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भारत को युवाओं का देश कहा जाता है! भारत की 50% से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम आयु की
है और 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की है। देखा जाए तो युवाओं का यह
प्रतिशत, देश की तरक्की के लिए एक बेहतरीन संभावना के रूप में उभर सकता है! लेकिन जिस
प्रकार बिना ईंधन के कोई भी गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती, ठीक उसी प्रकार बिना बेहतर कौशल के
युवा आबादी की ऊर्जा और उत्साह भी व्यर्थ ही चला जायेगा। लेकिन देश के युवाओं को नौकरी या
स्वरोजगार प्रदान करने के सन्दर्भ में, भारत सरकार द्वारा कई महत्वकांशी योजनाएं भी चलाई जा
रही हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए देश के युवा, स्वयं के कौशल को विकसित करने के साथ-
साथ, देश की तरक्की में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
सरकार द्वारा युवाओं के बहु-कौशल को विकसित करने के लिए स्किल इंडिया मिशन (Skill India
Mission) चलाया गया है, जिसका उद्देश्य उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। गौरतलब है की
अब तक कौशल प्रशिक्षण, एक ही कौशल या एक नौकरी की भूमिका के तहत दिया जाता था। 2014 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने युवाओं को रोजगार, अच्छे काम और उद्यमिता के लिए कौशल से लैस करने के रणनीतिक महत्व का जश्न मनाने के लिए 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया। तब से, विश्व युवा कौशल दिवस ने युवाओं को, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण (टीवीईटी) संस्थानों, फर्मों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नीति-निर्माताओं और विकास भागीदारों के बीच संवाद का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है।
इसके साथ ही आज भारत सरकार द्वारा भी ऐसे कई कौशल कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो युवाओं को नौकरी पानेऔर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। जिनके कुछ उदाहरण निम्नवत दिए गए हैं।
1.प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY):
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY),
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की प्रमुख पहल, भारतीय युवाओं की एक बड़ी
संख्या को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने का मौका प्रदान करती है, जो उन्हें
बेहतर जीवन प्राप्त करने में सहायता कर सकती है। इसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा
नियंत्रित किया जाता है। इसके अंतर्गत पूर्व शैक्षिक अनुभव या योग्यता रखने वाले व्यक्तियों को
भी मान्यता प्राप्त पूर्व शिक्षण कार्यक्रम के तहत जांचा और प्रमाणित किया जाता है। सरकार इस
योजना के तहत सभी प्रशिक्षण और मूल्यांकन खर्चों का भुगतान करती है।
2.आजीविका के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (Skill Acquisition and
Knowledge Awareness for Livelihoods (SANKALP): आजीविका कार्यक्रम के लिए
कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (संकल्प) का उद्देश्य राष्ट्रीय मिशन के उप-मिशनों को
क्रियान्वित करना है। यह एक सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है जिसकी कुल परियोजना लागत
$675 मिलियन है, जिसमें 250 मिलियन डॉलर की दो किस्तों में विश्व बैंक के समर्थन में $500
मिलियन शामिल हैं। परियोजना का उद्देश्य गुणवत्ता प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं, मॉडल
पाठ्यक्रम और सामग्री का एक पूल स्थापित करके कौशल विकास कार्यक्रमों के मानक को बढ़ाने
और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए एक कठोर निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली का निर्माण
करने का प्रयास करना है।
3.पीएमईजीपी के तहत उद्यमिता विकास कार्यक्रम (Entrepreneurship Development
Program (EDP): उद्यमिता विकास कार्यक्रम प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
(पीएमईजीपी) के प्रतिभागियों को दी जाने वाली एक योजना है, जो उद्यमिता कौशल में सुधार पर
केंद्रित है। इसे ग्रामीण विकास और स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों (RUDSETIs) और खादी और
ग्रामोद्योग आयोग (KVIC), KVIB प्रशिक्षण केंद्रों के साथ-साथ अन्य राष्ट्रीय स्तर के उद्यमिता
विकास संस्थानों (EDIs) के माध्यम से सफल बनाया जाता है। इस योजना का लक्ष्य विभिन्न
प्रबंधकीय और परिचालन कार्यों जैसे वित्त, निर्माण, विपणन, कंपनी प्रबंधन, वित्तीय
औपचारिकताएं, बहीखाता पद्धति आदि के बारे में जागरूकता और ज्ञान प्रदान करना है।
4. औद्योगिक मूल्य वृद्धि के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (SKILLS STRENGTHENING FOR
INDUSTRIAL VALUE ENHANCEMENT (STRIVE): यह योजना भारत सरकार के नेतृत्व
में एक विश्व बैंक समर्थित परियोजना है जिसका उद्देश्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों
(आईटीआई) और शिक्षुता के माध्यम से पेश किए जाने वाले कौशल प्रशिक्षण की प्रासंगिकता और
प्रभावशीलता में सुधार करना है। यह 2200 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की
योजना है, जिसका उद्देश्य आईटीआई प्रदर्शन को बढ़ाने, आईटीआई और शिक्षुता प्रशिक्षण का
समर्थन करने के लिए राज्य सरकार की क्षमता को मजबूत करना है।
5.दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen
Kaushalya Yojana (DDU-GKY): ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा शुरू की गई यह
पहल, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का एक घटक है, जिसे ग्रामीण गरीब परिवारों
की आय में विविधता लाने और ग्रामीण क्षेत्रों की व्यावसायिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के
दोहरे लक्ष्यों का काम सौंपा गया है। (DDU-GKY) युवा (15 से 35 वर्ष के बीच) के ग्रामीण किशोरों
पर केंद्रित है, जो कम आय वाले घरों से आते हैं। यह पहल, जो कि स्किल इंडिया अभियान का
हिस्सा है, में भागीदार संगठन शामिल हैं, जो डीडीयू-जीकेवाई द्वारा एकीकृत स्किलिंग
इकोसिस्टम (Integrated Skilling Ecosystem) का ही हिस्सा हैं।
केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान ने 2021 में विश्व युवा कौशल दिवस पर
एक कार्यक्रम में कहा था कि, भारत सरकार देश के युवाओं को ज्ञान के साथ कौशल प्रदान करना
चाहती है, ताकि वे रोजगार योग्य हों। और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख
करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय ब्लू-कॉलर नौकरियों (blue-collar jobs) में किया जायेगा।
मंत्रालय ऐसे युवाओं को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जिनके पास ज्ञान है और जो रोजगार
के योग्य हैं। “यह खर्च सरकार की सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा खर्च किए जाने वाले 5 लाख करोड़
रुपये के अतिरिक्त है।” इस योजना का उद्देश्य महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,
अल्पसंख्यकों और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है, जो
निरक्षर, नव-साक्षर, कक्षा 8 तक की शिक्षा के प्राथमिक स्तर वाले व्यक्तियों और स्कूल छोड़ने
वालों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3yW9tjE
https://bit.ly/3AK7uA9
https://bit.ly/3yYqAkF
चित्र संदर्भ
1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के बैनर के साथ खड़े युवाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कौशल सीखती महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कौशल सुदृढ़ीकरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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