12वीं शताब्दी के प्रारंभिक महाकाव्यों से आज के उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों तक हिंदी भाषा का सफर

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12वीं शताब्दी के प्रारंभिक महाकाव्यों से आज के उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों तक हिंदी भाषा का सफर

वर्ष 2001 जनगणना के अनुसार पूरे भारत में लगभग 422,048,642 वक्ताओं द्वारा हिंदी भाषा बोली जाती है! हिंदी भाषा बिहार, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की आधिकारिक भाषा भी है। हिंदी भाषा के अंतर्गत अब 48 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त बोलियाँ भी शामिल हो गई हैं। साथ ही, हिंदी भाषा से लगाव रखने वाले लोगों को यह जानकर भी बेहद हर्ष होगा की, हमें भविष्य में उच्च स्तरीय शिक्षा में भी अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी भाषा का बोलबाला देखने को मिल सकता है! हिंदी, भाषाओं के इंडो-यूरोपीय (Indoeuropean) परिवार की इंडो-आर्यन शाखा से संबंधित है। 1950 में हिंदी भारत संघ की आधिकारिक भाषा बन गई। भारत का संविधान, संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में (देवनागरी लिपि) में हिंदी के उपयोग का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 343 के अनुसार, "संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी। अंग्रेजी को संघ की सहयोगी भाषा घोषित किया गया था, और 1965 में हिंदी को अंग्रेजी का स्थान लेना था। मैथिली के राष्ट्रीय भाषा बनने के बाद हिंदी में अब 48 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त बोलियाँ शामिल हो गई हैं।
हिंदी और उर्दू भाषाओं की उत्पत्ति दिल्ली के आसपास के इलाकों में बोली जाने वाली खड़ी बोली से हुई है। आठवीं और दसवीं शताब्दी ईस्वी के बीच इस्लामी आक्रमणों और भारत के उत्तर में मुस्लिम शासन की स्थापना के दौरान, स्थानीय आबादी के साथ बातचीत की एक आम भाषा के रूप में अफगानों और तुर्कों ने खड़ी बोली का ही प्रयोग किया था। समय के साथ, इसने अरबी और फ़ारसी से शब्दों के उधार के साथ उर्दू नामक एक नई भाषा की किस्म भी विकसित की जो फ़ारसी-अरबी लिपि का उपयोग करती है। हिंदी और उर्दू का एक सामान्य रूप भी है, जिसे हिंदुस्तानी कहा जाता है, जो एक हिंदी-उर्दू मिश्रित भाषा है। हिंदी भाषा को भारतीय नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान “राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक” के रूप में अपनाया था।
बारहवीं शताब्दी से हिंदी का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में किया जाता रहा है। हालांकि, गद्य का विकास, अठारहवीं शताब्दी में शुरू हुआ, जो हिंदी के एक पूर्ण साहित्यिक भाषा के रूप में उभरने का प्रतीक है।
ब्रिटिश भारत में एक आयरिश प्रशासक और भाषाविद् ग्रियर्सन (George Abraham Grierson) ने हिंदी को दो भागों: पूर्वी हिंदी और पश्चिमी हिंदी में विभाजित किया है। पूर्वी और पश्चिमी प्राकृतों के बीच एक मध्यवर्ती प्राकृत थी जिसे अर्धमागधी कहा जाता था। पूर्वी समूह में, ग्रियर्सन तीन बोलियों अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी की चर्चा करते है। पश्चिमी समूह में, वह पांच बोलियों हिंदुस्तानी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली और भोजपुरी की व्याख्या करते है। पूर्वी हिंदी उत्तर में नेपाल की भाषा से और पश्चिम में पश्चिमी हिंदी की विभिन्न बोलियों से घिरी हुई है, जिनमें से कन्नौजी और बुंदेली प्रमुख हैं। पूर्व में, यह बिहारी की भोजपुरी बोली और उड़िया से घिरी है। दक्षिण में, यह मराठी भाषा के रूपों से मिलती है। पश्चिमी हिंदी उत्तर में हिमालय की तलहटी तक, दक्षिण में जमुना घाटी तक फैली हुई है, और बुंदेलखंड के अधिकांश हिस्से और पूर्व की ओर मध्य प्रांतों के एक हिस्से में फैली हुई है।
