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तेंदुए और अन्य बड़ी बिल्लियाँ अक्सर लगातार बढ़ते मानव-पशु संघर्ष का सबसे बड़ा शिकार बनती आ रही है।
वर्तमान में आवासीय नुकसान और अवैध शिकार के कारण कई जीव-जंतु अपने मूल स्थान या जंगलों से
निकल कर नगरीय क्षेत्रों या ऐसे क्षेत्रों की ओर गमन कर रहे हैं जहां लोग निवास करते हैं। ये अवस्था मानव
जीवन को तो असुरक्षित करती ही है किंतु साथ ही साथ इन जानवरों को भी संकट में डालती है। इसका एक
उदाहरण तेंदुआ है जो आवास और भोजन की तलाश में अपने मूल स्थान को छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं।
इन शहरों में जौनपुर भी शामिल है जहां के घरों में तेंदुए अक्सर घुस जाते हैं तथा दहशत उत्पन्न कर मानव
जीवन को क्षति पहुंचाते हैं।
जौनपुर के सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के रामपुर डेरवा गांव में दिन में रिहायशी इलाके में एक तेंदुआ घुस गया
था। उसने तीन लोगों पर हमला कर दिया। लोगो का शोर सुन वह एक घर में घुस गया, जहां मौजूद महिला ने
अपने बेटे संग खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। पुलिस ने किसी तरह उन्हें छत की सीढ़ी के रास्ते बाहर
निकाला। इसके बाद पुलिस ने घर के चैनल गेट में ताला बंद करवा दिया है। कुछ समय बाद जिले का वन
विभाग उसे पकडऩे में नाकाम रहने पर लखनऊ से टीम बुलवाई और तेंदुए को पकड़ा।
इन शानदार और खूंखार बड़ी बिल्लियों में बाघ का नाम सबसे प्रमुख है, हालांकि दुनिया भर में उनकी आबादी
कम हो रही है, लेकिन आप इनको चीन (China), थाईलैंड (Thailan) और यहां तक कि पूर्वी रूस (Russia) और
सुमात्रा (Sumatra) में देख सकते हैं। विश्व बाघ दिवस, जिसे अक्सर अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (International
Tiger Day) कहा जाता है, हर साल 29 जुलाई को बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और
उनके संरक्षण के प्रयासों के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2010 में रूस (Russia) के सेंट पीटर्सबर्ग (Saint
Petersburg) में हुए बाघ सम्मेलन (Tiger Summit) में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय
लिया। इस सम्मेलन में 13 देशों ने भाग लिया था और उन्होंने बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी का लक्ष्य
रखा था। इसका लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना और बाघ
संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है।
लेकिन यह पूछे जाने पर कि आपको बाघ
मिलने की सबसे अधिक संभावना कहां है, आपका पहला जवाब शायद भारत होगा। लेकिन ये शानदार और
खूंखार बड़ी बिल्लियां पहली बार भारत कब आई और वे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? जैसा कि नाम से पता चलता
है, भारतीय या बंगाल टाइगर (Indian or Bengal tiger) मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में पाए
जाते हैं। ये अवसरवादी शिकारी होते हैं, जो मुख्य रूप से जंगली सूअर, खरगोश, लंगूर, मोर और अन्य जंगली
पक्षियों को खाते हैं, और कभी-कभी बड़े शिकार जैसे हाथी के बच्चों और यहां तक कि जंगली भैंसों को भी
खाते हैं। अब सवाल उठता है कि भारत में बाघ कब आए थे? परन्तु यह बता पाना असंभव है कि बाघ भारत में
कब आए? इतिहासकारों और विशेषज्ञों के इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत हैं, क्योंकि भारत में उनके आगमन के
संबंध में बहुत कम साक्ष्य मौजूद हैं।
