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भारत को रूढ़िवादी लोगों का देश समझने वाले लोग, यह देखकर हैरान रह गए हैं की, आधुनिक भारत बदलावों को बेहद तेज़ी से अपना रहा है, बशर्ते वह बदलाव हमारे हित में होना चाहिए और हमारी जेबों के अनुकूल अर्थात सस्ता होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर 2016 में, रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने जैसे ही सस्ता इंटरनेट उपलब्ध कराना शुरू किया, तुरंत ही भारतीयों ने जटिल स्मार्टफोन चलाना भी सीख लिया, और आज भारत में 658 मिलियन इंटरनेट उपभोग्ता हो गए हैं। जानकारों के अनुसार इसी प्रकार की बदलाव क्रांति हम जल्द ही, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के बाजार में भी देख सकते हैं, क्यों की यहां भी कई देशी-विदेशी कंपनियां सस्ती इलेक्ट्रिक साइकिल या इलेक्ट्रिक-बाइक (Electric Bicycle or Electric-Bike) उपलब्ध कराने की होड़ में लग चुकी हैं।
भारत की सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) के नाम से प्रसिद्ध, बेंगलुरू के लोग मेट्रो स्टेशन (Metro station) से अपने कार्यालयों तक कम दूरी पर आवाजाही के तरीके में एक दिलचस्प बदलाव कर रहे हैं। दरसल पहले यात्री परिवहन के लिए बस या ऑटो का चुनाव करते थे। लेकिन इसके बाद कुछ नए स्टार्टअप (Startup), किराए पर साइकिल की पेशकश करने लगे, जिससे परिवहन के तरीकों में बदलाव देखा गया है। वहीं आज की तारीख में हमारे बीच परिवहन का और भी आसान माध्यम यानी इलेक्ट्रिक बाइक आ चुकी हैं।
वास्तव में इलेक्ट्रिक बाइक, मोटरबाइक और साइकिल के मिले-जुले रूप कहे जा सकते हैं। उनकी गति 20 किमी प्रति घंटे से कम होती है और वे एक बार चार्ज करने पर 50 किमी तक की दूरी तय कर सकते हैं, जो इन्हें दैनिक यात्रियों के लिए अंतिम मील कनेक्टिविटी हेतु एक आदर्श वाहन बनाता है। हालांकि शुरू में लोग इन्हें चलाने में झिझक रहे थे, लेकिन शुरुआती झिझक के बाद इलेक्ट्रिक बाइक का इस्तेमाल अब काफी बढ़ गया है।
आजकल, डिलीवरी पार्टनर (Delivery Partner) इलेक्ट्रिक बाइक के सबसे बड़े उपयोगकर्ता बनकर उभरे हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है की, इलेक्ट्रिक बाइक के साथ अब, आपको डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम करने के लिए बाइक या ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग में वृद्धि के साथ, बेंगलुरु भारत को यह संदेश भी दे रहा है कि, पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का प्रयोग करके भी कम दूरी का आवागमन किया जा सकता है। हालांकि कुछ मायनों में एक इलेक्ट्रिक बाइक परिवहन का सर्वोत्तम समाधान नहीं है, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन को बिजली के पारंपरिक स्रोतों का उपयोग करके ही चार्ज किया जाता है।
त्यौहारों के सीजन के दौरान भी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री में नई ऊंचाई दर्ज की गई। पिछले महीने (अक्टूबर-२०२२) के दौरान, देश में जितने स्कूटर बेचे गए, उनमें से 15% इलेक्ट्रिक थे। आज सभी वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी कुल 5% हो गई है। 2022 में मई के बाद से ही महीने दर महीने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री लगातार बढ़ रही है। 2022 के पहले नौ महीनों में ही संचयी पंजीकरण 388,000 इकाइयों तक पहुंच गया है, जो पहले से ही पूरे 2021 की तुलना में 2.7 गुना अधिक है।
भारत सरकार के वाहन पोर्टल (Vehicle Portal) के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि, सितंबर 2022 में 51,586 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का पंजीकरण हुआ था, जो इस महीने में बेचे गए कुल दोपहिया वाहनों का 5.05% हिस्सा था। वहीं 2022 की शुरुआत में इनकी हिस्सेदारी 2% थी और दो साल पहले तो यह 0.5% से भी कम थी, अतः यह आंकड़े निश्चित तौर पर उत्साह जनक हैं।
