समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 725
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 17- Dec-2022 (5th)Day | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1372 | 1372 |
पृथ्वी पर आज जिन 7 महाद्वीपों का अस्तित्व है वे सब किसी समय आपस में जुड़े हुए थे। और उस एकमेव महाद्वीप को पैंजिया (Pangea) के नाम से जाना जाता था। परंतु लगभग 200 दशलक्ष (Million) वर्षों पहले विवर्तनिक शक्तियों ( Tectonic forces ) के कारण यह महान महाद्वीप टुकड़ों में टूट गया, जिससे उन सभी सात महाद्वीपों का निर्माण हुआ जो आज अस्तित्व में है।चूंकि संवहन धाराए (convection currents) इन नवनिर्मित महाद्वीपों की विवर्तनिक प्लेटों (Tectonic plates) पर स्वतंत्र रूप से कार्य करती है, जिसके परिणाम स्वरूप ये प्लेटें तथा उनसे संबंधित महाद्वीप, पृथ्वी के मेंटल (mantle) पर फिसलते हुए दुनिया के आज के उनके भौगोलिक स्थानों पर पहुंच गए। विवर्तनिक प्लेटों की गतिविधियां पृथ्वी को कई तरीको से नियंत्रित कर सकती है जिसका हिमालय एक अच्छा उदाहरण है। इन प्लेटो की गतिविधि तथा इनके टकराने से ही पृथ्वी पर सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला का निर्माण हो गया।
जिन महाद्वीपों पर हम रहते हैं वे पृथ्वी के स्थलमंडल में स्थित विभिन्न विवर्तनिक प्लेटों(Tectonic plates) की एक श्रंखला ही है। आईए पहले यह जान लेते हैं की ये ‘विवर्तनिक प्लेटें’ आखिर क्या है? पृथ्वी का ऊपरी आवरण ठोस चट्टानों के एक बड़े स्लैब(Slab) में विभाजित है जिसे प्लेट कहा जाता है; जो पृथ्वी के मेंटल(Mantle) पर फिसलती रहती है। ये प्लेटें ‘संवहन’ नामक एक प्रक्रिया द्वारा निर्धारित विभिन्न दरों पर एक दूसरे से टकराती तथा अलग होती है। पृथ्वी की ऊपरी सतह लिथोस्फीयर (Lithosphere) के ठीक नीचें आंतरिक मेंटल है जिसे एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) के नाम से जाना जाता है। तत्वों(Elements) के रेडियोएक्टिव क्षय से पिघली हुई चट्टानों के रूप में पृथ्वी के आंतरिक आवरण में संवहन धाराएं उत्पन्न होती है। जब इसमें गर्म गैस और तरल पदार्थों का उत्पादन होता है तब वह ठंडी और सघन गैस तथा तरल पदार्थों को विस्थापित करते हुए ऊपर की ओर उठते हैं। और जैसे ही यह संवहन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है उनका परिसंचरण स्थलमंडल की प्लेटों को धक्का देते हुए धीरे-धीरे पृथ्वी के स्थलमंडल के आकार तथा स्थिति को बदलते रहते हैं।
चलो अब जानते हैं कि हिमालय का निर्माण कैसे हुआ? लगभग 80 दशलक्ष वर्षों पहले भारत, यूरेशियन प्लेट(Eurasian Plate) जो कि विश्व की कुछ मुख्य प्लेटों में से एक है, के लगभग 6400 किलोमीटर दक्षिण में स्थित था। इन दो प्लेटों के बीच में टेथीस नामक सागर (Tethys Ocean) भी था। इंडो–ऑस्ट्रेलियाई टेक्टोनिक प्लेट (The Indo-Australian tectonic plate) जो कि ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप, भारतीय उपमहाद्वीप तथा आसपास के सागरों का आधार थी, को संवहन धाराओं ने उत्तर दिशा में धकेल दिया। लाखों वर्षों तक भारत टेथीस समुद्र के पार यूरेशियन प्लेट की तरफ अपना रास्ता बनाता रहा। जब 40 दशलक्ष वर्षों पहले भारत एशिया के करीब था तब टेथीस सागर सिकुड़ने लगा और इसका समुद्री तल धीरे-धीरे ऊपर की ओर धकेला जाने लगा। फिर 20 दशलक्षवर्षों पहले टेथीस महासागर पूरी तरह सूख गया और इसके समुद्री तल से उठने वाली तलछट ने एक पर्वत श्रृंखला बनाई।
