Post Viewership from Post Date to 22- Dec-2022 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2068 | 233 | 2301 |
अक्सर कहा जाता है की "जो दिखता है, वही बिकता है!" विज्ञापनों ने इस कथन को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने शानदार विज्ञापनों की बदौलत आज अमूल, निरमा, गोदरेज और कैडबरी (Godrej and Cadbury) जैसे उत्पाद घर-घर में प्रयोग एवं पसंद किये जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की, रेडियो और इंटरनेट की अपार लोकप्रियता के बावजूद, टेलीविजन अर्थात टीवी आज भी भारत में टीवी विज्ञापन उत्पाद का प्रचार करने का सबसे लोकप्रिय रूप बने हुए है।
भारत में टेलीविजन उद्योग बहुत विविध है, जिसके अंतर्गत कई भारतीय भाषाओं में हजारों कार्यक्रम तैयार किये जाते है। आज सभी भारतीय परिवारों में से आधे से अधिक के पास टेलीविजन उपलब्ध है।
भारत का पहला टीवी ट्रांसमीटर (TV Transmitter) 24 अक्टूबर 1951 को जबलपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग विभाग में स्थापित किया गया था। 2016 तक, देश में 857 से अधिक टेलीविज़न चैनल स्थापित हो चुके थे। हिंदी, तेलुगु और तमिल भाषा के टेलीविजन उद्योग, भारत में अब तक के सबसे बड़े टेलीविजन उद्योग हैं।
भारत में टेलीविज़न का यही विशालकाय आंकड़ा इसे उत्पाद का प्रचार करने के लिए एक आदर्श माध्यम बनाता है। टीवी विज्ञापन या टीवी कमर्शियल (TV Commercial), को अक्सर ऐड या ऐड फिल्म (Ad film) भी कहा जाता है, यह सन्देश पहुंचाने या अपने उत्पाद का प्रचार कराने वाले किसी संगठन द्वारा किए गए भुगतान के तहत उसके लिए निर्मित टीवी कार्यक्रम का एक विविध रूप होता है। विज्ञापन से प्राप्त होने वाला राजस्व अधिकांश निजी स्वामित्व वाले टीवी नेटवर्कों को वित्तपोषित करता है। आजकल के अधिकांश टीवी विज्ञापनों में संक्षिप्त विज्ञापन अंश शामिल होते हैं, जो कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चल सकते हैं।
टीवी के इस्तेमाल के आरम्भ से ही इस तरह के विज्ञापनों का इस्तेमाल तरह-तरह के उत्पादों, सेवाओं और विचारों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता रहा है। विज्ञापन देखने वाली जनता पर वाणिज्यिक विज्ञापनों का काफी सफल और व्यापक असर पड़ा है। विज्ञापनदाता और विपणक, टेलीविजन विज्ञापनों को टीवीसी (TVC – TV Commercials) भी कहते हैं। 2010 के दशक के बाद से ही विज्ञापनों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, हालांकि औसत विज्ञापन की लंबाई कम हो गई है। इस प्रकार के विज्ञापनों ने टेलीविजन के इतिहास के शुरुआती दिनों से ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं, सेवाओं और विचारों को बढ़ावा दिया है। संयुक्त राज्य (USA) सहित कई देशों में, एक राजनीतिक अभियान में टेलीविजन अभियान विज्ञापन आम हैं। अन्य देशों जैसे फ्रांस (France) में, टेलीविजन पर राजनीतिक विज्ञापन अत्यधिक प्रतिबंधित है, जबकि नॉर्वे (Norway) जैसे कुछ देशों में राजनीतिक विज्ञापनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
दुनिया का पहला टेलीविज़न विज्ञापन 1 जुलाई, 1941 को प्रसारित हुआ था। यह विज्ञापन बुलोवा (Bulova) घड़ियों के लिए था, तथा न्यूयॉर्क (New York) में बेसबॉल खेल की शुरुआत से पहले प्रसारित किया गया था। दुनिया का पहला विज्ञापन केवल 10 सेकंड लंबा था, जिसे संचालित करने में कंपनी को कुल 9 डॉलर (670 रुपये) की लागत आई थी। विज्ञापन में एक वॉइस-ओवर (Voice-Over) था जिसमें कहा गया था कि 'अमेरिका बुलोवा के समय पर चलता है।