पेट्रोल की अधिक लागत और पुराने दोपहिया वाहन निर्माताओं के बीच इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती उपलब्धता भी, उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। एक इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन चलाने की लागत सिर्फ ₹0.35 प्रति किमी आती है, वहीं पेट्रोल से चलने पर यह लागत ₹ 2.20 प्रति किलोमीटर तक बढ़ जाती है। इस प्रकार यदि कोई प्रतिदिन लगभग 50 किमी गाड़ी चला रहा है, तो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन उसे प्रतिदिन लगभग ₹100 की बचत करा देता है, जो लंबे समय पर एक आकर्षक सौदा साबित हो सकता है।
इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन की खूबियों को भांपते हुए, भारत की लोकप्रिय खाद्य वितरण कंपनी स्विगी (Swiggy) ने भी 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के माध्यम से 800,000 किलोमीटर की दूरी तय करने की प्रतिबद्धता जताई है। जिसे पूरा करने के लिए कंपनी ने रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड (Reliance BP Mobility Limited (RBML) के साथ, देश भर में अपने डिलीवरी पार्टनर के लिए ईवी इकोसिस्टम और बैटरी-स्वॉपिंग स्टेशन (EV ecosystem and battery-swapping stations) बनाने के लिए एक समझौता भी किया है।
कंपनी के अनुसार एक सिंगल प्री-चार्ज बैटरी (Single pre-charged Battery), एक ईवी को 80 किलोमीटर तक की चलने की क्षमता प्रदान करती है। बैटरी की अदला-बदली में पांच मिनट से भी कम समय लगने के कारण, डिलीवरी पार्टनर के पास प्रतीक्षा समय कम होने और परिणामस्वरूप अधिक डिलीवरी करने की शानदार संभावना होती है। इसके साथ ही स्विगी अपने भागीदारों को बैटरी प्रदर्शन की निगरानी के लिए ईवीएस, स्वॉपिंग स्टेशन (Swapping Station) और मोबाइल ऐप (Mobile App) का उपयोग करने के तरीके के बारे में भी प्रशिक्षित करेगी।
एंड-टू-एंड डिलीवरी (end-to-end delivery) के लिए कंपनी ने ई-बाइक निर्माता हीरो लेक्ट्रो (Hero Lectro) के साथ भी गठजोड़ किया है। कंपनी की लेक्ट्रो कार्गो ई-बाइक (Lectro Cargo E-Bike) का परीक्षण भारतीय शहरों बेंगलुरु, नई दिल्ली और हैदराबाद में पहले से ही चल रहा है।
स्विगी का कहना है कि लेक्ट्रो कार्गो ई-बाइक विशेष रूप से आखिरी-मील डिलीवरी के लिए डिज़ाइन की गई हैं और 75 किलोमीटर प्रति चार्ज की रेंज के साथ 25 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चल सकती हैं। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। उदाहरण के लिए, भारतीय राइड-हेलिंग फर्म ओला (Indian ride-hailing firm Ola) की ईवी शाखा, ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) भी जल्द ही देश में एक इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च करेगी। फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसी कंपनियां भी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और तैनात करने के प्रयास कर रही हैं। इस साल फरवरी में, वॉलमार्ट (Walmart) के स्वामित्व वाली ईकॉमर्स फर्म (Ecommerce firm) ने घोषणा की कि वह 2030 तक 25,000 से अधिक ईवी तैनात करेगी। उद्योग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार, जिसका मूल्य 2020 में यूएस $ 5 बिलियन था, 2026 तक यूएस $ 47 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
संदर्भ
https://bit.ly/3E5rIWm
https://bit.ly/3E4ASCv
https://bit.ly/3UalIRS
चित्र संदर्भ
1. इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. इलेक्ट्रिक वाहन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. किराए में ले जा सकने योग्य इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
4. स्विगी के डिलीवरी बॉय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. फूड स्टॉल को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
6. ओला इलेक्ट्रिक के इलेक्ट्रिक स्कूटर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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