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इंटरनेट के जरिए आप कही भी बैठे हो वहां से पूरी दुनिया की चीजें और जानकारी सर्च (search) कर सकते
हो। लेकिन इंटरनेट इतना विशाल और निराकार है कि इसके आविष्कार की कल्पना करना बहुत कठिन है।
थॉमस एडिसन (Thomas Edison) को लाइटबल्ब का आविष्कार करते हुए देखना आसान है, क्योंकि आप इसे
अपने हाथ में पकड़ सकते हैं और हर जगह से इसकी जांच कर सकते हैं। परन्तु इंटरनेट इसके विपरीत है। यह
हर जगह है, लेकिन हम इसे ना तो देख सकते हैं और ना ही पकड़ सकते हैं। इंटरनेट एक अदृश्य जाल की तरह
है: यह हमारे फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर साइटों और ऐप्स तथा ईमेल को दिखाता है।
इंटरनेट के अंतर्गत
विभिन्न प्रकार की प्रोटोकॉल तकनीकियों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिससे विभिन्न कार्य किये जाते हैं। कई
साल पहले, वैज्ञानिकों की एक छोटी टीम ने अपनी एक टेबल पर एक कंप्यूटर टर्मिनल (computer
terminal) स्थापित किया और एक असाधारण प्रयोग किया। उन्होंने साबित कर दिया कि इंटरनेट नामक एक
विचित्र अवधारणा काम कर सकती है। लेकिन इंटरनेट की खोज करना किसी एक व्यक्ति की बात नहीं थी
बल्कि इसकी खोज कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा की गई।
इंटरनेट पर फ्रांसीसी सरकार द्वारा प्रायोजित कंप्यूटर नेटवर्क साइक्लेड्स (computer network Cyclades),
इंग्लैंड की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, हवाई (Hawaii) विश्वविद्यालय जैसे विविध स्थानों पर काम किया
गया। लेकिन इसकी असल उत्त्पति अमेरिकी रक्षा विभाग पोषित अनुसंधान शाखा, एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स
एजेंसी (Advanced Research Projects Agency (ARPA) 1958 ) से हुई। 1969 में, एडवांस्ड रिसर्च
प्रोजेक्ट्स एजेंसी (अरपा) ने चार यूनिवर्सिटीज के कंप्यूटरों को नेटवर्किंग के जरिए जोड़कर 'इंटरनेट' के जन्म
को संभव किया और इसे नाम दिया गया "अरपानेट" (ARPANET - Advanced Research Projects
Agency Network)। अर्पानेट तेजी से बढ़ा, और 1970 के दशक के मध्य तक इसमें लगभग 60 नोड शामिल
हो गए।
लेकिन अर्पानेट में एक समस्या थी - वह दूर-दूर तक कनेक्ट नहीं किया जा सकता था। यह उन शोधकर्ताओं के
लिए उपयोगी था जो एक टर्मिनल पर बैठ कर काम करते थे। फिर इन्हें ऐसा बनाने का प्रयास किया गया की
हजारों मील दूर शक्तिशाली कंप्यूटरों को वायरलेस नेटवर्क के मध्याम से जोड़ा जा सके। यह सोवियत संघ
और उसके सहयोगियों को हराने के लिए कंप्यूटिंग शक्ति का उपयोग करने वाली एक नेटवर्क सेना का सपना
था, और यह वही सपना है जिसने इंटरनेट को जन्म दिया।
अरपानेट एक एकल नेटवर्क था जो कुछ दर्जन साइटों को जोड़ता था, जिनका उपयोग कंप्यूटर वैज्ञानिक
फाइलों और सूचनाओं के व्यापार के लिए करते थे। एक अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति जिसका उल्लेख आवश्यक है, वो
है रॉबर्ट टेलर जो एयरोस्पेस उद्योग में एक सिस्टम इंजीनियर थे। उनका मानना था कि अगर अरपानेट के
कंप्यूटरों को एक साथ जोड़ा जा सकता है, तो हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और डेटा को कुशलता से जोड़ा जा सकता
है। 1966 में टेलर ने अरपानेट के विकास की देखरेख के लिए MIT की लिंकन प्रयोगशाला में एक प्रोग्राम
मैनेजर लॉरेंस रॉबर्ट्स को जिम्मेदारी दी। उस समय कंप्यूटर वैज्ञानिकों का एक समूह सिस्टम-बिल्डिंग
रणनीतियों में लगातार काम कर रहा था जिसमें लेयरिंग और मॉडुलरिज़शन (layering and
modularization) जैसे प्रभावी डिजाइनो का इस्तेमाल किया गया था।
अरपानेट के साथ काम करते समय जिन प्रमुख समस्याओं को इंजीनियर और कंप्यूटर वैज्ञानिक हल करने का
प्रयास कर रहे थे, उनमें से एक था ऐसा नेटवर्क डिजाइन करना जो किसी भी प्रकार के कंप्यूटर को बिना किसी
विफलता के एक सामान्य नेटवर्क पर डेटा का आदान-प्रदान करने की अनुमति दे सके। इसके लिए पॉल बारन