भारत में टेलीविजन वर्ष 1959 में पेश किया गया था, लेकिन भारत को अपना पहला टेलीविजन विज्ञापन भुगतान प्राप्त करने से पहले पूरे 19 साल तक इंतजार करना पड़ा। पहला भारतीय टेलीविजन विज्ञापन वर्ष 1978 में चलाया गया और यह ग्वालियर सूटिंग्स (Gwalior Suitings) नामक कंपनी के लिए था। भारत में पहला रंगीन टेलीविजन विज्ञापन इसके पांच साल बाद आया। यह कमर्शियल, बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) के लिए था, और पूरे 100 सेकंड लंबा था। वर्तमान में टेलीविजन बाजार इस हद तक बढ़ गया है कि 2018 में अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में टीवी विज्ञापन खर्च $69.87 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था।
टेलीविज़न विज्ञापन में तीन मुख्य कार्य शामिल हैं: एक टेलीविज़न विज्ञापन बनाना जो प्रसारण मानकों को पूरा करता है, वांछित ग्राहक तक पहुँचने के लिए टेलीविज़न पर विज्ञापन देना और फिर इन विज्ञापनों के परिणामों को मापना, जिसमें निवेश पर प्रतिफल भी शामिल है।
पिछले 70 वर्षों से, भारतीय विज्ञापनों में भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में बदलाव के साथ बहुत बदलाव आया है। कुछ विज्ञापन अभियानों ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए रूढ़िवादिता पर हमला करते हुए सिर्फ एक उत्पाद बेचने के अलावा भी बहुत कुछ किया है। प्रिंट मीडिया (Print Media) से लेकर टीवी विज्ञापनों तक विज्ञापन भारतीय समाज में बदलाव के उत्प्रेरक रहे हैं। आगे कुछ सबसे पुराने लोकप्रिय टेलीविजन विज्ञापनों की सूची दी गई है:
१. लाइफबॉय (Lifebuoy): लोवे लिंटास विज्ञापन एजेंसी (Lowe Lintas Advertising Agency) द्वारा 1964 में प्रकाशित प्रसिद्ध बॉडी सोप ब्रांड (Body Soap Brand) लाइफबॉय का विज्ञापन, भारत में प्रकाशित होने वाले सबसे पुराने टीवी विज्ञापनों में से एक है। इस विज्ञापन ने स्वास्थ्य की रक्षा करने और ग्राहकों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी प्रेरित किया है।
विज्ञापन एजेंसी: लोव लिंटास
वर्ष: 1964
२. जन सेवा अभियान: 1974 में फिल्म्स डिवीजन ऑफ इंडिया विज्ञापन एजेंसी (Films Division of India Advertising Agency) द्वारा एक एनिमेटेड (Animated) शैक्षिक लघु फिल्म प्रकाशित की गई थी,जिसका शीर्षक 'एक चिड़िया, अनेक चिड़िया' था। इस विज्ञापन को टीमवर्क (Team work) और एकता के बारे में बच्चों को सिखाने के इरादे से दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था। इस विज्ञापन ने अपने समय में अपार लोकप्रियता हासिल की।
विज्ञापन एजेंसी: फिल्म्स डिवीजन ऑफ इंडिया
वर्ष: 1974
३. ब्रिटानिया ग्लूकोज डी बिस्किट (Britannia Glucose D Biscuit): ब्रिटानिया ग्लूकोज डी ने विशेष रूप से बच्चों के लिए लक्षित विज्ञापन, 1976 में लोवे लिंटास विज्ञापन एजेंसी द्वारा प्रकाशित किया गया था, जो अब तक के सबसे प्रतिष्ठित बिस्किट विज्ञापनों में से एक है। इसमें 'शोले' के मशहूर बॉलीवुड खलनायक 'गब्बर सिंह' को दिखाया गया था। विज्ञापन में 'ब्रिटानिया ग्लूकोज डी बिस्कुट, गब्बर की असली पसंद' चलाया गया।
