समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 948
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
Post Viewership from Post Date to 01- Jan-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
915 | 915 |
विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) 1988 से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रुप से एचआईवी संक्रमण (HIV Infection) के प्रसार के कारण होने वाली एड्स महामारी के प्रति जागरूकता फ़ैलाने और बीमारी से मरने वालों का शोक मनाने के लिए समर्पित है। भारत में इसके अतिरिक्त विभिन्न संगठनों द्वारा कई अभियानों या कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनका उद्देश्य भारत में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाना, और भेदभाव का सामना कर रहे लोगों को सांत्वना दिलाना है।
आज एड्स या एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे कई लोग, एड्स के आक्षेप और भेदभाव जैसी कठोर वास्तविकताओं या व्यवहार का सामना कर रहे हैं। यह हानिकारक व्यवहार दोस्तों, परिवार, सहकर्मियों या अजनबियों द्वारा भी किया जा सकता हैं। इस प्रकार का आक्षेपमानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य, जीवन की समग्र गुणवत्ता, आर्थिक स्थिरता और स्थिति पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। दुर्भाग्य से, आज एड्स / एचआईवी संक्रमण आक्षेपएक व्यापक चिंता है।
एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार 50% से अधिक लोगों द्वारा, एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के प्रति नकारात्मक और भेदभावपूर्ण व्यवहार अपनाया जाता है। लोगों में एक संक्रमित विशिष्ट समूह के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो जाता है और दृष्टिकोण नकारात्मक हो जाता है ।
एचआईवी से जुड़े लांछन को कम करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य स्थिति के बारे में खुली बातचीत आवश्यक है। लोगों में एड्स / एचआईवी का आक्षेप मुख्य रूप से एचआईवी के डर और एचआईवी संचरण के प्रति ज्ञान की कमी के कारण लगता है। हालांकि, एचआईवी के बारे में अधिकांश पूर्वधारणाएं जो 1980 के दशक में सामने आई थीं आवश्यक नहीं कि वे आज की स्थिति की वास्तविकता हो।
एचआईवी से पीड़ित लोग विभिन्न प्रकार के भेदभाव का अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे ऐसे चिकित्सा पेशेवरों का सामना कर सकते हैं जो उन्हें देखभाल या सेवाएं प्रदान करने से इनकार कर देते हैं। भेदभाव तब भी होता है जब स्वस्थ लोग संक्रमितों की एचआईवी स्थिति के कारण उनके साथ पारस्परिक संपर्क से इनकार कर देते हैं। इस भेदभाव में एचआईवी से जूझ रहे लोगों के लिए अपमानजनक भाषा भी शामिल हो सकती है।
निम्नलिखित उपायों को अपनाकर एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाया जा सकता है:
१. सहायता समूहों के साथ संबद्धता
२. बेहतर समझ
३. पारिवारिक सहयोग
४. वित्तीय स्वतंत्रता
५. बच्चों की उपस्थिति
एचआईवी के आक्षेप को दूर करने के लिए आवश्यक कदमों में से एक ‘स्थिति के बारे में खुलकर बात करना और विषय को सामान्य बनाना’ भी है। एचआईवी के प्रसार को कम करने और इस स्वास्थ्य स्थिति के साथ रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए एचआईवी कलंक और भेदभाव के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
एचआईवी संक्रमण के प्रसार, एड्स महामारी के प्रति जागरूकता और एचआईवी कलंक को मिटाने के उद्देश्य से 1988 के बाद से हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस, के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकार, स्वास्थ्य अधिकारी, ग़ैर सरकारी संगठन और दुनिया भर में लोग, एड्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आवश्यक शिक्षा का प्रचार करते हैं। प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था, परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है । इसके बाद वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभाला और वर्ष 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया।
इस वायरस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए पिछले कुछ दशकों में विश्व स्तर पर और भारत में भी कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में 7 नवंबर, 2002 को एमटीवी चैनल (MTV Channel) ने दो "स्टेइंग अलाइव (Staying Alive)" प्रदर्शनों का आयोजन किया। इस अवसर पर एमटीवी ने, 90 मिनट का विज्ञापन-मुक्त प्रसारण तैयार किया, जो 1 दिसंबर, 2002 को विश्व एड्स दिवस पर विश्व स्तर पर प्रसारित हुआ। एमटीवी ने भारत और अन्य देशों में संगीत समारोहका भी आयोजन किया। इसी प्रकार मुक्ति फाउंडेशन (Mukkti Foundation, जो स्मिता ठाकरे (Smita Thackeray) के नेतृत्व में एक गैर-लाभकारी संगठन है, भी एचआईवी जागरूकता के मामले में हमेशा सबसे आगे रहा है।
पिछले दो दशकों में, संगठन ने एचआईवी/एड्स के क्षेत्र में अपने कार्यके लिए और सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से वैश्विक मान्यता प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास किया है। 2018 विश्व एड्स दिवस अभियान में मुक्ति फाउंडेशन ने मुंबई डब्बावालों के साथ भी सहयोग किया। 2021 में, मेघालय एड्स कंट्रोल सोसाइटी (Meghalaya AIDS Control Society (MACS) ने भी एचआईवी रोगियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और भेदभाव के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए शहर में एक बाइक और विंटेज ऑटोमोबाइल कार्यक्रम ( A bike and vintage automobile event ) का आयोजन किया था।
संदर्भ
https://bit.ly/3ORbMe3
https://bit.ly/3UjtOXq
https://bit.ly/3EOTllF
https://bbc.in/3OK2RLD
चित्र संदर्भ
1. तनावग्रस्त व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एड्स का इलाज कराते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. धड़कन की जाँच करते चिकित्सकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. MTV के "स्टेइंग अलाइव (Staying Alive)" प्रदर्शन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.