प्रारंभिक हिंदी साहित्य में 12वीं और 13वीं शताब्दी ई. के प्रारंभिक महाकाव्य जैसे मारवाड़ की मारवाड़ी भाषा में ढोला मारू का गायन, ब्रज की ब्रज भाषा में पृथ्वीराज रासो, और दिल्ली की बोली में अमीर खुसरो की रचनाएँ शामिल थी। आधुनिक मानक हिंदी, दिल्ली की बोली पर आधारित है। आधुनिक हिंदी और इसकी साहित्यिक परंपरा 18वीं शताब्दी के अंत में विकसित हुई। जॉन गिलक्रिस्ट (John Gilchrist) मुख्य रूप से हिंदुस्तानी भाषा के अपने अध्ययन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने एन इंग्लिश-हिंदुस्तानी डिक्शनरी, ए ग्रामर ऑफ द हिंदोस्तानी लैंग्वेज, द ओरिएंटल लिंग्विस्ट (An English-Hindustani Dictionary, A Grammar of the Hindustani Language, The Oriental Linguist), और कई अन्य का संकलन और लेखन किया। हिंदुस्तानी का उनका शब्दकोश फारसी-अरबी लिपि, नागरी लिपि और रोमन लिप्यंतरण में प्रकाशित हुआ था।
19वीं शताब्दी के अंत में, हिन्दी को उर्दू से अलग हिंदुस्तानी के मानकीकृत रूप में विकसित करने के लिए एक आंदोलन ने जन्म लिया। 1881 में, बिहार ने उर्दू की जगह हिंदी को अपनी एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया, और इस तरह हिंदी को अपनाने वाला यह भारत का पहला राज्य बन गया।
बोलने वालों की बड़ी संख्या के आधार पर, हिंदी विश्व की चौथी सबसे बड़ी भाषा है। हिंदी लगभग पूरे भारत में कई भारतीयों की दूसरी भाषा के रूप में बोली जाती है, तथा इसने भारत की अन्य भाषाओं को भी प्रभावित किया है। अपने मूल वक्ताओं की इतनी बड़ी संख्या के कारण, यह माना जाता है कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा में से भी एक होनी चाहिए। हिंदी की कई बोलियाँ भी हैं, जिन्हें उचित हिंदी कहा जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नवत दिए गए हैं:
1. ब्रज भाषा: ब्रज भाषा, दो शब्दों से मिलकर बनी है ब्रज अर्थात एक क्षेत्र और भाषा! यह हिंदी की एक प्रमुख बोली है, जो उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तर-पश्चिमी भाग, राजस्थान राज्य के पूर्वी भाग और हरियाणा राज्य के दक्षिणी भाग में बोली जाती है। इस बोली को बोलने वाले लोग उस क्षेत्र से संबंधित हैं, जिसे ऐतिहासिक रूप से महाभारत के हिंदू महाकाव्यों में ब्रज (ब्रज को व्रज के रूप में भी जाना जाता है) के रूप में जाना जाता है, तथा इसे हिंदू भगवान, कृष्ण का जन्म स्थान भी माना जाता है। 19वीं शताब्दी से पहले यह एक प्रमुख बोली थी। हिंदी के प्रसिद्ध कवि जैसे सूरदास, भाई गुरदास और अमीर खुसरो ने ब्रज भाषा में ही लिखा है।
2. खड़ी बोली: खड़ी बोली, दो शब्दों से मिलकर बनी है -खड़ी, बोली - बोली, भाषा! यह हिंदी की महत्वपूर्ण बोली है, जो आमतौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश राज्य तथा इसके आसपास के क्षेत्र के साथ- साथ उत्तराखंड राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में भी बोली जाती है। वर्तमान में, खड़ी बोली ने हिंदी की प्रमुख मानक बोली के रूप में अपना स्थान ले लिया है। विद्वानों के अनुसार, इसे 900-1200 ईस्वी की अवधि के बीच विकसित माना जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद रचित अधिकांश हिन्दी साहित्य, खड़ी बोली में है।
