) द्वारा भारत में पहला सर्पदंश अध्ययन किया गया जो भारत के पांच प्रमुख क्षेत्रों और 13 राज्यों में सर्पदंश की घटनाओं पर केंद्रित था।
अध्ययन के अनुसार, भारत में जहरीले सांपों के काटने से हर साल करीब 46,900 लोगों की मौत हो जाती है। ग्रामीण भारत में अधिकांश पीड़ित आमतौर पर वैकल्पिक उपचार विधियों पर अधिक निर्भर हैं, जो राष्ट्रीय रजिस्ट्रियों (National Registries) में दर्ज ही नहीं होते हैं।
अध्ययन में भारत के 13 राज्यों (राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और त्रिपुरा) के 84 मिलियन लोगों को शामिल किया गया। इसका उद्देश्य देश में सर्पदंश को रोकने के लिए सर्पदंश के मामलों, मृत्यु दर और स्थिति के सामाजिक आर्थिक प्रभाव पर वास्तविक आंकड़े प्रदान करना है। वास्तव में ये संख्या बहुत बड़ी है, खासकर जब इसकी तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से की जाती है, जहां जहरीले सर्पदंश के कारण हर साल 10 से 12 मौतें होती हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया कम आबादी वाला देश है, लेकिन यहां जहरीले सांपों की संख्या भी बहुत अधिक है।
अध्ययन में बताया गया है कि ग्रामीण भारत में सर्पदंश से पीड़ित केवल 20 से 30 प्रतिशत लोग ही अस्पतालों में इलाज कराते हैं। पिछले साल जौनपुर जिले के सराय ख्वाजा क्षेत्र के हडही गांव में भी जहरीले सांप के डंसने से 11वीं कक्षा के एक होनहार छात्र की मौत हो गई। सांप छात्र के स्कूल बैग (School Bag) में छिपकर बैठा हुआ था। बैग जमीन पर गिरते ही सांप बाहर आया, छात्र के पैर को डंसा और गायब हो गया। छात्र को आनन-फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन सांप के जहर के कारण पीड़ित छात्र को बचाया नहीं जा सका। पिछले एक दशक में दुनिया भर में अनुमानित 30 मिलियन लोगों को सांपों ने काटा है। अकेले पिछले वर्ष लगभग 5.4 मिलियन लोगों को सांपों ने काटा है। जहरीले सांप के काटने से औसतन हर पांच मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इन चिंताजनक संख्याओं को कम करके आंका गया है, क्योंकि अधिकांश सर्पदंश की घटनाओं की कभी सूचना ही नहीं दी जाती है।
केन्या (Kenya) से लेकर भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) तक, सर्पदंश की समस्या और उससे होने वाली मौतें सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की व्यापक विफलता को दर्शाती है। वर्तमान में एंटी वेनम (Anti Venom) की पहुंच केवल 2% से भी कम लोगों के पास है। यह दवा महंगी भी है क्योंकि इसके प्रमुख निर्माताओं ने दवा का उत्पादन बंद कर दिया है।
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सर्पदंश की घटनाएं भी अधिक आम हो रही हैं। मानव जनित जलवायु परिवर्तन जैसे बढ़ते तापमान, और सूखे, गर्मी की लहरों, बाढ़, ठंडके दौर और जंगल की आग जैसी गंभीर घटनाओं में वृद्धि सहित कई कारकों ने सांपों से उनके पारंपरिक आवास क्षेत्रों को छीन लिया हैं, जिसके कारण आखिर में सांपों के पास केवल तीन विकल्प ही शेष हैं, या तो वे अपना स्थान बदलें , खुद को वातावरण के अनुकूल करें या मर जाएं।
सांप जो स्वयं को बदलते वातावरण के अनुकूलन या विस्थापन करने में असमर्थ हैं, वे मर रहे हैं। अगर दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में तापमान इसी दर से लगातार बढ़ता रहा, तो अगले 50 वर्षों में सांप पूर्णतः विलुप्त हो जाएंगे। हालांकि उनका विलुप्त होना आकर्षक लग सकता है, लेकिन धान के खेतों में चूहों को नियंत्रित करने से लेकर, प्रतिवर्ष हजारों कीटों का उपभोग करने जैसे, सांपों के अपने अनेक फायदे हैं। उदाहरण के लिए, रैटलस्नेक (Rattlesnake) की गिरावट, लाइम रोग (Lyme Disease) जैसे कीट जनित रोगों में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है।
आज सभी देशों को अपने समुदायों को जहरीले सांपों से होने वाले खतरों के बारे में शिक्षित करने और उनके आवास क्षेत्रों की निगरानी करने की आवश्यकता है। क्योंकि अलग-अलग सांप के काटने के लिए अलग-अलग एंटीवेनम की जरूरत होती है, इसलिए निगरानी यह निर्धारित करने में भी मदद करेगी कि किस क्षेत्र में कौन से एंटीवेनम की जरूरत है। सरकारों को दवा निर्माताओं को एंटी वेनम के उत्पादन को फिर से शुरू करने और इन दवाओं के लिए उनकी कीमतें कम करने के लिए आयकर में छूट जैसे प्रोत्साहन प्रदान करने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा हमें भी जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करने में तेजी लानी होगी।
संदर्भ
https://bit.ly/3CouYuJ
https://bit.ly/3jFvhL4
https://bit.ly/3VEQWQR
चित्र संदर्भ
1. जहरीले सांपो को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
2. सांप के काटे गए निशान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 2004-13 के लिए भारत में सर्पदंश मृत्यु जोखिम का स्थानिक वितरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत में सर्पदंश से होने वाली मौसमी मौतों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्रयोगशालाएँ विषरोधक का उत्पादन करने के लिए निकाले गए साँप के जहर का उपयोग करती हैं, जो अक्सर संभावित घातक सर्पदंश के लिए एकमात्र प्रभावी उपचार होता है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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