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ब्रिटिश राज आने से पहले जौनपुर में नील की थोड़ी बहुत खेती हुआ करती थी। नील इतना महत्वपूर्ण उत्पाद नहीं था और कपड़ा रंगनेवाले अपने लिए इसकी थोड़ी उपज करते थे। जौनपुर में पहली बार इसकी बड़े तौर पर खेती और उत्पादन सन 1789 में डॉ. जॉन विलियम्स ने शुरू किया। स्थानीय अधिकारीयों और किसानों के विरोध करने के बावजूद ये उपक्रम इतने तेज़ी से बढ़ गया कि सन 1841 आते आते 14000 एकड़ जमीन इंडिगो मतलब नील की खेती के लिए इस्तेमाल की जाने लगी। बहुतायता से नील की खेती जमीन को किराये पर लेकर की जाती थी। कभी कभी ब्रिटिश तीनकठिया नियम भी लागु करते थे जिसके मुताबिक 3/20 खेती की जमीन पर सिर्फ नील उगाई जाती थी। इस प्रथा का बिहार में काफी बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता था। बागान के मालिक और जमींदार किसानों को क़र्ज़ दे कर अनाज के बजाय नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और इस क़र्ज़ से किसान पूरी जिंदगी दब जाते थे। इस अत्याचार की वजह से बंगाल में सन 1859 में नील विद्रोह हुआ था। जौनपुर में सन 1870 तक इस व्यापार में बहुत इज़ाफा हुआ और पैसे की आमदनी भी बढ़ गयी मात्र आगेचल कर ख़राब और प्रतिकूल मौसम की वजह से बहुत से नील-किसानों को अपरिमित आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा। इस कारण से तथा जर्मन सिन्थेटिक डाई के बाज़ार में बढ़ती उपलब्धि के कारण जौनपुर में नील की खेती कम होते हुए समाप्ति के आस-पास पहुँच गयी। आज बहुत कम मात्रा में नील की खेती की जाती है। पारंपरिक बनारसी ढाका जमदानी साड़ी बनाने के लिए प्राकृतिक नील का इस्तेमाल किया जाता है। प्रस्तुत चित्र एम.एन मैकडोनाल्ड की पेअरसन मैगज़ीन, सन1900 में लिखी इंडिगो प्लांटिंग इन इंडिया इस लेख से हैं: 1) प्रथम चित्र में नील के खेत में काम करने वाले मजदूर नील के पौंधों को टंकी में भरते हुए दिखाए गए है। 2) दुसरे चित्र नील के कारखाने का है जिसमें उन टंकियों से नील निकालते हुए दिखाया गया है। 1. जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.12881/2015.12881.Jaunpur-A-Gazetteer-Being-Volume-Xxviii_djvu.txt 2. ड्रीम ऑफ़ वीविंग: स्टडी एंड डॉक्यूमेंटेशन ऑफ़ बनारस सारीज एंड ब्रोकेडस http://textilescommittee.nic.in/writereaddata/files/banaras.pdf 3. इंडिगो प्लांटिंग इन इंडिया: एम.एन मैकडोनाल्ड, पेअरसन मैगज़ीन, 1900 https://www2.cs.arizona.edu/patterns/weaving/articles/mmn_indg.pdf 4. द अरेबियन सीज: द इंडियन ओसियन वर्ल्ड ऑफ़ द सेवेनटिंन्थ: रेने जे बरेन्द्स https://goo.gl/C3ewUk 5. एग्रीकल्चरल पालिसी इन उत्तर प्रदेशा एंड उत्तराँचल- अ पालिसी मैट्रिक्स: प्रोफेसर जे. एन मिश्रा http://allduniv.ac.in/allbuni/ckfinder/userfiles/files/Agricultural_Policy_in_Uttar_Pradesh_and_Uttaranchal-_A_Poli.pdf
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