3. हरियाणवी: हरियाणवी हिंदी की एक अन्य प्रमुख बोली है। यह उत्तरी राज्य हरियाणा के साथ- साथ दिल्ली में भी व्यापक रूप से बोली जाती है।
4. बुंदेली: बुंदेली हिंदी की एक प्रमुख बोली है, जो मध्य प्रदेश राज्य में बुंदेलखंड क्षेत्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भागों में भी बोली जाती है।
5. अवधी: अवधी, जिसे अबधी, आबादी, अबोही, अबोधि और बैस्वरी के वैकल्पिक नामों से भी जाना जाता है, हिंदी की एक और बोली है, जो उत्तर प्रदेश के अवध के ऐतिहासिक क्षेत्र में बोली जाती है। यह उत्तरवर्ष में भी बोली जाती है, साथ ही बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली के साथ-साथ हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी इसके वक्ता पाए जाते हैं।
भारत में हर साल हाई स्कूल फाइनल में भाग लेने वाले 10 मिलियन छात्रों में से 65% गैर-अंग्रेजी या हिंदी माध्यम के स्कूलों से आते हैं। साथ ही देश में उच्च शिक्षा, विशेष रूप से एसटीईएम विषय (STEM subjects), वर्तमान में लगभग पूरी तरह से अंग्रेजी आधारित है। अंग्रेजी भाषा की प्रचुरता के कारण हिंदी भाषी छात्रों के लिए, अपरिचित भाषा में सीखना एक अतिरिक्त चुनौती साबित हो गया है, जो कुछ के लिए असंभव भी हो सकता है! इस कारण हर साल हुनरमंद होने के बावजूद भी हजारों लोग नामी और अच्छे संस्थानों से बाहर हो जाते हैं। हालांकि आधुनिक, भारत "मातृभाषा" शिक्षा में वृद्धि देख रहा है! अब पाठ्यक्रम हिंदी, मराठी, तमिल और अन्य गैर-अंग्रेजी भाषाओं में भी पढ़ाए जा रहे हैं। 2021 में, राज्य-अनुमोदित इंजीनियरिंग स्कूलों में 1,230 सीटों को देशी भाषाओं में अध्ययन के लिए आवंटित किया गया था। स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं तक पहुंच की बढ़ती मांग ने, राज्य को पिछले साल एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन के निर्माण के लिए धन आवंटित करने के लिए भी मजबूर किया, जिसका एकमात्र लक्ष्य स्थानीय भाषा में अनुवाद में तेजी लाना था।
तकनीकी शिक्षा के लिए भारत की सर्वोच्च संस्था, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का, आठ भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के प्रयासों को भी बढ़ावा दिया है। ऑनलाइन या तकनीकी शिक्षा के दिग्गज जो पहले केवल अंग्रेजी के कुलीन बाजार की ही पूर्ती करते थे, अब गैर-अंग्रेजी-आधारित शिक्षा की मांग को भुनाने के लिए प्रश्न बैंकों और व्याख्यानों का अनुवाद कर रहे हैं। "अंग्रेजी के नाम पर, हमने बहुत सारे नवाचारों को मार दिया है! लेकिन अब समय आ गया है कि जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते वे भी उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3yT15ju
https://bit.ly/3Pvk9M3
https://bit.ly/3OsLmNV
https://bit.ly/2XfA6eH

चित्र संदर्भ

1. हिंदी साहित्य के बृहत् इतिहास को दर्शाती पुस्तकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. हिन्दी पाण्डुलिपि 884 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हिन्दी पाण्डुलिपि 189 को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
4. जॉन गिलक्रिस्ट (John Gilchrist) मुख्य रूप से हिंदुस्तानी भाषा के अपने अध्ययन के लिए जाने जाते थे। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. गीता बोध आत्म साक्षात्कार (हिंदी) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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