विभिन्न शोधों से पता चलता है कि केवल धरती ही नहीं, शुक्र और मंगल भी जलवायु परिवर्तन से हुए हैं प्रभावित

जलवायु व ऋतु
25-10-2022 10:31 AM
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विभिन्न शोधों से पता चलता है कि केवल धरती ही नहीं, शुक्र और मंगल भी जलवायु परिवर्तन से हुए हैं प्रभावित

सौर मंडल पर मौजूद इतने सारे ग्रहों के बारे में सोचते ही उनमें जीवन होने की संभावना का ख्याल सबसे पहले आता है, क्योंकि इतने वर्षों से हम यही सुनते आ रहे हैं कि मंगल ग्रह में जीवन के होने की संभावनाएं मौजूद है। लेकिन अब कई नए शोधों से यह जानकारी प्राप्त हो रही है कि जैसे पृथ्वी पर मनुष्यों की गतिविधियों के कारण जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरे पृथ्वी में रह रहे सभी प्रकार के जीवनरूपों के लिए हानिकारक साबित हो रहे हैं, वैसे ही एक समय में प्राचीन मंगल कभी मीथेन-उत्पादक रोगाणुओं का समर्थन करने के लिए पर्याप्त रहने योग्य था, लेकिन शायद इन रोगाणुओं द्वारा मंगल ग्रह के वायुमंडल को अपूरणीय क्षति पहुंचाकर स्वयं को नष्ट कर दिया गया है। वहीं आधुनिक मंगल, पृथ्वी पर किसी भी रेगिस्तान की तुलना में बहुत ही ठंडा और शुष्क हो गया है, तथा इसका वातावरण अब काफी सूखा सा है। परंतु पहले ऐसा कुछ नहीं था, यदि देखा जाएं तो रोवर्स (Rovers) और ऑर्बिटर (Orbiter) के दशकों के अवलोकन से प्राचीन नदियों, नदी मुख- भूमि, झीलों और संभवतः महासागरों के काफी स्पष्ट और व्यापक प्रमाण मिले हैं।
एक जटिल कंप्यूटर मॉडलिंग (Computer modeling) अध्ययन से पता चलता है कि प्राचीन पृथ्वी पर मौजूद हाइड्रोजन का सेवन करने वाले समान रोगाणु उस समय मंगल ग्रह के प्राचीन वातावरण और स्थलमंडल पर भी मौजूद थे, लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्वी पर उन सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पादित मीथेन ने धीरे-धीरे ग्रह को गर्म कर दिया, लेकिन मंगल ग्रह इसके बजाय ठंडा हो गया, जिससे सूक्ष्म जीवों को जीवित रहने के लिए ग्रह की परत की गहराई में जाना पड़ गया। हालांकि उस समय मंगल ग्रह अपेक्षाकृत गीला और अपेक्षाकृत गर्म रहा होगा, शून्य से 10 डिग्री और 20 डिग्री सेल्सियस [14 डिग्री फ़ारेनहाइट और 68 डिग्री फ़ारेनहाइट] के बीच। इसकी सतह पर नदियों, झीलों और शायद महासागरों के रूप में तरल पानी मौजूद रहा होगा। लेकिन इसका वातावरण पृथ्वी से काफी भिन्न था, इसमें कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) और हाइड्रोजन (Hydrogen) काफी समृद्ध मात्रा में उपलब्ध थे, इन दोनों ही गैसों ने काफी शक्तिशाली गर्म करने वाली गैसों की भांति कार्य किया था। पृथ्वी की तुलना में सूर्य से दूर और इसलिए स्वाभाविक रूप से ठंडा होने के कारण, मंगल को जीवन के लिए एक आरामदायक तापमान बनाए रखने के लिए इन ग्रीनहाउस गैसों की आवश्यकता थी।
लेकिन जैसे ही उन शुरुआती रोगाणुओं ने हाइड्रोजन को निगलना शुरू कर दिया और मीथेन (जो पृथ्वी पर एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस की तरह काम करता है) का उत्पादन करना शुरू कर दिया, उन्होंने वास्तव में इस वार्मिंग ग्रीनहाउस के प्रभाव को धीमा करने के साथ ही प्राचीन मंगल को धीरे-धीरे इतना ठंडा कर दिया कि यह जीवन के लिए उत्कर्ष नहीं रहा।जैसे-जैसे ग्रह ठंडा होता गया, वहाँ मौजूद पानी भी जमने लगा और सतह का तापमान शून्य से 70 डिग्री फ़ारेनहाइट ( -60 डिग्री सेल्सियस) से नीचे चला गया, जिससे रोगाणुओं को मंगल की सतह की गहराई में जाने के लिए विवश होना पड़ा ताकि वे गर्म रह सकें। मॉडलिंग से पता चला कि शुरुआत में रोगाणु सीधे मंगल की रेतीली सतह के नीचे आराम से रह सकते थे, लेकिन कुछ सौ मिलियन वर्षों के भीतर उन्हें 0.6 मील (1 किलोमीटर) से अधिक की गहराई तक जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।सौटेरे (Sauterey) और उनकी समूह ने तीन स्थानों की पहचान की जहां इन प्राचीन रोगाणुओं के सतह के करीब रहने की संभावना को देखा जा सकता है। इन स्थानों में जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater– जहां नासा (NASA) का पर्सवेरेंस रोवर (Perseverence Rover) वर्तमान में चट्टान के नमूनों की खोज कर रहा है, ताकि इन जीवन के होने के प्रमाण का पता लगाया जा सकें) शामिल है, और दो निचले मैदान: दक्षिणी गोलार्ध में मध्य अक्षांशों पर हेलस प्लैनिटिया (Hellas Planitia), और मार्टियन (Martian) भूमध्य रेखा के उत्तर में इसिडिस प्लैनिटिया (Isidis Planitia)।