जब भारत और तिब्बत आपस में टकराए, तो प्लेट के साथ नीचे धंसने के बजाय भारतीय उपमहाद्वीप बनाने वाली हल्की और कायांतरित चट्टान तिब्बत के विरुद्ध टकराई और उसे ऊपर की ओर धकेल दिया और इस तरह हिमालय नामक एक विशाल पर्वत का निर्माण हुआ। यह प्रक्रिया बंद नहीं हुई है। इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट अभी भी यूरेशिया की ओर बढ़ रही है और तिब्बत को अभी भी ऊपर की ओर धकेल रही है। हिमालय प्रत्येक वर्ष औसतन 2 सेमी की वृद्धि जारी रखता है। इसी प्रकार विश्व की अन्य प्लेटों की विभिन्न गतिविधियों के कारण महाद्वीपों के परिदृश्य को आकार मिलता रहा है।
इसी कड़ी में एक और दिलचस्प बात, जब भारत और श्रीलंका एक ही प्लेट के भाग बन गए, उसके इतिहास की है। अंटार्कटिका प्लेट से भारत के अलग होने के बाद श्रीलंका का दाएं से बाएं (एंटी–क्लॉकवाइज) रिफ्टिंग(rifting) तथा मन्नार की बेसिन का विकास, कैंब्रियन आर्क( Cambrianarch) में 132 दशलक्ष वर्षों पहले हुआ। शायद आपको रिफ्टिंग तथा कैंब्रियन इन शब्दों को समझना थोड़ा कठिन लग रहा होगा… रिफ्टिंग अर्थात प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण होने वाले दोष की वजह से प्लेटो का अलग होना होता है। सरल भाषा में रिफ्टिंग से यहां तात्पर्य एक दरार से है। वहीं दूसरी ओर, कैंब्रियन आर्क, कैंब्रियन विस्फोट(Cambrian explosion) के बाद का समय था जो लगभग 53 करोड साल पहले घटित हुआ था। वास्तव में कैंब्रियन विस्फोट उस समय जानवरों के संघों में हुए अचानक बदलाव या विकास को कहते हैं।
इसके बाद मन्नार की बेसिन में दरार के प्रसार ने अंततः एक औलोकोजेन ( Aulocogen)जो एक दरार का क्षेत्र है तथा जहां नई परत(Crust) बनती है, का निर्माण किया । यह एक कठिन महाद्वीपीय बंधन द्वारा प्रतिबंधित था जो भारत एवं श्रीलंका के बीच पाकजलसंयोजी में विद्यमान था। अब इसका परिणाम यह रहा कि श्रीलंका के बीच के उन्नत भाग(ridge) का 128 दशलक्ष वर्षों पहले कैंब्रियन आर्क में स्थानांतरण हो गया और श्रीलंका का बचा हुआ भूभाग कैंब्रियन आर्क में 120 दशलक्ष वर्षों पहले भारतीय प्लेट का ही एक भाग बन गया। जिसके कारण वर्तमान श्रीलंका का निर्माण हुआ। और इसी वजह से वे अंटार्कटिका से दूर जा सके।
पृथ्वी पर वर्तमान स्थलमंडल की स्थिति तथा भारत और श्रीलंका का एक ही विवर्तनिक प्लेट का भाग बन जाना एक अद्भुत प्रक्रिया रही है। हमने देखा कि कैसे प्लेटो की गतिविधियों के कारण आज के स्थलमंडल को आकार मिला तथा हिमालय का निर्माण हुआ। साथ ही भारत और श्रीलंका की प्लेटों के बारे में घटना एक आश्चर्यजनक घटना थी।
संदर्भ–
https://to.pbs.org/3HvanZh
https://bit.ly/3XTA0Zr
चित्र संदर्भ
1. हिमालय के स्थान पर समुद्र को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. टेक्टोनिक प्लेट्स भौतिक विश्व मानचित्र की सीमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक अभिसरण प्लेट सीमा के आरेख को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. औलोकोजेन को दर्शाता एक चित्रण (Store norske leksikon)
5. माउंट एवेरेस्ट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.