समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 31- Jan-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1975 | 623 | 2598 |
मोहम्मद सादिक इस्फ़हानी (Muhammad Sadiq Isfahani) द्वारा जौनपुर में निर्मित एटलस (Atlas) को शहर के स्वर्णिम इतिहास के एक सुनहरे पन्ने के रूप में गिना जाता है, क्योंकि यह भारत में निर्मित सबसे पुराना ज्ञात एटलस है, जिसे पहली बार (1646-47ईसवी ) में हमारे जौनपुर शहर में ही, हाथों से निर्मित किया गया था। लेकिन यदि आप इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इसकी तारिख जांचे तो यह 1055-1056 ए एच (AH) में निर्मित हुआ था।
जबकि ग्रेगोरियन, हिब्रू और हिजरी कैलेंडर (Gregorian, Hebrew and Hijri Calendar) पूरी दुनिया में आज सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले तीन प्रमुख कैलेंडर हैं, वैश्विक मुस्लिम आबादी द्वारा, धार्मिक आयोजनों की तारीखों को निर्धारित करने के लिए इस्लामिक कैलेंडर (चंद्र या हिजरी कैलेंडर) का ही उपयोग किया जाता हैं। हिजरी कैलेंडर 622 ईसवी में पैगंबर मुहम्मद और उनके अनुयायियों के मक्का से मदीना में प्रवास की घटना “हिजरा” पर आधारित है, जो हिजरी युग की शुरुआत का प्रतीक है।
इस घटना को पहले मुस्लिम समुदाय या उम्माह (Ummah) की शुरुआत माना जाता है। पश्चिमी देशों में, इस युग की तारीखों को अक्सर एएच (AH), या " एनो हेगिराए (Anno Hegirae)" के रूप में दर्शाया जाता है, जबकि मुस्लिम देशों में, उन्हें एच (H) या سَنَة هِجْرِيَّة (संक्षिप्त ھ) के रूप में दर्शाया जाता है। हिजरा से पहले के वर्षों को बीएच (BH), या "हिजरा से पहले” (Before the Hijra) के रूप में दर्शाया जाता है।
खलीफा उमर इब्न अल- खत्ताब (Umar ibn al-Khaṭṭāb) को हिजरी कैलेंडर का निर्माता माना जाता है। हिजरी कैलेंडर खलीफा उमर के उत्तराधिकार के तीसरे या चौथे वर्ष में, बसरा के एक अधिकारी, अबू मुसा अल-अशरी (Abu Musa al-Ashari) द्वारा प्राप्त पत्राचार पर लगातार तारीखों की कमी के बारे में शिकायत किए जाने के बाद स्थापित किया गया था। अबू मूसा अल-अशरी ने खलीफा उमर को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्हें तारीखों की गणना करने के लिए एक नया तरीका विकसित करने के लिए कहा। खलीफा उमर ने अपने सलाहकारों के साथ इस मुद्दे पर बहस की और अंततः उथमन इब्न अफ्फान और अली बिन अबी तालिब के समर्थन से फैसला किया कि कैलेंडर, पैगंबर मुहम्मद के प्रवास के वर्ष से शुरू होना चाहिए। तब कैलेंडर को मुहर्रम के महीने से शुरू करने और धू अल हिज्जा (Dhu al-Hijjah) के महीने के साथ समाप्त करने की घोषणा की गई, जिससे 622 ईसवी(पैगंबर के प्रवास का वर्ष) हिजरी कैलेंडर में पहला वर्ष बना। हिजरी कैलेंडर से पहले, समय को चिह्नित करने के लिए, मुस्लिम इतिहास में घटित महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे कि पैगंबर के जन्म का वर्ष, उनकी मृत्यु की तारीख इत्यादि का उपयोग करते थे।
हिजरी कैलेंडर वर्ष, 12 महीनों से बना है। प्रत्येक हिजरी महीने की शुरुआत एक अमावस्या चक्र की शुरुआत से चिह्नित होती है। धू अल-हिज्जा के महीने (जो चंद्रमा की गति के आधार पर 30 साल के चक्र का अनुसरण करता है) को छोड़कर, प्रत्येक महीने की लंबाई 29 से 30 दिनों तक होती है। हालांकि, अधिकांश मुस्लिम देशों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला नागरिक कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर ही है, लेकिन धार्मिक उद्देश्यों के लिए अभी भी केवल हिजरी कैलेंडर का ही उपयोग किया जाता है।
इस कैलेंडर की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों के बीच एक बहस अक्सर छिड जाती है कि क्या यह मूल रूप से एक चंद्र कैलेंडर था अथवा सौर वर्ष के साथ तालमेल बनाने के लिए जोड़ा गया, एक अंतर मास वाला चंद्र-सौर कैलेंडर था।
कुछ का मानना है कि अंतर्संबंध की प्रथा यहूदियों से उधार ली गई थी, जबकि अन्य इसे मक्का अरबों के पूर्व-इस्लामिक प्रथाओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। कैलेंडर का उद्देश्य मक्का की वार्षिक तीर्थयात्रा और उससे जुड़े मेलों के लिए उपयुक्त समय निर्धारित करना था।
हालांकि, इसे सत्यापित करने के लिए आज बहुत कम अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध हैं। प्राचीन दक्षिण अरब कैलेंडर के शिलालेख, विभिन्न स्थानीय कैलेंडरों के उपयोग को दर्शाते हैं जो चंद्र-सौर प्रणाली का पालन करते थे।
इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान से 29वें दिन शव्वाल तक का समय अनिश्चितता और उत्साह से भरा हुआ है। पश्चिमी क्षितिज पर चंद्र अर्धचंद्र (अरबी में हिलाल) की उपस्थिति, नए महीने की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। शव्वाल का पहला दिन ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है। अगर चांद नजर नहीं आता है तो रमजान एक और दिन के लिए बढ़ा दिया जाता है। 30 वें दिन, चंद्रमा का दर्शन अनावश्यक हो जाता है क्योंकि कोई भी हिजरी महीना 30 दिनों से अधिक लंबा नहीं हो सकता है, जो स्वचालित रूप से शव्वाल और ईद-उल-फितर के उत्सव की ओर ले जाता है। एक महीने की शुरुआत का निर्धारण करने का यह तरीका सभी 12 हिजरी महीनों पर लागू होता है, लेकिन चंद्रमा के दर्शन को उनके धार्मिक महत्व के कारण रमजान, शव्वाल और धू-अल-हिज्जा की शुरुआत के लिए ही व्यापक रूप से रूदाद किया जाता है। चंद्र अर्धचंद्र की दृश्यता की भविष्यवाणी करने के प्रयासों के बावजूद, पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा और सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में भिन्नता के कारण यह एक कठिन कार्य बना हुआ है।
संदर्भ
https://bit.ly/3WCFaaC
https://bit.ly/3FQ6onz
https://bit.ly/2N5Wcib
चित्र संदर्भ
1. हिजरी कैलेंडर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जौनपुर में निर्मित एटलस (मानचित्र), को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. वर्ष 1963 के लिए इस्लामी कैलेंडर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बिलाल अल-हबाशी, और 'उमर इब्न अल-खत्ताब को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
5. ईरान के कालक्रम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.