विज्ञापन एजेंसी: लोव लिंटास
वर्ष: 1976
४. कॉमप्लान (Complan): चैत्र विज्ञापन द्वारा 1980 के दशक में प्रकाशित कॉम्प्लान विज्ञापन अब तक के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पेय विज्ञापनों में से एक है। विज्ञापन में बॉलीवुड अभिनेता आयशा टाकिया और शाहिद कपूर को प्रसिद्ध कॉम्प्लान की टैगलाइन (Tagline) कहते हुए दिखाया गया है। इस विज्ञापन को भारत में बच्चों के पोषण को बढ़ावा देने के तरीके को बदलने के लिए जाना जाता है।
विज्ञापन एजेंसी: चैत्र एडवरटाइजिंग (Chaitra Advertising (now Leo Burnett)
वर्ष: 1980 के दशक
५. मैगी: हिंदुस्तान थॉमसन एसोसिएट्स (Hindustan Thomson Associates) द्वारा प्रकाशित नेस्ले (nestle) के स्वामित्व वाले नूडल, ब्रांड मैगी का 1980 का विज्ञापन एक और प्रतिष्ठित विज्ञापन है, जिसने मैगी को भारतीयों के लिए परम आराम का भोजन बना दिया। यहीं से मैगी की सफलता की कहानी शुरू हुई।
विज्ञापन एजेंसी: हिंदुस्तान थॉमसन एसोसिएट्स ( HTA)
वर्ष: 1980 का दशक
६ ताज महल: जेडब्ल्यूटी (JWT) द्वारा 1980 के दशक में प्रकाशित प्रसिद्ध चाय ब्रांड ताजमहल का विज्ञापन अपने समय का सबसे प्रसिद्ध विज्ञापन है। तब तक अन्य सभी ब्रांड अंतरराष्ट्रीय तकनीकों और चेहरों का उपयोग कर रहे थे, लेकिन ताजमहल के विज्ञापन में तबला बजाने वाले प्रसिद्ध उस्ताद जाकिर हुसैन को दिखाया गया था। इसने ब्रांड को एक भारतीय अनुभव देने में मदद की।
विज्ञापन एजेंसी: जेडब्ल्यूटी
वर्ष: 1980 के दशक
७.विक्स (Vicks): 1982 में एंबिएंस ऐड एजेंसी (Ambience Ad Agency) द्वारा प्रकाशित विक्स कफ ड्रॉप (Vicks Cough Drops) विज्ञापन अपने समय का एक और यादगार टीवी विज्ञापन है। इसमें अभिनेता जयंत कृपलानी थे। इसे एक जिंगल के साथ दिखाया गया था, 'विक्स की गोली लो, खिचखिच दूर करो'। यह विज्ञापन भी काफी लोकप्रिय हुआ।
संदर्भ
https://bit.ly/3XamdgC
https://bit.ly/3V2d6N4
https://bit.ly/3Xb9quq
https://bit.ly/3tKPBfK
चित्र संदर्भ
1. 1974 में फिल्म्स डिवीजन ऑफ इंडिया विज्ञापन एजेंसी (Films Division
of India Advertising Agency) द्वारा एक एनिमेटेड (Animated) शैक्षिक लघु फिल्म प्रकाशित की गई थी,जिसका शीर्षक 'एक चिड़िया, अनेक चिड़िया' था। को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. समूह में टीवी देखते भारतियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 1963 मैग्नावॉक्स पोर्टेबल टेलीविजन विज्ञापन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. पहला भारतीय टेलीविजन विज्ञापन वर्ष 1978 में चलाया गया और यह ग्वालियर सूटिंग्स (Gwalior Suitings) नामक कंपनी के लिए था। को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
6. लाइफबॉय के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
7. जन सेवा अभियान के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
8. ब्रिटानिया ग्लूकोज डी बिस्किट के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
9. कॉमप्लान के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
10. मैगी के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
11. ताज महल चाय के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
12. विक्स के लिए कमर्शियल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.