क्या आप जानते हैं, भारतीय जंगलों में सबसे पहले बाघ की तस्वीरें किसने ली थीं? फ्रेडरिक वाल्टर चैंपियन
(Frederick Walter Champion), ब्रिटिश भारतीय सेना के एक पूर्व सैनिक और भारतीय वन सेवा के एक
अधिकारी रहे हैं। चैंपियन का नाम एक कन्ज़र्वेशनिस्ट (conservationist) और भारत में जंगली बाघ की पहली
तस्वीर लेने वाले शख्स के रुप में जाना जाता है। प्रकृति की रक्षा के प्रति चैंपियन का काफी झुकाव था और
इसने ही उन्हें बंदूक छोड़ कैमरा उठाने के लिए प्रेरित किया।
जीवाश्म रिकॉर्ड (fossil record) में बाघों की मौजूदगी का ठीक से पता नहीं चलता लेकिन मेसोलिथिक महादहा
(Mesolithic Mahadaha), नियोलिथिक लोबनर तृतीय (Neolithic Loebanr III), स्वात के अलीग्राम
(Aligrama), अतरंजी खेड़ा (Atranjikhera) और मादरडीह के पुरातात्विक अभिलेखों में इनकी मौजूदगी पता
चलती है, लेकिन इनके अलावा, बाघ के जीवाश्म रिकॉर्ड की बहुत कम उपस्थिति है। परन्तु बाघ के जीवाश्म
रिकॉर्ड के धुंधले प्रमाण के बावजूद प्राचीन भारत के ग्रंथों और तस्वीरों में ये बहुतायत में हैं। चाहे वह वैदिक
साहित्य संग्रह हो या बौद्ध और जैन सिद्धांतों के दार्शनिक प्रवचन, न्यायशास्त्र के ग्रंथ (धर्मशास्त्र), चरक और
सुश्रुत के चिकित्सा ग्रंथ, इसकी उपस्थित हर कहीं मौजूद है। हिंदू पौराणिक कथाओं में भी बाघ एक महत्वपूर्ण
जानवर है, क्योंकि इसे अक्सर देवी दुर्गा के साथ दिखाया गया है, लेकिन बाघ केवल सांस्कृतिक रूप से ही
महत्वपूर्ण नहीं है, यह उस पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। माना जाता
है कि बाघ और अन्य बड़ी बिल्लियाँ लगभग पाँच मिलियन (50 लाख) वर्ष पहले एक सामान्य पूर्वज से
विकसित हुई थीं, जोकि आज जंगली में देखे जाने वाले जगुआर (jaguars) और तेंदुओं से मिलता जुलता है।
बंगलुरू स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेस (National Center for Biological Sciences) में
मोलेक्यूलर इकोलॉजिस्ट (molecular ecologist) और असिस्टेंट प्रोफेसर (assistant professor) उमा
रामाकृष्णन कहती हैं, “हम केवल यह बता सकते हैं कि भारत में बाघ के रहने लायक परिस्थितियां कब बनीं
या वे अन्य बाघों की तुलना में अलग कैसे बने।” सोनीपत स्थित अशोका विश्वविद्यालय में इतिहास और
पर्यावरण अध्ययन से संबद्ध महेश रंगराजन कहते हैं कि कोई भी विद्वान इसकी सही तारीख नहीं बता
सकता। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहते हैं कि अगर आप शिवानी बोस की नई किताब “मेगा मेमल्स
इन एंसिएंट इंडिया: राइनो, टागर्स एंड एलिफेंट” (Mega Mammals in Ancient India: Rhinos, Tigers and
Elephants) के संदर्भ को देखें तो पाएंगे कि बाघ ऐतिहासिक समय (करीब 5,000 साल पहले से) से यहां हैं।
उन्होंने अपनी किताब में गैंडों, हाथियों और बाघों का इतिहास पता लगाने के लिए प्राचीन भारत के पुरातात्विक
अभिलेखों और चित्रों का सहारा लिया है।
भारतीय महाद्वीप में बाघ की शुरुआती झलक 2,500 ईसा पूर्व की हड़प्पा संस्कृति की मुहर से मिलती है।
कभी- कभी इसमें बाघ के सींग दिखाई देते है और वह किसी मांद जैसी जगह के सामने खड़ा दिखता है। अन्य
मुहर में एक अनोखी आकृति है। इसके पिछले हिस्से में बाघ है और अगला हिस्सा एक महिला का है। इस
महिला के सिर पर पेड़ उगा है। एक अन्य मुहर में एक निर्वस्त्र महिला दिखाई देती है। उसके एक तरफ दो बाघ
खड़े हैं। इस चित्र का महत्व स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इसमें महिला का बाघ से संबंध दर्शाया