ऐसा माना जा रहा है कि ग्रह पर वे स्थान जहाँ ये रोगाणु सतह के सबसे निकट रहे होंगे, वे सबसे गर्म क्षेत्र होंगे। और सबसे गर्म स्थान आमतौर पर सबसे गहरे स्थान पर होते हैं। इन गड्ढों और घाटियों के तल पर, बाकी सतह की तुलना में जलवायु बहुत गर्म होता है और इसलिए इन जीवन रूपों के प्रमाण के लिए ऐसे स्थानों पर खोज की जा रही है। ताकि शोधकर्ता यह पता लगा सकें कि क्या ये प्राचीन रोगाणु अभी भी मंगल की सतह के अंदर मौजूद हैं? उपग्रहों द्वारा पहले मंगल के महीन वातावरण में मीथेन के होने के प्रमाण का पता लगाया है, लेकिन वर्तमान में यह कहना असंभव है कि यह मीथेन जैविक उत्पत्ति से आई है या नहीं। ऐसे ही ग्रह की प्राचीन जलवायु के कंप्यूटर मॉडलिंग (Computer modelling) के अनुसार, माना जा रहा है कि शुक्र के प्रारंभिक इतिहास के 2 अरब वर्षों तक वहाँ उथले तरल-जल महासागर और सतह में रहने योग्य तापमान मौजूद था। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स (Geophysical Research Letters) पत्रिका में 2016 में प्रकाशित निष्कर्ष में पृथ्वी पर भविष्य के जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने वाले लेखों के समान लेख पाए गए थे। और आज शुक्र एक नारकीय ग्रह बना हुआ है, इसका कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में 90 गुना घना है।
वहाँ बिल्कुल भी जल वाष्प मौजूद नहीं है और इसकी सतह पर तापमान 864 डिग्री फ़ारेनहाइट (462 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच जाता है। वैज्ञानिकों द्वारा लंबे समय से यह माना गया है कि शुक्र पृथ्वी के समान अवयवों से बना है, लेकिन एक अलग विकासवादी मार्ग का अनुसरण करता है।1980 के दशक में नासा (NASA) के पायनियर मिशन (Pioneer mission) द्वारा शुक्र पर किए गए मापों ने पहली बार सुझाव दिया था कि शुक्र के पास मूल रूप से एक महासागर हो सकता है। हालाँकि, शुक्र पृथ्वी की तुलना में सूर्य के अधिक निकट है और अधिक सूर्य का प्रकाश प्राप्त करता है। नतीजतन, ग्रह का प्रारंभिक महासागर वाष्पित हो गया, जल-वाष्प के अणु पराबैंगनी विकिरण से अलग हो गए, और हाइड्रोजन अंतरिक्ष में विलुप्त हो गया। सतह पर पानी नहीं रहने से, वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) का निर्माण हुआ, जिससे एक तथाकथित ग्रीनहाउस (Greenhouse) प्रभाव उत्पन्न हुआ जिसने वर्तमान परिस्थितियों का निर्माण किया। वहीं पिछले अध्ययनों से पता चला है कि कोई भी ग्रह अपनी धुरी पर कितनी तेजी से घूमता है, यह प्रभावित करता है कि क्या उसके पास रहने योग्य जलवायु है। शुक्र पर एक सौर दिवस 117 पृथ्वी दिवस(शुक्र पर एक नक्षत्र दिवस 243 पृथ्वी दिवस के जितना है)के बराबर है। माना जाता है कि आधुनिक शुक्र का घना वातावरण, ग्रह की धीमी घूर्णन दर के लिए आवश्यक था। हालाँकि, नए शोधों से पता चला है कि आधुनिक पृथ्वी जैसा पतला वातावरण समान परिणाम उत्पन्न कर सकता था। इसका मतलब है कि पृथ्वी जैसे वातावरण वाले एक प्राचीन शुक्र की घूर्णन दर आज भी उतनी ही हो सकती है।ग्रह की जलवायु को प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक स्थलाकृति है।

संदर्भ :-

https://bit.ly/3gcrljo
https://bit.ly/3CEJihU
https://go.nasa.gov/3Mz8F9E

चित्र संदर्भ
1. मंगल ग्रह के काल्पनिक दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (rawpixle)
2. मंगल पर रोवर को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
3. पृथ्वी एवं मंगल के एकीकरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मंगल की सतह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. काल्पनिक शुक्र गृह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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