ने स्वतंत्र रूप से एक रास्ता सुझाया - डेटा के छोटे ब्लॉकों को स्विच करने की अवधारणा। उन्होंने बड़े पैमाने
पर वितरित नेटवर्क के लिए एक सामान्य डिजाइन का वर्णन किया। उनके विचार का मुख्य फोकस एक
विकेन्द्रीकृत नेटवर्क का उपयोग करना था, जहां एक संदेश को कई रास्तों का उपयोग करते हुए, किन्हीं दो
बिंदुओं के बीच सफलतापूर्वक वितरित किया जा सकता था। इस संदेश को अलग-अलग ब्लॉकों में विभाजित
किया जाएगा, और फिर गंतव्य पर पहुंचने पर अंत में फिर से इकट्ठा किया जाएगा।
1970 के दशक में वैज्ञानिकों के बॉब काह्न और विंटन सेर्फ़ द्वारा ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और इंटरनेट
प्रोटोकॉल, या टीसीपी/आईपी (Transmission Control Protocol and Internet Protocol, or TCP/IP)
विकसित करने के बाद प्रौद्योगिकी का विकास जारी रहा, एक संचार मॉडल जो डेटा कैसे हो सकता है, इसके
लिए मानक निर्धारित करता है। साथ ही साथ उन्होंने पैकेट-स्विचिंग पद्धति का उपयोग करके जानकारी
साझा करने के लिए एक इंटरनेटवर्किंग प्रोटोकॉल (internetworking protocol) का आविष्कार किया।
ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (टीसीपी) इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) इसका मुख्य प्रोटोकॉल था।
अमेरिका ने एक तरकीब सुझाई और एक ऐसी तकनीक बनाने का निर्णय लिया जिसके बाद आप एक कंप्यूटर
से मीलों दूर रखे दूसरे कंप्यूटर को आसानी से जोड़ने में सक्षम हो सके। जिसका सुझाव हर किसी को अच्छा
लगा और उन्होंने उसे पास कर दिया अब वो सुझाव आज के समय में काम आ रहा है। इस सपने को साकार
करने के लिए पहले एक वायरलेस नेटवर्क का निर्माण किया गया था और दूसरा काम वायरलेस नेटवर्क को
अरपानेट के वायर्ड नेटवर्क से जोड़ा गया, इसे वैज्ञानिकों ने "इंटरनेटवर्किंग" (Internetworking) नाम दिया
और इंटरनेटवर्किंग वह समस्या है जिसे हल करने के लिए इंटरनेट का आविष्कार किया गया था। इसको
आजकल के समय में लोगों की लाइफलाइन कहा जाता है। लिहाजा दुनियाभर में इंटरनेट का आना और
फैलना अरपा की ही देन है। इसके बाद लगातार इस नेटवर्क सिस्टम को बेहतर बनाने का काम चलता रहा।
लेकिन वास्तव में इंटरनेट बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अस्तित्व में आने से बहुत पहले, कई वैज्ञानिकों ने
सूचना के विश्वव्यापी नेटवर्क के अस्तित्व का अनुमान पहले ही लगा लिया था। पॉल ओटलेट जैसे दूरदर्शी
विचारकों ने 1895 के दशक में पुस्तकों और मीडिया के मशीनीकृत, खोजने योग्य भंडारण प्रणालियों की
कल्पना की। माइक्रो-प्रोसेसर-कंप्यूटर से दशकों पहले ओटलेट और उनके साथी हेनरी ला फोंटेन (Henri La
Fontaine) ने 3x5 इंडेक्स कार्ड (index cards) पर इतिहास के सबसे महान विचारों और सुझावों को
मैन्युअल रूप से रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। उनके इस प्रोजेक्ट को यूनिवर्सल बिब्लियोग्राफिक रिपर्टरी
(Universal Bibliographic Repertory) कहते हैं। एक साल के भीतर, इन दो लोगों और इनके सहायकों की
एक टीम ने 400,000 प्रविष्टियां इकट्ठा कीं, जिसमें किताबें, भाषण, मेडिकल जर्नल, यहां तक कि समाचार पत्र
और पोस्टर विज्ञापनों की रिकॉर्डिंग भी शामिल थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Kj5BNE
https://bit.ly/3Akctpn
https://bit.ly/3ReFKsF
चित्र संदर्भ
1. एक पुराने कंप्यूटर पर चल रहे इंटरनेट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. इंटरनेट पैठ के स्तर को दिखाने के लिए रंगीन दुनिया के नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जीन-चार्ल्स-बोनेंफैंट बिल्डिंग में आईबीएम 360 मेनफ्रेम कंप्यूटर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दुनिया भर में इंटरनेट होस्ट की संख्या: 1969–वर्तमान तक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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