गया है। यह संबंध प्रजनन या जन्म से जुड़ा हो सकता है।
हालिया इतिहास में विशेषज्ञों ने वह अनुमानित तारीख सुझायी है जो इस महाद्वीप में बाघ के आने की हो
सकती है। रामाकृष्णन, एंड्रयू सी किचनर और एंड्रयू (Andrew C Kitchener and Andrew) जे डगमोर (J
Dugmore) की किताब “बायोज्योग्राफिकल चेंज इन द टाइगर, पेंथरा टिगरिस” (Biogeographical change in
the tiger, Panthera tigris) का हवाला देकर बताती हैं, “आवास और जलवायु पर आधारित अध्ययन बताते हैं
कि अधिकांश भारत में बाघों ने 12,000 साल पहले अपनी उपस्थिति दर्ज की।” रामाकृष्णन के मुताबिक, पहले
के अध्ययन से पता चलता हैं कि बाघ दक्षिण चीन क्षेत्र के आसपास विकसित हुए और यहां से भारत के कई
हिस्सों में फैल गए। थापर अपनी किताब में लिखते हैं कि 50 हजार साल पहले बाघ सहित बड़ी बिल्लियां एक
ही पूर्वज से विकसित हुए। ये पूर्वज आधुनिक तेंदुए या चीते जैसे हो सकते हैं। रामाकृष्णन के मुताबिक, “जीनोम
सीक्वेंसिंग (genome sequencing) पर आधारित हमारे अध्ययन बताते हैं कि करीब 8,000-9,000 साल पहले
भारतीय बाघ अन्य बाघों से अलग हो गए।
अब एक सवाल यह उठता है कि अगर बाघ चीन में विकसित हुए तो वे किस तरह से दक्षिण एशिया में पहुंचे?
रामाकृष्णन इस प्रश्न का उत्तर देते हुए हैं “जीनोम सीक्वेंसिंग पर आधारित बाघों के जनसांख्यकीय इतिहास के
मॉडल बताते हैं कि भारत के उत्तरपूर्व में पाए जाने वाले बाघ दक्षिण एशियाई बाघों से काफी मिलते हैं। साथ ही
ये भारतीय बाघों से काफी भिन्न भी हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि बाघ उत्तरपूर्व के रास्ते से भारत में
आए होंगे।” अंतत: यह कहा जा सकता है कि भारत में बाघ करीब 12,000 पहले आए, संभवत: पूर्वी हिमालय
की ओर से। हालांकि यह मत बदल भी सकता है। चावड़ा मानते हैं, “विकास का पूरा व्यवसाय निरंतर चल रहा
है। हर दिन कुछ नया निकलकर सामने आ जाता है।”हालांकि हम एक सटीक समय नहीं बता सकते हैं कि कब
बाघ दक्षिण चीन से भारत में आ गए, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाघों का भारतीय संस्कृति, इतिहास
और पौराणिक कथाओं पर प्रभाव पड़ा है, साथ ही साथ पारिस्थितिक तंत्र पर उनका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
यह खूबसूरत जानवर भारत के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि वर्तमान बाघों का संरक्षण भारत के लिए चुनौतीपूर्ण
बना हुआ है, लेकिन अभी भी उम्मीद है। बाघों को बचाने के लिए सरकार हुए स्थानीय लोग मिलकर काम कर
रहे हैं। इस मुहीम में उनके आवास को बहाल करना, मनुष्यों और बाघों के बीच संघर्ष को कम करना और इन
शानदार जीवों के अवैध शिकार को रोकना शामिल है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाघ हमेशा के
लिए जंगल से गायब न हों।
संदर्भ:
https://bit.ly/3JetuW8
https://bit.ly/3cPGCoC
https://bit.ly/3BkxIts
चित्र संदर्भ
1.ड्रैगन और टाइगर पैगोडा में बाघ, काऊशुंग, ताइवान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारतीय तेंदुएं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बाघ की चित्रकारी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बाघ एक अन्य मुहर में एक निर्वस्त्र महिला दिखाई देती है। उसके एक तरफ दो बाघ खड़े हैं। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. गुफा में शावकों के साथ बाघ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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