हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि विश्व संस्कृति में मिलता के कल्पवृक्ष का विवरण
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें
06-11-2022 12:45 PM
Post Viewership from Post Date to
07- Dec-2022
(31st)
City Subscribers (FB+App)
Website (Direct+Google)
Email
Instagram
Total
401
401
इच्छा-पूर्ति करने वाला वृक्ष, कल्पवृक्ष या कल्पतरु न केवल हिंदू धर्म में बल्कि विश्व संस्कृति में अनन्त जीवन और आशीर्वाद के स्रोत का प्रतीक माना जाता है। उदाहरण के लिए, अफ्रीका (Africa) और मेडागास्कर (Madagascar) के बाओबाओ (Baobao) वृक्ष को 'जीवन का वृक्ष'कहा जाता है। यह शुष्क क्षेत्रों में उगता है और इसलिए इसमें संचित पानी एक मूल्यवान संसाधन है। जानवर बाओबाओ पेड़ की शाखाओं को चबाकर इनमें संचित पानी का सेवन करते हैं। इसका फल एंटीऑक्सीडेंट (antioxidants) से भरपूर होता है और संकट के समय में पेड़ जीवन रक्षक का काम करता है। एक प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथ में एक ऐसे दृश्य का वर्णन किया गया है जिसमें लोग भारत के कौशाम्बी के पास स्थित एक न्याग्रोधा वृक्ष के नीचे आराम करते हैं, जिसकी छांव में हाथियों और घोड़ों तथा उनके द्वारा खींची गई गाड़ियों को भी ठहराते हैं। न्याग्रोधा की पहचान बरगद के पेड़ के रूप में की गई है जिसकी शाखाओं से ही नए वृक्ष पनपने लगते हैं और इनका विस्तार एक व्यापक क्षेत्र को कवर करता है, इसे अमर माना जाता है। इस प्रकार बरगद, हमारे राष्ट्रीय वृक्ष होने के अलावा, हमारी किंवदंतियों में कल्पवृक्ष के रूप में पूजनीय है। आयुर्वेद में पारिजात वृक्ष की तुलना दिव्य वृक्ष कल्पवृक्ष से की जाती है क्योंकि इसकी पत्तियों का उपयोग बुखार, खांसी, गठिया, कृमि संक्रमण आदि के इलाज के लिए किया जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा को खुश करने के लिए स्वर्ग से ताड़ के पेड़ लाए थे और तमिलनाडु में इसे कल्पतरु माना जाता है क्योंकि ताड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है। इसी तरह, नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष कहा जाता है, क्योंकि नारियल के सभी भाग (रेशेदार आवरण, कठोर लकड़ी का खोल, गिरी, नारियल पानी और बीज जिससे अंकुर निकलते हैं) मानव जाति के लिए उपयोगी होते हैं। राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को 'थार का कल्पतरु' कहा जाता है। रेत के टीलों को स्थिर करने और रेगिस्तानी गर्मी में आश्रय देने के अलावा, यह समुदाय को भोजन, चारा, लकड़ी और दवा के रूप में भी सेवा प्रदान करता है। हालांकि कल्पवृक्ष प्रतीकात्मक और पौराणिक है, यह लगभग वास्तविक है क्योंकि सभी पेड़ हमें लगातार अपनी कृपा से आशीर्वाद देते हैं।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from
the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this
post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website
(Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from
the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.