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आज हम आपको उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक अत्यंत प्राचीन विरासत के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसका इतिहास हजारों या लाखों नहीं, बल्कि करोड़ो वर्ष पुराना माना जाता है। उत्तरप्रदेश राज्य के सोनभद्र जिले में स्थित इस दिलचस्प और अत्यंत महत्वपूर्ण विरासत को सलखन जीवाश्म पार्क (Salkhan Fossil Park) के नाम से जाना जाता है।
सलखन जीवाश्म पार्क को आधिकारिक रूप से सोनभद्र जीवाश्म पार्क के रूप में जाना जाता है। यह सोनभद्र जिले में राजकीय राजमार्ग एस एच५ए (State highwaySH5A) पर सलखन गांव के पास रॉबर्ट्सगंज (Robertsganj) से लगभग 12 किमी दूर स्थित है। शोधकर्ताओं को इस पार्क में लगभग 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म होने का अनुमान है।
यहां पर जीवाश्म शिलाखंडों पर छल्ले के रूप में दिखाई देते हैं और कैमूर वन्यजीव रेंज (Kaimoor Wildlife range) में लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले पार्क में जीवाश्म शिलाओं के रूप में बिखरे हुए हैं। सोनभद्र जीवाश्म पार्क में पाए जाने वाले जीवाश्म शैवाल और स्ट्रोमेटोलाइट (Stromatolite) प्रकार के जीवाश्म हैं। यह राज्य वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।भूवैज्ञानिक 1930 के दशक से ही वर्तमान पार्क क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवाश्मों के बारे में जानते हैं।
8 अगस्त 2002 को, जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) भगवान शंकर द्वारा एक जीवाश्म पार्क के रूप में औपचारिक रूप से इस स्थान का उद्घाटन किया गया। सोनभद्र जिले में सोनभद्र जीवाश्म पार्क बहुत कम ज्ञात भूवैज्ञानिक खजानों में से एक है। पूरा पार्क कैमूर वन्यजीव रेंज में 25 हेक्टेयर में फैली महाशिला के ऊपर अद्वितीय अंगूठी के आकार की पथरीली संरचनाओं से युक्त है। यह पार्क संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्ध येलोस्टोन नेशनल पार्क (Yellowstone National Park) से लगभग तीन गुना बड़ा और पुराना है।
भू-वैज्ञानिकों ने इन जीवाश्मों की उत्पत्ति प्रोटेरोज़ोइक काल (Proterozoic Era) में खोजी है, जो कि सबसे लंबा भूगर्भीय युग है तथा जो लगभग 2.5 अरब साल पहले शुरू हुआ और 541 मिलियन साल पहले समाप्त हुआ।
पार्क के सदियों पुराने खजाने के महत्व और मूल्य को समझते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने इसको एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इस क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले व्यक्तियों में मिस्टर ऑडेन (Mr. Auden) (1933), मिस्टर माथुर (1958 -1965) और प्रोफेसर एस कुमार (1980-81) शामिल हैं। 23 अगस्त 2001में , हिंदी समाचार पत्र हिंदुस्तान के लिए लिखे गए एक लेख में पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी द्वारा इस क्षेत्र को चित्रित किया गया था। दिसंबर 2002 में, एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें भारत और विदेशों के 42 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कनाडा के भूविज्ञानी एच.जे. हॉफमैन (H.J. Hoffman) यहां के जीवाश्मों से अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने दुनिया में कहीं भी ऐसे "सुंदर और स्पष्ट जीवाश्म" नहीं देखे हैं। यह पार्क राज्य वन विभाग के क्षेत्र में आता है । 2013 में, राज्य सरकार ने सलखन जीवाश्म पार्क के विकास के लिए 12.5 मिलियन रुपये की राशि को भी मंजूरी दी । भू वैज्ञानिकों की दृष्टि से इस पार्क की प्राकृतिक संरचना अद्भुत है।
उत्तर प्रदेश सरकार सोनभद्र जिले के इस सलखन गांव में स्थित जीवाश्म पार्क को अंतरराष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिलाने के लिए भी प्रयासरत है । December 2017 में, तत्कालीन पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने प्रश्नकाल के दौरान विधान परिषद में बताया कि “राज्य सरकार सोनभद्र जिले के सलखन गांव में जीवाश्म पार्क को अंतरराष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिलाने के लिए पहले ही पहल कर चुकी है।"
हाल ही में राज्य पर्यटन विभाग द्वारा प्रकाशित एक पुस्तिका में भी इस जीवाश्म पार्क का उल्लेख किया गया है। कैमूर वन्यजीव अभयारण्य से सटे कैमूर रेंज में लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस पार्क में शैवाल और स्ट्रोमेटोलाइट (Algae and Stromatolite) के जीवाश्म भी पाए जाते हैं, जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले प्राचीनतम जीवाश्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
चूंकि पार्क वन विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए पर्यटन विभाग इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है ।किंतु , अब पर्यटन विभाग और राज्य के वन विभाग ने मिलकर एक समझौता किया है और अब ये दोनों विभाग इस पार्क में इको-टूरिज्म (Eco-Tourism) को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेंगे जिससे इस पार्क को अंतरराष्ट्रीय धरोहर घोषित करने में सहायता मिलेगी।
संदर्भ
https://bit.ly/3Hgq7yS
https://bit.ly/3VSFnpM
https://bit.ly/3VCjlaZ
चित्र संदर्भ
1. सलखन जीवाश्म पार्क को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. सलखन जीवाश्म पार्क के बाहर लगे बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (google)
4. सलखन जीवाश्म पार्क के भीतर के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सलखन जीवाश्म पार्क में अवशेषों दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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